गदराई लंगड़ी घोड़ी-6

वीर सिंह 2014-04-17 Comments

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प्रेषक : वीर सिंह

इस कहानी के पांचवें भाग में आपने पढ़ा : बबिता आँटी मेरी पूरी मलाई चाट के वो उठी, कुर्सी के हत्थों से आराम से पैर निकाले और मटक-मटक कर बाथरूम की तरफ जाने लगी, मैंने तुरंत आवाज़ लगाई- ओह्ह्ह.. बबिता आँटी प्लीज ये लिपस्टिक साफ़ मत करना। ऐसे ही गन्दी रहने दो अपनी इस मस्त चुदक्कड़ गाण्ड को ! काफी मज़ा आया लिपस्टिक के साथ। अभी जब चुटिया वाला खेल खेलेंगे तो मैं चाहता हूँ कि ये गाण्ड ऐसे ही लिपिस्टिक में सनी रहे..ओह्ह… आई लव यू आँटी आपने मस्त कर दिया।

मुझे हद से ज्यादा मज़ा आया था बबिता को चोद कर। भले ही वो नाटे कद की थी, पर बेहद गरम और हद से ज्यादा चुदक्कड़ औरत थी। वो 30 साल की थी, पर कद काठी से 20 की ही लगती थी। सिर्फ साढ़े चार फुट लम्बी थी कुतिया। सांवला सा जिस्म था, पर हर जगह से मुलायम थी। जब नंगी होकर गोदी में बैठती थी तो ऐसा लगता था, जैसे कोई बड़ा सा गुब्बारा हल्के गुनगुने पानी से भर कर जिस्म से लिपटा हो। बिल्कुल गरम-गरम और नरम-नरम लगती थी बबिता की काया !

पर दोस्तो, बड़े गुब्बारे में गुनगुना पानी भर के तो काफी लोग उससे चिपटने का आनन्द लेते हैं, पर एक गुब्बारे और बिल्कुल नंगी औरत में बहुत फ़र्क होता है। कोई औरत नंगी होकर मर्द की गोदी में बैठी हो, तो इससे ज्यादा मस्त अहसास मर्द के लिए दुनिया में और कोई नहीं हो सकता और जब औरत बबिता जैसी नाटे कद की हो तो कहना ही क्या।

दरअसल मुझे लगता है कि नाटे कद की औरत ज्यादा कामुक होती है क्यूंकि दिल्ली आकर भी मैंने 2 लड़कियों और 1 औरत को चोदा। एक लड़की तो मेरे साथ ही पढ़ती थी नंदिनी और एक मेरे पड़ोस में रहती थी लक्ष्मी।

एक मैंने अपनी बिल्डिंग में रहने वाली 31 साल की भाभी को चोदा है कंचन भाभी। कंचन भाभी की लम्बाई 4 फुट 8 इंच है। वो भी बहुत नाटी हैं।

और लक्ष्मी तो सिर्फ 4 फुट 3 इंच की है। वो तो इतनी छोटी है कि मुहल्ले में सब उसे ‘पिद्दी’ कहते हैं, पर दोस्तो, यह पिद्दी चुदाई के काम में कमाल की है।

खैर दिल्ली की कहानी बाद में कभी बताऊँगा, पर इतना मैं शर्त के साथ कह सकता हूँ कि नाटी लड़कियाँ बहुत जोशीली होती हैं और मर्द को मज़ा भी खूब आता है।

मुझे तो पर्सनली ‘गिट्ठी’ औरत को चोदने में खूब मज़ा आता है। ऐसा लगता है जैसे किसी 8वीं क्लास की स्कूल-गर्ल को चोद रहे हों।

बबिता को बाथरूम में गए 15 मिनट हो गए थे। मैं सोचने लगा कि पता नहीं क्या कर रही है कुतिया इतनी देर से। “ओ… बबिता कहाँ हो तुम?… क्या कर रही हो?”

मैं कहते हुए बिस्तर से खड़ा हुआ और बाथरूम की तरफ जाने लगा। मुझे लगा कि कहीं सो तो नहीं गई कुतिया बाथरूम में, क्यूंकि मैंने अभी अभी उस कुतिया की चूत और गाण्ड की मस्त चुदाई की थी।

मैं कमरे में बिल्कुल नंगा था और लंड भी छोटे केले की तरह ढीला सा लटक रहा था, पर जैसे ही मैंने बाथरूम का दरवाज़ा खोला तो लंड का तुरंत फूलना शुरू हो गया।

बबिता बाथरूम में शीशे के सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी। उसका नंगा पिछवाड़ा मेरी तरफ़ था। वो बिल्कुल उसी हालत में थी जिस हालत में मैंने उसे चोद के छोड़ा था।

कोई भी चुदाई के अनुभव वाला इंसान उसे देख कर ही कह देता कि ये औरत अभी अभी बुरी तरह चुदी है। कमर, चूतड़ और जांघों पर लाल-लाल निशान बने थे, जो कि मेरे थप्पड़ों की वजह से बने थे। कमर पर अभी भी कई जगह थूक चिपका हुआ था। गाण्ड की तो हालत ख़राब थी। थूक, चाशनी, रसगुल्ला, लिपस्टिक और मेरे लंड की मलाई उसके नंगे चूतड़ों पर जगह-जगह लगी हुई थी। लिपस्टिक ने तो गाण्ड की दरार को बिल्कुल गुलाबी कर रखा था।

बहुत ही ज्यादा उत्तेजक लग रही थी उस कुतिया की वो ताज़ी चुदी गाण्ड और चोदने का मन करने लगा।

हय… बबिता की वो मस्त गाण्ड और जब मैंने नीचे अपने लंड की तरफ देखा तो क्या देखता हूँ कि बाबूजी पूरे तन कर बिल्कुल सीधे खड़े हैं और बबिता की गाण्ड की तरफ देख रहे हैं। लंड की मुंडी पर बना सुराख़ काफी बड़ा दिख रहा था, जैसे वो लंड की आँख हो। लंड अपनी एक आँख से बबिता की मस्त गाण्ड को देख रहा था।

“तू मस्त लड़का है वीर, इतनी जल्दी फिर से लंड खड़ा कर लिया, तू चल कमरे में… मैं आई बस 5 मिनट में !” बबिता ने शीशे में से मुझे पूरा नंगा देखा और मुझे कमरे में जाने को कहा।

वो शायद अपना चेहरा मेकअप कर रही थी।

“ओह्ह… बबिता आंटी…आप यूँ ही बिल्कुल नंगी कुछ देर मेरी गोदी में बैठो ना…!”

“आ रही हूँ बाबा…पूरी रात तेरी ही हूँ… चाहे गोदी में बिठा या अपने इस मस्त लंड पर ! वाऔऊऊ कितना प्यारा सा है ये !”

“आप कितनी सेक्सी हो आंटी… आपको नंगा देख के तो जैसे इस लंड को खुली हवा से एलर्ज़ी होने लगती है। ये तो बस तुम्हारे किसी न किसी छेद में हमेशा घुसा रहना चाहता है। ऊऊह्ह्ह्ह ह्ह्हाआ अय्य्य्य ..आंटी..उम्म्म्म… ‘पुन्च्च’ ‘पुन्च्च’ ‘पुन्च्च’ ‘पुन्च्च..!”

इतनी कामुक नंगी औरत को बाथरूम में छोड़ कर मैं कमरे में कैसे बैठ सकता था। मैंने जा कर बबिता की पीछे से कोली भर ली। मैंने अपने हाथ आगे ले जाकर उसकी मस्त ठोस और फूली हुई चूचियाँ पकड़ लीं। मैं पीछे से उस नंगी औरत से बुरी तरह लिपटा था।

उसके नाटे होने की वजह से मेरा लंड उसकी कमर पर रगड़ खा रहा था और मैं उसके खुले बालों को सूंघ रहा था।

मैंने जैसे ही शीशे में बबिता का चेहरा देखा, मेरा लंड उसकी कमर में और ज़ोर से ठोकर मारने लगा। बबिता ने आँखों में बड़ा सा काजल लगा रखा था। होंठों पे गहरे लाल रंग की लिपस्टिक लगा रखी थी और नाक में एक गोल छल्ले वाली नथ डाल ली थी।

मैंने देखा कि उसने वॉशबेसिन पर अपना छोटा सा मेकअप बॉक्स खोल कर रखा हुआ था। वो मेकअप बॉक्स शायद अपने पजामे में रख कर लाई थी। उसमें दो लिपस्टिक, एक गुलाबी और एक गहरे लाल रंग की, काजल, कोल्ड क्रीम, बाली, सिन्दूर और लिप-ग्लॉस था।

मुझे उस नंगी कुतिया का मेकअप वाला चेहरा देख कर बहुत जोश चढ़ गया।

बबिता ने भी अपनी आँखें बंद कर लीं और मुझसे लिपटने का आनन्द लेने लगी। मैं उसकी गर्दन पर चूमते हुए उसकी मस्त नंगी चूचियों को दबाने लगा। बबिता ने अपनी चुदी गाण्ड और पीछे को उभार दी। मेरी जांघों से वो अपने मस्त चूतड़ टकरा रही थी। वो बैचैनी से चूतड़ मेरी जांघों से चिपका रही थी।

मैं उसकी बेचैनी समझ गया। मेरा लंड उसकी गाण्ड की पहुँच से ऊपर था। वो मेरे लंड को अपने मस्त चूतड़ों से सेंकना चाहती थी।

मैंने तुरंत बबिता को छोड़ा और बाथरूम में पड़े एक छोटे टब को उल्टा करके बबिता के पास खिसकाया। बबिता तुरंत समझ गई और टब को वॉशबेसिन के पास रख कर टब के ऊपर चढ़ गई। उसने अपने हाथ वॉशबेसिन पर रख दिए और गाण्ड पीछे को उभार दी।

मैं फिर से लपक कर बबिता से चिपक गया, पर इस बार मेरा लंड उनकी कमर पर नहीं बल्कि उसकी मस्त गाण्ड पर अपनी चोंच लगा रहा था। बबिता ने हाथ पीछे करके लंड को अपनी गाण्ड के बीचों-बीच सैट कर दिया और मेरी कमर हिलने लगी। मेरा लंड अब उस मस्त औरत की गरम नंगी गाण्ड के गलियारे में घस्से लगा रहा था। मैं बबिता की गर्दन पीछे को घुमा कर उसके होंठ चूसने लगा।

लिपस्टिक से सने होंठ बहुत ही ज्यादा मस्त लग रहे थे। इतनी मस्त नंगी औरत को इस तरह चूमते हुए और चिपकते हुए मज़ा लेने से लंड में उबाल आ गया। मेरी कमर जोश में हिल रही थी और बबिता की गाण्ड भी लंड से जैसे खेल रही थी। वो अपनी गाण्ड को गोल-गोल मटका रही थी, जिससे लंड उसके चूतड़ पर इधर-उधर ठोकर मार रहा था।

काफ़ी देर तक उसकी गाण्ड लंड से इसी तरह खेलती रही और फिर मेरे लंड ने चुपके से गोल मार दिया। मेरे लंड की नथुनी बबिता के गाण्ड के छेद में जा कर अटक गई। लंड की नथुनी जैसे ही बबिता की गाण्ड में घुसी बबिता के मुँह से ज़ोर से “इस्स्स्स” निकला और वो अपनी गाण्ड को आगे की तरफ करने लगी।

मुझे लगा था कि वो गाण्ड को पीछे की तरफ धकेलेगी ताकि लंड पूरा उसकी गाण्ड में दाखिल हो जाए, पर वो लंड से बच रही थी। मैंने भी जल्दी से उसके कूल्हे पकड़ लिए और अपनी कमर को आगे करके उससे चिपका रहा और लंड की मुंडी उस गरम गाण्ड से बाहर नहीं आने दी।

फिर बबिता ने एक हाथ पीछे करके लंड को पकड़ लिया और उसे गाण्ड से बाहर निकालने के लिए ज़ोर लगाने लगी। “ओह्ह्ह्ह… वीर अभी नहीं, कुछ देर तो रुको। तुम चलो कमरे में… मैं आती हूँ।”

“मूउह्ह्ह्छ..पुहुछ्हआंटी.. जाने दो ना.. इस लंड को जहाँ जा रहा है… प्लीज आंटी…ऊऊम्म्म्ह पुहुन्न्च !” मैंने बबिता के हाथ को पकड़ के खींचा और लंड को ज़ोर से उसकी गाण्ड में दबाया।

“ओह्ह…तू झड़ जायेगा वीर, बहुत गर्म हो गया है तू। कमरे में चल कर आराम से करना, मैं मेकअप करके आती हूँ मेरे राजा… मान जा ! उईई ईईई ईईई ईईई…!”

मैंने जब ज़ोर से उस कुतिया का हाथ पकड़ कर खींचा, तो उसने हार मान ली और अपने दोनों हाथ वॉशबेसिन पर रख दिए। उसका हाथ हटते ही लंड उसकी गाण्ड में ऐसे घुस गया… जैसे मक्खन में गरम छुरी घुसती है। लंड घुसते ही वो ज़ोर से सिसकी। “आआ आअ ईइयाआआ आआ..वीर…ऊऊन्ह्ह्ह्ह..इस्स्स..!”

“आआअह्ह्ह्ह आंटी कितनी मस्त गाण्ड है. हूँन्न्न न्नन्न्न्न !” मेरा शरारती लंड फिर से उस हसीन चुदक्कड़ औरत की गाण्ड की बगिया में घुस गया था। मस्त पकी हुई गाण्ड थी साली की, जैसे कोई पका हुआ पपीता हो..!

“बस आंटी अब ज़रा इस अपनी इस मस्त गाण्ड को पीछे को उभार दो और जितना हो सके वॉशबेसिन पर झुक जाओ ऊऊऊ अन्न्न्नान्न्न..!”

“उन्न्न्हह्ह्ह्ह..वीर पर झड़ना नहीं अभी.और धीरे चोदना. और इस तरह टब के ऊपर तो दिक्क़त होगी…अआःह्ह्हाआ अय्य्य्य …उईईईई ईईईई …धीरे वीर..!”

मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें।

कहानी जारी रहेगी।

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