माँ बेटी की चुदाई

राकेश रंजन 2006-10-27 Comments

दोस्तो, जैसा कि आप सभी जानते हैं कि मैं चंदा और उसकी बेटी छवि दोनों की चूत और गांड दोनों चोद चुका हूँ। जिन पाठकों ने मेरी वो कहानियां
आंटी और उनकी छवि
नहीं पढ़ी तो पढ़ लें पहले, उसके बाद इस कहानी को पढ़ें!

अब मैं दोनों को एक साथ चोदना चाह रहा था जिससे कि मैं जब चाहूँ किसी की गांड या चूत में अपना लंड पेल सकूँ। यह सोच कर मैं समय की इंतजार करने लगा। शायद ऊपर वाले को मुझ पर जल्दी ही तरस आ गया।

छवि का फोन आया कि उसकी मम्मी अभी बाहर से नहीं आई है और उसके चूत में खुजली हो रही है जो मेरे लंड को अपने अंदर लेकर ही ठीक होगी। मैं छवि की चूत और गांड में अपने लंड पेलने को पहले से ही तैयार था, केवल उसके फोन का इंतजार कर रहा था कि कब छवि का फोन आये और मैं अपना सात इंच लंड उसकी चूत में पेल दूँ।

खैर समय पर मैं उसके दरवाजे पर था। दर्वाजे पर घण्टी बजाते ही दरवाजा खुला, छवि ने ही आकर दरवाजा खोला। दरवाजा तो छवि ने खोला लेकिन उसके सेक्सी बदन को देख कर मेरी आँखें खुली की खुली रह गई। उस साली ने केवल एक गाउन अपने बदन पर डाल रखा था। मेरा मन किया कि अभी इसकी गाउन नोच कर हटा दूँ और इसके चुचियों को मसल डालूँ, लेकिन ऐसा कर मैं अपना खेल ख़राब करना नहीं चाहता था। आखिर इसकी चूत और गांड मुझसे ही चुदने वाली थी।

दरवाजा बंद कर के छवि मुस्कुराते हुई आकर मुझसे लिपट गई। मेरे होंठ उसके होंठ का और उसके होंठ मेरे होंठ का स्वाद लेने लगे। दस मिनट चूमा-चाटी करने के बाद मुझसे अलग हुई तो मेरे हाथ छवि की कमर पर थे। दोनों एक साथ आगे चल दिए। सोफ़े पर बैठ कर छवि मेरी पैंट की जिप खोल केर मेरे लंड को चूसने लगी। शायद उसे चुदवाने की कुछ ज्यादा ही जल्दी थी। मैं भी जल्दी में था, फटाफट मैंने भी उसे गरम करने के इरादे से अपनी जीभ उसकी चूत पर लगा दी, तुंरत ही उसकी सेक्सी आवाज आने लगी. अह…अह…आह… मुझे चोद दो …वोह …अह …आह…

मैंने भी फटाफट अपना लंड उसकी चूत की सीध में लाकर जोर का धक्का मारा जिससे उसकी चूत को फाड़ता हुआ मेरा लंड आधे से ज्यादा अंदर था।
उसके मुँह से निकल गई- उई माँ …

छवि अभी संभल भी नहीं पाई थी कि दूसरे धक्के से उसकी चूत की गहराई को मेरे लंड ने नाप लिया। उसके मुँह से निकला- हाय मैं … मर गई अह…आह…
फिर तो आराम से धीरे धीरे चूत की आवाज फचा फच आने लगी। दोनों मस्ती में मजा लेकर एक दूसरे का साथ देने लगे। आधा घंटा चुदाई के बाद छवि की चूत मेरे वीर्य से लबलबा गई।
दस मिनट तक दोनों एक दूसरे से चिपके रहे, जब छवि अलग हुई तो बोली- मैं बाथ रूम रही हूँ!
मैं बोला- डार्लिंग, मैं भी चलता हूँ!

वो समझ गई कि मैं आज फिर उसका गांड में अपना लंड पेलूँगा। वो मुस्कुरा कर आगे और मैं उसके पीछे पीछे…

दोनों एक साथ नहा रहे थे, कभी मैं उसकी चुचियों को दबाता, कभी वो मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसती। फिर उसे घोड़ी बना कर उसकी गांड में मैंने अपना लंड पेल दिया। जिसे थोड़ी सी परेशानी के साथ वो झेल गई।

मैं उसकी गांड में अभी चोद ही रहा था कि डोर-बेल बजने की आवाज आई। हम दोनों एक दूसरे का चेहरा देखने लगे।
रात के 11 बजे कौन आ सकता है?
उसके होश उड़ रहे रहे थे!
कहीं उसकी मम्मी चंदा तो नहीं आ गई?
उसने तौलिया डाला और जाकर दरवाज़ा खोला।

सामने चंदा खड़ी थी। छवि की बोलती बंद!
मैं बाथरूम में फंस गया। काफी सोच विचार कर मैं सामने आने को तैयार हो गया। मेरा क्या होगा- ज्यादा से ज्यादा चिल्लाएगी- पूछेगी कि मेरी बेटी को क्यों चोदा ?
तो मैं सारा मामला सॉरी बोल कर खत्म करके निकल जाऊंगा।

जब मुझे चंदा ने देखा तो मेरे सोचने से उल्टा हुआ।
वो साली रंडी बोली- मुझे पहले ही शक था कि तुम मुझे ऐसे ही मिलोगे!
फिर छवि की तरफ देख कर बोली- कुछ दवाई ले कर चुदवा रही है या ऐसे ही?
छवि ने ना में सर हिलाया, चंदा ने दवाई लाकर दी और बोली- इस उम्र में यह सब आम बात है, लेकिन होशियारी से करो!

फिर मेरी जान में जान आई। फिर मैं छेड़खानी पर आ गया। अब तो माँ-बेटी दोनों को चोदने का रास्ता साफ था।
चंदा थकी हुई थी, वो बोली- तुम लोग अभी मजे करो! मैं सुबह मिलती हूँ।
यह कह कर चंदा चली गई।

अब हम बिना किसी डर के चुदम-चुदाई करने लगे। रात में मैंने छवि को तीन बार चोदा।

सुबह चंदा, मैं और छवि नाश्ते के समय मिले, हम तीनों मुस्कुरा रहे थे। नाश्ता करने के बाद तीनों का ग्रुप-सेक्स का खेल शुरु हुआ। अब माँ बेटी और मैं तीनों नंगे थे।
मेरा लंड कभी माँ चूसती तो कभी उसकी बेटी छवि चूसती। तीनों के मुँह से बस निकल रही थी तो अह… आह… ओह… ओह… आह..
फिर बारी-बारी से दोनों की गांड और चूत दो-दो बार मैंने चोदी।
ग्रुप सेक्स का मजा ही कुछ और है। जब मैं चलने लगा तो मेरी जेब में मेरा मेहनताना था।
दिल में इस बात की खुशी थी कि घर में चाहे कोई भी हो, मैं बेधड़क आकर उसे चोद सकता हूँ।

यह थी मेरी कहानी- माँ बेटी की चुदाई।
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