रेलगाड़ी में मिली एक यौवना

आशीष 2014-03-23 Comments

प्रिय दोस्तो, जैसा मैंने पिछली कहानी ‘दिल्ली की साक्षी’ में अपनी आपबीती सुनाई। आप सब लोग इतना पसंद करेंगे, मैंने कभी सोचा नहीं था ! आज मैं आपको अभी हाल में ही घटी एक घटना के बारे में बताता हूँ।

आप सब जानते हैं कि मैं एक सॉफ्टवेयर इंजिनियर हूँ और ऑफिस के काम के सिलसिले में अक्सर बाहर जाना पड़ता है। अगस्त में जन्माष्टमी के दो दिन पहले मुझे ऑफिस के काम से मथुरा जाना पड़ा ! मैं मथुरा ट्रेन से जा रहा था, मैं सुबह की ट्रेन से जा रहा था, जिस कोच में मेरा सीट थी, उसके बगल में ही एक औरत कह लो या 24-25 साल की लड़की, मुझे नहीं पता वो शादीशुदा थी या कुंवारी पर जो भी खुदा की कसम लाजवाब थी।

वो अकेली नहीं थी, उसके साथ उसकी माँ और छोटी बहन भी थी। खैर मैं जाकर अपनी सीट पर बैठ गया। थोड़ी देर तक मैं फ़ोन पर अपनी गर्ल फ्रेंड से बात करता रहा, उसके बाद मैंने अपना लैपटॉप निकाल लिया और चैट करने लगा। उसके पास भी लैपटॉप था, वो भी किसी से चैट कर रही थी।

करीब एक घंटे के बाद मैंने उससे पूछा- आप कहाँ जा रही हो?

वो बोली हम सब वृन्दावन जा रहे हैं श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाने।

मैंने पूछा- आपके साथ कौन है?

वो बोली- मेरी मम्मी और मेरी छोटी बहन।

हम दोनों की बात चल रही थी कि उसकी माँ भी शामिल हो गई, अब हम तीन लोग बातें कर रहे थे।

उसकी मम्मी ने पूछा- बेटा, आप क्या करते हो?

तो मैंने बताया- मैं जॉब करता हूँ एक सॉफ्टवेयर कंपनी में !

और न जाने क्या क्या पूछा ! मेरे दिमाग में तो अब एक बात घूमने लगी थी वो यह कि माँ-बेटी सब के सब सेक्सी हैं, किसी का भी बदन मिल जाये भोगने को तो मैं धन्य हो जाता पर उम्मीद कम लग रही थी, ऐसा कुछ होने वाला नहीं था।लेकिन किस्मत को कौन बदल सकता है। अब मैं मथुरा पहुँच चुका था और मुझे अपने काम के लिए शहर में ही एक ऑफिस में जाना था। मैं वहाँ गया और शाम तक मैं फ्री हो गया, सारा काम ख़त्म हो चुका था, बस वापस जाने की सोच रहा था। फिर मुझे याद आया कि कल तो श्री कृष्ण की जन्माष्टमी है, ऑफिस भी बंद रहेगा तो क्यों न मथुरा और वृन्दावन घूम कर वापस जाऊँ।

मैं वृन्दावन के लिए निकल पड़ा, शाम हो चुकी थी तो मुझे रुकने के लिए एक होटल की तलाश थी। वृन्दावन में एक होटल में मैंने एक कमरा बुक कर लिया और बैग रख कर घूमने के लिए निकल गया।

रात हो गई थी घूमते घूमते, सारे मंदिर देख आया था, अब थक चुका था। रात के करीब साढ़े ग्यारह हो रहे थे, मैं सोने के लिए होटल में चला गया !

सुबह को मैं सोकर उठा ही था कि मैंने देखा कि मेरे सामने वाले कमरे से वहीं लड़की दिखी जो मुझे ट्रेन में मिली थी।मैं उन्हें देख कर मन ही मन बहुत खुश हो रहा था। मैंने तुरंत अपना लोअर पहना और कमरे से बाहर निकला। उसने मुझे देखा, देखते ही वो मुस्कुराई और बोली- तुम यहाँ?

मैं बोला- हाँ, कल शाम मैंने सोचा कि इतनी दूर आया हूँ तो क्यों न वृन्दावन घूम लूँ, इसीलिए मैंने यहाँ कमरा बुक कर लिया !

सुबह का समय था, मैंने उसको बोला- मैं मोर्निंग वाक के लिये जा रहा हूँ, फिर मिलते हैं।

वो बोली- रुको, मैं भी चलती हूँ !

मैंने कहा- चलो !

फिर वो बोली- रुको, माँ सो रही हैं, उनको बोल के आती हूँ !

मैंने कहा- जल्दी आओ !

फिर हम दोनों घूमने चले गये। पास में ही एक पार्क था, उसमें ही हम दोनों दौड़ लगा रहे थे और एक दूसरे से बात भी कर रहे थे।

मैंने उससे पूछा- तुम कहाँ से हो?

वो बोली- हम दिल्ली करोल बाग़ से हैं !

उसने पूछा- तुम?

मैंने कहा- मैं भी दिल्ली से हूँ !

वो बोली- फिर तो पास के ही हो !

मैंने कहा- आपके पापा क्या करते हैं?

वो बोली- बैंक मैनेजर हैं, एक सरकारी बैंक में !

उसने एक ढीली सी टी शर्ट पहनी हुए थी। जब हम दोनों दौड़ रहे थे तो उसकी चूचियाँ भी उतनी ही तेजी से उछाल ले रही थी। चूचियों का आकार लगभग 34″ इंच था, बिल्कुल मस्त वाली चूची ! कमर 30 इंच पतली वाली ! अब आप खुद ही आईडिया लगा सकते हैं कैसी दिखती होगी !

मैं और बहुत कुछ उसके बारे में बताना चाहता हूँ आप सबको, पर मैं नहीं चाहता कि उसकी कोई बदनामी में हो। इसलिए मैं उसका नाम तक आप सभी को नहीं बता रहा हूँ !

अब बात कुछ और आगे बढ़ी, मैंने पूछा- जॉब करती हो या पढ़ाई?

बोली- एक कॉल सेंटर में जॉब करती हूँ !

मैंने पूछा- फिर तो काफी मज़ा आता होगा?

बोली- कैसा मज़ा?

मैंने कहा- यार, आपकी जॉब ऐसी है मजे वाली ! मेरा मतलब कैब से आना-जाना, सबके साथ खुल कर मस्ती करना और ना जाने क्या क्या !

बोली- मैं आपकी बात समझ गई, आप क्या कह रहे हो !

मैंने कहा- हाँ, मैं जो कह रहा हूँ, तुम ठीक समझ रही हो !

अब हम दोनों खुल गये थे और काफी ज्यादा खुली बातें होने लगी थी, मैंने पूछा- आपका कोई बॉयफ्रेंड है?

बोली- नहीं।

मैंने कहा- कॉल सेण्टर में जॉब करती हो और बॉयफ्रेंड नहीं? मुझे भरोसा नहीं हो रहा !

वो बोली- सच में कोई नहीं है !

मैंने कहा- तुम कह रही हो तो मान लेता हूँ !

मैंने फिर कहा- एक बात पूछुँ, बुरा तो नहीं मानोगी?

बोली नहीं- पूछो !

मैंने कहा- कभी सेक्स किया है?

वह मुझे घूर कर देख कर बोली- तुम लड़के इसके अलावा और कुछ नहीं सोच सकते ! चलो होटल वापस चलते हैं, हो गई सैर !

मुझे लगा वो गुस्सा हो गई..

फिर मैंने कहा- यार, तुम तो गुस्सा हो गई… ऐसा क्या पूछ लिया मैंने, अगर तुमको बुरा लगा तो सॉरी !

उसने कोई उत्तर नहीं दिया और हम दोनों होटल वापस आ गये।

मैं फ्रेश होने चला गया, वो भी अपने कमरे में फ्रेश होने चली गई। मुझे लगा, बेटा अब तेरा पत्ता साफ़ हो गया है, दिल्ली निकलने की तैयारी कर !

मैं नहाते हुए सोच रहा था कि लड़की तो पट सकती है पर क्या करूँ ! मैं सोच ही रहा था कि मेरा दिमाग में एक आइडिया आया कि आज शाम की ट्रेन का मेरा रिजर्वेशन होना है क्यों न उससे भी पूछ लूँ कि कब निकलोगी और किस ट्रेन से ! अगर बात बन गई तो इन्हीं लोगों के साथ निकल जाऊँगा !

मैं अब फटाफट नहाकर फिट हो गया और रूम के बाहर रेसप्शन के पास बैठ कर पेपर पढ़ने लगा और इंतज़ार कर रहा था कि कोई उसके रूम से बाहर निकले !

आधे घंटे से ज्यादा हो गया, कोई नहीं निकला, मैं टूट रहा था कि इतने में उसकी मम्मी बाहर निकली।

जैसे मैंने उनको देखा, बोला- आंटी नमस्ते !

आंटी बोली- बेटा, नमस्ते, और तुम भी इसी होटल में रुके हो?मैंने कहा- हाँ आंटी !

मैंने पूछा- आंटी वृन्दावन घूम लिया या अभी घूमना बाकी है?

आंटी बोली- बेटा घूम लिए, अब तो आज शाम की ट्रेन से दिल्ली जाना है, टिकेट एजेंट से टिकट लेने जा रही हूँ !

मेरे को भी जाना है पर यह बात मैं आंटी से बोल नहीं पा रहा था !

फिर आंटी ने ही मेरे से पूछ लिया- बेटा, तुम कब तक रुक रहे हो यहाँ?

मैंने कहा- आंटी जी, बस आज शाम की ट्रेन से मैं भी दिल्ली निकल रहा हूँ !

आंटी बोली- बेटा आपका तो टिकट कौन सी ट्रेन में है?

मैंने बोला- आंटी जी मेरे अभी किसी ट्रेन में टिकट नहीं हो पाया है, सोच रहा हूँ तत्काल का एसी का करा लूँ।

आंटी- बेटा अगर तुम जा रहे हो टिकट कराने तो मेरे भी पैसे लेते जाओ, मेरा भी करा देना !

मैंने कहा- जी आंटी, बिल्कुल !

मैंने आंटी से पैसे लिया और फॉर्म भरा और चला गया टिकट लेने ! मैं भगवान जी का शुक्रिया अदा कर रहा था ! हम सबका टिकट हो चुका था ताज एक्सप्रेस से, ट्रेन रात को ग्यारह बजे की थी !

मैंने होटल आकर आंटी को टिकट दे दिए और बोला- आंटी जी, हम सबका कोच एक ही है और सीट भी दो ऊपर की और दो नीचे की मिली हैं !

आंटी बोली- बेटा, तुम न होते तो मुझे परेशान होना पड़ता !

मैंने कहा- आंटी जी, कोई बात नहीं, अब आपको कोई परेशानी नहीं होगी।

आंटी बोली- बेटा नाश्ता कर लो !

मैंने कहा- नहीं आंटी जी, आप करो, मैं बाहर से कुछ खा लूँगा।

बोली- बेटा, आपने इतना सब किया और अब मेरी एक छोटी सी बात नहीं मान रहे हो?

मैंने कहा- आंटी जी, ऐसी कोई बात नहीं है!

फिर हम सब आंटी जी, उनकी बेटियाँ और मैं नाश्ता करने लगे, उनकी बेटी मेरी तरफ देख भी नहीं रही थी ! मुझे अजीब सा लग रहा था, मन कर रहा था कि कमरे से बाहर चला जाऊँ ! फिर मैंने सोचा कि अच्छा नहीं लगता ये सब करना ! मैं उससे बात करने की कोशिश करने की सोच रहा था कि इतने में पता नहीं क्यों और कैसे वो बोली- तुमने इतनी रात की ट्रेन का टिकट क्यों लिया !

वो तेरी मैं समझ गया कि इसके दिमाग में क्या चल रहा है, मैं मुस्कुराया और बोला- सिर्फ इसी में सीट मिल रही थी इसी लिए !

मैंने कहा- तुम ऐसे क्यों पूछ रही हो?

बोली- बस मेरी मर्जी !

“ठीक है जी आपकी मर्जी !”

आंटी अपने कमरे में सोने चली गई मैं और वो ही बैठे थे हॉल में ! फिर हम दोनों की एक बार बात शुरू हुई पर जैसे कोई दोस्त गुस्सा हो और बात भी हो इसी तरह कुछ !

मैंने उससे बोला- यार, मैंने जो कुछ भी सुबह पूछा था, उसमें उतना गुस्सा होनी वाली कोई बात नहीं थी।

वह बोली- पर तुम्हें यह नहीं पूछा चाहिए था !

मैंने कहा- ओके जी !

अब भी गुस्सा हो कर वो बोली थी पर थोड़ा थोड़ा !! मैंने सोचा कि बेटा तेरा काम तो बनता दिख रहा है !

फिर मैंने उससे पूछा- अच्छा कुछ तो बताओ जो मर्जी हो वो !

वो बोली- मैंने कभी भी कोई गन्दा काम भी किया है !

बोली- तुम तो सब कुछ कर चुके हो न?

मैंने पूछा- तुम ऐसे क्यों पूछ रही हो?

वो बोली- मुझे लग रहा है !

फिर मैंने कहा- नहीं, इतना भी कुछ नहीं किया है पर जब कॉलेज में था तब मैंने किया था !

मैंने सोचा, यार अगर इससे अभी दो तीन घंटे में थोड़ी दोस्ती और गहरी हो जाये तो रात में कुछ काम बन सकता है, उसकी चूचियाँ इतनी गजब दिख रही थी कि बस एक ही ख्वाब आ रहा था कि आज रात किसी तरह कुछ हो जाये !

खैर हम दोनों की बातें जारी रही और ढेर सारी बातें हो गई… अब करीब चार घंटे बचे थे, हमने सोचा नौ बजे निकलेंगे स्टेशन के लिए ! मैं अपने कमरे में चला गया और सो गया। रात को आठ बजे उठा और सामान पैक किया, 9 बजने का इंतज़ार था और वो घड़ी आ गई जब हम सब स्टेशन पर पहुँच गये !

मैंने देखा कि स्टेशन पर काफी ज्यादा भीड़ है, लोग चढ़ने के लिए धक्का मुक्की कर रहे हैं। मैंने उनकी बेटी से कहा- तुम मेरे से आगे चलो, मैं आपकी मदद करता हूँ !

ट्रेन के गेट पर वो चढ़ी, मैं उसको कवर दे रहा था पर भीड़ की वजह से मैं खुद को नहीं संभाल पा रहा था इतने में मुझे धक्का लगा और मेरा हाथ उसकी चूचियों से जा टकराया, कसम से दोस्तो, मुझे करंट सा लगा और उसे भी !

वो बोली- संभल कर चढ़ो !

और मुस्कुरा पड़ी ! फिर तो अब मैं ट्रेन की गली में उसे और सट गया, मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने अपने आप को कण्ट्रोल किया और ट्रेन की कोच में अपनी सीट पर सामान और बैग रखा और बैठ गये। थोड़ी देर बाद ट्रेन चल पड़ी और रात के करीब 11 बजे थे !

आंटी बोली- बेटा, आपकी सीट कौन सी है?

मैंने कहा- आंटी, मेरी लोअर बर्थ है और आपकी ऊपर की !

आंटी बोली- बेटा, मैं तो नीचे की सीट पर सो जाऊँगी क्योंकि रात को उठना पड़ता है। तो ऊपर की सीट से दिक्कत होगी।

मैंने कहा- जी आंटी, आप मेरी बर्थ पर सो जाओ ! मैं ऊपर की सीट पर सो जाता हूँ !

मैं ऊपर की सीट पर चला गया और उनकी बेटी मेरी बराबर की सीट पर और छोटी लड़की नीचे की बर्थ पर ही लेट गई। ऊपर की सीट पर मैं और दूसरी सीट पर हमारी नई नवेली माल बैठ कर मोबाइल पर गेम खेल रही थी और मैं उन्हें घूर रहा था, जब भी वो मेरी तरफ देखती, मैं उसी को देख रहा होता, वो शरमा कर अपनी नजर झुका लेती और मन ही मन मुस्कुराती !

कोच में अधिकतर लोग सोने लगे थे और लाइटस भी बंद हो चुकी थी, थोड़ी देर बाद मैं नीचे उतर कर बाथरूम गया और वापस आकर अपनी बर्थ के बजाय उसकी बर्थ पर चला गया।

वो जग रही थी, धीरे से बोली- तुम अपनी बर्थ पर जाओ, मम्मी जाग रही हैं।

मैंने कहा- मैं चेक करके आया हूँ, सब सो रहे हैं !

“तो क्या हुआ? तुम जाओ अपनी सीट पर, नहीं तो मैं मम्मी को बुला लूँगी !’

एक पल के लिए मैं डर गया पर दिन भर की बातें याद कर सोचा कि दिन में इतना सब कुछ, रात मम्मी की धमकी, मैंने कह- ठीक मैं, जा रहा हूँ पर सिर्फ 5 मिनट अपने पास रहने दो !

वो बोली- नहीं, अभी जाओ !

“अच्छा जा रहा हूँ सिर्फ दो मिनट !”

वो मान गई, मैं उसी के बर्थ पर उससे सट कर लेटा था, मेरा लंड खड़ा था उसको भी यह महसूस हो रहा था ! उसके शरीर से गजब की खुशबू आ रही थी।

मैंने कहा- एक किस कर लूँ?

वो बोली- पागल हो गये हो? तुम जाओ !

फिर मैंने उसे किस कर लिया। क्या किस था, होंठ का किस करते ही मैं मदहोश हो गया ! और जोश में आया फिर मैंने हिम्मत दिखाई और उसकी चूची पर हाथ रख दिया। उसने मेरा हाथ हटा दिया, मैंने फिर से रख कर पकड़ लिया और दबा दिया।

इस बार उसने नहीं हटाया। मैं दबाये जा रहा था, साथ ही साथ किस भी..

अब वो भी गर्म हो गई थी, उसने मेरा लंड पकड़ लिया और सहलाने लगी। मेरे में जोश और बढ़ गया, अब मेरे से रहा नहीं जा रहा था पर सेक्स करना संभव नहीं था इसलिए मैं उसकी चूचियों को ही मसल रहा था। अब नहीं रहा गया तो मैं उसकी टी शर्ट में हाथ डाल और ब्रा के ऊपर से दबा रहा था। फिर मैंने धीरे से उसकी ब्रा भी खोल ली, अब उसकी चूचियाँ टी शर्ट में आजाद थी और अब मुझे अहसास हुआ उसकी चूचियाँ कितनी मस्त और लाजवाब थी, उनका साइज़ 34 था, उसकी घुण्डी को मैं मसल रहा था और उसकी सांसें तेज़ हो रही थी, वो अब अपने आप चिपक रही थी मेरे से, मैंने भी उसे कस कर बाँहों में भर रखा था और हम दोनों एक जिस्म और दो जान थे !

मैंने एक हाथ उसकी सलवार में डाल दिया और पैंटी में उंगली कर रहा था। उंगली करते ही वो सिसकारियाँ लेने लगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मैंने धीरे से कहा- आवाज मत करो !

अब वो अपने आप को कण्ट्रोल कर रही थी पर जोश और बढ़ता ही जा रहा था। मैंने उसकी दोनों चूचियों को चूम रहा था और एक घुण्डी मैं अपने मुँह में ले लिया। मेरा लंड फाइटर जेट की तरह उड़ रहा था पर हमला नहीं कर रहा था।

इधर उसकी चूत में पानी आने लगा था, वो बोली- और तेज से करो !

मैं और तेज उंगली करने लगा। थोड़ी देर में मैं झड़ने की कगार पर था क्योकि वो कस कर मेरी मुठ मार रही थी मेरे लंड को ! मेरे से भी नहीं रहा जा रहा था, मैंने कहा- टायलेट में चलो !

बोली- रिस्की है !

मुझे भी डर लग रहा था, इतनी देर में मैं अंडरवीयर में ही झड़ गया और वो भी !

अब हम दोनों कुछ देर एक साथ बर्थ पर लेटे रहे। रात के करीब 2 बजे मैं अपनी सीट पर आ गया। ट्रेन दिल्ली पहुँचने वाली थी ! हम सब तड़के ही नई दिल्ली स्टेशन पर उतर गये और आंटी बोली- बेटा, तुम कहाँ जाओगे?

मैंने कहा- आंटी, मैं जनकपुरी जाऊँगा !

“ठीक है बेटा ! हम तो करोल बाग़ जायेंगे !”

मैं बैग उठा रहा था, इतने में उसने मुझे अपना कार्ड दिया, बोली- रख लो काम आएगा !

फिर मैं अपने रास्ते वो अपने रास्ते !

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