बातों से चूत चुदाई तक

(Baton Se Chut Chudai Tak)

हैलो फ्रेंड्स, मुझे अन्तर्वासना पर जुड़े अभी एक सप्ताह ही हुआ है.. और यह मेरी पहली कहानी है.. जो मेरे जीवन में अभी दो महीने पहले ही घटी है।
मेरा नाम विशेष गर्ग है और अभी जयपुर में पिछले दो साल से एक साधारण सी नौकरी कर रहा हूँ और अपने ऑफिस में किसी भी साथी से ज्यादा बात नहीं करता हूँ।

मैंने बहुत बार ट्राई किया कि एक आईटी कंपनी ज्वाइन कर सकूँ.. लेकिन सफल नहीं रहा। अभी भी कोशिश जारी है.. बस एक बार भाग्य का साथ मिलने का इन्तजार है।
मेरी उम्र 23 वर्ष और मेरी गर्ल-फ्रेंड महिमा.. जिसकी उम्र 25 वर्ष है।

मेरे मोबाइल पर आज से दो-तीन महीने पहले एक अनजान नम्बर से कॉल आई.. जो कि किसी लड़की की थी.. यह एक रॉंग कॉल थी.. सो मैंने उसे नजरंदाज कर दिया।

फिर उसके कुछ दिनों बाद.. उस लड़की का दोबारा से कॉल आना चालू हो गया। कॉल को रिसीव करने पर पता चला कि दूसरी तरफ एक ऐसी लड़की है.. जो मुझे जानती तो है.. लेकिन मैं उसे नहीं जानता था।
मैंने बहुत बार उससे पूछने की कोशिश की.. लेकिन उसने अपनी पहचान मुझको नहीं बताई।
वो बस मुझको मोबाइल पर कॉल करती थी.. मैंने उसे इग्नोर करने की हर संभव कोशिश की.. जैसे की उसका कॉल रिसीव ना करना वगैरह.. और अगर कॉल रिसीव हो जाये तो बात ना करना..

अगर बात ना करो तो वो मैसेज पर उतर आती।

एक बार की बात है.. मैं अपने ऑफिस में अपने हेड से दुखी था कि उसी समय उस लड़की का कॉल आया और मैंने गुस्से में उसको उससे और हेड से दुखी होने की बात कही।

इतना सुनते ही वो रोने लगी और ‘सॉरी’ कह कर कॉल काट दिया।

शाम को मैंने अपने मोबाइल में ‘सॉरी’ का मैसेज देखा तो मैं भी दुखी हुआ कि मैंने न जाने किस वजह से उससे गुस्से में बात की.. जिससे मेरी वजह से कोई दूसरा रोने तक लग गया।
मैंने उसे कई कॉल की.. लेकिन उसने रिसीव नहीं की।
मैंने उसे मैसेज किया कि वो कल सुबह कॉल करे और मैं इन्तजार करने लगा।

सुबह उसका कॉल आया और मैंने उससे पहली बार अच्छे से बात की और कहा- अगर तुम मुझसे बात करना चाहती हो.. तो शाम को ही कॉल किया करो..
उसने मेरी यह बात मान ली और शाम को ही कॉल करने लगी।

उससे बातों का सिलसला चालू हुआ.. एक बार बात करते समय मुझे उसने अपनी पहचान बता दी कि उसे मेरे बारे में मेरे ऑफिस के एक महिला साथी से पता चला है.. जो कि उसकी भी अच्छी मित्र है।

मुझे यह भी पता चला कि वो केवल मित्र बनाना चाहती है.. इसके अलावा कुछ नहीं।
जयपुर में हम मिलने लगे और वो मेरी और मैं उसकी हर तरह से उसकी सहायता करने लगे।
वो जयपुर में अकेली रहती थी और एक ट्रैवल कम्पनी में काम करती थी।

इस तरह उससे बात होते-होते.. हँसी-मजाक और इससे आगे भी बढ़ गई।

उसकी फ्रेंड जो मेरे ही ऑफिस में थी उससे पता चला कि उसके ब्वॉय-फ्रेंड ने उसका दिल तोड़ दिया था.. जिसकी वजह से वो किसी को मित्र बनाने से डरती थी।

गलती से उसकी फ्रेंड के जैसा नम्बर होने की वजह से कॉल मेरे नम्बर पर आ गई थी और मुझसे बातें चालू हो गई थीं।

यह बात मुझे पता है कि इस बात का ना तो मैंने.. और ना ही उसकी मित्र ने उसको पता चलने दिया। मैं उससे बातें तो करता था लेकिन उसका बार-बार दुखी होने की वजह से कुछ कह नहीं पाता था। मेरा तो बस एक ही काम होने लगा कि उसे हर समय हँसाता रहूँ.. जिससे मेरे सामने वो दुखी ना रहे।
बस कॉल को मैं यही कह कर काटता था कि तुम ज्यादा हँसने लग गई हो.. तो कल बात करते हैं।
फिर मैं अपने ऑफिस का होम वर्क पूरा करने में लग जाता था।

पिछले महीने हम दोनों अचानक से एक रेस्टोरेंट में मिले.. तो खाना खाकर साथ ही घर लौटने लगे कि अचानक बारिश शुरू हो गई.. जैसे-तैसे हम दोनों उसके कमरे पर भीगते हुए पहुँचे.. तो उसने मुझको ये कह कर रोक लिया- बारिश बहुत जोर से होने को है।

मैं उसके कमरे पर रुक तो गया.. रात को मैं तो बिस्तर पर सोया.. लेकिन वो जमीन पर गद्दा लगा कर सो गई।

रात को मुझे बहुत जोर से बुखार आया.. जिससे मुझे बहुत कमजोरी आने लगी। मैंने उसे जगाया और दवाई के लिए कहा.. जिसके कारण वो डर गई और मुझको दवाई देकर बेचैन सी होने लगी और रोने लगी।

उसने कहा- मेरी वजह से तुमको परेशानी होने लगी।

ये सुनते ही मैंने उसे गले से लगा लिया और कहा- मेरी दोस्ती में कोई भी दुखी नहीं रह सकता.. चाहे मैं कितना भी दुखी रहूँ।

अब यारों गले कुछ इस तरह मिले थे कि हम दोनों ही बहकने लगे। एक तो बाहर जोरों से बारिश और अन्दर दो जिस्म.. जिसमें मैं बुखार की वजह से गरम था।

मेरा हाथ उससे बात करते समय अचानक उसके चूचों पर लगा.. और हम दोनों को बहुत जोर से करंट सा लगा।

लेकिन मदहोशी और एक-दूसरे पर विश्वास की वजह से उसने कुछ नहीं कहा.. बस एक बात पूछी- क्या तुम हर मुसीबत में मेरा साथ निभाओगे?
मैंने उसको ‘हाँ’ कहा।
यह सुनते ही उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए।

ये सब मेरे और उसके लिए पहली बार था.. फिर भी हम दोनों ने सारी मर्यादाएँ तोड़ दीं। हम दोनों ने एक-दूसरे के कपड़े उतारे तो मुझे इस बात का अनुभव हुआ कि वो पैंटी और ब्रा में क़यामत लग रही थी।
मेरा मन तो हुआ कि उसे ऐसे ही देखता रहूँ.. लेकिन दोनों का दिमाग तो बहक चुका था।
मैंने उसकी पैंटी और ब्रा दोनों को धीरे- धीरे उतार दिया।

अब मैं उसके चूचों को चूसने लगा.. उसका हाथ मेरे अंडरवियर पर मेरे लण्ड के ऊपर सहला रहा था। तभी मैंने उसका हाथ चड्डी के ऊपर से उठा कर.. अन्दर डाल दिया और मैं उसके चूचों को चूसने में मस्त रहा।
उसने मेरा अंडरवियर उतार फेंका और मेरे लण्ड को हाथ में लेकर कभी ऊपर.. कभी नीचे करने लगी।

मेरा पहली बार था.. सो मेरे पानी से उसके हाथ गंदे हो गए, यह देख मुझे बहुत अफ़सोस हुआ कि पहली बार में मैं इतनी जल्दी कैसे झड़ गया।

मैंने उससे ‘सॉरी’ कहते हुए अपना पानी उसके हाथ से उसकी पैन्टी से साफ़ किया और वापस से चुम्बन करने लगा। वो इतनी गरम हो गई थी कि उसका भी पानी चूचे चूसने के वजह से बह गया।

मैंने समय न लगाते हुए उसको छोड़ने की स्थिति करके.. उसकी चूत में अपना खड़ा लंड डाल दिया.. जो कि उसके दोबारा चुम्बन करते ही सलामी देने लग गया था।
चूँकि मैं एक बार पहले ही झड़ चुका था.. सो इस बार मैंने उसकी चूत मारते समय ज्यादा समय लिया। इस दौरान उसकी चूत में से खून भी निकला.. और बाद में मेरा पानी भी निकला।
उस रात मैंने उसके साथ तीन से चार बार चुदाई की।

अगली सुबह अखबार पढ़ा तो पता चला कि जयपुर के उस हिस्से में कुछ ज्यादा ही बारिश हुई थी।
खबर सच थी.. पानी के साथ वीर्य और खून की बारिश भी हुई थी।

फिर तो जब भी हम दोनों का मन करता तभी मैं उसकी मर्जी से उसी के घर पर चुदाई करते थे।

लेकिन अफ़सोस इस बात का है कि मैं उसकी गाण्ड नहीं मार पाया.. क्योंकि एक बार सेक्स के समय उसने गाण्ड में ऊँगली तो डलवाई थी.. लेकिन लण्ड डलवाने से मना कर दिया था।

मैंने उस पर कोई जबरदस्ती नहीं की और ना ही चाहता था कि कोई जबरदस्ती करूँ.. क्योंकि मुझे उसे हर समय खुश रखना था।

पिछले सप्ताह उसका ट्रान्सफर सूरत को हुआ है.. जिससे वो दुखी हो गई और मेरा और उसका साथ समय गुजारने का सपना.. सिर्फ सपना ही रह गया।
वो चाहती है कि मैं भी सूरत आ जाऊँ.. जो कि फिलहाल हो नहीं सकता.. मैं अपनी नौकरी छोड़ नहीं सकता हूँ।
तो मैंने उसे भुलाने का ही सोचा है.. और सोचा है कि अभी जिंदगी बहुत बड़ी है। अब मैं अपना ऑफिस का काम ईमानदारी से कर रहा हूँ और यही सोचता हूँ कि मेरी वजह से कोई तो खुश रहा.. चाहे कुछ ही समय के लिए हुआ हो।
तो फ्रेंड्स.. यह मेरी कहानी थी.. अगर आपको मेरी इस कहानी के बारे में कोई बात कहना हो.. तो आप मुझे मेल कर सकते हैं।
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