जिस्मानी रिश्तों की चाह-38

(Jismani Rishton Ki Chah- Part 38)

जूजाजी 2016-07-22 Comments

This story is part of a series:

सम्पादक जूजा
अब तक आपने पढ़ा..

आपी ने मेरी मुठ मार कर मुझे और फ़रहान ने आपी की चूत चाट कर उन्हें झड़वा दिया।
फ़रहान के बालों में और आपी के पेट पर मेरा रस लगा था।

अब आगे..

फरहान ने बेसाख्ता अपने सिर पर हाथ फेरा तो उसके हाथ पर भी मेरे लण्ड का जूस लग गया। फरहान ने अपने हाथ को देखा और फिर आपी की आँखों में देखते हुए ज़ुबान निकाल कर चाटते हुए बोला- उम्म्म.. आपी आप भी चख कर तो देखतीं.. इतना बुरा नहीं है..

‘आहह…. डिज़्गस्टिंग फरहान.. तुम तो इसको अपने सिर पर ही सज़ा रहने दो.. ताज समझ कर.. अच्छा अब जाओ.. कोई कपड़ा ला कर दो..’

आपी ने फरहान से कहा और अपनी क़मीज़-सलवार.. ब्रा वगैरह इकठ्ठे करने लगीं.. जो इधर-उधर बिखड़े पड़े थे।

फरहान अपनी ही एक शर्ट लेकर आया और खुद ही आपी के बदन को साफ करने लगा। अच्छी तरह साफ करने के बाद फरहान ने आपी के पेट को चूमा ही था कि आपी ने उसे पीछे करते हुए कहा- नहीं फरहान.. अब बस.. मैंने जाना है बहुत देर हो गई है।

आपी ने क़मीज़ पहनने के लिए अपने हाथ फैलाए ही थे कि मैंने आगे बढ़ कर आपी को अपने बाजुओं में जकड़ा और एक जोरदार किस करने के बाद कहा- आपी आज का दिन हमारी ज़िंदगी का हसीन-तरीन दिन था और मुझे खुशी इस बात की है कि मैंने आपके जिस्म के एक-एक मिलीमीटर को चूमा है और अपनी ज़ुबान से चखा है.. आई रियली लव यू।

आपी ने मुस्कुरा का मुहब्बतपाश नजरों से मुझे देखा और अब उन्होंने आगे बढ़ कर मेरे होंठों को चूमा और कहा- लव यू टू सगीर..
और फिर मेरे गाल को चुटकी में पकड़ के खींचते हुए बोलीं- मेरा राजा भाई.. उम्म्म्ममाअहह..

‘आअप्प्प्पीईईईईई फिर वो हीई..’

आपी मुझे देख कर खिलखिला कर हँसी और अपने कपड़े पहनने लगीं।

मैं और फरहान आपी को ड्रेसअप होते देखते रहे। इसके बाद आपी ने हमें शब-आ-खैर कहा और कमरे से चली गईं।
आपी के बाद मैंने मुस्कुराते हुए फरहान को देखा और कहा- मज़ा आया आज मेरे छोटू को?

फरहान खुशी से खिलखिला कर बोला- बहुत ज्यादा भाई.. मैं तो बस ख्वाब ही देखता था.. मुझे यक़ीन नहीं था कि मैं कभी किसी लड़की के मम्मे और चूत देख भी सकूँगा.. लेकिन आप की वजह से देखना तो दूर की बात मैंने मम्मों को चूस भी लिया और चूत को भी चाट लिया.. वो भी अपनी हसीन आपी को..

मैंने मुस्कुरा कर शैतानी अंदाज़ में कहा- मेरे भाई बस तुम सबर करो.. और देखते जाओ कि आगे क्या-क्या दिखाता हूँ तुम्हें..

मैं अपने तमाम दोस्तों.. जो इस स्टोरी को पढ़ रहे हैं.. को भी कहता हूँ कि बस थोड़ा सबर करो कि मैं लिख लिया करूँ.. फिर आगेआगे देखो मैं क्या क्या पढ़ाता हूँ।

मेरी बात सुन कर फरहान बहुत खुश हुआ और कुछ याद आने पर एकदम चौंकता हुआ बोला- भाई कुछ करें ना.. ताकि हनी भी हमारे साथ शामिल हो जाए.. जब मैं हनी के साथ नानी के घर गया था ना.. तो भाई.. तो भाई मैंने उस वक़्त गौर किया था.. हनी के सीने के उभार भी अब बहुत प्यारे हो गए हैं।

मैंने मुस्कुरा कर फरहान को देखा और कहा- तुम फ़िक्र ना करो.. बस अपना दिमाग मत लगाना.. जो मैं कहूँ.. वो ही करना.. बाक़ी सब मुझ पर छोड़ दो.. और चलो अब सो जाओ.. सुबह तुम्हें स्कूल भी जाना है।

हम दोनों ही बिस्तर पर लेट कर सोने की कोशिश करने लगे।

सुबह मैं देर से ही उठा था.. फ्रेश होकर नीचे नाश्ते के लिए पहुँचा.. तो सब नाश्ता करके जा चुके थे। मैंने भी नाश्ता किया और कॉलेज को चल दिया।
वापसी पर भी आम सी ही रुटीन रही.. कोई ऐसी खास बात नहीं हुई.. जो मैं यहाँ आपको बता सकूँ।

रात के 11 बजे थे.. मैं और फरहान दोनों आपी का इन्तजार करते हुए इधर-उधर की बातें करते.. अपना टाइम काट रहे थे.. उसी वक्त दरवाज़ा खुला और आपी अन्दर दाखिल हुईं।

आपी को देखते ही फरहान और मैंने बेड से जंप की और उनकी तरफ बढ़े.. आपी ने अपने दोनों हाथों को सामने लाकर हमें रोकते हुए कहा- आराम से.. आराम से.. जंगली ही हो दोनों..

मैंने आपी की बात जैसे सुनी ही नहीं और उन्हें अपने बाजुओं में जकड़ कर होंठों पर होंठ रख दिए।

आपी ने भी किस का मुकम्मल रिस्पोन्स दिया और भरपूर अंदाज़ में मेरी ज़ुबान और होंठों को चूसने के बाद पीछे हट गईं और अपनी क़मीज़ उतारने लगीं।
क़मीज़ के नीचे आपी ने कुछ नहीं पहना था और क़मीज़ के उतरते ही उनके खूबसूरत गुलाबी निप्पल मेरी नजरों के सामने आ गए। आपी क़मीज़ उतार कर सीधी खड़ी हुई ही थीं कि मैंने फिर उनकी तरफ क़दम बढ़ाया तो उन्होंने मुझे रोक दिया।

‘नहीं सगीर.. तुम पीछे रहो और फरहान की तरफ अपने बाजुओं को खोला जैसे उससे गले लगाने के लिए बुला रही हों और फरहान को देखते हुए मुस्कुरा कर बोलीं- आज मेरे छोटे भाई की बारी है.. आ जाओ फरहान!’

फरहान यह सुन कर खुशी से झूम उठा और भागते हुए आकर आपी से लिपट गया।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैंने मुस्कुरा कर उन दोनों को देखा और पीछे हट कर वहाँ सोफे पर बैठ गया.. जहाँ बैठ कर आपी हमारा शो देखा करती थीं।

फरहान ने आपी के बदन को अपने बाजुओं में भरा और उनके होंठों को जंगली अंदाज़ में चूसने लगा।

यह पहली बार था कि फरहान आपी के साथ अकले में कुछ कर रहा था.. इसलिए उसके अंदाज़ में बहुत दीवानगी थी।
आपी भी उसी के अंदाज़ में उसका मुकम्मल साथ दे रही थीं।

फरहान और आपी कुछ देर एक-दूसरे के होंठ चूसते रहे।
होंठों को एक-दूसरे से चिपकाए हुए ही आपी ने अपने हाथ नीचे किए और फरहान की शर्ट को अपने हाथों से ऊपर उठाने लगीं।

फरहान थोड़ा पीछे हुआ और आपी ने उसकी शर्ट को सिर से और हाथों से निकाल कर दूर फेंक दी।

फरहान ने आगे बढ़ कर फिर अपने होंठ आपी की गर्दन पर रख दिए और आपी की गर्दन को चूमने और चाटने लगा।

आपी ने अपने सिर को पीछे की जानिब ढुलका दिया और फरहान की नंगी कमर पर अपने हाथ फेरने लगीं।

फरहान ने अपने हाथों को नीचे किया और आपी की सलवार में हाथ फँसा कर नीचे को झटका दिया और मुझे ये देख कर हैरत का झटका लगा कि आपी ने बजाए उसे रोकने के खुद ही अपने हाथों से अपनी सलवार को नीचे किया और अपनी टाँगों से निकाल दी।

आपी की नंगी गुलाबी रानें और उनके खूबसूरत बिल्कुल गोल कूल्हे मेरी नजरों के सामने आए.. तो मैंने बे इख्तियार ही अपने लण्ड को पकड़ कर झंझोड़ा और अपने कपड़े उतार फैंके।

फरहान ने आपी की नंगी कमर को सहलाते हुए अपने हाथ थोड़े नीचे किए और आपी के दोनों कूल्हों को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर पूरी ताक़त से एक-दूसरे से अलहदा कर दिया.. जैसे कि वो दोनों कूल्हों को बीच से चीर देना चाहता हो और इसके साथ-साथ ही उसने गर्दन से नीचे आकर आपी के एक उभार को अपने मुँह में भरा और अपने दाँत आपी के उभार में गड़ा दिए।

आपी के चेहरे पर शदीद तक़लीफ़ के आसार नज़र आए और उनके मुँह से एक कराह निकली- आऐईयईई… ईईईईई.. उफ… फफ्फ़.. फरहान थोड़ा आराम से.. जंगली ही हो जाते हो.. मैं कहीं भागी.. तो नहीं जा.. रही नाआअ..’

आपी की बात सुन कर फरहान ऐसे चौंका.. जैसे उसे पता ही नहीं हो कि वो क्या कर रहा था और अभी ही होश में आया हो।
फरहान ने आपी का उभार मुँह से निकाला तो आपी ने फरहान को थोड़ा पीछे हटाया और कहा- बिस्तर पर चलो.. मैं इतनी देर खड़ी नहीं रह सकती..

यह कह कर आपी बिस्तर की तरफ बढ़ीं और अपनी टाँगें नीचे लटका कर बिस्तर पर अधलेटी सी हो गईं।

फरहान ने अपना ट्राउज़र उतारा और आपी के ऊपर लेट कर उनके सीने के उभारों को चूसने लगा।
आपी फिर से फरहान की कमर को सहलाने लगीं।

कुछ देर आपी के मम्मे चूसने के बाद फरहान ने आपी के पेट को चाटा और अपनी ज़ुबान से आपी की नफ़ का मसाज करने लगा।
फरहान थोड़ा और नीचे हुआ और ज़मीन पर बैठ कर अपनी ज़ुबान आपी के टाँगों के दरमियान वाली जगह पर रख दी।

आपी ने फरहान की ज़ुबान को अपनी चूत पर महसूस किया तो उनके मुँह से एक ‘आआहह..’ खारिज हुई और बेसाख्ता ही आपी ने अपनी टाँगों को थोड़ा और खोल कर घुटनों को मोड़ते हुए अपने पाँव बिस्तर पर रख लिए।

अपनी आँखें बंद करके आपी अपने दोनों हाथ फरहान के सिर पर रख कर.. अपनी चूत फरहान के मुँह पर दबाने लगीं।

फरहान ने आपी की चूत को चूसते हुए अपने दोनों हाथ आपी के कूल्हों के नीचे रखे और कूल्हों को थोड़ा सा उठा कर आपी की गाण्ड के सुराख को चूमा।

जैसे ही फरहान के होंठ आपी के पिछले सुराख से टच हुए.. आपी के मुँह से एक ज़ोरदार सिसकी निकली और उन्होंने अपनी आँखें खोल कर सिर थोड़ा उठाया और फरहान को देखते हुए कहा- हन्ंन ननणणन् फरहान.. हन्णन्न्.. यहाँ ही.. आहह.. चाटो उसे.. अपनी ज़ुबान टच करो यहाँ.. उफ़फ्फ़..’

आपी ने अपनी गाण्ड को मज़ीद ऊपर की तरफ झटका दिया और फरहान के सिर को ज़ोर से नीचे की तरफ अपनी गाण्ड के सुराख पर दबाया।
दो-तीन ज़ोरदार झटके मारने के बाद आपी ने अपना सिर पीछे बिस्तर पर पटका और गर्दन घुमा कर मेरी तरफ देखा।

कहानी जारी है, आप अपने ख्यालात कहानी के आखिर में जरूर लिखें।
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top