ज़िम की फ़ीस चूत से

रवीश सिंह 2014-03-21 Comments

दोस्तो, मेरी कहानियों को सरहाने के लिए धन्यवाद, शुक्रिया !

आज जो घटना बता रहा हूँ, काफ़ी पहले घट चुकी है जब मैं जिम में काम करता था। हमारा जिम मुम्बई के ऐसे इलाके में है जहाँ बहुत टीवी के कलाकार रहते हैं, हमारे जिम में भी कई ऐसे कलाकार अपने बदन की साज-सम्भाल करने आते थे।

टीवी और फिल्मों की दुनिया जितनी चकाचौंध भरी होती है पीछे से उतनी ही काली। जितने कलाकार हमें दिखते हैं उससे कई ज्यादा संघर्षरत (स्ट्रगलर्स) होते हैं। ऐसी ही एक स्ट्रगलर थी रति ! यह उसका असली नाम नहीं है, क्योंकि असली नाम से कई जन उसे पहचान सकते हैं।

योग और वर्क-आउट से रति का जिस्म और सेक्सी हो गया, अतिरिक्त मोटापा कम हो गया और वक्ष और कूल्हे सही उभार लिए हो गए। वैसे जिम में कई टीवी के कलाकार आते हैं लेकिन रति की कमनीयता मादक थी। मेरी सेक्स लाइफ मस्त थी फिर भी रति में वो बात थी कि उसे चोदने की तीव्र इच्छा उत्पन्न करती थी।

उस समय रति स्टूडियो के चक्कर लगा रही थी और कोई खास ऑफर नहीं मिल रहे थे। कुछ छोटे-मोटे रोल मिलते थे और कुछ विज्ञापन फ़िल्में भी। ऐसे तो रोल के लिए कितनों के साथ बिस्तर गर्म कर चुकी थी पर एक हाई प्रोफाइल कॉल गर्ल (उच्च वर्ग की रांड) बनने से बच रही थी। छिटपुट आय से रति पर कर्ज़ा भी हो गया था।

रति ने जिम की फीस भी नहीं दी। जब दूसरे महीने में भी पैसे नहीं दिए तो मजबूरन उसे कहना पड़ा- मैडम, आपका दो महीने की फीस देय है। जमा करा दीजिये नहीं तो मजबूरन हमें आपको वर्क-आउट करने से रोकना पड़ेगा।

“रवीश, मेरे बैग में है, वर्क-आउट के बाद देती हूँ।” रति ने कहा।

वह जिम बंद नहीं कर सकती थी, एक तो टीवी, फ़िल्म में सुडौल दिखना महत्वपूर्ण है और दूसरा जिम में कई टीवी वाले आते हैं तो नेटवर्किंग के लिए बेहतरीन जगह है और रति के कैरियर के लिए सबसे महत्वपूर्ण।

सबके जाने के बाद भी रति वर्क-आउट कर रही थी और पसीने से तरबतर थी।

“जिम बंद करने का वक़्त हो गया है मैडम !” मैंने कहा।”आप कल ऑफिस में पैसे जमा कर देना।”

“चलो, मैं तुम्हें अभी दे देती हूँ।” कह कर लेडीज चेंज रूम की तरफ़ बढ़ी। मैं भी पीछे चल दिया पर रूम के बाहर ही रुक गया।

“अंदर आ जाओ, कोई नहीं है। मैं खा नहीं जाऊँगी।” रति ने टी-शर्ट निकालते हुए कहा।

अंदर स्पोर्ट्स ब्रा में रति एकदम गर्म माल लग रही थी। तौलिया लपेटे हुए अपने ट्रैक पैंट्स निकाल दिए और बोली- दो मिनट रुकोगे? शावर ले कर आती हूँ।

मेरे जवाब की प्रतीक्षा किये बिना लेडीज बाथरूम में चली गई।

मैं थोड़ा भन्नाया पर तभी मेरी नज़र रति के बैग में पड़ी। उसका फ़ोन था, बैंगनी लेस वाली ब्रा और पेंटी थी। उस ब्रा और पेंटी में रति कितनी सेक्सी लगती होगी सोच कर ही लंड में कसाव आ गया, अनायास ही हाथ उन पे चला गया।

अंदर से रति ने आवाज़ दी- रवीश, मेरे बैग से शावर जेल दे दोगे, प्लीज?

उसकी मधुर आवाज़ से तन्द्रा भंग हुई। ब्रा-पेंटी के नीचे एक जेल की बोतल थी, उठाई और बाथरूम में शावर क्यूबिक्ल पर आकर बोला- यह लो।

मुझे लगा क्यूबिक्ल के परदे के साइड से ले लेगी मगर उसने पर्दा ही हटा दिया और अपनी नग्न दिव्यता ही दिखा दी। यकायक हुए इस दर्शन से मैंने मुँह फेर अच्छे मर्द की शिष्टता दिखाई।

रति तो मुझे मोहने में लगी थी (इसीलिए इस कहानी में उसका नाम रति रखा है) बोली- क्या शरमा रहे हो? पहले कभी लड़की नहीं देखी? मर्द हो, इतना भी नहीं जानते कि मैं अकेली जैल कैसे लगाऊँगी?

पानी में भीगा हुआ रति का बदन एक निमंत्रण पत्र सा था जिसे कोई मना नहीं कर सकता था। मैंने बोतल का ढक्कन खोला कि रति का एक और निर्देश आया- कपड़े निकाल लो, गीले हो जायेंगे।

मेरी सोचने की शक्ति मेरे लंड में चली गई और उसी के वशीभूत हो पूर्ण नग्न हो गया और छोटे से क्यूबिक्ल में रति के मस्त बोबों का मर्दन करने लगा और चूमने लगा। रति भी मेरी जीभ को चूसते हुए मेरा लौड़ा मसलने लगी।

अपनी दायें हाथ की दो बीच वाली अंगुली से तीव्र गति से रति की चूत-चोदन करने लगा और बारी बारी से दोनों मम्मे चूसने लगा। उसकी चूत से रस निकलने लगा तो अपनी अंजुली में इकट्ठा कर उसके मुँह में उंडेल दिया। फिर उसके थूक के साथ मिल कर चूमते हुए पी लिया।

मैं पंजों के बल बैठा और रति की एक टांग मेरे कंधे और पीठ पर लेते हुए उसकी चूत चाटने लगा। साथ ही दोनों हाथों से उसके चूचे मसलने लगा।

रति की सिसकारियाँ बढ़ती जा रही थी, वो कामाग्नि में थिरक रही थी- अब नहीं सहा जाता रवीश, फाड़ डाल मुनिया को।

जगह छोटी होने के कारण, चुदाई संभव नहीं थी इसलिए बाहर बेंच पर आ गए। पहले रति ने चूस कर लंड को तैयार किया फिर अपनी चूत के मुहाने पर छोड़ कर आई। मेरा लौड़ा धीरे धीरे रति की चूत में घुस रहा था। हर गहराई के साथ रति की ऐठन बढ़ रही थी। टट्टे जब चूत से मिले तब तक रति बेंच पर सिर्फ चूतड़ और सिर के बल थी।

हौले हौले अंदर बाहर करते हुए मैंने गति बढ़ा दी और साथ ही रति की सीत्कार भी। उसके मम्मे भी उसी लय में उछल रहे थे। रति भी पूरी तन्मयता से चुदवा रही थी।

थोड़ी देर बाद मैं ज़मीन पर लेट गया और रति ऊपर से आ गई। रति कूद कूद के थोड़ी थकने लगी तो हमने पोजीशन बदल ली।

एक बार फिर मेरा लौड़ा चूस कर गीला किया और रति घुटनों के बल बैठ अपना सर और हाथ बेंच पर रख कुतिया बन गई। मैंने पीछे से उसकी गांड से रगड़ते हुए अपना हथियार उसकी चूत में पेल दिया। थोड़ी देर में रति का चूत रस निकल गया तो मैंने भी गति बढ़ा दी।

“निकलने वाला है ! अंदर ही छोड़ दूँ?” मैंने टूटती आवाज़ में पूछा।

“नहीं, मेरे मुँह में दे दे !” रति ने आदेश दिया और मुड़ कर मुँह खोल के बैठ गई, पिचकारी निकालने में मेरी मदद करने लगी, थोड़ा वीर्य पी गयी थोड़ा थूक के साथ अपने मम्मों पर गिरने दिया, चूस कर मेरा लंड साफ़ किया।

मैं बेंच पर बैठ गया पर उसने मेरा लौड़ा छोड़ा नहीं।

“रवीश, यार एक परेशानी है !” रति बोली- मेरे पास पैसे नहीं हैं। तू चाहे तो पर्स देख ले, कुछ सेटिंग कर ना यार…

तो यह चुदाई इसी की रिश्वत थी? मैं सोचने लगा।

“यह सब इसके लिए नहीं था, काफी दिनों से तेरे से अपना बदन मसलवाना चाहती थी। और इसके लिए तुझसे कोई कमिटमेंट भी नहीं चाहिए !” रति जैसे मेरे मन को पढ़ते हुए बोली- कुछ अच्छा काम मिला तो लौटा दूंगी।

“चल कुछ झोल करता हूँ !” कहते हुए मैं मुस्कुरा दिया।

रति उठी और मेरे से आलिंगनबद्ध हो गई। उसके थूक मिश्रित मेरा वीर्य उसके चूचों से मेरी छाती पर भी लग गया। रति ने उसे चाट कर साफ़ किया और हम चुम्बनरत हो गए।

रति के साथ और भी सम्भोग हुआ। कुछ महीने बाद उसे एक डेली सोप में अच्छा रोल मिल गया और उसने जिम के पैसे भी दिए और चूत भी।

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