चूत रस्म-3

(Chut Rasm- Part 3)

बाबा जी 2016-09-25 Comments

This story is part of a series:

अब तक आपने पढ़ा कि मेरी बहन वर्षा चाहती थी कि मैं उसकी नंगी जवानी को देख कर उसके नाम की मुठ उसके सामने ही मारूं।

अब आगे..

मैं दीवार के सहारे बैठ गया और अपनी दोनों टांगों को चौड़ा कर लिया।
मैंने मन ही मन बाबाजी के घंटे को याद किया और सोचा कि अब जो होगा वो देखा जाएगा।
अब मैं अपने सीधे हाथ में अपना लवड़ा पकड़ कर उसको ऊपर से नीचे हिलाने लगा।

वर्षा बोली- रुक बहनचोद.. ऐसे ठंडा-ठंडा क्या कर रहा है बे.. सुन रे भड़वे तू जो भी करे.. उसमें मुझे भी मजा आना चाहिए.. समझा.. अब रुक और जैसा मैं बोलूँ वैसा कर!

मैं दीदी की तरफ देखने लगा।

वर्षा बोली- चल पहले तू अपने लौड़े पर थूक..
मैंने बहुत सा थूक अपने लौड़े पर चुपड़ लिया।

अब वर्षा ने बोला- अब मुँह से सिसकारी निकाल और अपने लंड को हिला।
मैं वैसा ही करने लगा- आह आह.. ऊह्ह.. हाय राम..

तब वर्षा ने कहा- मेरे नाम की मुठ मार!

तो दोस्तो, मैं अपने लौड़े को जोर-जोर से मुठ मारते हुए बोला- आह वर्षा रानी साली क्या फिगर है तेरा.. भेन की लवड़ी.. एक बार मुझसे भी चुदवा ले रंडी.. कसम बाबाजी के घंटे की मेरी रानी ऐसा चोदूँगा कि तू अपने पति को भूल जाएगी और मुझे ही अपना सैंया बना लेगी.. आह्ह.. साली कुतिया!

मैं यह बोलते-बोलते अपना लवड़ा भी हिला रहा था।

तभी वर्षा ने कहा- चल बे चूतिये, अब अपने उलटे हाथ की मिडल फिंगर को अपनी गांड में घुसेड़ और फिर गांड और लंड की मुठ मार!

उसके बोलने पर मैंने अपनी एक उंगली अपनी गांड में घुसेड़ ली।

‘उईइम्ममाआअ आह..’ जैसे ही उंगली गांड में घुसी.. मैं एकदम से गनगना गया, मेरे पूरे शरीर में सनसनी फ़ैल गई।
मैं ऐसे ही अपने लवड़े को सहलाते हुए अपनी गांड में उंगली करता रहा, मेरे मुँह से ‘आह उहह.. ऊह्ह..’ की आवाज निकलती रही।

यह सब देख के वर्षा को बहुत मजा आ रहा था और वो जोर-जोर से अपने मम्मों को भींचे जा रही थी.. और एक हाथ से अपनी चूत को भी सहला रही थी।

अचानक से उसने हुक्म दिया- चल.. अब मेरे सारे कपड़े उतार..

दोस्तो, यह बात सुन कर तो मुझे मजा आ गया, मैंने मन ही मन बाबाजी को याद किया और सोचा कि वाह.. बाबाजी आज तो आपके आशीर्वाद से मुझे सब कुछ मिल जाएगा।

मैंने सबसे पहले वर्षा का टॉप उतारा।

बहन का जिस्म.. आह्ह.. साली एकदम से माल है।
उसके गोरे बदन को देख के तो मेरा लौड़ा और भी टाइट हो गया।

जैसे ही उसका टॉप उतरा.. तो उसके बोबे मुझे काली ब्रा में फंसे हुए दिखाई दिए।
ओह्ह्ह.. बाबाजी क्या बताऊँ आअह्ह्ह आअह्ह्ह.. कितना मस्त नजारा था। उसके खरबूजे के समान सफ़ेद-सफ़ेद बोबे देख कर मेरा तो दिल ही मचल गया।

फिर मैंने उसको थोड़ा ऊपर उठा करके उसका लोअर भी निकाल दिया।

‘आअह्ह्ह…’ साली की क्या मस्त-मस्त जांघें थीं।
मेरा दिल किया कि अभी चाट लूँ.. लेकिन फिर रुक गया।
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अब मेरी बहन काली ब्रा और पैन्टी में मेरे सामने लेटी थी और मैं उसको देख-देख कर अपना लवड़ा हिला रहा था।

क्या सीन था बाबाजी ‘आह्ह.. आह्ह अह ओह्ह्हह्ह..’

मैं आखें फाड़ कर अधनंगी बहन की जवानी का मजा ले रहा था, मुझे लगने लगा था कि आज तो मैं जन्नत की सैर करने वाला था।

तभी वर्षा ने मेरी और देखते हुए अपनी ब्रा का हुक खोल दिया और एकदम से उसके देसी अनार बाहर को कूद पड़े।

आह.. क्या लौड़ातोड़ नजारा था।

मैं अपने छोटू को हिला रहा था और वो अपने बोबों को जोर-जोर से झटके देने लगी।
इससे उसके मस्त गोरे-गोरे बोबे ऊपर-नीचे आगे-पीछे दाएं-बाएं डिस्को डांस करने लगे।

मस्त सीन था बाबा जी.. मैं तो बस उसी को देखे जा रहा था।

तभी वर्षा ने बोला- क्यों बे.. हरामी साले.. मजे आ रहे कि नहीं।
मैंने बोला- हाँ दीदी.. बहुत मजे आ रहे हैं।
तब उसने बोला- और मजे करना चाहेगा?
तो मैं बोला- हाँआं..

उसने कहा- चल अब जल्दी-जल्दी अपना हाथ अपने लौड़े पर चला और मेरे सामने अपना पानी गिरा.. और एक हाथ से अपनी गांड भी मार.. भोसड़ी के..

अब मैंने और थूक अपने लौड़े पर लगाया और उसको एकदम चिकना बना लिया और अपनी उंगली को मुँह में डाल के गीला किया और अपनी गांड में अन्दर तक डाल दिया।

‘आअह्ह्ह.. आआह.. ह्ह्य्यय दीदी..दी..दी.. ये क्या कर दिया तुमने आह्ह्ह आआ.. अह्ह अह्ह्ह..’

मैं जोर-जोर से अपने लंड की चटनी बना रहा था और दूसरे हाथ की उंगली को अपनी गांड में ड्रिल कर रहा था।

‘आह वर्षा साली रंडी.. तेरी बुर को फाड़ दूँगा साली.. मेरे लौड़े को ले-ले एक बार आह्ह्ह.. आह्ह्ह्ह.. साली मस्त बोबे वाली मेरी रांड आज मेरे लंड पर बैठ जा.. साली कुतिया तेरी गांड भी मारूंगा.. साली कितनी मस्त है रे तू.. आज तो तूने मुझे जन्नत में पहुँचा दिया.. जब रियल में तेरी बुर चोदूँगा.. तब कितना मजा आएगा।’

ये बोल-बोल कर मैं जोर-जोर से अपना लंड हिलाने लगा और जोर-जोर से आवाजें निकालने लगा।

तभी वर्षा मेरे पास आई और अपना दांया चूचा मेरे मुँह में घुसेड़ दिया।

मैंने उसका चूचा अपने मुँह में भर लिया और उसे चूसते हुए मुँह से ‘आअह्ह्ह्ह.. गों गों.. गों.. आअह्ह्ह्ब..’ करते-करते इतने जोर से झड़ा कि मेरे वीर्य की पिचकारी उसके पेट पर जा कर पड़ी और कुछ जमीन पर गिरीं।

माल फेंकते हुए एकदम से मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं और बस वर्षा के बोबों और उसके मस्त फिगर को ही याद करता गया।
अब वर्षा भी बहुत ज्यादा गर्म हो गई थी और उसने मुझे अपने सीने से लगा लिया।

मैंने अपना मुँह उसके दोनों देसी खरबूजों के बीच में फंसा लिया।

‘आह्ह आह क्या मस्त लग रहा था दोस्तों.. उसके नरम-नरम बोबे और उनके बीच में मेरा मुँह.. मैं अपनी जुबान को निकाल कर उसके दोनों बोबों के बीच की घाटी को चाटने लगा।

अब वर्षा भी बहुत ज्यादा गर्म हो गई थी। उसकी सांसें जोर-जोर से चलने लग गई थीं, तो मैंने सोचा कि लोहा गर्म है.. जल्दी से चोट मार देनी चाहिए।

मैंने अपना सीधा हाथ मैंने उसके बोबे पर रखा और उसको बड़े प्यार से हौले-हौले दबाने में लग गया। साथ ही मैं धीरे-धीरे वर्षा की पीठ सहलाने लगा।
वर्षा कुछ नहीं बोली।

अब मैं उसकी गर्दन पर अपनी उंगलियां फेरने लगा।

वर्षा बोली- आह साले हरामी.. भोसड़ी के क्या कर रहा है तू.. हाय राम अह..हय.. गुदगुदी हो रही है साले.. मादरचोद मुझे.. पक्का भेन्चोद है रे तू तो।

मैं- वर्षा जानू.. तेरा तो पूरा बदन ही गुदगुदाने का मन करता है.. एक पप्पी दे दे यार प्लीज.. हाय तुम्हारा ये बदन संगमरमर के जैसा है. तुम इतनी सेक्सी हो कि कोई भी तुम्हें देख कर दीवाना हो जाए।

मैं उसकी पीठ सहला रहा था.. उसके रेशम जैसे बाल उसकी चेहरे और छाती को ढके हुए थे। मैंने उसकी जुल्फों को चेहरे से हटाया और उसके होंठों पर किस करने लगा।

फिर मैंने दोनों हाथ उसकी चूचियों पर रख दिए और उनको दबाने लगा। वर्षा के निप्पल तने हुए थे। मैंने एक-एक करके उसके निप्पलों को चूसना शुरू कर दिया।
मेरी बहन मस्त हो गई और मेरे लंड को पकड़ कर उसे आगे-पीछे करने लगी।

मैं बेड के किनारे पर खड़ा हो गया और अपना फनफनाता हुआ लंड उसके मुँह के पास ले जाकर मैंने उसके होंठों को छुआया।

जैसे ही मैंने ऐसा किया कि वर्षा ने जोर से मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया। वर्षा मेरे लंड के सुपाड़े को अपने नाज़ुक होंठों पर फेरने लगी।

अब वर्षा जोर-जोर से मेरे लौड़े को चूसने लगी और मैं मस्ती से ‘आह आह.. आह्ह्हह्ह..’ कामुक सिसकारियां भरने लगा। क्या लौड़ा चूस रही थी वो.. एकदम पोर्न स्टार के जैसे।

फिर वर्षा ने मेरे लंड को अपने मुँह में पूरा अन्दर तक गले तक ले लिया।
क्या बताऊँ यारों.. वो क्या अनुभव था… मैं तो जैसे जन्नत में पहुँच गया था।

फिर कुछ मिनट तक मेरा लंड चूसने के बाद वो मेरे ऊपर बैठ गई और अपनी चूत मेरे मुँह के पास लाकर रख दी और अपने हाथों से मुझे इशारे करने लगी। उसकी चूत को चाटने से पहले मैंने उनकी चूत को सूंघकर मज़े लिए.. क्या खुशबू थी यार!

फिर मैंने अपनी जीभ को धीरे से उसकी चूत पर लगाया.. मेरे जीभ लगाते ही वर्षा उछल पड़ी। मैंने भी उसके पैर पकड़ लिए और उसकी चूत चाटने लगा.. वो तो जैसे पागल ही हो गई और सीत्कार करने लगी ‘आईसस्स्… आअह्ह.. आआह्ह्.. आह आह.. ऊहह..’
वो जोर-जोर से मुझे गालियाँ देने लगी।

वर्षा- आह भोसड़ी के मेरे हरामखोर भाई.. वाह क्या चूत चूसता है रे तू.. आह मजा आ गया.. और भर.. अन्दर तक.. खा जा अपनी बहन की चूत को.. साले भड़वे.. बहनचोद.. आह्ह..

फिर कुछ मिनट अपनी चूत चटवाने के बाद वो मेरे ऊपर से उठी और सीधी लेट गई।

उसने मुझसे कहा- मेरे राजा.. तू तो पक्का खिलाड़ी निकला रे.. वाह क्या चूत चाटी है तूने.. आह मजा आ गया।

वो धीरे-धीरे मेरे गालों को सहलाने लगी, मैं चुपचाप लेटा रहा और मज़ा लेने लगा।

ये सब होने से मेरे लंड महाराज अपना प्री-कम का रस निकालने लगा।

दीदी ने धीरे से मेरे होंठों को चूमा और फिर मेरी जीभ को चूसने लगी.. तो मुझसे रहा नहीं गया।
अब मैं भी थोड़ा और खेलना चाहता था, तो मैंने अपनी तरफ से कुछ हलचल नहीं की।

फिर मैंने थोड़ी देर बाद अपनी जीभ से ठेलते हुए वर्षा के चूचों को भी दबाने लगा और धीरे-धीरे उस रंडी के मम्मे टाईट होने लगे। उसके निप्पल भी अंगूर के दाने की तरह फूलने लगे और मैं चाहता था कि उनको ज़ोर से मसलूँ.. पर दीदी के डर के कारण कुछ नहीं कर पाया।

दीदी बोली- सुन बे भेन्चोद.. आज से तू मेरा गुलाम है.. मैं जो बोलूँगी, वो तुझे करना पड़ेगा.. अब सुन भेन्चोद.. मुझे क्या-क्या पसंद है।
‘सुनाओ दीदी?’

वो बोली- मुझे चुदाई करते समय गालियां बहुत पसंद हैं तो तुम भी गाली देकर चुदाई करोगे और आज के बाद तू मेरा दूसरा सैंया बनकर रहेगा।
मैंने कहा- मुझे मंजूर है बहनचोद साली रांड साली.. दो टके की बाजारू रंडी.. तेरी मस्त चुदाई करूँगा।

वो बहुत खुश हो गई, उसने मुझे अपनी गोद में खींच लिया और बोली- हाँ साले भेन्चोद ऐसे ही बोलना।

मेरी बहन मुझसे चुदने के लिए बेताब हो चुकी थी। पूरी कहानी को पढ़ने तक मेरे साथ बने रहिये। अभी चूत रस्म का खुलासा होना बाकि है।

आपके ईमेल का बेसब्री से इन्तजार है।
[email protected]
कहानी जारी है।

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