मेरा चोदू यार-3

(Mera Chodu Yaar-3)

This story is part of a series:

सौरभ ने बताया कि उसके पापा नहीं हैं, माँ एक छोटी सी नौकरी करती और उसको और उसकी बहन को पढ़ा रही है।
उसके बाद हम अक्सर मिलते रहते थे और हम में अच्छी दोस्ती हो गई। बहुत बार मैंने उसको बिना चोदे ही पैसे दिये और मैं अक्सर उसकी और कामों में भी मदद करता रहता था।

एक दिन मैंने उसके घर जाने की बात करी, वो मुझे अपने घर ले गया।
घर में उसकी माँ मुझे मिली, अच्छी ख़ासी, गोरी चिट्टी औरत, होंठों पे सूर्ख लाल लिपस्टिक, नाखूनों पे नेल पोलिश, हाथ पाँव पए पूरी वेक्सिंग, साड़ी के बीच में झाँकता उसका हॉट क्लीवेज।
पहली नज़र में मुझे उसकी माँ भी चालू सी लगी।
मैंने सोचा कि चलो इसको भी दाना डाल के देखता हूँ।

हम बैठे बात कर रहे थे तो सौरभ किसी काम से बाहर चला गया। मैंने अपनी निगाह और तजुर्बे से उसकी माँ का पूरा जायजा लिया। उसके लिए कोई ज़्यादा कुछ करने की ज़रूरत नहीं थी।
मैंने जान बूझ कर कोई कागज़ निकालने के बहाने, उसे अपने पर्स में पड़े नोटों की झलक दिखा दी, उसकी आँखों में चमक आ गई।
मैंने उसके दुखों को कुरेदा, जब वो भावुक हो गई तो मैं बिल्कुल उसके पास जा कर बैठ गया।
किसी बात पर उसने हाथ जोड़े तो मैंने मददगार होने का नाटक करते हुये उसके हाथ पकड़ लिए, और पर्स से 2000 रुपये निकाल कर उसके चूतड़ के नीचे घुसेड़ दिये।

उसने कोई इंकार नहीं किया, समझ वो भी गई के मैंने पैसे किस लिए दिये हैं।
उसका फोन नंबर लेकर मैं घर आ गया।

2-3 दिन बाद मैंने फोन किया, फोन पे वो बड़ी खुशमिजाजी से मेरे साथ बात करती रही। बातों बातों में मैंने उसे फिर से मिलने की इच्छा जताई, वो बोली- सोमवार को सुबह 10 बजे के बाद आ जाओ।

मैं भी सही दिन सही समय, बहाना सा बना कर उसके घर जा पहुँचा।
घर में उसने मेरा स्वागत खूब गर्मजोशी से किया, मुझे अपने बेडरूम में ले गई- ड्राइंग रूम में ए सी नहीं है न, इसलिए आप यहाँ आराम से बैठिए।
चाय के बाद मैं कुछ देर इधर उधर की बाते की। सफ़ेद शॉर्ट कुर्ते और काली स्लेक्स में वो बहुत सेक्सी लग रही थी। स्लेक्स का फायदा यह है कि आप औरत के कपड़े उतारे बिना उसके चूतड़ों और जांघों का साइज़ पता कर सकते हैं।

उसकी जाघें और चूतड़ अच्छे गोल और भरवां थे। मैंने उसके हुस्न की तारीफ की, वो हंस हंस कर जवाब देती रही।

चाय पीने के बाद, वो बर्तन उठा कर किचन में रखने चली गई। जब वापिस आई तो मैं उठ कर खड़ा हो गया।
‘क्या हुआ, आप उठ क्यों गए?’ उसने बड़ी अदा से पूछा।
मेरे तो सब्र की इंतेहा आई पड़ी थी, मैं आगे बढ़ा और मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया- निर्मल जी यह क्या कर रहे हैं आप?
उसने नकली गुस्सा दिखते हुये कहा।

‘पता नहीं शोभा, मगर जब से तुम्हें देखा है, मैं तुम्हारे लिए पागल हो गया हूँ।’ कह कर मैंने उसके होंठों पर एक चुम्बन जड़ दिया।

उसका गुस्सा ठंडा पड़ गया- नहीं निर्मल जी, दुनिया बहुत बुरी है, कोई देख लेगा, मेरी बदनामी हो जाएगी।’ वो रुआंसी होकर बोली।
मैंने उसे अपनी गोद में ही उठा लिया- ‘जानेमन तेरे लिए तो मैं दुनिया से लड़ जाऊंगा।
कह कर मैं उसे सीधा बेड पे ले गया, उसे बेड पे लिटाया और खुद भी उसके ऊपर ही लेट गया। उसके दोनों हाथों की उँगलियों में अपने हाथों की उँगलियाँ फंसा ली और उसके दोनों हाथों को आजू बाजू पूरा फैला दिया, अपने पाँव से उसके दोनों पाँव को अलग किया और अपनी कमर को भी उसकी दोनों जांघों के बीच में फंसा दिया।

अब वो पूरी तरह से मेरे काबू में थी, मैं कभी उसके दायें गाल तो कभी उसके बाएँ गाल को चूम रहा था और वो मस्ती में कभी मुख इधर घूमा लेती कभी उधर, मगर होंठों पे पप्पी नहीं लेने दे रही थी।
मगर कब तक… कर तो वो शरारत ही रही थी।
फिर उसने खुद अपने होंठ मेरी तरफ कर दिये, हम दोनों ने एक दूसरे के होंठ चूमे और फिर बार बार चूमते ही रहे।

जब होंठ होठों से उलझ गए तो मैंने उसके हाथ छोड़ दिये और अपने हाथों से उसके दोनों बूब्स पकड़ कर दबाये, वो वैसे ही हाथ फैलाये लेटी रही।
मैं उठ कर बेड पर ही खड़ा हो गया, और मैंने एक एक करके अपने सारे कपड़े उतार दिये। जब मैं पूरी तरह से नंगा हो गया तो मेरा लंड देख कर वो बोली- हे भगवान, यह क्या है निर्मल जी?

दरअसल मेरा लंड मोटा और लंबा तो है ही, थोड़ा सा ऊपर की ओर गोलाई में मुड़ा हुआ भी है, जिसकी वजह से वो बहुत ही भयानक सा लगता है।
मैंने कहा- तेरी चूत को फाड़ने का औज़ार है ये मेरी जान!
कह कर मैंने उसकी स्लेक्स खींच कर उतार दी, स्लेक्स के नीचे उसने कोई चड्डी नहीं पहन रखी थी। चूत एकदम शेव की हुई, गोरी गुलाबी चिकनी चूत।
मैंने उसका कुर्ता और ब्रा भी उतार फेंका।

उसे नंगी करने के बाद, सबसे पहले मैंने अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया, लंड उसने चूत में ले तो लिया, मगर उसके मुख से ‘आह’ निकल गई।
बस लंड घुसाते ही मैंने ताबड़तोड़ चुदाई शुरू कर दी, उसके होंठ, उसके गाल, उसके कंधे, उसके बूब्स सब को मैं अपने दाँतों से काट खाया।
जहां कहीं भी मैंने उसके बदन के किसी भी हिस्से को, किसी भी अंग को अपने मुख में लेकर चूसा या अपने दाँतों से काटा, वहीं पर लाल रंग का दाग पड़ जाता।

अपनी जोरदार चुदाई से मैंने उसका सारा वजूद ही हिला कर रख दिया था। या तो वो इस चुदाई को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी, या उसे मज़ा बहुत आ रहा था, वो आँखें बंद किए लेटी रही।

जब मेरा वीर्य छूटा तो मैं उसकी चूत में ही झड़ गया। उसे चोदने में मुझे सिर्फ 7 मिनट लगे, मगर 7 मिनट में ही मैं पसीना पसीना हो गया।
जब मैं झड़ कर उसके ऊपर गिरा उसके बाद उसने अपनी आँखें खोली।

‘यह क्या था निर्मल जी, ऐसा जोरदार मर्द तो मैंने अपनी ज़िंदगी में आज तक नहीं देखा, कितनी ताकत है आप में!’ उसने कहा तो मैंने उसके होंठ चूम लिए।
अब मैं जब भी जी करता शोभा को फोन करता और उसके घर जाकर ही उसे चोद आता।
कहानी जारी रहेगी।
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