मम्मी पापा वाला खेल

nishabhagwat9 2009-03-09 Comments

रात को अचानक पापा के कमरे की बत्ती जलने से बन्टी की नींद खुल गई। बन्टी को पेशाब आने लगा था। दीदी पास ही सो रही थी। बन्टी ने दरवाजा खोला और बाथरूम में चला गया।

बाहर आते ही बन्टी को खिड़की से अपने पापा की एक झलक दिखी। वो बिल्कुल नंगे थे।
उसे उत्सुकता हुई कि इस समय पापा नंगे क्यों हैं?

खिड़की पूरी खुली हुई थी, शायद रात के दो बजे उन्हें लगा होगा कि सभी सो रहे होंगे। उसे दूर से सब कुछ साफ़ साफ़ दिख रहा था। उन्होंने अपने हाथ में अपना लण्ड पकड़ा हुआ था और वे मम्मी को जगा रहे थे।

बन्टी को रोमांच हो आया। बन्टी जल्दी से अपनी मेघना दीदी को जगाया और उसे बाहर लेकर आया। उस दृश्य को देखते ही मेघना की नींद उड़ गई।

मम्मी जाग गई थी और अपने बाल बांध रही थी। मम्मी खड़ी हो गई और अपने कपड़े उतारने लगी। कुछ ही देर में वो भी नंगी हो गई।

‘मम्मी पापा यह क्या कर रहे हैं?’ बन्टी ने उत्सुकतापूर्वक दीदी से फ़ुसफ़ुसा कर पूछा।

‘क्या मालूम बन्टी?’ मेघना की सांसें उसे देख कर फ़ूलने लगी थी। वो तो सब जानती थी, उसने तो कई बार चुदवा भी रखा था।

तभी मम्मी बिस्तर पर पेट के बल उल्टी लेट गई और अपने चूतड़ ऊपर की ओर घोड़ी बनते हुये उभार लिये।

मेघना दीदी ने बन्टी को देखा, बन्टी ने भी उसे देखा। मेघना की नजरें एक बार तो नीचे झुक गई।

‘मम्मी तो जाने क्या करने लगी हैं?’ बन्टी बोला।

तभी पापा ने क्रीम की डिब्बी में से बहुत सी क्रीम निकाली और मम्मी की गाण्ड में लगाने लगे।

‘पापा दवाई लगा रहे हैं।’ बन्टी फ़ुसफ़ुसाया।
‘नहीं नहीं, वो तो कोल्ड क्रीम है… दवाई नहीं है!’ फिर कह कर वो खुद ही झेंप गई।

पापा ने अपनी अंगुली मम्मी की गाण्ड में घुसा दी और अन्दर-बाहर करने लगे। मम्मी के मुख से सी सी जैसा स्वर निकलने लगा।
मेघना जानती थी कि मम्मी-पापा क्या कर रहे हैं।

फिर वही क्रीम पापा ने भी अपने लण्ड पर लगा ली। अब पापा बिस्तर पर चढ़ गये और अपना कड़ा लण्ड धीरे से मम्मी की गाण्ड में डालने लगे।

मेघना ने बन्टी की बांह कस कर पकड़ ली। मेघना की सांसें तेज हो चली थी। मेघना जवान थी, 21 वर्ष की थी, बन्टी उससे तीन वर्ष ही छोटा था।

‘पापा का लण्ड कैसा मोटा और बड़ा है?’ मेघना ने बन्टी से कहा।
‘लण्ड क्या होता है दीदी?’ बन्टी को कुछ समझ में नहीं आया।
‘यह तेरी सू सू है ना? इसे लण्ड कहते हैं! अब चुप हो जा!’ मेघना ने खीज कर कहा।

पापा ने अपना लण्ड मम्मी की गाण्ड में घुसाने का प्रयत्न किया। पहले तो वो मुड़ मुड़ जा रहा था फिर अन्दर घुस गया।

मेघना ने अपने हाथ से अपनी उभरी हुई छाती दबा ली और सिसक उठी।
‘मेघना, क्या हुआ, सीने में दर्द है क्या?’ बन्टी ने मेघना की छाती पर हाथ रख कर कहा।
मेघना ने उसे मुस्करा कर देखा- हाँ बन्टी, यहाँ इन दोनों में दर्द होने लगा है!’
‘दीदी, मैं दबा दूँ क्या?’
‘देख, ठीक से दबाना…!’ मेघना की आँखें चमक उठी।

बन्टी ने उसका हाथ हटा दिया और शमीज के ऊपर से उसके उरोज दबाने लगा।
‘वो देख ना बन्टी, पापा जोर जोर से मम्मी को चोद रहे हैं!’ मेघना मतवाली सी होने लगी।
‘चल अब सो जायें!’
‘अरे नहीं! और दबा ना… फ़िर चलते हैं। फिर देख ना! पापा मम्मी को कैसे चोद रहे हैं?’
‘अरे वो तो जाने क्या कर रहे है, चल ना!’
‘तुझे कुछ नहीं होता है क्या? रुक जा ना, तेरा लण्ड तो बता… पापा जैसा है ना?’
‘क्या सू सू… हाँ वैसी ही है!’

मेघना ने बन्टी का लण्ड पकड़ लिया। वो अनजाने में खड़ा हो चुका था। बन्टी को पहली बार ही यह विचित्र सा अहसास हो रहा था- दीदी, छोड़ ना, यह क्या कर रही है?’
‘अरे, वो देख…!’ उसने पापा की ओर इशारा किया। उनके लण्ड से वीर्य छूट रहा था।
बन्टी के शरीर में जैसे बिजलियाँ दौड़ने लगी।

वो दोनों कमरे में वापस आ गये। मेघना की आँखों में अब नींद कहाँ! उसका शरीर तो मम्मी-पापा को देख कर जलने लगा था।
दोनों लेट गये।
‘बन्टी, चल अपन भी वैसे ही करें!’ दीप ने वासना से तड़पते हुये कहा।
‘सच दीदी… चल क्रीम ला… कैसा लगेगा वैसा करने से?’ बन्टी की आँखें चमक उठी। उसके दिल में भी वैसा करने को होने लगा।

मेघना जल्दी से अपनी क्रीम उठा लाई और उसे खोल कर बन्टी को दे दिया।
‘पर दीदी! नंगा होना क्या जरूरी है, मुझे तो शर्म आयेगी!’ बन्टी असंमजस में पड़ गया।
‘हाँ, वो तो मुझे भी होना पड़ेगा! ऐसा करते हैं, अपन दोनों बस चड्डी उतार लेते हैं, फिर क्रीम लगाते हैं, बाकी कपड़े पहने रहते हैं।’
‘तू तो शमीज ऊपर कर लेगी, पर मुझे तो पजामा पूरा उतरना पड़ेगा ना?’
‘अरे चल ना! इतना तो अंधेरा है, कुछ नहीं दिखेगा, और बस अपन दोनों ही तो हैं!’
बन्टी ने सहमति में अपना सर हिला दिया।

मेघना ने तो अपनी चड्डी उतार ली, पर शमीज पहने रही। बन्टी को तो नीचे से पूरा नंगा होना पड़ा। पर दोनों को इस कार्य में बहुत आनन्द आ रहा था। ऐसे नंगा होना और फिर क्रीम लगाना…! सब खेल जैसा लग रहा था।

बन्टी का लण्ड भी अब रोमांचित हो कर कठोर हो गया था। बन्टी अपनी खाट से उतर कर मेघना के पास चला आया था।
‘चल यहाँ लेट जा, अब मम्मी-पापा खेलते हैं। पहले प्यार करेंगे!’ मेघना उसे अपनी आग में झुलसाना चाहती थी।

उसने बन्टी को अपने आगोश में ले लिया। बन्टी को मेघना के जिस्म की गर्मी महसूस होने लगी थी। उसका लण्ड भी खड़ा होकर मेघना के जिस्म में ठोकर मार रहा था। दोनों लिपट गये, पर लिपटने में फ़र्क था। मेघना अपनी चूत उसके लण्ड पर दबाने की कोशिश कर रही थी जबकि बन्टी उसे प्यार समझ रहा था।
‘अब क्रीम लगाएँ…?’
‘नहीं बन्टी, अभी और प्यार करेंगे। तू यह बनियान भी उतार दे!’
‘तो आप भी शमीज उतारो दीदी!’
‘ओह , यह ले…!’ मेघना ने अपनी शमीज उतार दी तो बन्टी ने भी अपनी बनियान उतार दी।

मेघना ने बन्टी का हाथ अपने स्तनों पर रख दिया।
‘दबा इसे बन्टी… मसल दे इसे!’ मेघना ने उसके हाथों को अपने स्तनों पर भींचते हुये कहा।

बन्टी उसके स्तनों को मसलता-मरोड़ता रहा पर उसे तो लण्ड मसले जाने पर ही अधिक मजा आ रहा था।
‘दीदी, क्रीम दो ना, पीछे लगाता हूँ!’
‘ओह, हाँ! यह ले!’ मेघना ने क्रीम उसे थमा दी और मम्मी जैसे पलट कर घोड़ी बन गई।

बन्टी ने उसके गोल मटोल चूतड़ देख तो सन्न से रह गयान इतने सुन्दर, चिकने, आखिर वो भरी जवानी में जो थी। उसका लण्ड कड़कने लग गया। बार-बार जोर मारने लगा।

बन्टी ने उसकी गाण्ड पर हाथ फ़ेरा तो मेघना सीत्कार कर उठी, उसकी गाण्ड के छेद की सलवटें उसे रोमांचित करने लगी।

उसने अंगुली में क्रीम लगा कर उसके छेद पर मला और अपनी अंगुली घुसाने का यत्न करने लगा। मेघना को गुदगुदी होने लगी। उसने और क्रीम ली और अपनी अंगुली को छेद में दबा दी।
वो थोड़ा सा अन्दर घुस गई।

मेघना ने बन्टी का लण्ड पकड़ लिया और दबाने लगी, उसे ऊपर नीचे चलाने लगी।
‘दीदी, बहुत मजा आ रहा है… करती रहो!’ बन्टी के मुख से सिसकारियाँ निकल रही थी।
‘आया ना मजा? अभी और मजा आयेगा, देखना!’ मेघना के मुख से भी सिसकारी निकल पड़ी।

मेघना तो वासना की गुड़िया बन चुकी थी। बन्टी गाण्ड में अंगुली घुमाता रहा लेकिन फिर उसने बाहर निकाल ली।

मेघना ने महसूस किया कि कोशिश करने पर बन्टी का लण्ड भीतर जा सकता है- बन्टी, अब तू पापा की तरह कर, अपना लण्ड मेरी गाण्ड में घुसेड़ दे!’

बन्टी का लण्ड बहुत सख्त हो चुका था, उसने उसके चूतड़ों को खोल कर लण्ड को छेद पर रखा और दबाने लगा, नहीं गया तो नहीं ही गया।
‘अरे बन्टी, और जोर लगा ना!’

मेघना ने अपनी गाण्ड ढीली कर दी, पर फिर भी वो नहीं गया। बन्टी को तकलीफ़ होने लगी थी।
तभी मेघना ने उसका लण्ड लेकर अपनी चूत में घुसा लिया।
‘घुस गया दीदी, और मीठा मीठा सा भी लगा।’ बन्टी खुश हो गया।

मेघना ने वैसे ही घोड़ी बने उसके लण्ड को एक झटक जोर से दिया। बन्टी का लण्ड उसकी चूत में घुसता ही चला गया। मेघना आनन्द से सिसक पड़ी।

बन्टी को भी बहुत आनन्द सा लगा। पर उसे एक जलन सी भी हो रही थी।
‘भैया, अब धक्का लगा, धीरे धीरे! समझ गया ना?’

बन्टी अपने लण्ड में जलन का कारण समझ ना पाया। वो कुछ देर यूँ ही घुटनों के बल खड़ा रहा। फिर उसने धीरे से लण्ड को बाहर खींचा और अन्दर धक्का दे दिया। अब उसे भी मजा आया।
धीरे धीरे उसकी रफ़्तार बढ़ने लगी, उसकी सांसें तेज होने लगी।
बन्टी ने पहली बार किसी लड़की को चोदा था, पर किस्मतसे वो उसकी बहन ही थी।

मेघना को तो जैसे घर में ही खजाना मिल गया था, वो बड़ी लगन से अपने छोटे भाई से चुदवा रही थी, बन्टी भी बेसुध हो कर उसे चोद रहा था।
बड़ी बहन के होते हुए वो अच्छा-बुरा भला क्यों सोचता।

तभी मेघना झड़ने लगी। बन्टी भी जोर जोर चोदते हुये बोल रहा था- दीदी, मुझे पेशाब लगी है!’
‘अरे ऐसे ही मूत दे… बहुत मजा आयेगा!’

बन्टी ने बहन का कहा मान कर अपना माल उसकी चूत में ही उगल दिया। फिर उसे अब मूत्र भी आने लगा। वह फिर से बहन के कहे अनुसार उसकी गाण्ड के गोलों पर अपना मूत्र-विसर्जन करने लगा।
‘अरे बस ना, यह क्या कर रहा है?’

बन्टी तो मूतता ही गया। उसे पूरा मूत्र से भिगा दिया। वो शान्ति से मूत्र से नहाती रही। शायद यह उसके लिये आनन्ददायी था।
‘बस हो गया ना?’
‘हाँ दीदी, पूरा मूत दिया। पर यह बिस्तर तो पूरा भीग गया है!’ बन्टी ने चिन्ता जताई।
‘चल मेरे बिस्तर पर सो जाना!’ मेघना ने उसे सुझाया।

दोनों ही मेघना के बिस्तर पर जा कर सो गये। सुबह दोनों ही देर से उठे।

‘तू मेघना के बिस्तर पर क्या कर रहा है?’ मम्मी की गरजती हुई आवाज आई।
‘मम्मी, बन्टी ने अपना बिस्तर गीला कर दिया है’ मेघना ने नींद में कहा।
‘क्या?’
‘सॉरी मम्मी, रात को सपने में पेशाब कर रहा था, तो सच में ही बिस्तर में कर दिया’ बन्टी जल्दी से उठ कर बैठ गया।
मम्मी जोर से हंस पड़ी।
‘अच्छा चल अब चाय पी लो!’ मम्मी हंसते हुए चली गई।

मम्मी भाई-बहन का प्यार देख कर खुश थी पर वो नहीं जानती थी कि उन्होंने तो रात को मम्मी-पापा का खेल खेला है।
बन्टी मुझे देख कर झेंप गया।
‘सॉरी दीदी, रात को अपन जाने क्या करने लगे थे?’ बन्टी सर झुका कर कह रहा था। वो समझ गया था कि उसने दीदी को चोद दिया है।
‘चुप बे सॉरी के बच्चे! आज रात को देख! मैं तेरा क्या हाल करती हूँ?’ मेघना ने खिलखिला कर कहा।
‘दीदी, आज रात को फिर से वही खेल खेलेंगे, ओह दीदी, तुम बहुत अच्छी हो।’ कह कर बन्टी मेघना से लिपट गया।

मम्मी मेज पर बैठी दोनों को आवाजें लगा रही थी- अब सुस्ती छोड़ो, चलो नाश्ता कर लो!’
दोनों एक-दूसरे को देख कर बस मुस्करा दिए और जल्दी से बाथरूम की ओर भागे।
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