प्यारी पड़ोसन

kamdev 2008-10-25 Comments

प्रेषक : प्रशांत पाण्डे

मेरा नाम प्रशांत है, उम्र 25 साल और मैं दिल्ली के करोल बाग में किराये के मकान में नया नया आया हूँ। मेरे बगल वाले घर में एक मिस्टर शर्मा का परिवार रहता है। परिवार में कुल पांच सदस्य हैं, शर्मा जी(50 साल) और उनकी बीवी(45 साल), शर्मा जी का बेटा सुमित(30 साल), बहू रीना(22 साल) और शर्मा जी की बेटी दिव्या(18 साल)।

वैसे तो शर्मा जी का परिवार मुझसे कोई मतलब नहीं रखता था, लेकिन एक दिन शर्मा जी के बाथरूम में कुछ काम होना था तो शर्मा जी रात दस बजे मेरे पास आये और बोले- बेटा, कल से दो दिन के लिए हमें अपना बाथरूम प्रयोग करने दो, हमारे बाथरूम में प्लंबर का कुछ काम होना है।

मैंने हाँ कर दी क्योंकि मेरे दिमाग में शर्मा जी की सेक्सी बेटी और बहू का बदन आने लगा जिन्हें सोच सोच कर मैं रोज रात को मुठ मारा करता था। दोनों एक से बढ़कर एक क़यामत की हद तक खूबसूरत थी, शर्मा जी की बेटी बारहवीं में पढ़ती थी और वो चोदने के लिए पूरी तरह से तैयार माल थी। उसकी चूचियाँ इतनी गोल थी जैसे कि टेनिस की बाल, और उसकी गांड भी इतनी सुडौल थी कि लगता है जैसे अजंता एलोरा की मूर्तियों की गांड और होंठ इतने रसभरे कि जो देख ले, जरूर चूसना चाहेगा।

और बहू शिल्पा शेट्टी की डुप्लीकेट लगती थी, उसके लम्बे बाल उसकी गांड तक आते थे और चूची दिव्या से बड़ी थी।

मैने कंप्यूटर पर ब्लू फिल्म देख कर किसी तरह से रात बिताई, अगली सुबह सेक्स की दो तितलियों को इतने पास से देखने का इंतजार जो था।

सुबह चार बजे ही मेरी नींद खुल गई और मेरे दिमाग में एक विचार आया कि क्यों न अपना वेब कैम बाथरूम में सेट कर दूँ !

और मैंने जल्दी से यह नेक काम कर भी लिया और कंप्यूटर पर सेट्टिंग कर दी कि अपने आप रिकॉर्ड होता रहे। फिर मैं सो गया।

सुबह करीब साढ़े छः बजे दरवाज़े की घण्टी की आवाज सुन कर नींद खुली तो देखा कि शर्मा जी और उनकी बीवी थी।

मैंने गुड मोर्निंग बोला और उन्हें बैठने का इशारा किया तो शर्मा जी बैठ गए और मिसेस शर्मा बाथरूम में चली गई।

फिर शर्मा जी ने कहा- बेटा पढ़ाई में क्या किया है?

तो मैंने बोला- अंकल, मैं मैथ से ऍम एस सी कर रहा हूँ ! और साथ में एक कंप्यूटर सेण्टर में पढ़ाता भी हूँ !

उनकी तो ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा कि मैं मैथ और कंप्यूटर दोनों जानता हूँ, बोले- बेटा, मेरी बेटी दिव्या अभी बारहवीं में है, उसे पढ़ा दिया करो।

मैंने बोला- ठीक है !

और दोनों फ्रेश होकर चले गए।

करीब आधे घंटे बाद रीना भाभी आई और गुड मोर्निग बोल कर बाथरूम में चली गई।

मैं अब अपने कंप्यूटर पर देखने लगा। सबसे पहले रीना भाभी ने अपनी मेक्सी उठाई और फिर अपनी अंडरवियर उतार के संडास करने लगी। मेरी नजर उसके प्यारी, कसी, बिना झांटों वाली चूत से निकल रहे कल कल करते पेशाब पर थी और हाथ अपने साढ़े नौ इंच लम्बे और मोटे लौड़े पर था।

दोस्तो, मैंने अपने लौड़े पर शुरू से ही ध्यान दिया है, रोज दो बार इसकी तेल मालिश करता हूँ।

जी तो कर रहा था कि जाकर अभी चोद दूँ, पर हिम्मत नहीं हो रही थी।

फिर रीना भाभी अपनी ब्रा खोल के शॉवर के नीचे खड़ी हो गई। क्या प्यारी चूचियाँ थी, लगता था कि अभी तक किसी ने हाथ नहीं लगाया है। कभी वो अपनी चूचियाँ मसल रही थी, कभी अपनी चूत में साबुन लगा कर रगड़ रही थी।

मुझसे रहा नहीं गया, मैं दरवाजे पर जाकर बोला- भाभी, जल्दी खोलो ! बहुत जोरो से पेशाब लगा है !

उन्होंने कहा- मैंने अभी कपड़े नहीं पहने हैं, रुक जाओ !

मैंने बोला- एक मिनट में कर लूँगा, फिर आप आराम से नहाना !

फ़िर क्या था, भाभी ने तौलिया लपेट कर दरवाजा खोल दिया और मैं पेशाब करने लगा। लेकिन भाभी जोकि दूसरी ओर मुँह करके खड़ी थी, शीशे में उन्हें मेरा लौड़ा दिख गया और वो सबकुछ भूल कर मेरे लौड़े को देखने लगी। इतना मोटा और लम्बा लौड़ा शायद ही उन्होंने कभी देखा हो और मैंने भी देख लिया कि वो मुझे देख रही हैं।

फिर क्या था, मेरा पेशाब तो जैसे रुक ही गई और लौड़ा और कड़क होने लगा जैसे अभी फट ही जायेगा। मैं हल्के हाथ से उसे सहलाने लगा कि पेशाब हो जाये पर एक बूँद भी निकल नहीं रही थी।

पाँच मिनट बीत गए लेकिन मैं बेबस क्या करूँ !

फिर रीना भाभी मुस्कुराते हुए मेरे पास आई तो मैं शर्माने लगा, पर वो बोली- मैंने सब देख लिया है और मेरे पास एक तरीका है कि तुम्हारा पेशाब उतर जाये !

और मेरे लौड़े को अपने हाथों में लेकर सहलाने लगी और बोली- यार, इतना बड़ा लौड़ा तो मैंने अपनी पूरी जिंदगी में नहीं देखा !

और मुझे शॉवर के पास ले जाकर मेरे लौड़े को पानी से धोने लगी- अब कैसा लग रहा है?

मैंने बोला- अच्छा !

वो बोली- अभी और अच्छा लगेगा !

और मेरे सुपारे को अपनी जीभ से चाटने लगी।

फिर क्या था, मैंने भी उनका तौलिया सरका दिया, वो पूरी नंगी हो गई। मैं अपना लौड़ा उसके मुँह में ठेलने लगा तो वो बोली- मेरे राजा, क्या जान लोगे ?

मैंने कहा- मेरी रानी, बस अपनी चूत दे दे !

तो वो बोली- वैसे मैंने कभी अपने पति के साथ गलत न करने की सोच रखा था पर तुम्हारा लौड़ा देख कर लग रहा है कि अगर मैं तुमसे नहीं चुदुंगी तो यह मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल होगी….

मैं भी रीना भाभी को दीवाल के सहारे खड़ा करके एक हाथ उनकी चूची और एक हाथ से उनकी गांड पूरी ताकत से दबाने लगा और मेरा लौड़ा उनकी चूत और पेट पर टक्कर मारने लगा तो उनके मुँह से आह.. आह….मेरे जानू ….मुझे चोद दो… निकलने लगा।

मैं अब अपने एक हाथ को रीना भाभी की चूत पर फेरने लगा और उनकी सफाचट चूत में मैंने जैसे ही अपनी दो उंगलियाँ थूक लगा कर डाली तो वो कसमसाने लगी।

फिर मैंने रीना को वहीं बाथरूम में ही नीचे लिटा दिया और उसके दोनों पैरो के बीच में बैठ कर उनके दोनों पैरो को खोल कर हल्का हल्का पानी छोड़ रही चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा। कसैला सा स्वाद था पर मजा आ गया।

वो मेरे राजा…… अब मत तडपाओ चोद दो !!! नहीं तो कोई आ जायेगा !

मैंने भी पास में रखी सरसों के तेल की बोतल से तेल लेकर उसकी चूत पर डाल दिया, अपने लौड़े को भी तेल से तर कर लिया और अपने लौड़े को चूत पर रगड़ते हुए उसके दोनों पैरों को उठा कर अपने कंधे पर रख लिया और झुक कर उसके होटों को चूसते हुए उसके कंधे के नीचे से हाथ ले जाकर उसे कस कर पकड़ लिया ताकि वो मेरे लौड़े को झेल ले।

लौड़ा सेट था ही ! मैंने जैसे उसकी जीभ को चूसा, वैसे ही मैंने अपने लौड़े को 2-3 इंच अन्दर घुसा दिया। रीना ने चीखना तो चाहा लेकिन उसकी चीख निकल नहीं पाई, मैं उसके होठों को काटने लगा और अपना लौड़ा 2-3 इंच और घुसा दिया।

वो बोली- अब और मत घुसाना, नहीं तो मर जाऊँगी !

मैं अब प्यार से उसके होठों को और कान के पास चूसने लगा और इतने में उसकी चूत पानी छोड़ने लगी। फिर क्या था मैंने बाकी का भी लौड़ा घुसा दिया। और जैसे ही एक दो धक्के लगाये, वो बोली- बस करो… बस करो… अब और नहीं…

मैंने कहा- भाभी, अभी मेरा पानी नहीं निकला, मैं क्या करूँ? मैं पागल हो जाऊंगा !

वो बोली- मैं अभी लौड़े को चूस कर तुम्हारा पानी निकाल दूँगी। मेरे शेर .. आज सन्डे है, सब लोग पिकनिक जा रहे हैं, आज मेरे पास टाइम नहीं है, कल दिन में जी भर के चोदना !

उसने मेरे लौड़े को मुँह में जैसे ही लिया, दरवाज़े पर घण्टी बजने लगी ….

मैंने जल्दी से बाहर की अलमारी से एक लोअर और एक टी-शर्ट पहन कर दरवाजा खोला, सामने दिव्या खड़ी थी।

आगे क्या हुआ….. फ़िर कभी…..

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