दीदी की शादी, मेरी सुहागरात

बबली संधू 2008-09-03 Comments

सभी अन्तर्वासना के पाठकों को मेरी तरफ से यानि बबली की तरफ से बहुत बहुत प्यार, दुलार, पुचकार, गीली चूत से नमस्कार ! मैंने अन्तर्वासना पर छपने वाली हर एक कहानी का पूरा-पूरा लुत्फ उठाया है। लोग कहते हैं कि ये कहानियाँ मनघडंत होती हैं लेकिन मुझे ऐसा बिल्कुल नहीं लगता !

आजकल की दुनिया में कल्पना करके लिखने का वक़्त किसके पास है और फिर क्या घोर कलयुग है, कोई हैरानी नहीं होगी अगर कोई ससुर अपनी बहू को चोदे, कोई नंदोई अपनी सालेहार को चोदे ! जीजा साली को, देवर भाभी को ! ये रिश्ते हैं ही बदनाम !

जिस तरह के हालात चल रहे हैं वेब, केबल, फिल्में, एलबम में जो दिखाया जाता है उसे देख आजकल लड़कियाँ बहुत जल्दी जवान हो जाती हैं। जवानी जब कयामत बनती है तो सगे भाई की नियत खराब होते वक़्त नहीं लगता।

खैर छोड़ो इन बातों ! हमारी अन्तर्वासना वेबसाइट कायम रहे करोड़ों साल !

मेरी उम्र इस वक़्त उन्नीस साल की है और मैं बारहवीं कक्षा की मेडिकल की छात्रा हूँ। मैं एक माना हुआ चालू माल हूँ। हम तीन सहेलियों का एक ग्रुप कुछ ज्यादा ही बदनाम है ! क्यूँ ना हो ?

आये दिन बॉयफ्रेंड बदलना हमारा शौक है।

खैर, आज मैं अपनी जिन्दगी की एक हसीन घटना को सबके सामने रखना चाहती हूँ जो इसी साल, इसी महीने की पन्द्रह तारीख को घटित हुई।

लो बताती हूँ !

मेरी बड़ी दीदी की शादी थी, हमारे पंजाब में शादियाँ कुछ ज्यादा ही लंबी चलती हैं, कई सारे कार्यक्रम होते हैं और फिर शादी के लिए पापा ने बहुत बड़ा पैलेस बुक करवाया था जिसको देखने के लिए एक घण्टा लग जाए अगर कोई पूरा देखना चाहे तो।

सर्दी का मौसम था, धूप खिली हुई थी और पूरा कार्यक्रम बाहर खुले बगीचों में किया गया था।

फेरों के बाद दुल्हे-दुल्हन को बाहर ही सजाई गई स्टेज पर बैठना था। वहीं दूसरी स्टेज पर जीजू ने मशहूर पंजाबी सिंगर बब्बू मान को बुक किया था।

सब जानते हैं उसका कितना बड़ा सा स्टेज लगता है, हर कोई उसका दीवाना है, क्या बड़े, बच्चे, लड़कियाँ !

फेरे पास के गुरुद्वारे में पूरे हुए ! जब जीजू अपने जूते उतार कर गए तो वो जूते हमने गायब कर लिए और फिर जब बाहर निकले जूते वहाँ न पाकर सब समझ गए कि मैं एक अकेली साली थी, हाँ चचेरी तो बहुत थीं और यह सब हमने मिल कर ही किया था। हम शगुन मांगने लगे, कहा- फिर ही जूते वापस मिलेंगे !

तभी मेरी नज़र जीजू के पीछे खड़े दो बेहद सुन्दर लड़कों पर गई। वो मुझे निहार रहे थे, दोनों एन.आर.आई थे, जीजू के दोस्त जो उनके साथ ऑस्ट्रेलिया में थे।

फिर खींचतान होने लगी। शगुन लेकर हमने जूते पकड़े और चिड़ाने के लिए भागी। अब जीजू के भाई और वो दोस्त भी शरारत पर उतर आए और हमें पकड़ लिया। उन दोनों ने मेरी कलाई पकड़ ली। ख़ुशी का मौका था, किसे शक पड़ने वाला था, मजाक-मज़ाक में ही सही, छीनने के बहाने दोनों में से एक ने मुझे अपने ऊपर गिरा लिया फिर एकदम छोड़ दिया।

खैर वहाँ से वापिस पैलेस पहुँचे।

मुझे बार-बार उसका अपने ऊपर गिरने का एहसास हो होता जा रहा था। वहाँ नाचने-गाने का माहौल था, सब झूम रहे थे, लड़के वाले सभी नशे में बब्बू मान के गानों पर थिरक रहे थे। तभी जोड़ी को साथ नाचने के लिए गाना गाया गया। मेरी दीदी की ननद ने मुझे भी खींच लिया। वो लड़के मेरे सामने आ गए इतने करीब आ गए कि सांसों के आपस में मिलने का एहसास हुआ। उसने मुझे एक टिशु पेपर दिया। मैं एक तरफ़ गई, खोला तो उस पर उसका मोबाइल नंबर था।

वहाँ बहुत शोर था, सबका ध्यान स्टेज पर शगुन पूरे करने का था। बाकी सब बब्बू मान ने अपने साथ लगा रखे थे। अंदर पूरा हाल खाली था। वो उस तरफ बढ़ गया, मैं पार्किंग में गई, अपनी कार में बैठ उसको कॉल की। उसने अपना नाम हेरी बताया, वो जीजू का दोस्त था। उसने मेरे हुस्न की तारीफ की।

और क्या चाहिए एक लड़की को ?

उसने मुझे हाल में बुलाया, मैं वहाँ पहुँच गई, हाय-हेल्लो हुआ। वहाँ कोई नहीं था, हम चलते-चलते अंदर वाली स्टेज के पास पहुँच गए। उसने मेरी कमर में हाथ डाल मेरे साथ समूच शुरु कर दी और एक हाथ उसने मेरे सूट में डाल मेरा मम्मा दबा दिया।

आउच ! छोड़ो, कोई देख लेगा ! हम बाद में मिलेंगे !

डोंट वरी बेब !

वो मुझे स्टेज के पीछे आर्टिस्ट-रूम, चेंज रूम में ले गया और कुण्डी लगा ली। वहाँ पर उसका दूसरा दोस्त पहले ही मौजूद था। उसके हाथ में पेग था।

तुम यहाँ ? ओह बेब कम ओन ! बी फ्रेंक !

वो बाहर से आये थे, एडवांस थे वो, और सुंदर भी।

लेकिन यह जगह सही नहीं है !

हे ! कौन आएगा ? सब मस्त हैं बाहर !

दोनों मेरे पास आए, दोनों तरफ से बाहों में जकड़ लिया। एक पीछे से मेरे चूतड़ों को दबाने लगा, दूसरा होंठों को चूमता हुआ मेरे चूचे मसलने लगा।

मैं गर्म होने लगी। मैं पहली बार दो लड़कों के साथ नहीं गई थी।

उनका जो स्टाइल था न वो देख मुझे ब्लू फिल्म में अंग्रेजों के दृश्य याद आ गये।

उसने मेरा कमीज़ उतार कर एक तरफ़ रख दिया और फिर सलवार खोल दी।

वाओ ! व्हट आ फिगर !

देखो ज्यादा कपड़े मत उतारो ! समेटने में टाइम लगेगा ! मैं सगी बहन हूँ, सब मुझे ढूंढ रहे होंगे।

दोनों ने अपनी अपनी जिप खोल लौड़े निकाल लिए। कितने मोटे लौड़े थे और लंबे भी ! मैंने दोनों के लौड़े पकड़ कर सहला दिए।

यह देख मेरी हालत पतली होने लगी। वो क्या जानते थे कि मैं कितनी चुदक्कड़ हूँ।

मेरी ब्रा सरका कर मेरा चुचूक चूसना चालू कर दिया।

अह ! अह ! मत करो ! मुझे जाने दो ! रात को पार्टी में खेल लेना !

पकड़ भी लिए और मना भी कर रही हो ? चलो, सिर्फ चूस दो !

ठीक है, पहले मुझे सलवार डालने दो !

ओ के !

मैंने सलवार ठीक करके नाड़ा बांधा और कुर्सी पर बैठ गई, दोनों के लौड़े जी भर के चूसे !

दिल तो कर रहा था चुदने का, लेकिन सच में सब परेशान हो गए होंगे ! कभी सोचूँ कि बस एक एक बार चोदने दूँ।

जब उनको लगा कि वो छुटने वाले हैं, उन्होंने मेरी ब्रा उतार दी, मुझे पीछे पड़े गद्दे पर लिटा दिया और मुठ मारने लगे।

पहले एक ने अपना माल निकाला मेरी चूचियों पर, दूसरे ने भी अपना माल मेरे होंठों पर, चेहरे पर निकाल दिया और दोनों ने लौड़ों से लगा कर चटवाया भी !

जल्दी से साफ़ सफाई की, कपड़े पहने, आईने में खुद को संवारा जहाँ डांसर अपने को तैयार करती हैं।

पहले मैं निकली, इधर-उधर देखा, कोई नहीं था !

बाहर पहुंची तो देखा कि सब अपनी धुन में लगे थे। सोचा, शिट ! क्यूँ नहीं चुदी ?

मैंने उसको कॉल किया और कार में बुलाया। वहाँ उसको रात रिसेप्शन पर मिलने का वादा किया।

वहाँ क्या हुआ?

यह पढ़ने के लिए अन्तर्वासना के नियमित पाठक बन जाओ, जितने पाठक बनेंगे उतनी ही अच्छी-अच्छी चुदाई के बारे पढ़ने को मिलेगा।

सबके लौड़ों को सलाम !

मिलते हैं ब्रेक के बाद !

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