चचेरी भाभी का खूबसूरत भोसड़ा -5

(Chacheri Bhabhi Ka Khubsurat Bhosda- Part 5)

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अब तक आपने पढ़ा था कि भाभी ने अपनी चूत में मेरा लण्ड ले लिया और अब वो अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनना चाहती थीं। सो मैंने उनकी सुन्दरता के बारे में कहना शुरू किया।
मैंने कहा- आपका पूरा जिस्म.. आपके इस खुबसूरत चहेरे के आगे तो ऐश्वर्या भी कुछ नहीं।
वो बोलीं- सच में?
मैंने कहा- आपकी इस चूत की कसम..

और मैंने एक जोर का धक्का मारा जिससे उनकी हल्की ‘आह’ निकल गई।
भाभी बोलीं- और..
मैंने कहा- आपके ये मम्मे भी बड़े ही मस्त हैं.. ये दूध जैसे सफेद और रुई जैसे नर्म.. और उस पर ये काले निप्पल.. सच में किसी को भी पागल कर सकते हैं।
वो बोलीं- आप मर्दों की नजर ही वहाँ पर टिकी होती है.. कभी-कभी तो लगता है कि वो इन्हें खा ही जाएंगे।
मैंने कहा- ये चीज ही ऐसी है।

वो मुस्कुरा दीं।

मैंने कहा- सच बताऊँ तो आपकी खुश्बू कमाल की है।
वो बोलीं- कहाँ की खुश्बू.. ये तो बताओ?
मैंने एक और जोर का झटका उनकी चूत में लगाया और कहा- यहाँ की।
उन्होंने एक ‘आह’ भरी और बोलीं- थोड़ा विस्तार से बताओ मेरे राजा।

मैं थोड़ा रुक गया और मैंने उनको देखा और चूमने लगा। मैं बड़े ही चाव से उनकी जीभ चूस रहा था और होंठ काट रहा था।
थोड़ी देर बाद उन्होंने मेरी गाण्ड पर एक थपकी लगाई और बोलीं- इसका काम चालू रखो.. ये रुकना नहीं चाहिए।
इस दौरान हमारी बाते चालू थीं.. मैंने भाभी से कहा- आपकी चूत कमाल की है..
उन्होंने कहा- इसमें क्या कमाल है जैसी सबकी होती है वैसी मेरी है।
मैंने कहा- औरों की तो पता नहीं.. लेकिन आपकी चूत की खुश्बू मुझे पागल कर देती है… मैंने ऐसी खुश्बू आज तक नहीं सूँघी।

वो बोलीं- कैसी है इसकी खुश्बू?
मैंने कहा- चूत की खुश्बू किसी भी चीज के साथ तुलना नहीं कर सकते.. उसकी अपनी एक अलग ही खुश्बू होती है। अगर कोई उसकी खुश्बू जैसी खुश्बू बना ले.. तो वो मालामाल हो जाएगा।

इस पर वो जोर से हँस पड़ीं और प्यार से मुझे चूमा और कहा- मेरा आशिक सच में पागल है.. पर ये तो बताओ कि इसका स्वाद कैसा लगा?
मैंने कहा- थोड़ा नमकीन.. थोड़ा खट्टा.. इसका भी खुश्बू जैसा ही है.. पूरी तरह किसी चीज से मैच नहीं करता।
वो मुस्कुराने लगीं।

मैंने भाभी से कहा- चूत एक यूनिक चीज है.. दुनिया में ऐसी कोई भी चीज नहीं..
वो बोलीं- तभी तो पूरी दुनिया इसकी दीवानी है.. लेकिन अब तो ये चूत कहाँ रही.. आपने तो इसका भोसड़ा ही बना दिया।

अब मैंने अपना मुँह उनके मम्मों पर लगाया और उनके दूध चूसने लगा। बीच-बीच में उनके निप्पल काट लेता था.. जिस पर वो मेरा सर अपने दूध पर दबा देती थीं।

भाभी ने कहा- आप कमाल का चूसते हो.. आपके भैया को न चूत चाटनी आती है न ही इन मस्त मम्मों को चूसना आता है… उन्होंने तो मेरे इतने साल यूं ही जाया कर दिए।
मैंने कहा- भाभी.. अब आप फिकर न कीजिए.. मैं आपको इतना चोदूँगा कि आप पूरी तरह तृप्त हो जाएंगी।

भाभी ने कहा- तृप्त तो मैं हो ही गई आपसे देवर जी..
मैंने कहा- अभी कहाँ आपको तृप्त किया है..
भाभी ने कहा- और क्या बाकी रहा है अब?
मैंने कहा- अभी तो बहुत कुछ बाकी है।
वो बोलीं- और क्या.. बताओ तो?

मैंने अपनी एक उंगली उनकी गाण्ड के छेद में थोड़ा घुसेड़ कर कहा- अभी तो ये बाकी है।
उन्होंने कहा- खबरदार.. इसके बारे में सोचा भी तो..
मैंने हँस कर कहा- ओके..

थोड़ी देर बाद उन्होंने कहा- अब तक मैं 5 बार झड़ चुकी हूँ। इतना तो मैं सुहागरात के दिन भी नहीं झड़ी थी। तुमने तो मेरी चूत का कचूमर ही बना दिया है।
मैंने कहा- कचूमर नहीं.. भोसड़ा..
वो बोलीं- हाँ.. वही यार..
मैंने मजाक में कहा- तो निकालूँ क्या?
उस पर उन्होंने मेरी गाण्ड पर जोर से चपत लगाई और बोलीं- खबरदार जो इसे निकाला तो.. ये तो अब मेरा है।

मैंने एक जोर का झटका लगाया और कहा- और ये चूत अब मेरी है।
वो बोलीं- बिल्कुल देवर जी.. आप जब चाहे.. इसकी बजा सकते हो।
मैं इस बीच उनके दूध चूस रहा था और चूत चोद रहा था।
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वो बोलीं- जरा इसके बारे में तो कुछ बताओ।
मैंने कहा- भाभी आज पहली बार ही आपके मम्मे देखे और मुझे मिल भी गए.. इनका अहसास ही कुछ और है। ये थोड़े नर्म.. थोड़े सख्त हैं और सफ़ेद दूध पर ये काला निप्पल तो कमाल ही लगता है.. जैसे ऊपर वाले ने इसे बुरी नजर से बचाने के लिए ही लगा दिया हो।
भाभी मेरी ये बातें सुनकर बोलीं- देवर जी.. आपको तो कवि होना चाहिए था।
मैंने कहा- आप हो ही इतनी खूबसूरत कि कोई भी कवि बन जाए।

वो अपनी तारीफ सुन कर इतनी खुश हो गईं कि मुझे जोर से जकड़ लिया और बोलीं- ओह.. मेरे प्यारे चोदू.. देवर जी.. आप मुझे पहले क्यों नहीं मिले।
अब वो अपनी चूत में मेरे हर एक धक्के का मजा ले रही थीं। थोड़ी देर मैं यूं ही बिना कुछ बोले धक्के लगाता रहा।

सच बताऊँ तो मुझे भी अब थोड़ी थकान महसूस हो रही थी.. पर चुदाई का खुमार और भाभी की चूत थी.. जो मुझे थकने ही नहीं देती थी।
थोड़ी देर बाद भाभी बोलीं- बस देवर जी अब इसको ख़त्म कीजिए।
मैंने कहा- हार गईं क्या मेरी प्यारी भाभी..
वो बोलीं- सच में देवर जी.. आप जीत गए।

दोस्तो… मैंने भी अब काम ख़त्म करने के हिसाब से धक्के लगाने शुरू कर दिए।
थोड़ी ही देर बाद मैं उनकी चूत में जोर से झड़ने लगा और मैं उन पर ही निढाल हो गया।
वो काफी देर तक मुझे प्यार से सहलाती रहीं और चूमती रहीं।
पता नहीं कितनी देर तक मैं उनकी चूत में थोड़ा-थोड़ा झड़ता रहा।
सच में दोस्तो, मैं अपनी भाभी का प्यार पाकर धन्य हो गया।

इस बार झड़ने के बाद मेरा लण्ड ढीला पड़ गया, अब उसमें थोड़ा दर्द भी महसूस हो रहा था।
आखिरकार लण्ड पिछले एक घंटे से खड़ा जो था.. इतनी मेहनत के बाद उसकी थकान तो लाजमी ही थी।
मैं और भाभी बिना लण्ड निकाले ही कितनी ही देर तक एक-दूसरे की बाँहों में पड़े रहे और एक-दूसरे को प्यार करते रहे।

बाद में भाभी उठीं और मुझे चूमते हुए बोलीं- देवर जी.. ये चुदाई मैं जिंदगी भर नहीं भूलूँगी।
मैंने भी उनके चूचे चूसते हुए कहा- मैं भी..

वो जैसे ही उठीं.. मेरा वीर्य उनकी जांघों से रिस कर बाहर आने लगा जिसकी धार देख कर भाभी बोलीं- देवर जी आप कितना झड़ते हो.. तुम्हारे भैया की तो कुछ बूँदें ही बाहर आती हैं.. वो भी कभी-कभार ही!
मैंने कहा- इसे चख कर देखो भाभी..
वो बोलीं- हट गंदे कहीं के..
मैंने कहा- एक बार देखो तो सही..

इस पर वो मुस्कुराईं और थोड़ा अपनी उंगली पर लेकर चख लिया।
मेरी भाभी का ऐसा रिस्पोंस देख कर सच में मैं बहुत खुश हो गया।

वो सीधे ही ऐसे नंगी बाथरूम में चली गईं। मैं भी उनके पीछे बाथरूम में चला गया।
वहाँ भाभी ने अपने हाथों से मेरे लण्ड को पानी डालकर साफ कर दिया। बाद में उन्होंने अपनी चूत साफ की.. जिसे मैं खड़े होकर देख रहा था।
उन्होंने अपनी उंगली चूत में डालकर अन्दर घुमाई और अपनी चूत से सारा वीर्य निकाल दिया और अपने आपको साफ कर दिया।

उन्होंने कहा- अब तो बाहर जाओ देवर जी.. मुझे मूतना है।
मैंने कहा- मेरे सामने ही कर लीजिए ना..
जिस पर उन्होंने मुझे धक्का दिया और प्यार से कहा- अब जाओ भी..

मैं अपनी जगह पर आ गया और अपनी पैन्ट पहन ली, मैं किताब पढ़ने बैठ गया।
थोड़ी देर बाद भाभी बाथरूम से बाहर आईं और सोफे पर पड़ी अपनी पैन्टी और सलवार लेकर पहनने लगीं।

थोड़ी देर बाद वो मेरे पास आईं और बोलीं- देवर जी ये ड्राइंग रूम का दरवाजा तो खुला ही था। मैं भी उसे देख कर भौंचक्का रह गया। फिर मैंने भाभी से कहा- चलो भाभी इससे एक बात तो साफ है कि ऊपर वाले को हमारा ये रिश्ता मंजूर है.. वर्ना कोई आ जाता और हम पकड़े जाते।
मेरा ऐसा कहने पर भाभी ने राहत की साँस ली और बोलीं- शायद आप ठीक कह रहे हो देवर जी।

तो दोस्तो, यह थी मेरी अपनी चचेरी भाभी के साथ चुदाई की सच्ची कहानी.. ये कहानी पूरी करने में मुझे एक हफ्ता लगा.. क्योंकि मुझे जब भी वक्त मिलता था.. तो मैं थोड़ा ही इसको लिख पाता था।

भाभी के साथ अगली पूरी रात भर की चुदाई की कहानी बहुत जल्द आपके समक्ष रखूँगा।

मेरा अन्तर्वासना के पाठकों से अनुरोध है कि अपने अनुभव को अन्तर्वासना पर जरूर शेयर किया करें और मेरी इस कहानी के बारे में भी अपनी राय जरूर लिखें.. मेरा ईमेल आईडी नीचे है।
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