बहन का लौड़ा -46

(Bahan Ka Lauda-46)

पिंकी सेन 2015-07-07 Comments

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अभी तक आपने पढ़ा..

दोस्तो, अब बार-बार एक ही बात को क्या बताऊँ.. इनके बीच अब क्या होगा.. ये आप अच्छी तरह जानते हो.. तो चलो आपको यहाँ से आगे फास्ट फॉरवर्ड करके बताती हूँ।
राधे और ममता जब उत्तेजना की आग में जलने लगे.. तो राधे ने ममता को लेटा कर खूब चोदा.. उसकी चूत को पानी-पानी कर दिया..
दोपहर तक राधे ने ममता की गाण्ड और चूत को मार-मार कर लाल कर दिया था। वो ठीक से चल भी नहीं पा रही थी।
चुदाई के बाद ममता ने कपड़े पहन लिए.. मगर उसमें ज़रा भी हिम्मत नहीं थी कि वो खाना बना सके.. इसलिए वो बस बिस्तर पर पड़ी रही और मजबूरन राधे को खाना लाने के लिए बाहर जाना पड़ा।

अब आगे..

मीरा जब घर आई.. तो ममता लेटी हुई थी और राधे अब तक आया नहीं था।

मीरा- ओ हैलो.. ममता.. क्या हुआ.. ऐसे औंधे मुँह क्यों लेटी हुई हो.. क्या हो गया और राधे कहाँ है?
ममता- वो.. माफी चाहती हूँ बीबी जी.. मेरी तबीयत खराब हो गई.. इसलिए मैंने खाना नहीं बनाया.. साहब बाहर से खाना लाने गए हैं।
मीरा- ओह्ह.. तो ये बात है.. आज ऐसा क्या कर दिया राधे ने.. जो तेरी ये हालत हो गई.. लगता है आज राधे ने तेरी गाण्ड फाड़ दी है… हा हा हा हा..

ममता- मजाक मत करो बीबी जी.. मेरी हालत खराब कर दी आज तो.. क्या ताक़त है उनमें.. अभी तक पीछे का पूरा हिस्सा सुन्न हुआ पड़ा है..। ऐसा लगता है.. अभी भी अन्दर कुछ घुसा हुआ है..
मीरा- अरे ममता.. सच्ची.. मेरे साथ भी यही हुआ.. आज स्कूल में पूरा दिन कैसे बैठी.. ये मैं ही जानती हूँ यार.. सच में राधे जैसा मर्द कोई दूसरा नहीं होगा।

राधे- क्या बुराई हो रही है मेरी.. हाँ.. पीछे से दोनों मिलकर क्या बात कर रही हो?
मीरा- अरे आ गए.. कुछ नहीं बस ऐसे ही बात कर रहे थे..
राधे- अच्छा अच्छा.. जाओ.. कपड़े बदल लो.. गरमा-गरम खाना तैयार है।

ममता बड़ी मुश्किल से उठी और खाने को टेबल पर लगाने लगी।

मीरा ने ममता को कहा- तू भी आज हमारे साथ ही बैठ कर खाना खा ले।
तीनों ख़ुशी-ख़ुशी वहाँ बैठ कर खाना खाने लगे।
शाम तक सब नॉर्मल रहा.. ममता अब ठीक हो गई थी.. उसने रात का खाना बनाया और घर चली गई।
इधर मीरा और राधे भी नॉर्मल ही थे.. बस इधर-उधर की बातें और टीवी में अपना समय पास किया।

दोस्तो, यहाँ सब देख लिया.. मगर वहाँ शाम को रोमा ने क्या किया.. यह आपको बता देती हूँ।
स्कूल से घर आने के बाद रोमा बेचैन सी हो गई थी। उसके दिमाग़ में बस नीरज ही घूम रहा था।

उसने जैसे-तैसे जुगाड़ लगा कर अपनी माँ से कहा- मॉम मैं वो टीना के पास जाकर आती हूँ.. मुझे उससे कुछ नोट्स लेने हैं।
तो उसकी माँ ने उसे जाने दिया और वो सीधी पहुँच गई.. अपने यार नीरज के पास.. अब कहाँ और कैसे.. यह आप जानते ही हो.. तो आगे का हाल सुनो..
नीरज- ओह्ह.. रोमा ‘आई लव यू’ मुझे पता था.. तुम जरूर आओगी..

रोमा- पूरा दिन मैंने कैसे निकाला.. ये मैं ही जानती हूँ नीरज.. आपने क्या कर दिया मुझे… मेरे जिस्म में आग लगी हुई है.. उफ़.. कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा.. अब मैं क्या करूँ?
नीरज- मेरी जान.. तुम्हें कुछ नहीं करना है.. तुम यहाँ आ गई हो ना.. अब जो करूँगा.. मैं ही करूँगा..

इतना कहकर नीरज ने रोमा को बाँहों में भर लिया और उसके होंठों को चूसने लगा। इधर रोमा जो शरमीली बन रही थी.. अबकी बार उसका हाथ सीधे लौड़े पर गया और वो उसको मस्ती से मसलने लगी।
नीरज- क्या बात है जान.. बड़ी जल्दी में हो.. सीधे लण्ड पर हाथ मार रही हो.. क्या इरादा है?

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रोमा- ज़्यादा बात मत करो.. मेरे पास समय कम है.. माँ को झूट बोलकर आई हूँ.. कि अभी वापस आती हूँ.. अब बस जल्दी से तुम अपना लौड़ा मेरी चूत में घुसा दो.. बड़ी आग लगी हुई है.. आह्ह.. उफ़फ्फ़..

दोस्तो, यह है हवस की आग.. जो आप देख रहे हो.. ‘ना.. ना..’ कहने वाली रोमा अब लौड़ा लेने के लिए तड़प रही है.. और कम उम्र में यही होता है.. एक बार चुदाई का चस्का लगा नहीं कि बस लड़की गई काम से.. और खास कर नीरज जैसे लड़कों के मज़े हो जाते हैं..

देखो अब नीरज का कमाल..

नीरज ने जल्दी से रोमा को नंगी कर दिया और खुद भी नंगा हो गया। उसको भी नई-नई कुँवारी चूत मिली थी.. तो उसका हाल भी रोमा जैसा ही था। अब दोनों नंगे बिस्तर पर लिपटे हुए थे.. जैसे चंदन के पेड़ से साँप लिपटा होता है।

रोमा एकदम पागल सी हो गई थी.. ना जाने.. उसमें इतनी उत्तेजना कैसे पैदा हो गई.. वो बस नीरज को चूमे जा रही थी और लौड़े को तो ऐसे चूस रही थी.. जैसे उसमें से अभी अमृत निकलने वाला हो और उसे पीकर वो अमर हो जाएगी।

रोमा का ये रूप देख कर तो नीरज भी हैरान हो गया था।
नीरज- उफ़.. आह्ह.. अरे मेरी जान.. आह्ह.. आज क्या हो गया है तुम्हें.. उफ़.. आह्ह.. चूसो आह्ह..

रोमा ने लौड़ा मुँह में पूरा ले रखा था और एक हाथ से वो अपनी चूत को सहलाए जा रही थी। कुछ देर बाद रोमा ने लौड़ा मुँह से निकाला और नीरज को बिस्तर पर लेटा दिया.. खुद लपक कर उसके मुँह पर बैठ गई..

दोस्तो, उम्मीद है कि आप को मेरी कहानी पसंद आ रही होगी.. मैं कहानी के अगले भाग में आपका इन्तजार करूँगी.. पढ़ना न भूलिएगा.. और हाँ आपके पत्रों का भी बेसब्री से इन्तजार है।
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