मेरा गुप्त जीवन- 110

(Mera Gupt Jeewan- 110 Parbati Ki Kasi Chut Chodi)

यश देव 2015-11-30 Comments

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पर्बती की कसी चूत चोदी

कम्मो मुस्कराते हुए बोली- मैं उस दिन ही समझ गई थी कि आपकी नज़र इस काले हीरे पर ज़रूर पड़ेगी, मैंने उसके बारे में पूरा पता कर लिया है और समय आने पर उसको भी आपकी झोली में ज़रूर डाल दूँगी।
मैं इतना ज़्यादा खुश हो गया कि मैंने कम्मो को बाहों में भर कर एक ज़ोरदार चुम्मी उसके रसीले होटों पर जड़ दी।

उस रात पर्बती और निम्मो कम्मो के साथ आई और आते ही पर्बती ने मुझसे माफ़ी मांगी।
मैंने पर्बती से कहा- देखो पर्बती, मैं किसी भी औरत के साथ कोई ज़बरदस्ती नहीं करता और ना ही मैं अपने ज़मींदार साहिब के लड़के होने का नाजायज़ फायदा ही उठाता हूँ। आज तक जितनी भी औरतों या फिर लड़कियों से मेरे सम्बन्ध रहे है वो सब उनकी ख़ुशी और इच्छ से ही रहे हैं। जब कभी भी तुमको लगे कि तुमको किसी काम को करने की मर्ज़ी नहीं है तो खुल कर मुझसे या फिर कम्मो से कह दो और वो काम करने के लिए तुमको कोई मजबूर नहीं करेगा।

पर्बती बोली- आप ठीक कह रहे हैं छोटे मालिक, जैसा आप या फिर कम्मो बहन कहेंगी मैं वैसा ही करूंगी।
मैं बोला- तो आओ मुझको एक जफ्फी मारो और लबों पर गर्मागर्म चुम्मी दो।

पर्बती फ़ौरन आई, मुझको एक टाइट जफ्फी मारी और अपने गर्म होंट मेरे होंटों पर रख दिए और मैंने भी उसके मुम्मों को अपने हाथों में ले कर खूब मसला और एक हाथ उसकी चूत में उसकी नीली साड़ी के ऊपर से ही रख दिया।

उसको छोड़ कर मैं निम्मो की तरफ मुड़ा और उसको भी एक टाइट जफ्फी मारी और उसके होटों पर एक रस भरी चुम्मी कर दी।
फिर मैंने कम्मो की तरफ देखा और उसको भी जफ्फी मारने के बाद एक गर्म चुम्मी भी की और फिर बाकी औरतों की तरफ देख कर मैं बोला- पर्बती और निम्मो शायद यह नहीं जानती कि कम्मो और मेरा रिश्ता एक गुरु और चेले का रिश्ता है। जो कुछ भी मैंने आज तक कामकला के बारे में सीखा है वो सब कम्मो की देन है। यह कम्मो ही थी जिसने मुझमें मौजूद असाधारण काम शक्ति को पहचान लिया था शुरू से ही और उसको ठीक रास्ते पर ले कर गई, अब तक वरना अगर वो ना होती तो हो सकता है मैं बहुत ही गलत रास्ते पर चल पड़ा होता। इस लिए हमेश से कम्मो का बहुत अधिक ऋणी हूँ और आगे चल कर भी रहूंगा। धन्यवाद आप दोनों ने मेरी कहानी का एक छिपा हुआ अध्याय सुना और मैं यह उम्मीद करता हूँ कि आप इस को केवल अपने तक ही रखेंगे।

कम्मो ने अपनी आँखें पौंछते हुए दोनों से कहा- चलो शुरू हो जाओ चुदाने वाली कन्याओं। उतारो अपनी धोतियाँ और ब्लाउज पेटीकोट।
मैं बोला- पर्बती के कपड़े मैं उतारूंगा क्यूंकि नई लड़की या फिर औरत का चीरहरण मैं स्वयं ही करता हूँ! इधर आओ पर्बती।

और जब वो मेरे पास आ गई तो मैंने पहले उसकी साड़ी को उतार दिया और फिर उसका ब्लाउज, और फिर उसका पेटीकोट भी निकाल दिया। और फिर मैं थोड़ा पीछे हट कर उसकी जिस्मानी ख़ूबसूरती को देखने लगा जो वाकयी में ही बड़ी सुंदर थी। उसके मुम्मे बड़े गोल और सॉलिड और सांवले थे लेकिन मक्खन की तरह मुलायम थे और इसी तरह ही उसकी जांघें भी गोल और मुलायम थी।
उसकी चूत पर छाई काली घटायें बड़ी ही आकर्षक लग रही थी, कुल मिला कर वो एकदम सेक्स का मजस्मा लग रही थी।

उधर देखा तो निम्मो और उसकी बहन कम्मो दोनों नंगी खड़ी थी और दोनों भी अपने स्टाइल में काफी सेक्सी लग रही थी।
मैंने पर्बती को कहा- मेरे भी कपड़े उतारो न कोई?
तब पर्बती आगे बढ़ कर मेरे कपड़े भी उतारने लगी, पहले कुरता, फिर पयजामा उतार दिया और उसके बाद मेरे अंडरवियर तक जब पहुँची तो कम्मो और निम्मो दोनों एकदम रुक गई और मेरे कच्छा उतारने का नाटक देखने लगी।

पर्बती का चेहरा मेरे लंड की सीध में ही था, जैसे ही उसने कच्छे को नीचे की तरफ खींचा तो मेरा नाग की तरह लंड उछल कर सीधा उसके मुंह पर लगा और वो हतप्रभ हुई पीछे गिर गई।
दोनों औरतों इतने ज़ोर से हंस दी कि मुझको लगा ज़रूर यह आवाज़ मम्मी के कमरे तक पहुँच गई होगी।
मैंने पर्बती को उठाते हुए कहा- पर्बती कहीं चोट तो नहीं लगी न?

अब वो सारी शरारत समझ गई थी तो ज़बरदस्ती मुस्कराने की कोशिश करते हुए बोली- कल तो कम्मो के साथ ऐसा नहीं हुआ था?
कम्मो और निम्मो बोली- हमारे साथ भी यह हो चुका है लेकिन अब हम इस लंड लाल की काली करतूत समझते हैं तो छोटे मालिक का कच्छा बड़े ध्यान से उतारती हैं।

मैंने पर्बती को अपने गले लगाया और उसके होटों पर एक ज़बरदस्त चुम्मी की और उसके गोल और सॉलिड मुम्मों को चूसने लगा, एक ऊँगली उसकी चूत में डाल कर उसकी भग को रगड़ने लगा।
पर्बती ने भी मेरा लंड अपने हाथों में पकड़ लिया, उससे खेलने लगी।

उसकी चूत अभी इतनी गीली नहीं हुई थी, मैंने उसको बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी जांघों में बैठ कर उसकी चूत को चूसने लगा। जैसे ही मैंने उसकी चूत में मुंह लगाया तो वो एकदम से बिदक उठी और अपने हाथों से मेरे सर को हटाने लगी।
मैंने पूछा- क्या हुआ पर्बती?
पर्बती बोली- यह आप क्या कर रहे हो छोटे मालिक? यहाँ क्यों मुंह लगा रहे हो?

मैं हैरान हो गया और फिर पूछा- क्यों पर्बती, क्या तुम्हारी चूत में किसी ने मुंह से नहीं किया कुछ भी?
पर्बती बोली- नहीं छोटे मालिक, यह तो गन्दी चीज़ है ना, यहाँ कभी मुंह नहीं डालते!
कम्मो जो सब देख रही थी बोली- देख पर्बती, मैं भी तो निम्मो की चूत को चाट रही हूँ ना? यहाँ चाटने से हम औरतों को बड़ा मज़ा आता है। तू एक बार अपनी चूत को चटवा तो सही और मुंह से करवा तो सही ना छोटे मालिक से?

अब पर्बती ने अपनी टांगें फैला दी और मैं फिर से उसकी जाँघों में बैठ कर उसकी चूत को मुंह से चाटने लगा।
जैसे ही उसकी चूत पर मुंह रखा तो पर्बती के शरीर में एक सिहरन दौड़ गई और जैसे ही मैंने उसकी भग को चूसना शुरू किया, उसकी कमर ऊपर को मेरे मुंह से जुड़ गई, मैंने तब उसके चूतड़ों के नीचे हाथ रख कर उसकी भग को पूरी तरह से चूसना शुरू किया। तब उसका एक हाथ मेरे बालों में उनको पकड़ कर और ऊपर खींचने लगा।

कुछ मिनटों में पर्बती का भग चुसाई में पानी ज़ोर से झड़ गया और उसकी जाँघों ने मेरे सर को पूरी तरह से कैद कर दिया
अब मैंने अपना मुंह उठाया, सीधा उसके खुले हुए होटों पर रख दिया, उसके होटों को चूसने लगा और नीचे से मैंने अपने लंड को चूत के मुंह के ऊपर रख कर एक हल्का सा धक्का मारा और लंड फ़च से अंदर चला गया, फिर मैं इत्मीनान से पर्बती को चोदने लगा।

उधर कम्मो अपनी बहन के साथ लेस्बो सेक्स में व्यस्त थी और दोंनो एक दूसरे से गुत्थम गुत्था हो रही थी।
अब पर्बती के दोनों बाहें मेरे गले का हार बनी हुई थी और उसकी कमर मेरे धक्कों का पूरा जवाब दे रही थी। उसकी चूत बहुत ही टाइट थी और उसकी पकड़ भी काफी जानदार थी, ऐसा लगता था कि वो बहुत ही कम चुदी हुई चूत थी।

अब मैं उसके चेहरे पर आने वाले भावों से साफ़ देख रहा था कि वो चुदाई को काफी एन्जॉय कर रही थी और काफी आनंदित हो रही थी।
कोई 10 मिन्ट की चुदाई के बाद पर्बती एकदम पगला सी गई और अपने सर को इधर उधर मारने लगी और मुझको एकदम अपने से चिपका लिया और फिर उसकी चूत से सहस्रधारा बह निकली।

पर्बती की आँखें बंद थी और सांसें ज़ोर ज़ोर से चल रही थी और हम दोनों दो शरीर एक जान हो गए थे, कम्मो और निम्मो हम दोनों को आँखें फाड़ कर देख रहीं थी।
जब पर्बती कुछ संयत हुई तो उसने मुझको अपनी कैद से छोड़ा और मैं उठ कर कम्मो के पास आकर खड़ा हो गया।
निम्मो भी अपनी ऊँगली चूत में डाले हुए यह सारा गरम नज़ारा देख रही थी।

अब कम्मो पर्बती के पास गई और उससे पूछा- क्यों री पर्बती, कितने अरसे से नहीं चुदी तू?
पर्बती की आँखों से जल की धारा बह चली, उसने रोते हुए ही बताया कि जब से उसका पति उसको छोड़ कर नाचने वाली के साथ भागा, तब से उसने कभी भी चुदाई नही की। उसको भागे हुए अब 3 साल हो गए थे।

कम्मो और निम्मो हैरान हो कर बोली- साली, तू 3 साल से नहीं चुदी और छोटे मालिक से कल तो ऐसे भाग रही थी जैसे कि तुझको लण्डों की लाइन लगी है। यह तो शुक्र कर, छोटे मालिक ने तुझको माफ़ कर दिया वरना आज भी तू आधी अधूरी ही रहती।

अब मैंने निम्मो को पकड़ा, उसको थोड़ी देर चूमा चाटी के बाद उसको घोड़ी बना कर चोदना शुरू कर दिया। थोड़े समय में ही वो परास्त हो गई और फिर आई कम्मो की बारी जिस को चोदना एक रोज़ का नियम सा बन गया था जैसे कि अक्सर मियां बीवी में होता है।
बाकी की रात पर्बती और निम्मो को दो दो बार चोदा और उसके बाद हम एक ही पलंग पर घोड़े बेच कर सो गए।

कहानी जारी रहेगी।
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