गदराई लंगड़ी घोड़ी-7

वीर सिंह 2014-04-18 Comments

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“बस आंटी अब ज़रा इस अपनी इस मस्त गाण्ड को पीछे को उभार दो और जितना हो सके वॉशबेसिन पर झुक जाओ ऊऊऊ अन्न्न्नान्न्न..!”
“उन्न्न्हह्ह्ह्ह..वीर पर झड़ना नहीं अभी.और धीरे चोदना. और इस तरह टब के ऊपर तो दिक्क़त होगी… अआःह्ह्हाआ अय्य्य्य …उईईईई ईईईई …धीरे वीर..!”

मैंने बबिता के कंधें पकड़े और लंड को गाण्ड में अन्दर-बाहर करने लगा। गाण्ड में पहले वाली ही चिकनाई लगी थी, चाशनी, थूक और वीर्य और बबिता टब के ऊपर खड़ी थी और झुकी थी। इससे गाण्ड और ज्यादा टाइट लग रही थी। मैं पगलाने लगा था, उस कुतिया का मुँह पीछे करके ज़ोरों से उसके चुम्बन ले रहा  था। होंठों पे, गालों पे, गर्दन पे और ऊपर कमर पर और मेरा लंड उसकी गाण्ड के बगीचे को गोड़ने में लगा था… ज़ोर से चोदने में लगा था। मैं उसके कान के नीचे वाले चिंदों को (जहाँ लड़कियाँ बाली पहनती हैं) होंठों में दबा कर चूसने लगा, जिससे बबिता की ज़ोर से सिसकारियाँ निकलने लगीं।

“ऊऊ ईईई ईइमा हाआन्न्न्न.. ज़ोर से वीर उफ्फ्फ्फ़… कमीने… चोद कुत्ते.. हाआआईई रीईईए .उन्नन्न कितना मज़ा आ रहा है.. चोद हरामी चोद… उफ्फ्फ उईई ईई ईई आराम से उन्हह ज़ोर से कमीने..!”

बबिता गाण्ड चुदवाते हुए बड़बडाने लगी और लंड उसकी गालियों से मस्त होकर ज़ोर-ज़ोर से उसकी गाण्ड में ठोकरें मारने लगा। मैं लगभग
उछल-उछल कर चोद रहा था, उस छिनाल की गाण्ड को। मैंने अपने दोनों हाथों से उसके कंधें ज़ोर से पकड़ रखे थे और बड़ी ज़ोर से उस मस्त गाण्ड की तबियत हरी कर रहा था।

अपनी गाण्ड को इतनी मस्त तरीके से चुदवाते हुए बबिता किसी गरम चुदक्कड़ रांड की तरह रम्भाने लगी थी। उसने अपनी कमर को पूरा मोड़ के चूतड़ बिल्कुल पीछे को निकाल दिए थे। उसकी इस तरह से बाहर को निकली गदराई गाण्ड को मेरा लंड बावलों की तरह चोद रहा था।

मैं लंड को पूरा नथुनी तक बाहर निकालकर पूरा जड़ तक उसकी कददू सी गाण्ड में घुसेड़ रहा था। इतनी भयंकर चुदाई कर रहा था कि 10 मिनट में ही उसकी गाण्ड पोली हो गई और आवाज़ करने लगी। जैसे ही लंड अन्दर घुसता गाण्ड से ऐसी आवाज़ आती जैसे उसकी ‘पाद’ निकल रहे हो और जब लंड बाहर को आता तो जैसे साइकिल में हवा भरते टाइम टायर से आवाज़ आती है।

इस तरह चुदती गाण्ड से निकलने वाली हवा और आवाज़ को ‘मीठे पाद’ बोलते हैं दोस्तो, इनमें बदबू बिल्कुल नहीं होती, पर लंड इस बात से और ज्यादा उत्तेजित हो जाता है कि आप इतनी मस्त तरीके से औरत की गाण्ड मार रहे हो कि उसकी गाण्ड से चुदाई के मीठे पाद निकलने लगे हैं।

बबिता तो झड़ने लगी, जैसे ही मैंने हाथ नीचे करके उसकी चूत को छुआ और झुकी-झुकी वॉशबेसिन को ही अपने होंठों से चूमने लगी। उसके होंठों पे लगी लिपस्टिक वॉशबेसिन पर निशान बनाने लगी। वो करीब आधे मिनट तक झड़ती रही, पर मैं गाण्ड को उसी रफ़्तार में चोदता रहा।
“मुझे लंड चूसना है वीर…प्लीज..!”

मेरा लंड ज़ोर से झटका खाया यह सुन कर। आंटी पहले भी कई बार अपनी गाण्ड के रस में सना लंड चूस चुकी थी। मुझे काफी मज़ा आता था आंटी को इस तरह लंड चूसते हुए देख कर जो ताज़ा-ताज़ा उनकी गाण्ड को चोद कर बाहर निकला हो और पूरी तरह उसकी गाण्ड के रस में सना हो।

मैंने तुरंत लंड उनकी गाण्ड से बाहर निकल लिया. लंड गाण्ड से बाहर आकर बुरी तरह भिन्ना रहा था, जैसे गुस्से में हो। बुरी तरह फूला हुआ था और लाल हो रखा था। टाइट तो ऐसा जैसे कोई गरम लट्ठ हो। लंड पर चूसने लायक काफी माल लगा था। मेरे लंड गाण्ड से बाहर निकलते ही बबिता टब के ऊपर ही घुटनों के बल बैठ गई और लंड की नथुनी ऐसे मुँह में दबा लिया जैसे बिल्ली किसी चूहे को अपने मुँह में दबा लेती है।

मेरी जान निकल गई बबिता को इतने कामुक रूप में देख कर। कुतिया ने उसी लंड को अपने मुँह में दबा रखा था जो अभी अभी उसकी गाण्ड में पूरा जड़ तक घुसा हुआ था और धीरे-धीरे बबिता मेरे उस मोटे गाण्ड से निकले लंड को ‘सुपुड़-सुपुड़’ करके चूसने और चाटने लगी। उसने लंड को हाथों से नहीं पकड़ा था। लंड को बिना हाथ लगाये बस मुँह से पकड़ कर चूस रही थी।

मैं तो बस अपने हाथ पीछे करके खड़ा हो गया उस कुतिया के सामने और उसे चूसने के लिए उकसाने लगा, “ओह्ह्ह्ह आंटी आप कितना मस्त  चूसती हो हूओहू ऊहोह…आंटी..तुम तो पागल कर दोगी यार…उफ्फ्फ..!”

“आअह्ह्ह्न सुपुड़ … सुपुड़.बड़ा मस्त लंड है वीर तेरा… उम्म्म्हह्ह.. पुन्च्च… पुन्च्च… पुन्च्च… पुन्च्चसुपुड़ पुन्च्च…!”

आंटी मस्ती में मेरा लंड चूस रही थीं। पूरा लंड अन्दर लेने की कोशिश कर रही थीं। मेरा लंड 8 इंच से भी ज्यादा बड़ा हो गया था जोश में फूल कर।
आंटी 6 इंच तक लंड को अन्दर ले रही थीं। लंड की नथुनी एक तरह से उनके गरम गले को चोद रही थी और बबिता की आँखों से पानी आने लगा था, इतनी गहराई से लंड को अन्दर लेने की वजह से।

मैंने बबिता का चेहरा पकड़ लिया था और लंड चूसने से निकले उसके आँसुओं को उसके चेहरे पर मल रहा था। काजल पूरा आँखों के बाहर फैल गया था। मैंने उसके होंठों पे लगी लिपस्टिक को भी अपने अंगूठों से उसके अपर लिप और ठुड्डी पर फैला दिया था। इस तरह से लंड चूसती हुई मस्त चुदी हुई कुतिया लग रही थी वो छिनाल।

“आंटी जल्दी से उठो और उस बाल्टी को उल्टा करके उस पर घोड़ी बन जाओ।”
“ओउन्न” आंटी ने ‘ना’ में गर्दन हिलाई। वो अभी और चूसना चाहती थीं। मैंने उनकी दिल की इच्छा पहचानी और 10 मिनट और उन्हें उसी तरह लंड  चूसने दिया।

फिर उन्होंने मेरी तरफ देखा और पूछा, “कैसा लग रहा है वीर..?? मज़ा आ रहा है अपनी इस मस्त आंटी के साथ?”

“मज़ा तो बहुत आ रहा है आंटीपर अब थोड़ी देर तुम्हें घोड़ी बना कर चोदने का मन है। इस तरह चूसती रहोगी तो मैं झड़ जाऊँगा। थोड़ी देर चूसो और फिर थोड़ी देर मुझे अपनी इस कददू जैसे गाण्ड को चोदने दो। फिर चूसो और फिर गाण्ड में लो। ऐसे बहुत मज़ा आएगा आंटी। आप ही तो कहती हो कि इस तरह से लड़के जल्दी नहीं झड़ते। मुँह, चूत और गाण्ड को अदल-बदल कर चोदने से लंड को वैरायटी मिलती है और लंड जल्दी नहीं झड़ता।”

यह सुन कर आंटी खड़ी हो गईं, पर मेरे लंड को अपने हाथ में ही पकड़े रहीं। फिर वो टब पर फिर से चढ़ने लगीं।

मैंने उनका हाथ पकड़ा और कहा- आंटी उस बाल्टी को उल्टा करो और उस पर घोड़ी बन जाओ। बाल्टी को बाथरूम के बीचों-बीच रख दो ताकि मैं आपके चारों तरफ घूम सकूँ। पीछे से गाण्ड मारूँगा और आगे आकर लंड तुम्हारे मुँह में डालूँगा।”
आंटी मस्ती में आ गईं और बाल्टी को बाथरूम के बीच में उल्टा करके रख दिया।

“वीर कोई तकिया तो ले आ रूम से, यह बाल्टी तो मेरे घुटनों को छील देगा, देख कितनी खुरदरी है ये !”
बाल्टी प्लास्टिक की थी 15 लिटर वाली मध्यम साइज़ वाली। मैंने आंटी का हाथ पकड़ा और उन्हें बाल्टी पर धकेला। आंटी बाल्टी पर अपने दोनों घुटने रखने लगीं।
“ओह्ह्ह्ह.. वीर एक और बाल्टी यहाँ रख दे। मैंने उस पर अपने हाथ रख लूँगी। इतनी छोटी सी बाल्टी पर हाथ और घुटने दोनों कैसे रख पाऊँगी ?”
“आंटी प्लीज आप कोशिश तो करो एक किनारे पर घुटनों को रखो और दूसरे किनारे को हाथों से पकड़ लो, पॉसिबल है आंटी..आप करो तो सही।”
“उम्म …करती हूँ… हे भगवान तू भी ना वीर एक्सपेरिमेंट का बड़ा शौक है तुझे भी। तू तो मुझसे भी बड़ा चोदू है कुत्ते।”
मैं मुस्कुराया और शॉट मार दिया।

“उफ्फ्फ…देख कितना मुश्किल है बैलेंस करना इस पोजीशन में… मैं नहीं बनी रह सकती इस तरह घोड़ी… उफ्फ्फ ..आऐईईईइ वीर..रुक तो सही
कुत्ते… ठीक से बैलेंस तो कर लेने दे… आआईईइ।”

आंटी ने जैसे ही अपने दोनों हाथ और दोनों घुटने उस छोटी सी बाल्टी के ऊपर रखे, तो इतनी मस्त घोड़ी वाली पोजीशन बन गई कि मैं बेकाबू हो गया। मैंने तुरंत आंटी के पीछे जा कर अपने लंड को उनकी गाण्ड के छल्ले में फंसा दिया और उनकी कमर पकड़ कर ज़ोर से लंड को उनकी गरम गाण्ड में डाल दिया।

लंड गाण्ड में इतनी ज़ोर से घुसते ही आंटी थोड़ी लड़खड़ा गईं और अपने हाथों को फ़र्श पर टिका दिया। अब उनके सिर्फ घुटने ही बाल्टी पर रखे थे और मेरा लंड उनकी गाण्ड में घुसा था।

“ओह्ह्ह्हह..बबिता…हाथों को वापस बाल्टी पर रखो ना..!”
“मैं गिर जाऊँगी वीर..ऐसे ही चोद ले..!”
“तुम हाथों को रखो तो सही आंटी बाल्टी पर.. मैंने पकड़ तो रखी है तुम्हारी कमर… तुम्हें गिरने नहीं दूँगा और फिर लंड भी तो तुम्हारी गाण्ड में घुसा है, कैसे गिर जाओगी?”

“ठीक है..ले..पर मेरी कमर पकड़े रहना…नहीं तो गिर जाऊँगी तेरे ज़ोरदार धक्कों से..!”
और फिर आंटी ने पहले एक, फिर दूसरा हाथ बाल्टी पर रख लिया। मेरी घोड़ी सच में थोड़ी मुश्किल पोजीशन में थी। अगर मैंने कमर न पकड़ी होती और लंड ने अपना हुक उस कुतिया की गाण्ड में नहीं फंसा रखा होता तो वो गिर सकती थी।

बबिता ने पीछे मुड़ कर मेरी तरफ देखा और कहा- नालायक…बदमाश…कहीं का.उफ्फ उईईई धीरे वीर..!

मैं धीरे-धीरे उस ‘गिट्ठी-घोड़ी’ की गाण्ड चोदने लगा। इस बार बहुत मज़ा आ रहा था। ऐसा लगा रहा था जैसे बबिता ने गाण्ड मुझे तोहफे में दे दी हो।

घोड़ी के दोनों नंगे चूतड़ पूरी तरह फैले थे और मेरा लंड ऐसे ज़ोर लगा रहा था, जैसे उसके दोनों चूतड़ों को चीर कर अलग कर देना चाहता हो।
गाण्ड में ज्यादा मज़ा इसलिए ही तो आता है क्योंकि गाण्ड का छेद तो मस्त बड़े-बड़े मुलायम चूतड़ों के बीच में फंसा होता है। औरत के मादक चूतड़ ही तो गाण्ड चुदाई को इतना कामुक बना देते हैं।

जब औरत की गाण्ड में लंड घुसा हो और वो घोड़ी बनी हो तो ऐसा लगता है, जैसे आपने उस औरत को पूरा हासिल कर लिया हो। आपका लंड औरत की गाण्ड में घुसा है! इससे ज्यादा औरत और क्या देगी आपको चोदने के लिए..!

बबिता को इस तरह बाल्टी पर घोड़ी बना कर मुझे गाण्ड चोदने में बड़ा मज़ा आ रहा था। मैंने आंटी की नंगी कमर पकड़ रखी थी। आंटी का चेहरा देख  कर चोदने में तो और ज्यादा मज़ा आ रहा था। आंटी चुदती हुई बार-बार पीछे मुड़कर मुझे देख रही थीं। मैं ऊपर से चुदते हुए गाण्ड के छेद पर थूक भी रहा था जिससे लंड फिसल कर मस्ती में बबिता की गाण्ड मार रहा था।

“ओह्ह्ह धीरे.. धीरे कर..वीर, कहीं भागी थोड़े ही जा रही हूँ.. ऊईईई.. .धीईईरेरे… वीरआआईइ रीई ..वीर..!”
“हाय बड़ा मज़ा आ रहा है आंटी इस बाल्टी पे तो… उफफ्फ्फ्फ़..!”

अब बबिता फिर से पागल होने लगी थी। मुझे भी जोश बढ़ने लगा था। मैंने जैसे ही बबिता के खुले बाल हाथों से पकड़े तो लंड का धक्का ज़ोर से लगने से बबिता ने हाथ झटके से जमीन पर रख दिए जिससे उसके बाल ज़ोर से खिंच गए।

“आआऐईईईम्म कुत्ते ऊउईईईई माआआ..।”

मैंने बाल छोड़ दिए और बबिता के आगे जाकर खड़ा हो गया। बबिता ने मेरी जांघों को पकड़ कर मेरी कमर थाम ली और मैंने भी उसकी बगलों में हाथ डाल कर उसे थाम लिया। बबिता ने झट से मेरा लंड मुँह में दबा लिया। मैंने उसकी चूचियाँ पकड़ लीं। इस तरह उसकी चूचियाँ दबाते हुए लंड चुसवाने में बड़ा मज़ा आ रहा था। मैंने फिर से लंड उसके मुँह से बाहर निकाला और उसने हाथ फिर से जमीन पर टिका लिए। मैं उसकी गाण्ड को चोदने फिर से उसके पीछे खड़ा हो गया।

“मेरी प्यारी आंटी.. हाथ बाल्टी पर…!”
आंटी ने हाथ बाल्टी पर रखे और मैंने लंड उनकी गाण्ड में घुसेड़ दिया और उनकी कमर पकड़ कर चोदने लगा। मैंने इस बार बबिता की कमर नहीं
छोड़ी और हुमच-हुमच कर उस रंडी की गाण्ड मारने लगा। कुतिया 5 मिनट में ही भिनभिनाती हुई झड़ गई.. हाय… हाय करने लगी।
“ज़ोर से चोद…हरामी.. उह्ह्हन्न मेरे तो घुटने छिल गए कुत्ते.. बहनचोद उन्न्हह्ह और ज़ोर से चोद इस गाण्ड को… फाड़ डाल आज इस कुतिया गाण्ड को.. रंडी ने तंग करके रख रखा है मुझे पिछले 2 दिनों से..!”

उस समय मुझे कोई उस हरामखोर नंगी घोड़ी को इस तरह चोदते हुए देखता तो बस यही सोचता कि मैं कितना लकी हूँ। मैंने पहली भी उल्टी बाल्टी  पर बबिता को चोदा था, पर तब उसके हाथ वॉशबेसिन या को नलके को पकड़ लेते थे। सही मस्त पोजीशन नहीं बनती थी। इस बार बबिता सिर्फ एक बाल्टी पर घोड़ी बनी थी और पकड़ने के लिए कुछ नहीं था सिवाए उस बाल्टी के। इसलिए घोड़ी हद से ज्यादा कामुक लग रही थी। इतनी गदराई और कामुक घोड़ी चोदने के लिए बहुत ही लकी लोगों को मिलती है।

मैंने सोच लिया था कि अपनी लंगड़ी मधु दीदी के साथ भी एक बार इस तरह बाल्टी पर ही करूँगा।
मैंने करीब आधे घंटे बबिता की कमर पकड़ कर उसे इस मस्त पोजीशन में खूब हुमच-हुमच कर और चिल्लाते हुए चोदा।
“ओह्ह… बबिता रंडी… आःह्ह्ह ये ले कुतिया हाय रांड… मेरी बबिता रांड… मेरी बबिता कुतिया..!”

और फिर करीब 15 मिनट बबिता में मेरा लंड चूसा और मुझे बाहर कमरे में जबरदस्ती भेज दिया। मैं उस रंडी को अभी और उस बाल्टी पर चोदना चाहता था। पर उसकी एक बात से मैं कमरे में जाने को तैयार हो गया।

“तू कमरे में जायेगा तो मैं एक चुटिया बना के आऊँगी कमरे में। मेरी चुटिया पकड़ कर चोदेगा ना मेरा राजा आज मुझे?”

चुटिया के नाम पर तो मैं भाग कर कमरे में आ गया। बबिता बाथरूम में शायद चुटिया बनाने लगी और मैं लंड पकड़कर उसका इंतज़ार करने लगा।
मैं उसकी गाण्ड का आज भुरता बना देना चाहता था। मैं बाथरूम में पिछले सवा घंटे में झड़ा नहीं था। मैं उसकी मस्त गाण्ड को अभी और चोदना चाहता था। और अब तो कुतिया चुटिया बना रही थी, यह सोच कर ही झुरझुरी हो रही थी उस गिट्ठी घोड़ी की चुटिया पकड़ कर उसकी चुदाई करने के बारे में ! पर यह चुदाई अगले भाग में दोस्तो !

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