चूत एक पहेली -15

(Chut Ek Paheli-15)

पिंकी सेन 2015-10-12 Comments

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अब तक आपने पढ़ा..

कुछ देर बाद सब उसी जगह बैठे थे। अब टोनी कुछ शान्त हो गया था.. उसके हाथ में बोतल थी और बियर के एक घूँट के साथ उसने बात शुरू की।
टोनी- क्यों पुनीत.. क्या सोचा.. गेम खेलना है.. या हार मान ली?

अब आगे..

पुनीत- तेरे जैसे कुत्ते से मैं हार जाऊँ.. यह हो नहीं सकता.. अब सुन, यह गेम आज ही हम दोनों के बीच खेला जाएगा, 7 राउंड होंगे.. जो 4 जीत गया वो विनर.. उसके बाद जो होना है वही होगा.. तू समझ गया ना?

टोनी- वाह वाह.. क्या चाल चली है भाई.. आज तक तो लड़कियाँ साथ लेकर खेलते थे.. अब यह रूल चेंज क्यों? अगर गेम खेलना है तो उसी तरह खेलो.. एक तरफ़ मेरी बहन होगी दूसरी तरफ तेरी.. उसके बाद खेल शुरू होगा.. हाँ अगर तुझे पास में ये पब्लिक नहीं चाहिए तो मुझे कोई हर्ज नहीं.. मगर खेल ऐसे ही खेलेंगे।

टोनी की बात से रॉनी को बड़ा गुस्सा आ रहा था.. मगर सन्नी ने उसके हाथ को दबा कर उसको चुप रहने का इशारा किया।

पुनीत- नहीं ऐसा नहीं हो सकता.. वो मेरी बहन है.. ऐसे कैसे इस गेम के लिए उसको तैयार करूँ?
टोनी- यही बात तेरे मुँह से सुनना था.. अरे तू हार गया.. तो बाद में कैसे तैयार करेगा.. देख तेरे दिल में कुछ धोखा देने की बात है.. तो उसको निकाल दे.. गेम होगा तो पुराने रूल से ही होगा.. वरना मैं समझूँगा तेरे में दम नहीं.. कि तू मुझसे मुकाबला करे!

पुनीत को बहुत ज़्यादा गुस्सा आ गया, उसने बियर की आधी बोतल एक सांस में गटक ली।

पुनीत- चुप कुत्ते.. अब मेरी सुन गेम होगा और पुराने तरीके से ही होगा.. अब हम दोनों नहीं.. ये चारों भी हारने वाली लड़की को चोदेंगे.. बोल है तेरे को मंजूर?

रॉनी और सन्नी तो बस एक-दूसरे को देखने लगे कि यह पुनीत ने क्या कह दिया.. वो कुछ बोलते इसके पहले टोनी ने ‘हाँ’ कह दी।
टोनी- ठीक है.. ऐसा ही सही अब बात ज़ुबान की है.. तो मैं पीछे नहीं हटूँगा। किसी भी तरह मेरी बहन को मना लूँगा, बोल कब लाना है.. समय तू ही बता दे.. बाद में यह ना कहना कि तेरी बहन नहीं मान रही थी.. हा हा हा हा.. जरा सोच समझ कर बताना।

पुनीत- नहीं.. मैंने जो बोल दिया वो बोल दिया.. अब पीछे हटने का सवाल ही नहीं पैदा होता।
रॉनी- रूको.. तुम दोनों पागल हो गए हो.. मुझे यह बात मंजूर नहीं.. मेरी बहन इस गंदे खेल का हिस्सा नहीं बनेगी.. बस..

पुनीत- क्या बकवास कर रहा है.. मैंने बोल दिया ना और वो सिर्फ़ तेरी बहन नहीं.. मेरी भी है.. तू डर मत.. हम जीतेंगे और इसकी बहन को इसके सामने नंगा करेंगे।
टोनी- वो तो समय ही बताएगा.. कौन किसको नंगा करता है.. बोल गेम कब शुरू होगा?
पुनीत- देख बहन को मना कर लाना आसान काम नहीं है.. कुछ दिन तो लग ही जाएँगे.. समय हम बाद में तय कर लेंगे.. ओके..
टोनी- ठीक है.. मगर बस 10 दिन का समय होगा.. उस दौरान तू अपनी बहन को पटा कर लाएगा.. नहीं तो तू हार जाएगा.. ओके..
पुनीत- ठीक है साले.. मगर तू भी याद रखना.. अगर तू ना पटा पाया.. तो क्या होगा..
टोनी- मेरी फिकर मत कर.. मुझे पता है.. मुझे किस तरह पटाना है।

सन्नी और रॉनी बस बेबस से अपने आप को कोस रहे थे कि पुनीत ने यह क्या कर डाला.. देर शाम तक वो सब वहीं बैठे बकवास करते रहे।
सन्नी- अरे यार शाम होने को आई है.. मीटिंग तो ओवर हो गई.. अब क्या इरादा है?
पुनीत- इरादा तो बहुत कुछ है.. मगर आज मूड दूसरा हो गया.. तुम लोग जाओ.. हम सुबह आ जाएँगे..
टोनी- ठीक है यार.. अब जाने में ही भलाई है.. वरना पुनीत कहीं अपनी बात से मुकर ना जाए।
पुनीत- कुत्ते.. ये किसी ऐरे-गैरे की ज़ुबान नहीं.. पुनीत खन्ना की ज़ुबान है तू अपना संभाल..

विवेक- तुम हमारे साथ आ जाओ टोनी.. सन्नी तो अपनी कार से जाएगा।
सन्नी- हाँ तुम निकल जाओ.. मैं बाद में आता हूँ ओके..

वो तीनों वहाँ से निकल गए और सन्नी और रॉनी गेट के बाहर तक उनको छोड़ने आए।
काफ़ी देर तक सन्नी और रॉनी बाहर खड़े बातें करते रहे.. उसके बाद अन्दर आ गए।
पुनीत- रॉनी मेरे भाई.. यहाँ आओ.. यार मुझसे ऐसे नाराज़ मत हो।

रॉनी- भाई ये आपने क्या कर दिया.. आप उस टोनी की बातों में आ गए.. अब क्या होगा? हमारी बहन को आप यहा इस गंदे गेम का हिस्सा बनाओगे? अरे वो कितनी स्वीट है.. मासूम है!

पुनीत- चल हट.. तू मुझे पागल समझता है क्या.. उस कुत्ते को मैंने अपने जाल में फँसा लिया है। वो कौन सा हमारी बहन को जानता है.. हम किसी और को बहन बना कर लाएँगे।
रॉनी- ओह्ह वाउ.. भाई मान गया आपके दिमाग़ को.. आप तो बहुत माइंडेड हो.. अब उस कुत्ते की बहन को सबके सामने नंगा करेंगे।
सन्नी- यार सच्ची पुनीत.. तेरे दिमाग़ को मान गया.. साले शैतान को भी पीछे छोड़ दिया। वैसे बहन का रोल देगा किसे?
रॉनी- भाई मुनिया कैसी रहेगी.. वो उमर में भी छोटी है और माल भी मस्त है.. टोनी तो उसको देखते ही लट्टू हो जाएगा..

पुनीत- नहीं यार मुनिया गाँव की गोरी है.. साला कुत्ता.. उसको तुरंत पकड़ लेगा। अब उसको ये तो पता है ना हमारी बहन गुड्डी कॉलेज में है और मुनिया ठहरी अनपढ़… सारा गेम खराब हो जाएगा।
रॉनी- तो अब क्या करेंगे भाई.. किसको गुड्डी की जगह लेकर आएँगे?
पुनीत- इसकी फिकर ना कर.. दिल्ली जाकर किसी ना किसी को ढूँढ ही लेंगे.. आज मुनिया को ठीक से चोद कर कल निकल जाएँगे.. ठीक है ना..

सन्नी- यार ये मुनिया कौन है?
रॉनी- अरे एक कच्ची कली है यार.. आज ही उसका मुहूरत किया है.. साली बड़ा मज़ा देती है।
पुनीत- उसकी चूत इतनी टाइट है क्या बताऊँ.. साला लंड अन्दर जाते ही ऐसा महसूस करता है कि किसी भट्टी में फँस गया हो।
सन्नी- अरे यार मेरा तो सुनकर ही ये हाल हो गया.. कहाँ है वो.. रूप की रानी.. काम की देवी?
पुनीत- अरे नहीं यार सन्नी.. वो ऐसी लड़की नहीं है.. बड़ी मुश्किल हम दोनों से चुदी है। अब तेरे बारे में बात करूँगा तो गड़बड़ हो जाएगी।

सन्नी- अरे क्या मेरे यार.. मुझे इतना गिरा हुआ समझा है क्या.. जो तेरे माल पर हाथ साफ करूँगा.. बस दिखा दे एक बार.. पता तो लगे ये कामदेवी कैसी है?
पुनीत- ठीक है रुक.. अभी दिखाता हूँ मेरी सोने की चिड़िया को..
इतना कहकर पुनीत कमरे में गया उस वक़्त मुनिया नहा कर कपड़े पहन रही थी।

पुनीत- हाय मेरी जान बहुत सोई रे तू.. अब नहा कर एकदम मस्त लग रही है। आज पूरी रात मज़ा लेंगे हम दोनों.. क्यों क्या बोलती है..?
मुनिया- आप भी ना ऐसे ही चले आते हो.. कपड़े तो पहने दो मुझे और आज कुछ नहीं होगा.. मेरी तबीयत ठीक नहीं है जी..
पुनीत- अरे मेरी भोली मुनिया.. मेरे सामने नंगी हो चुकी है.. अब कैसी शर्म? पहन लिए ना अब कपड़े और शुरू में थोड़ा दर्द होता है.. उसके बाद बड़ा मज़ा आता है।

मुनिया- नहीं बाबूजी.. रॉनी जी ने बहुत ज़ोर से किया.. मुझे नीचे बहुत दर्द हो रहा है।

पुनीत- अच्छा जाने दे.. ये बात बाद में कर लेंगे.. मेरा एक दोस्त आया है.. चल तुझे उससे मिलवाता हूँ.. प्यार से बात करना.. हाँ.. वो मेरा खास दोस्त है.. कहीं वो नाराज़ ना हो जाए..

मुनिया- नहीं नहीं बाबूजी.. मैं कोई वेश्या नहीं हूँ.. जो आप सबके सामने मुझे भेज रहे हो.. मैंने आपको अपना माना.. आपके कहने पर आपके भाई को भी मैंने बर्दाश्त किया.. मगर अब और नहीं बस..
मुनिया के बोलने का तरीका उसकी आँखों में गुस्सा देख कर एक बार तो पुनीत भी घबरा गया।

पुनीत- अरे पगली.. तू गलत समझ रही है.. मैंने कब कहा तुझे ऐसस? तू बस उससे मिल ले.. वो कुछ ऐसा-वैसा नहीं करेगा.. ठीक है ना..
मुनिया- ठीक है बाबूजी.. आप जाओ.. मैं अभी आती हूँ।

पुनीत बाहर आ गया और सन्नी को कहा- साली गुस्सा हो गई.. अब आ रही है.. देख लेना यार कुछ कहना मत.. नहीं तो साली रात को चुदवाएगी नहीं..
सन्नी- अरे गाँव की होकर साली के इतने नखरे.. चल आने तो दे.. मैं भी देखूँ.. कौन है ये मुनिया मस्तानी?

मुनिया ने लाइट ब्लू सलवार सूट पहना हुआ था.. उसके बाल खुले थे.. जिसमें वो अप्सरा जैसी लग रही थी। जैसे ही मुनिया और सन्नी की नजरें मिलीं.. दोनों ही एक-दूसरे में खो गए.. मुनिया धीरे-धीरे सन्नी के पास आकर खड़ी हो गई।
मुनिया- नमस्ते बाबूजी..

सन्नी कुछ नहीं बोला.. बस मुनिया को घूरता रहा।
पुनीत- अरे कहाँ खो गया सन्नी.. ये है मुनिया.. देख लो..
सन्नी- अह.. ह.. हाँ अच्छी है.. मुझे ऐसा क्यों लगता है.. कि मैंने तुम्हें पहले भी कहीं देखा है..

आप तो बस जल्दी से मुझे अपनी प्यारी-प्यारी ईमेल लिखो और मुझे बताओ कि आपको मेरी कहानी कैसी लग रही है।
कहानी जारी है।
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