भाभी संग मेरी अन्तर्वासना-2

(Bhabhi Sang Meri Antarvasna Part-2)

This story is part of a series:

अब तक आपने पढ़ा था कि भाभी मुझे छेड़ने लगी थीं और मैं संकोच में कुछ कह भी नहीं पा रहा था।
सुबह मेरी भाभी से बात तक करने कि हिम्मत नहीं हुई और मैं चुपचाप स्कूल चला गया।

जब मैं स्कूल से वापस घर आया तो देखा कि मेरा सारा सामान ड्राईंग रूम से गायब था। मैंने बाहर जाकर देखा तो भाभी किचन में खाना बना रही थीं.. वो मेरी तरफ देखकर मुस्कुराने लगीं।

मैंने भाभी के कमरे में जाकर देखा तो मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा.. क्योंकि मेरा सारा सामान भाभी ने अपने कमरे में लगा रखा था.. मगर मेरा बिस्तर नहीं था।

मेरी भाभी से बात करने कि हिम्मत तो नहीं हो रही थी.. मगर फ़िर भी मैं पूछने के लिए भाभी के पास किचन में चला गया।

भाभी ने बताया- इतना सामान कमरे में नहीं आएगा.. तुम मेरे साथ बिस्तर पर ही सो जाना और वैसे भी डबलबेड है.. हम दोनों आराम से सो सकते हैं।

यह बात सुनकर तो मैं इतना खुश हुआ जैसे कि मुझे कोई खजाना मिल गया हो मगर मैंने जाहिर नहीं किया और रात होने का इंतजार करने लगा।

भाभी ने दिन से ही सलवार कमीज पहन रखा था और रात को भी उसे ही पहनकर सो गईं.. इसलिए मुझे कुछ भी देखने को नहीं मिला। ऊपर से भाभी के इतना नजदीक होने के कारण मेरा लिंग रात भर उत्तेजित ही बना रहा.. जिस कारण मुझे रात भर नींद भी नहीं आई।

अगले दिन भाभी ने साड़ी पहनी इसलिए मैं दिन भर यह सोच कर खुश होता रहा कि शायद भाभी आज रात को सोते समय नाईटी पहनेंगी और मुझे कुछ देखने को मिलेगा..

मगर रात को भी भाभी ने कपड़े नहीं बदले बस अपनी साड़ी को ही उतारा, भाभी ने साड़ी को उतार कर मेज पर रख दिया और मुझे पढ़ाने के लिए मेरे पास मुझसे बिल्कुल सट कर बैठ गईं।

नीचे उन्होंने काले रंग का पेटीकोट और ऊपर भी काले रंग का ही ब्लाउज पहन रखा था.. जिनके बीच से भाभी का गोरा पेट दिखाई दे रहा था।
गोरा पेट देख कर मेरा लिंग उत्तेजित हो गया।

मुझे डर लगने लगा.. कहीं भाभी को मेरा उत्तेजित लिंग दिखाई ना दे जाए.. इसलिए मैंने भाभी को मना कर दिया और कहा- मुझे कुछ पूछना होगा तो मैं आपको बता दूँगा.. आप सो जाओ।
भाभी ने कहा- ठीक है।

वे बिस्तर पर एक तरफ जाकर सो गईं मगर सोते समय भाभी का पेटीकोट उनके घुटनों तक पहुँच गया और भाभी की दूधिया सफेद पिण्डलियाँ दिखने लगीं।

मैं पढ़ाई करने लगा.. मगर मेरा पढ़ाई में बिल्कुल भी ध्यान नहीं था, मैं चोर निगाहों से बार-बार भाभी को ही देख रहा था। मैं चाह रहा था कि भाभी का पेटीकोट थोड़ा सा और ऊपर खिसक जाए..
मगर तभी बिजली चली गई.. जिससे कमरे में अंधेरा हो गया और मेरा सारा मजा खराब हो गया।

अब मैं कुछ नहीं कर सकता था.. इसलिए मैं बिस्तर पर जाकर सो गया।

मगर मेरा लिंग अब भी उत्तेजित था.. जो कि मुझे सोने नहीं दे रहा था, मैं बार-बार करवट बदल रहा था.. मगर नींद नहीं आ रही थी.. तभी भाभी ने करवट बदली और वो मेरे बिल्कुल पास आ गईं।

अब तो मुझमे भी थोड़ी सी हिम्मत आ गई.. मैं सोने का नाटक करते हुए करवट बदल कर भाभी से बिल्कुल चिपक गया और एक हाथ भाभी के उरोजों पर रख दिया व दूसरे हाथ से अपने लिंग को सहलाने लगा।

भाभी के नर्म उरोज ऐसे लग रहे थे मानो मैंने अपना हाथ मक्खन पर रखा हो। मुझे डर लग रहा था कहीं भाभी जाग ना जाएं और मेरा दिल डर के मारे जोरों धक-धक कर रहा था.. मगर फ़िर भी मैं धीर-धीरे भाभी के उरोज को सहलाने लगा।

मैं पहली बार किसी के उरोज को छू रहा था। भाभी के नर्म मुलायम उरोजों के अहसास ने मुझे इतना उत्तेजित कर दिया कि मेरा कपड़ों में ही रस स्खलित हो गया.. जिससे मेरा हाथ और कपड़े गीले हो गए।

मैं डर गया कहीं भाभी को ये बात पता ना चल जाए.. इसलिए मैं जल्दी से करवट बदल कर सो गया और पता नहीं कब मुझे नींद आ गई।

अगले दिन मेरी भाभी से बस एक-दो बार ही बात हो पाई क्योंकि मेरी मम्मी की तबियत खराब थी इसलिए भाभी दिन भर मम्मी के ही पास रहीं।

रात को जब मैं पढ़ाई कर रहा था तो करीब साढ़े ग्यारह बजे भाभी कमरे में आईं.. और मुझसे कहने लगीं- तुम्हें पता है ना कल पापा जी.. मम्मी को इलाज के लिए दूसरे शहर ले जा रहे हैं.. वो शाम तक वापस आएंगे.. इसलिए तुम्हें कल स्कूल नहीं जाना है.. नहीं तो मैं घर पर अकेली रह जाऊँगी।
मैंने हामी भर दी।

घड़ी में अलार्म भरते हुए भाभी ने एक बार फिर से कहा- तुम्हें कुछ पूछना है.. तो पूछ लो.. नहीं तो मैं सो रही हूँ.. मुझे सुबह जल्दी उठकर मम्मी-पापा के लिए खाना भी बनाना है।
मैंने मना कर दिया।

भाभी ने कहा- तो ठीक है.. तुम एक बार बाहर जाओ मुझे कपड़े बदलने हैं।
मैंने मजाक में कह दिया- ऐसे ही बदल लो ना..
तो भाभी हँसने लगीं और कहा- अच्छा जी.. आजकल तुम कुछ ज्यादा ही बदमाश होते जा रहे हो.. चलो अभी बाहर चलो..

उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बाहर करके अन्दर से दरवाजा बन्द कर लिया।
मैं बाहर खड़ा होकर इन्तजार करने लगा और जब भाभी ने दरवाजा खोला तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं.. भाभी ने उस दिन वाली ही नाईटी पहन रखी थी.. जिसमें से उनकी ब्रा-पैन्टी और पूरा बदन स्पष्ट दिखाई दे रहा था।

भाभी बिस्तर पर जाकर सो गईं.. मगर सोते समय आज भी भाभी की नाईटी उनके घुटनों तक पहुँच गई और भाभी की संगमरमर सी सफेद पिण्डलियाँ दिखने लगीं।

भाभी उसे ठीक किए बिना ही सो गईं और मैं फिर से पढ़ाई करने लगा। मगर मेरा ध्यान अब पढ़ने में कहाँ था.. मैं तो बस टयूब लाईट की सफेद रोशनी में दमकती भाभी की दूधिया पिण्डलियों को ही देखे जा रहा था और मेरे लिंग ने तो पानी छोड़-छोड़ कर मेरे अण्डरवियर तक को गीला कर दिया था।

मैं भगवान से दुआ कर रहा था कि भाभी की नाईटी थोड़ा और ऊपर खिसक जाए। इसी तरह करीब घण्टा भर गुजर गया और फिर तभी भाभी ने करवट बदली.. जिस से उनकी नाईटी जाँघों तक पहुँच गई।

शायद भगवान ने मेरी दुआ सुन ली थी। अब तो मेरे लिए अपने आप पर काबू पाना मुश्किल हो गया था। मेरा लिंग अकड़ कर लोहे की रॉड की तरह हो गया था और उसमें तेज दर्द होने लगा था।

मैं हाथों से अपने लिंग को मसलने लगा मगर फिर भी मुझे चैन नहीं मिल रहा था.. इसलिए मैं जल्दी से बाथरूम गया और हस्तमैथुन किया.. तब जाकर मुझे कुछ राहत मिली।

मगर जब मैं वापस आया तो मेरी साँस अटक कर रह गई क्योंकि भाभी अब बिल्कुल सीधी करवट करके सो रही थीं.. और उनकी नाईटी पेट तक उल्टी हुई थी। भाभी की दूधिया गोरी जांघें व उनकी लाल रंग की पैन्टी दिखाई दे रही थी।

मेरी सांसें फूल गईं.. और मेरा लिंग फिर से उत्तेजित हो गया।

मैं दबे पांव बिस्तर के पास गया और भाभी की दूधिया गोरी जाँघों को देखने लगा। मेरा दिल डर के कारण जोरों से धड़क रहा था कि कहीं भाभी जाग ना जाएं मगर फिर भी मैं भाभी के बिल्कुल पास चला गया।

अब तो मुझे भाभी की पैन्टी में उनकी फूली हुई योनि व योनि की फ़ांकों के बीच की रेखा का उभार स्पष्ट दिखाई दे रहा था.. जिसे देख कर मुझे बेचैनी सी होने लगी।
मेरा दिल कर रहा था कि मैं अभी भाभी की ये पैन्टी उतार कर फेंक दूँ और भाभी के शरीर से चिपक जाऊँ.. मगर डर भी लग रहा था।
मुझे कल वाला ही तरीका सही लग रहा था.. इसलिए मैंने जल्दी से लाईट बन्द कर दी और भाभी के बगल में जा कर सो गया।

मैं खिसक कर भाभी के बिल्कुल पास चला गया और भाभी की तरफ करवट बदल कर धीरे से अपना एक पैर भाभी की जाँघों पर रख दिया क्योंकि अगर भाभी जाग भी जाएं तो लगे जैसे कि मैं नींद में हूँ। अब धीरे-धीरे पैर को ऊपर की तरफ ले जाने लगा।

मैंने हाफ पैंट पहन रखी थी और उसे भी मैंने ऊपर खींच रखा था.. इसलिए मेरी भी जांघें नंगी ही थीं। जब मेरी जाँघों से भाभी की नर्म मुलायम जाँघों का स्पर्श हो रहा था.. तो मुझे बहुत आनन्द आ रहा था।

कुछ देर तक मैं ऐसे ही करता रहा और भाभी की तरफ से कोई भी हलचल ना होने पर.. मैंने अपना एक हाथ भी भाभी की नर्म मुलायम गोलाइयों पर भी रख दिया और धीरे-धीरे उन्हें सहलाने लगा.. जिससे मुझे बहुत मजा आ रहा था।

मैं काफ़ी देर तक ऐसे ही लगातार करता रहा.. मगर तभी भाभी हिलीं.. तो मेरी डर के मारे साँस अटक गई।

मैंने जल्दी से अपना हाथ भाभी के उरोजों पर से हटा लिया और सोने का नाटक करने लगा। डर के कारण मेरी तो दिल की धड़कन ही बन्द हो गई.. मगर भाभी के शरीर में कुछ हलचल सी हुई.. शायद उन्होंने खुजाया होगा और वो फिर से सो गईं।

मैं काफी देर तक चुपचाप ऐसे ही पड़ा रहा.. मगर मुझे चैन कहाँ आ रहा था इसलिए कुछ देर बाद एक बार फिर से हिम्मत करके भाभी के उरोजों पर हाथ रख दिया..
मगर मैंने जैसे ही भाभी के उरोजों पर हाथ रखा.. तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए..
क्योंकि भाभी की नाईटी के बटन खुले हुए थे और ब्रा भी ऊपर हो रखी थी। मेरा हाथ भाभी के अधनंगे नर्म मुलायम उरोजों को छू रहा था।

भाभी के रेशमी उरोजों के स्पर्श ने मुझे पागल सा कर दिया। मुझे डर तो लग रहा था मगर फ़िर भी मैं भाभी के उरोजों पर हाथ को धीरे-धीरे फ़िराने लगा। काफ़ी देर तक मैं ऐसे ही भाभी के उरोजों को सहलाता रहा.. मगर आगे कुछ करने की मुझसे हिम्मत नहीं हो रही थी।

उत्तेजना से मेरा तो बुरा हाल हो रहा था और तभी भाभी ने मेरी तरफ करवट बदल ली और भैया का नाम लेकर मुझसे लिपट गईं।

भाभी ने अपनी एक जाँघ मेरी जाँघ पर चढ़ा दी और एक हाथ से मुझे खींच कर अपने शरीर से चिपका लिया। मेरी और भाभी की लम्बाई समान ही थी.. इसलिए मेरा चेहरा भाभी के चेहरे को स्पर्श कर रहा था और भाभी कि गर्म सांसें मेरी साँसों में समाने लगीं।

मेरे लिए यह पहला अवसर था कि मैं किसी औरत के इतने करीब था।
भाभी के उरोज मेरे सीने से दब रहे थे और मेरा लिंग बिल्कुल भाभी कि योनि को छू रहा था।

मैं यह सोचने लगा कि भाभी कहीं जाग तो नहीं रही हैं और वो भैया का बहाना करके ये सब कर रही हों..और ये भी हो सकता है कि भाभी सपने में ही ये सब कर रही हों.. मगर कुछ भी हो मुझे तो बहुत मजा आ रहा था।

अब तो उत्तेजना से मैं पागल हो रहा था।

एक बार फ़िर से भाभी ने ‘आह..’ भरते हुए भैया का नाम लिया और मुझे बाँहों में भर कर सीधी करवट बदलते हुए मुझे अपने ऊपर खींच लिया।

अब मैं भाभी के ऊपर पहुँच गया था और मेर शरीर भाभी के मखमल की तरह मुलायम शरीर को स्पर्श कर रहा था। भाभी के नर्म और मुलायम उरोज मेरे सीने से दब रहे थे और मेरे लिंग को भाभी सुलगती योनि की गर्माहट महसूस हो रही थी।

मैं इतना उत्तेजित हो गया कि भाभी के शरीर के स्पर्श से ही मेरा रस स्खलित हो गया और मेरा लिंग ढेर सारा वीर्य उगलने लगा.. जिसने मेरे कपड़ों के साथ साथ भाभी की भी पैन्टी को भी गीला कर दिया और तभी अलार्म घड़ी बजने लगी।

आह.. इस साले अलार्म को भी अभी ही बजना था.. मन में खीज भी थी और कुछ आनन्द भी था।

अगले भाग में देखते हैं कि भाभी के संग मेरी इस अन्तर्वासना का क्या हश्र हुआ।
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top