वो मुझसे चुदेगी जरूर

(Vo Mujhse Chudegi Jarur )

दोस्तो, मेरा नाम रोहित वर्मा है.. मैं भोपाल का रहने वाला हूँ.. अभी बारहवीं में पढ़ता हूँ।
आज मैं आपको अपनी सच्ची घटना बताने जा रहा हूँ जिसे सुनकर आपका चोदने का सब्र ख़त्म हो जाएगा।

यह बात अभी सिर्फ दो महीने पुरानी ही है। हम लोग भोपाल के एक मध्यम वर्ग वाले परिवार से है.. हमारे घर से कुछ ही दूर पर मेरे मामाजी का घर था। उनके घर में मामा-मामी और उनके एक लड़का जो दसवीं में है.. और लड़की जो ग्यारहवीं में है।

एक दिन मुझे यह मन हुआ कि चलो उनके घर चलते हैं.. तो मैं अपनी माँ को बोलकर उनके घर की ओर चल दिया।
लेकिन मुझे क्या पता था कि आज मुझे वो मिलने वाला है.. जिसकी मैं बरसों से कल्पना कर रहा था।

जब मैं उनके घर गया.. तो देखा कि मामा तो ऑफिस के काम से बाहर गए हुए थे और मेरा भाई यानि उनका लड़का कोचिंग में था। घर में सिर्फ मामी और मेरी बहन जिसका नाम तृषा था.. वो थी।

मैं दोपहर में गया था.. उस वक्त मामी तो सो रही थीं.. तो तृषा ने मेरा स्वागत किया और हम दोनों ऊपर के कमरे में चले गए।
उसके साथ कुछ देर गप-शप के बाद उसने बताया कि उसको पढ़ने में कुछ दिक्कत हो रही है.. तो मैं उसको पढ़ाने लगा।

अभी हम दोनों पढ़ ही रहे थे कि मैंने सोचा कि थोड़ी मस्ती कि जाए.. तो मैंने उसका हाथ पकड़ना चालू कर दिया.. उसके बाल खींचने लगा। वो भी मेरे साथ मस्ती करने लगी। इसी मस्ती के दौरान बीच में एक बार मेरा हाथ उसकी चूची में लग गया.. वो कुछ नहीं बोली, मैं भी कुछ नहीं बोला।

लेकिन अब मेरे अन्दर की काम-ज्वाला शुरू हो गई थी।
हम फिर पढ़ने लगे.. आखिर मैंने बहुत हिम्मत जुटाई और उससे कह दिया- तृषा तुम बुरा नहीं मानो.. तो एक बात कहूँ?

उसने बोला- हाँ कहो.. मैं बुरा नहीं मानूंगी।
मैंने बोला- क्या मैं तुम्हें चुम्बन कर सकता हूँ?
वो तनिक हैरत से बोली- क्या?

मैंने बोला- हाँ.. मैं तुम्हें चुम्बन करना चाहता हूँ.. सिर्फ एक बार.. अगर तुम्हारी इज़ाज़त हो तो ही..
तो उसने थोड़ा सोचा और बोला- ठीक है.. लेकिन सिर्फ एक बार..
मैंने बोला- ठीक है।

मैंने उसके सर के पीछे अपना हाथ डाला और उसके मुलायम होंठ पर अपने होंठ रख दिए।
हम दोनों पागलों की तरह एक-दूसरे को चूम रहे थे। हम लोगों की जीभें एक-दूसरे के मुँह के अन्दर थीं।

फिर धीरे-धीरे मेरे हाथ उसकी चूचियों पर चले गए और मैं उनको मसलने लगा। उसकी तरफ से कोई आपत्ति नहीं थी.. तो मैं लगा रहा।
फिर अचानक वो मुझसे दूर हटी और बोली- रोहित भैया.. मैं कबसे इस चीज़ का इंतज़ार कर रही थी।
मैंने बोला- मुझे पता था इसलिए तुमसे डायरेक्ट चुम्बन करने को पूछ लिया।

फिर क्या था.. हम दोनों ने अपना कार्यक्रम चालू कर दिया। मैंने उसके कपड़े खोलना शुरू किए और उसको कुछ ही पल में पूरी नंगी कर दिया।
मैं उसके होंठ चूमते जा रहा था.. फिर उसके गाल और फिर धीरे-धीरे नीचे आया तो पहले उसकी गर्दन को चाटा.. फिर उसकी मदमस्त चूचियों की बारी थी। मैंने उसके मम्मों को इतना चूसा कि समझो खा ही गया उनको।

दोस्तो सही में.. पहला अनुभव बहुत अनोखा होता है।
फिर उसकी चूत चूसने की बारी थी।

चूत पर थोड़े बाल उगने लगे थे.. और उसमें से एक अनोखी खुशबू आ रही थी। मैं तो इस महक से पागल हो उठा, मैं पागलों की तरह उसकी चूत को चाटने लगा और अपनी जीभ से उसकी गुलाबी बुर के दाने को हिलाने लगा।
वो मदहोश हो गई थी और मुझे भी काफी अच्छा लग रहा था।

आखिर मैंने उसका पानी निकाल ही दिया। फिर उसने मेरी पैंट खोली और मेरा लंड सामने आया।
दोस्तो, अब आपसे क्या छुपाना.. मैं बता दूँ कि मेरा लण्ड एक अनोखे साइज़ का है.. केले जैसा घुमाव लिए हुआ है.. यहाँ बहुत से लोगों का भी हो सकता है.. जिस लड़की को इसका मतलब नहीं मालूम.. वो मुझे मेल करके खुद पता कर ले।

तो उसने मेरा औजार देखा.. तो वो तो जैसे पागल ही हो गई.. वो एकदम से नीचे झुकी और पागलों की तरह मेरा गन्ना चूसने और चाटने लगी।

अब मेरी भी सिसकारियाँ निकलने लगीं। मैं भी लण्ड की चुसाई से मस्त हुए जा रहा था। तभी मैंने सुना कि नीचे से मामी की आवाज़ आई।

हम दोनों एकदम से घबरा गए और अपने कपड़े पहन कर तैयार हो गए। सबसे ज़रूरी हिस्सा चुदाई का तो रह ही गया था। इसके बाद महीना हो गया.. अभी तक चुदाई का मौका न मिल पाने से ये सपना पूरा नहीं हुआ है।
पर वो मुझसे चुदेगी जरूर.. बस जैसे ही उसकी सील तोडूंगा.. आप सब को इस मीठे अहसास का किस्सा सुना दूँगा।

तो दोस्तो, यही थी मेरी अब तक की सच्ची कहानी.. आप ज़रूर बताइएगा कि कैसी लगी।
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