रसभरी नौकरानी की शानदार ठुकाई

प्रेषक : अजय त्रिपाठी
नमस्कार दोस्तो, आप सब को मेरा नमस्कार। आज मैं आप लोगों को एक कहानी सुनाने जा रहा हूँ जिसे सुनकर लड़कों के लण्ड से रस टपकने लगेगा और आप सब मुठ मारे बिना ना रह सकेंगे तथा लड़कियों की चूत रसीली हो जायेगी और उनका हाथ जबरदस्ती उनकी चूत में घुस जायेगा- यह मेरा दावा है।
हमारे परिवार में चार जने हैं। मैं 22 साल का, मेरी बहन 18 साल की, मेरे पिताजी और मेरी माताजी। मेरे मम्मी-पापा नौकरी करते हैं- पापा की पोस्टिंग दूसरे शहर में हैं, जो छुट्टियों में घर आते हैं, हम लोग मम्मी के साथ रहते हैं। मम्मी भी अक्सर सरकारी काम से बाहर जाती रहती हैं।
मम्मी को सरकारी नौकर श्याम मिला हुआ है जो बिहार का है, वह घर की साफ सफाई करता है, खाना बनाता है और सरवेंट क्वाटर में रहता है। उसकी इसी साल शादी हुई है। उसकी बीवी नीलम बड़ी कमाल की है, देखने में उसकी उम्र 18 साल से कम ही लगती है। उसके सारे शरीर का अंग अंग बड़े बारीकी से बने जान पड़ता है। देखने में वह किसी अप्सरा से कम नहीं लगती- उसकी टाँगें केले के तने की तरह, कटि एकदम क्षीण, कमर लहरदार, भारी नितंब, उठावदार चूचियाँ जैसे पहाड़ की चोटियाँ हों, जो हरदम उसकी ब्लाउज को फाड़ कर बाहर आने के लिए तरसती सी दिखती थी। सुराही की तरह गला, कोमल से हाथ, लाल-गुलाबी होंठ, तोते की तरह नाक, कमल की तरह आँखें, चौड़ा माथा, घने काले बाल जिसमें फंस कर कोई भी अपने होश गँवा बैठे। उसको देख कर बड़ों-बड़ों के होश गुम हो जायें।
मैं चोरी-छुपे नीलम को देखा करता था और मन ही मन उसे पेलने की योजनाएँ बनाया करता था पर कामयाबी नहीं मिल रही थी। मैंने उसे सोच कर जाने कितनी बार मुठ मारी होगी पर वो थी कि हाथ न आ रही थी।
वो घर में खाना बनाने का काम करती थी तथा अपने पति का हाथ बंटाती थी, मेरे बहन की हमउम्र होने के नाते उससे खूब बातें किया करती थी पर वह मुझसे कोई बात न करती थी।
एक बार मेरी मम्मी किसी काम से शहर से बाहर गई हुई थी तभी श्याम के घर में किसी की मृत्यु होने के कारण उसे घर जाना पड़ गया। उसने फ़ोन पर मम्मी से घर जाने के लिए पूछा तो मम्मी ने उसे जाने के लिए कह दिया पर साथ यह भी कहा- मैं घर पर नहीं हूँ इसलिए तू अपनी पत्नी को छोड़ जाना, वह घर का काम किया करेगी। वैसे भी ट्रेन रिजर्वेशन तो मिलेगा नहीं तो नीलम को कैसे ले जायेगा।
वह मान गया और चला गया।
मेरी बहन सुबह ही कालेज चली जाती थी और दोपहर को लौटती थी। घर पर मैं अकेला अपने कमरे में था। वह आई और नीचे के कमरे की सफाई करने के बाद ऊपर के कमरे की सफाई करने लगी और अंत में मेरे कमरे में आकर कमरा साफ करने लगी।
मैं उसे चोर नजरों से देख रहा था। क्या कसा बदन था ! झुकने के कारण उसके दूध से सफेद स्तन के हल्के-हल्के दर्शन हो रहे थे। मेरा मन किया कि उसे इसी समय पटक कर चोद दूँ पर डर था कि बिदक गई तो हंगामा हो जायेगा इसलिए मैंने उसे पटा कर चोदने का निर्णय लिया।
पटाने के लिए बातचीत बहुत जरूरी होती है तो मैंने उससे पूछा- तुम्हारे घर में किसकी मृत्यु हुई है?
तब उसने काम रोक कर बताया- भईया जी,वो मेरी ननद थी, जिन्हें कैंसर हो गया था और वो काफी दिनों से अस्पताल में भर्ती थी !
फिर मैने बात बढ़ाते हुए कहा- तुम्हारे घर में कौन-कौन है?
वो बताने लगी- हम चार बहनें और दो भाई हैं। मैं घर में सबसे बड़ी हूँ।
फिर मैंने उससे पूछा- तुम्हारे यहाँ शादी बड़ी जल्दी हो जाती है?
तो वह कहने लगी- गाँव में सबकी शादी इसी उम्र में हो जाती है।
“तुमने यहाँ क्या-क्या घूमा?”
तो वह कहने लगी- मैं कभी घूमने नहीं गई।
तो मैंने- पूछा क्यों?
तो वह कहने लगी- उनको फ़ुर्सत ही नहीं मिलती और फिर घर पर हजारों काम रहते हैं।
मैंने कहा- तुम्हें तो दिल्ली घूमना चाहिये, नहीं तो गाँव में जब सब पूछेंगे कि दिल्ली में क्या घूमा तो क्या कहोगी?
तो वह बोली- सो तो है पर मैं अकेली थोड़े ही घूमने जाऊँगी और मुझे तो यहाँ कुछ पता भी नहीं है कि क्या कहाँ है।
फिर मैंने उससे कहा- एक बात कहूँ, बुरा तो नहीं मानोगी?
तो वह बोली- ऐसी क्या बात है?
मैंने कहा- नहीं पहले कहो कि बुरा नहीं मानोगी।
तो उसने कहा- ठीक है कहो !
तो मैं बोला- तुम बहुत सुंदर हो और मुझे बहुत अच्छी लगती हो।
इस पर वह कुछ नहीं बोली और काम खत्म करके चली गई।
फिर थोड़ी देर में वह आई और बोली- नाश्ता कर लीजिए, मेज पर लगा दिया है।
मैंने उससे कहा- क्या तुम्हें मेरी बात अच्छी नहीं लगी?
तो वह बोली- नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है, आप नाश्ता कर लीजिए।
यह कह कर वह अपने कमरे में चली गई।
फिर मैं दिन-भर उसे चोदने की योजना बनाता रहा। तभी मेरे दिमाग में एक आइडिया आया और मैं शाम को मेडिकल स्टोर से सेक्स पिल्स और नींद की गोली ले आया।
अगले दिन सुबह बहन के कालेज जाने के बाद मैं उसका इन्तजार करने लगा। थोड़ी देर में वह आई, आज उसने मैक्सी पहनी थी। घर के काम खत्म करने के बाद मेरा नाश्ता लगाने के लिए रसोई में चली गई, उसने पोहा बनाया और चाय बनाई। चाय छान ही रही थी कि मैंने उसे आवाज- मेरी जीन्स नहीं मिल रही !
तो वह बोली- ऊपर सूखने डाली है !
तो मैं बोला- उसे प्रेस कर दो !
तो वह नाश्ता लगा कर ऊपर जीन्स लेने चली गई तो मैं किचन में गया और उसकी चाय में सेक्स पिल्स और नींद की गोली डाल दी और फिर आकर नाश्ता करने लगा। नीलम रसोई से अपनी चाय लेकर जीन्स प्रेस करने लगी। मैंने नाश्ता किया और ऊपर चला गया और एक ब्लू फिल्म लगाई और देखने लगा।
करीब डेढ़ घन्टे बाद मैं नीचे नीलम को देखने आया कि वह क्या कर रही है। नीचे आकर मैंने उसे आवाज लगायी पर उसने कोई उत्तर नहीं दिया तो मैं उसे ढूढने लगा। वह नहीं मिली तो मैं उसके रूम में गया जो पीछे के दरवाजे से सीधे उसके कमरे में जाता है।
वह वहाँ बिस्तर पर लेटी हुई थी, उसके कपड़े ऊपर को चढ़े हुए थे जिससे उसकी गोरी-गोरी टांगें साफ दिख रही थी। मैं उसके पास जाकर बैठ गया और उसे देखने लगा। उसकी कोमल सा शरीर बड़ा प्यारा लग रहा था और मुझे दावत दे रहा था। उसकी छातियाँ सांसों के साथ उठक-बैठक लगा रही थी। मेरा मन कर रहा था कि उसकी गुलाबी लाल गुलाब जैसे होठों का रस निचोड़ लूँ पर मैंने अपनी तसल्ली के लिए एक बार फिर उसे आवाज लगाई और उसे हिलाकर भी देखा। जब उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं कि तो मैं समझ गया कि दवा का असर हुआ है।
मैं उसके बगल में उससे चिपक कर लेट गया और अपना हाथ उसके मम्मे पर रख दिया और उसके मम्मों की नर्माहट को महसूस करने लगा। वो दबाने में बड़े मुलायम से लग रहे थे। फिर मैं एक हाथ से उसके दूध से खेलता रहा तथा दूसरे से उसकी मैक्सी को ऊपर सरकाने लगा और खींच कर उसके पेट तक ले आया, उसकी टांगें पूरी तरह नंगी हो चुकी थी और उसने गुलाबी पैंटी पहन रखी थी।
अब मैं बैठ गया और उसकी मैक्सी को गले तक खींच कर ले गया और उसके सर उठाकर उसे निकाल दिया अब वह सिर्फ पेंटी और ब्रेजरी में थी। क्या हसीन लग रही थी ऐसा लग रहा था जैसे भगवान ने एक एक अंग को इत्मीनान से तराशा हो।
मैं अपने हाथों को उसके पूरे शरीर पर फेरने लगा- एकदम चिकना शरीर था कहीं बालों के निशान तक नहीं था। उसके शरीर पर हाथ फेरने से उसके शरीर में एक सुरसुराहट सी होने लगी। मैं उसके शरीर के एक-एक अंग को आँखों में बसा लेना चाहता था। उसकी ऐड़ियाँ एकदम गुलाबी थी, पैर एकदम सफेद एवं चिकने, पेट समतल था जिसके ऊपर पहाड़ की चोटी थी। मैंने उसके पैर सहलाये, चूत को कपड़े के ऊपर से चहलाया, पेट सहलाया, उसके चेहरे पर हाथ फेरा।
अब मेरे से बरदाश्त नहीं हो रहा था, मेरा बुरा हाल था, मेरा लण्ड तनकर तम्बू बना रहा था। मैंने अपने कपड़े उतार दिए और एकदम नंगा हो गया, नंगा होने के बाद मैंने उसकी ब्रा भी खोल दी। ब्रा खोलते ही उसके सफेद कबूतर फड़फड़ाने लगे जिसे देख कर मैंने अपना काबू खो दिया और उसके ऊपर लेट कर उसके दूध को बारी-बारी चुभला-चुभलाकर पीने लगा। अब वो पहले की तरह नर्म नहीं थे, वे पत्थर की तरह कठोर हो गये थे और आकार में भी पहले से बड़े हो गये थे।
मैं दोनों हाथों से दबा-दबा कर मुँह से उन्हें पी रहा था जैसे पके आम को खाते हैं। अब उसके शरीर में कंपन और तेज हो गया था और वह नींद में ही बार-बार कुछ बोल रही थी।
मैंने उसके गुलाबी होठों का रस पीने के लिए उसके लबों से अपने लब सटा कर उन्हें पीने लगा ! क्या स्वाद था, मुझे लगा कि अगर कोई अमृतरस है तो वह यही है। मैं उसके होठों को बड़ा स्वाद ले-ले कर चूस रहा था। अब वह भी नींद में ही मेरे होठों से खेलने लगी थी।
वह भले नींद में रही हो पर एक तो मैं इतनी अच्छी तरह उसके एक-एक अंग को बारी-बारी चूस रहा था। तो ऊपर से उसे सेक्स की गोली भी दी हुई थी तो सेक्स के खुमार में वह ऐसा कर रही थी।
एक बार फिर मैं उसके उरोज चूसने लगा और अपना एक हाथ उसकी पैंटी में डालकर उसकी चूत का मुआयना करने लगा, उसे सहलाने लगा। चूत सहलाने और बूब्स को दबा-दबा कर पीने से मेरा लण्ड तनाव के मारे फटा जा रहा था। मेरी सांसें तेजी से चल रही थी। अब नीलम की सांसें भी तेजी से चलने लगी थी जिसके उसकी छातियाँ तेजी से उठ-बैठ रही थी और उसके मुंह से सिसकारियाँ भी निकल रही थी और वह शाम का नाम भी ले रही थी। मेरे द्वारा उसके एक-एक अंग को रगड़ने से उसके शरीर में आग सी लग रही थी। उसका चेहरा एकदम लाल हो गया था, सांसें बहुत ही तेजी से चल रही थी।
मेरे से भी बरदाश्त नहीं हो रहा था, मेरे लंड से लार आने लगी थी तो फिर मैं एक बार उसके होठों को और बूब्स को चूस कर उठा और फिर से उसके एक-एक अंग को सहलाया और फिर मैंने खींचकर उसकी पैंटी भी उतार दी। जिससे उसकी गुलाबी सी चूत रानी एकदम नंगी हो गई।
उसकी चूत एकदम साफ थी, उस पर एक भी बाल नहीं था, लगता है उसने जल्दी ही उसे साफ किया था। मैं चूत सूंघने लगा। क्या गजब की खुशबू आ रही थी उसमें से। चूत एकदम पनिया गई थी, उसमें से पानी निकल कर बाहर तक आ गया था। मैं चूत की खुशबू पाकर अपने आप को रोक नहीं पाया और चूत के मुँह पर अपने होंठ लगाकर उसकी चुम्मी लेने लगा, चुम्मी लेने के बाद मैंने अपना मुँह चूत के मूहाने पर लगाकर चूत कर रस पीने लगा !
क्या पानी था, मन प्रसन्न हो गया। चूत चाटते हुए मैं उसके लहसुन की कलि जैसी भग्न को भी सहला रहा था। भग्नासा सहलाने और चूत में जीभ डालकर पानी पीने से उसका हाल बुरा हो गया और वह सिसकारियाँ लेने लगी और अपने पति का नाम लेकर कहने लगी- शाम अब डाल भी दो, क्यों इतना तरसा रहे हो, तुम्हारी रानी मरी जा रही है तुम्हारे लण्ड राजा को अपने चूत में लेने के लिए, देर न करो जल्दी डाल दो और पम्प चलाकर चूत रानी की प्यास बुझा दो, देखो कितनी बेचैन है।अब जब मैं उसकी चूत में जब भी अपनी जीभ डालता तो वह अपनी चूत को उचका देती थी। मैं समझ गया कि चूत लण्ड खाने को एकदम तैयार है। मैं एक बार फिर उसके ऊपर लेटकर उसके होठों से अपने होंठ सटाकर उसका रस पीने लगा। मैं बेतहाशा उसे गले, गालों, होठों, आँखों, माथे पर चूमता जा रहा था और दोनों हाथों से उसके दूध को दबाये जा रहा था। वो भी लगातार सिसकारियाँ ले रही थी।
उसने अब अपनी आँखें खोल दी थी और मुझे अपने ऊपर पाकर चौंक गई, कहने लगी- तुम यह क्या कर रहे हो?
तो मैं बोला- तुम्हें प्यार कर रहा हूँ।
तो वह मेरे से छूटने की कोशिश करने लगी लेकिन मैं उसके ऊपर था तो वह उठने में कामयाब न हो सकी।  मैं अब खूब तेजी से उसके दूध को दबाते हुए चूसने लगा जिससे उसके मुँह से कराह निकल पड़ी तो मैं बोला- मैं तुम्हें कितने दिनों से चोदने के लिए सोच रहा था, जब आज तुम्हें पाया हैं तो बिना चोदे नहीं छोड़ूँगा !
मैंने जीभ से उसके सारे बदन को चाटा, क्या मादक नशा था उसमें कि मेरा मन शान्त ही नहीं हो रहा था। जब वह शान्त हो गई तो मैं उठा और उसकी चूत पर एक बार फिर से अपना मुँह लगा दिया तो वह चिहुंक सी गई। मैं उसके लहसुन को खूब तेजी से रगड़ने लगा जिसे वह बरदाश्त न कर सकी और चूत उठाकर सिसकारियाँ लेने लगी तो मैं बोला- प्यार से चुदवाओगी तो ऐसे ही मजा आयेगा ! तो वह बोली- तो अब डाल भी दो, ऐसे ही तड़पा कर मारोगे क्या मुझे?
मैंने भी अब देर करना उचित न समझा और उसकी दोनों टाँगों को अपने कंधे पर रखकर अपने लण्ड को उसके मुहाने पर भिड़ा कर उसकी चूत की फाँकों में रगड़ने लगा। वह मुंह से आहआउ… की आवाजें निकालने लगी।
तब मैंने लण्ड को चूत के मुंह पर रखा और जैसे ही चूत ने सांस ली, मैंने पूरा का पूरा लण्ड एक ही बार में उसकी चूत में उतार दिया जिससे वह दर्द के मारे बिलबिला उठी। मुझे ऐसा लगा जैसे मेरा लण्ड चूत में न हो बल्कि किसी जलती हुई भट्टी में चला गया हो।
चूत ने मेरे लण्ड को कस कर दबोच लिया था, इतना कस कर दबोचा था कि हवा भी बाहर न निकल सके।
तभी वह बोली- तुम मेरी जान लेकर ही रहोगे, आराम से नहीं डाल सकते थे क्या?
तो मैं बोला- जब तुम्हें दर्द होता है तो मुझे बड़ा आनन्द आता है और मेरे लण्ड में और तनाव आता है।
तो वह बोली- इससे पहले भी किसी को चोदे हो?
तो मैं बोला- नहीं, तुम पहली हो !
तो वह बोली- तभी तो ऐसा कर रहे हो, नहीं तो प्यार से चोदते।
फिर वह बोली- थोड़ी देर रूक कर तब धक्के लगाना !
पर मैं कहाँ मानने वाला था, जब चूत में लण्ड पड़ा हो और चूत से भीनी-भीनी खुशबू उठ रही हो तो कोई कैसे अपने आप को रोक सकता है। मैंने भी लण्ड को बाहर खींचा और फिर तेजी से अन्दर पेल दिया और इसी तरह दो-तीन बार अन्दर-बाहर करने से उसकी चूत कुछ ढीली हुई तो तेजी से अपने लण्ड को अन्दर बाहर करने लगा। लण्ड जब चूत से निकलता तो चूत के पानी से नहाया होता।
अब चूत भी बड़े प्यार से लण्ड को अपने अन्दर गपागप्प ले रही थी और नीलम चतड़ उचका-उचका कर ‘और तेज राजा… और तेज राजा’ कह कर अपने चूत को फड़वा रही थी, पूरे कमरे में फच्च-फच्च की आवाज गूंज रही थी।
वह पूरे जोश में थी !
तभी मैंने उसके चूत से अपने लण्ड को निकाल लिया तो वह लण्ड को चूत में डालने के लिए चिल्लाने लगी। तब मैंने कहा- अभी नखरे कर रही थी और अब चूत में ही मेरा लण्ड डाले रहना चाहती है?
तब वह बोली- राजा, अब डाल भी दो, नखरे न करो !
तब मैं बोला- चल घोड़ी बन जा !
तो वह तुरंत घोड़ी बन गई और मैंने फिर से उसकी चूत में अपना लौड़ा पेल दिया और उसकी चूचियों को दबा-दबाकर उसे पेलने लगा। पिलाई में खूब मजा आ रहा था और मैं और नीलम जन्नत की सैर कर रहे थे।
तभी नीलम का शरीर में कंपकंपी सी आने लगी और वह झड़ गई पर मैं अभी अपने चरम-सीमा से काफी दूर था और उसे तेजी से पेले जा रहा था। हर धक्के से उसकी सांची के स्तूप सी उठी हुई चूचियाँ मस्ती से झूम जाती थी।
फिर मैंने उसे अपने गोद में उठा लिया और मेज पर ले जाकर बैठा दिया और उसकी टाँगों को उसके पेट तक मोड़ कर उसकी चूत का रस पीने लगा जिससे वह छटपटा उठी और दोबारा झड़ गई और मैंने उसका सारा रस चाट लिया और फिर उसकी चूत में अपना लण्ड डालकर पेलने लगा।
अब वह चूदने से मना करने लगी और बोली- मेरी चूत छिल रही है, मुझे दर्द हो रहा है।
तब मैं बोला- तुमने तो मजा ले लिया, पर मेरा क्या? मैं अपने लण्ड के पानी निकले बिना तुम्हें न छोड़ूँगा !
और तेजी से उसे पेलने लगा। अब वह हर धक्के पर चिल्लाती ‘मुझे छोड़ दो’ पर मैं कहाँ छोड़ने वाला था और गचागच उसके बूब्स पकड़ कर उसे चूमते हुए पेले जा रहा था।
इसी तरह धकापेल पिलाई के बाद मैं भी खलास होने की कगार पर आ गया और कुछ धक्कों के बाद उसकी चूत में ही खलास हो गया। उसने तब चैन की सांस ली।
मैं उसे उठाकर फिर से बैड पर लाया और उससे लिपट कर उसे चूमते हुए पूछा- मजा आया?
तो उसने भी हाँ में सर हिला दिया।
‘अगर तुम कहो तो तुम्हें रोज इसी तरह मजा दे सकता हूँ और जब तक शाम नहीं आता, मैं ही तुम्हारा पति बन कर तुम्हारे बदन को रात में निचोड़ कर इसका सारा दर्द भगा दिया करूँ?”
इस बात पर वह हंसने लगी। तब मैं बोला- देखो, चूत रानी लण्ड से चुदवाकर कैसे सो रही है।
थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहने के बाद जब मैं उसे फिर से चूमने लगा, तभी घण्टी बजी तो वह बोली- तुम्हारी बहन होगी !
तो मैं उससे बोला- ठीक है, अभी तो जा रहा हूँ पर रात को तैयार रहना, मेरा पेट अभी नहीं भरा है।
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