ममेरी बहनों टपकता दूध और घमासान चुदाई-2

(Mameri Bahanon ka Tapkta Doodh Aur Ghamasan Chudai-2)

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सोनम की चुदाई से पहले मैं उसके स्तनों को मजे से मसल रहा था।

उसके आमों को बहुत देर मींजने के बाद मैंने लंड उसकी चूत में डाल दिया..

झाग के कारण हम बहुत आसानी से चुदाई कर रहे थे और हमारी काम-क्रीड़ा बहुत देर तक चलती रही।

मैं ऊपर से उसके मम्मे दबाता रहा और वो नीचे लंड चूत में लेती रही और हम दोनों भी खुश हो गए।

चौथे दिन चोदते वक्त मैंने अपने सुपारे पर और उसकी चूत पर गरी का तेल डाला और मैंने चोदना शुरू कर दिया।

मैं सटासट शॉट लगाता रहा और वो अपने मम्मों सहलाती और चिल्लाती रही।

ये सब देखकर सोनम बहुत ही खुश होती जा रही थी।

पाँचवें दिन सोनम ने कहा- आज हम चुदाई नहीं करेंगे.. आज छुट्टी लेंगे.. क्योंकि मेरा सारा बदन ठनक रहा है।

तो मैंने उससे कहा- तुम चिंता मत करो.. मैं तुम्हारे पूरे बदन को मालिश कर दूँगा और तुम मेरे बदन को करना।

उसके बाद मैंने सोनम को पहले हाथ.. पैर और पीठ की मालिश की और अंत में उसके दोनों सुंदर स्तनों को बहुत सारा तेल लगाकर.. रगड़ कर उनकी मालिश की।

उसके बाद सोनम ने मेरे सारे शरीर की मालिश की.. मैं उससे बोला- तुमने मेरी मालिश की.. और मुझसे अपने स्तनों की मालिश करवा ली.. लेकिन जिसने ज़्यादा काम किया है.. जो थका हुआ है.. तुमने उसकी मालिश नहीं की…

तो सोनम ने मेरी पैन्ट उतार कर उसके चहेते लंड को बहुत सारा तेल लगाकर बड़ी प्यार से उसकी मालिश करने लगी।

मैंने उसे रोकते हुए कहा- मेरे लोहे के लंड को तुम्हारे हाथ से ज़्यादा तुम्हारे मम्मे पसंद हैं.. क्यों ना मेरे बाबूराव को तुम्हारे दो कबूतर और तुम्हारे दो कबूतरों को मेरा बाबूराव मालिश करे…

फिर सोनम ने अपने दो सुंदर स्तनों के बीच मेरा लवड़ा जकड़ा और तेल लगाकर प्यार से उसको मालिश करती रही।

फिर सोनम नीचे हो गई और मैं ऊपर से उसके दोनों स्तनों के बीच अपना लंड रखकर बहुत देर तक घिसता रहा और फिर मैंने अपना माल उसके सुंदर स्तनों पर छोड़ दिया.. पर अब सोनम की चूत को भी शांत करना था.. इसलिए मैंने एक केला लेकर हाथ से उसकी चूत को शांत किया।

फिर उसी दिन शाम को फिर एक बार हम रोमान्स करने लगे.. मैंने उसकी दोनों चूचियों को बहुत चूसा और सोनम को शांत किया।

फिर उसने मेरा लिंग अपने मुँह में लेते हुए उसको बहुत प्यार से ईमानदारी से चूसा और मेरा माल निकाल लिया।

ये सब देखकर सोनम ने मुझे पूछा- तुम्हारा दिमाग़ है या सेक्स कंप्यूटर.. जो रोज़ एक नया आयडिया निकलते हो।

तो मैंने उसको कहा- सेक्स दो टाँगों के बीच नहीं.. दो कानों के बीच यानि दिमाग में होता है।

फिर छटे दिन मैंने अपना नया प्लान सोनम को बताया.. हम दोनों आज पूरे दिन नंगे रहेंगे.. हमारे घर का पूरा काम.. खाना.. घूमना सब नंगे रहकर ही करेंगे.. लेकिन सिर्फ़ एक-दूसरे को देखते हुए.. कोई किसी को छुएगा नहीं।

ये आयडिया सुनकर सोनम भी बहुत खुश हो गई।

अब हम दोनों नहाने के बाद बिना कपड़े पहने.. घर में नंगे ही घूम रहे थे।

ये अनुभव हमें बहुत ही अजीब सा और रोमांचकारी लग रहा था। मैं जब भी चलता था.. मेरा लंड डोलता था और आते-जाते सोनम उसे देखती थी।

सोनम की मदमस्त निगाहें मेरे लौड़े को ज्यों ही देखतीं.. तभी वो उठकर खड़ा हो जाता था और थोड़ा-थोड़ा रस निकालने लगता था।

उधर सोनम भी जब चलती थी.. काम करती थी या झुकती थी तो उसके दोनों एक-एक किलो वाले स्तन बड़े मस्ती से उसके बदन पर लटकते थे और उनको देखकर मेरा लंड फुरफुराता था और मेरे लंड को देख कर सोनम की चूत अपना यौन रस टपकाती थी।

इसी अवस्था में हमने दोपहर का खाना खाया लेकिन उसके बाद हम दोनों कंट्रोल नहीं कर पाए और फिर एक बार हम दोनों एक हो गए।

तब मैंने अपने सुपारे और उसकी चूत पर खाना बनाने का सनफ्लावर आयल लगाकर सोनम को बहुत प्यार से चोदा।

फिर सातवें दिन मैंने घी लगाकर.. आठवें दिन मक्खन लगाकर और नौवें दिन अपने सुपारे और उसकी चूत पर शहद लगाकर रोज़ आधा एक घंटा सोनम की चुदाई करता रहा।

क्योंकि ऐसी कोई भी आयल जैसी चीज़ लगाने से हम बिना कंडोम के बड़ी आसानी से बहुत देर तक संभोग करते रहे और रोज़ एक अलग तरह से करने से मुझे और सोनम दोनों को कुछ नया.. अच्छा.. कामुक.. और रोमांचकारी लगता रहा और हम मज़ा उठाते रहे।

पिछले नौ दिनों से हम दोनों ऐसा कर रहे थे.. मेरी कल्पना शक्ति को मानते हुए सोनम तो बहुत खुश थी।

दसवें दिन सोनम ने मुझे पूछा- मेरी जान.. आज क्या रंग उढ़ेलने वाले हो..?

तो मैंने कहा- आज भी कुछ नया ही करेंगे.. तुम बस देखती जाओ…

रसोईघर में गुलाब-जामुन रखे हुए थे.. मैंने गुलाब-जामुन का डिब्बा साथ में लिया और सोनम को नंगा करके सुलाया। अब मैंने उसके स्तनों से लेकर उसकी चूत तक गुलाब जामुन रखे और एक-एक करके ऊपर से नीचे गुलाब जामुन ख़ाता.. सोनम और गुलाब-जामुन का रस पीता हुआ उसकी चूत तक गया।

अब अपने सुपारे पर भी गुलाब-जामुन का शीरा लगाकर सोनम को चाटने को दिया। जामुन का रस और मेरे लंड का रस दोनों का मिश्रण सोनम को बहुत ही पसंद आया।

फिर मैंने गुलाब-जामुन का रस मेरे लंड पर लगाया और उसकी चूत को फैलाकर उसमें भी डाला.. वो रस लगाकर उसकी मिठाई में सोनम को चोद कर शांत किया।

ग्यारहवें दिन मैं कोन और कप वाली आइसक्रीम लाया.. कोन को सोनम की चूत में खोंस दिया और उसकी दोनों चूचियों पर कप की आइसक्रीम को लगाया और अपने लंड पर भी आइसक्रीम को लगाई।

एक तरफ हम गरम हो रहे थे और आइसक्रीम हमें ठंडा कर रहा था और मेरे कड़क लोहे की गर्मी से आइसक्रीम पिघल रही थी। मैं सोनम के दोनों मम्मों पर लगाई हुई आइसक्रीम खाने लगा। आइस्क्रीम की ठंडक से सोनम उछल-मचल रही थी।

मैंने आइस्क्रीम खाते-खाते सोनम के स्तनों को चूसने लगा और सोनम पागल होने लगी थी।

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स्तनों पर लगाई हुई आइस्क्रीम खत्म होने पर मैंने चूत पर लगाई हुई आइस्क्रीम भी चाट ली।

अब सोनम को आइस्क्रीम चाटना था.. फिर मैंने अपने लंड पर बहुत सारी आइस्क्रीम लगाकर सोनम को दिया।

वो उसने बड़ी प्यार से चख ली और साथ में मेरा लंड और उसका रस भी साफ कर लिया।

फिर एक बार मैंने अपने लंड और उसके चूत पर आइस्क्रीम लगाकर अपना लण्ड उसकी चूत में पेल दिया।
गरम लंड और चूत में ठंडी आइस्क्रीम पिघल रही थी और हम दोनों एक अलग सी अनुभूति में खोए.. एक हो रहे थे।

बारहवें दिन मैंने सोनम की चूत की बड़ी अच्छी तरह से शेविंग भी की.. रोज़ माल गिराने से और नए-नए प्रयोग करने से उसकी झांटें गंदी हो गई थीं।

सोनम टाँगें फैलाकर बड़े आराम से पड़ी थी और मैं उसकी चूत की शेविंग कर रहा था।

पहले उसको साबुन लगाकर रेजर से उसके चूत के सब बाल निकाल दिए.. शेविंग के बाद चूत पर आफ्टर शेव लोशन-स्प्रे किया तो सोनम तड़पने लगी और थोड़ी देर उसको ठंडक मिली।

उसके बाद मैंने उसकी गोरी चूत को फेअर एण्ड लवली लगाकर उस पर टेलकम पाउडर लगा दिया।

अब सोनम की गोरी चूत सोनम से भी सुंदर और नाज़ुक दिख रही थी।

उसके बाद मामा के आने तक बड़े आराम से और आने के बाद चोरी-छुपे हमारी चुदाई चलती रही।

कभी वो नीचे मैं ऊपर.. कभी मैं नीचे सोनम ऊपर.. कभी सो कर.. कभी बैठ कर.. अलग-अलग स्टाइल से चुदाई करके.. कभी हाथ से करके.. हम एक-दूसरे में खोते रहे।

ये सब करने से सोनम बहुत खुश थी.. क्योंकि मैंने हमेशा ये ध्यान रखा था.. जब भी चुदाई करें तो अकेले खुश नहीं होना है.. बल्कि कैसे भी करके सोनम को हर बार शांत करना है।

इसलिए हर बार वो संतुष्ट होती थी।

सोनम को तो मैंने पा लिया था.. लेकिन मेरा अगला निशाना तो वो सेक्स बॉम्ब था.. जिसका नाम पूनम था.. क्योंकि पूनम कमाल की तो थी ही.. लेकिन मेरी सबसे बड़ी पसन्दीदा चीज़ उसके बड़े-बड़े मम्मे थे.. जो पूनम के पास बहुत अच्छे क्वालिटी के थे।

उसके रसीले मम्मे मानो जैसे रत्नागिरी के हापुस आम थे और उससे भी बड़ी बात वो बच्चा होने के कारण असलियत में दूध दे रहे थे।

और यही बात ध्यान रखकर मैंने सोनम को भी बता दिया था कि मुझे किसी भी औरत का असलियत में दूध पीना है।
मुझे विश्वास भी था कि सोनम हाथ में आई है.. तो एक ना एक दिन उसकी बहन पूनम भी मेरे हाथ ज़रूर आएगी।
मुझे अब पूनम को पटाने में दिमाग़ लगाना था।

अब सोनम को छुट्टियां होने के कारण उसने पूनम के पास इंदौर जाने का प्लान बनाया था और तीन-चार महीनों के लिए इंदौर जा रही थी।

घर में मामा-मामी के होने के कारण मुझे और सोनम को अब चुदाई के लिए चोरी-छुपे मौके ढूँढ़ने पड़ते थे.. तो मैं सोचने लगा कि सोनम भी जा रही है.. तो मेरा क्या होगा और मुझे तो पूनम भी चाहिए थी।

इसलिए मैंने सोनम को बता दिया, ‘मैं कुछ ना कुछ बहाना बनाकर वहाँ आ जाऊँगा और मुझे पूनम भी चाहिए सो प्लीज़ तुम मेरा ये काम कर दो…’

मैं सोनम को खुश करता था इसलिए उसने भी पूनम को पटाने की ज़िम्मेदारी ले ली थी।

दूसरी बात पूनम के पति नेवी में थे इसलिए वो छ: महीने तक घर नहीं आते थे.. तो पूनम की भी चूत शांत नहीं होती होगी और इसी मौके का मुझे फ़ायदा उठाना था।

ये सब मैंने सोनम को बताया और उसे पूनम को सेक्स के विषय को छेड़ कर हमारी चुदाई के बारे में बताने के लिए और मैं उसको कितना आनन्द देता हूँ ये बोलने को कहा था।

तो सोनम अब पूनम के पास चली गई।

तीन-चार दिन के बाद मैंने भी मामा-मामी को कुछ दोस्तों के साथ जॉब ढूँढ़ने का कारण बता कर इंदौर चला आया।

तब तक सोनम ने पूनम को चुदाई की बातें छेड़ कर थोड़ा गरम कर रखा था।

मैं पूनम के घर आया.. तो पूनम ने मेरा स्वागत किया।
उसको देखते ही मेरा लंड फड़फड़ाने लगा था.. क्योंकि एक बच्चा होने के बाद और वो और जबरदस्त सुंदर.. हसीन कामुक अप्सरा सी दिख रही थी और दूध भरे होने के कारण उसके मम्मे और भी बड़े दिख रहे थे।

फिर हम गपशप करते हुए चाय पीने लगे.. तो सोनम मुझे देख कर थोड़ा-थोड़ा हँस रही थी।

मुझे कुछ समझ में नहीं आया।

मेरी इस सत्य घटना पर अपने विचार लिखने के लिए मेरी ईमेल आईडी पर आपका स्वागत है।
कहानी जारी है।

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