दोस्त की चुदक्कड़ भाभी श्वेता-1

(Dost Ki Chudakkad Bhabhi Sweta- Part 1)

बिपिन 2014-03-24 Comments

मेरा नाम बिपिन है। मैं धुले (महाराष्ट्र) का रहने वाला हूँ, मेरी उम्र 33 साल की है और मैं एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हूँ। यह कहानी दिसम्बर महीने की ही है, जब मैंने मेरे सबसे पक्के दोस्त की भाभी को चोदा था और उस दिन से वो चाहती है कि वो हर रोज मुझसे चुदे।

मेरे दोस्त का नाम निलेश है और वो मेरे साथ कॉलेज में पढ़ता था, तबसे हम पक्के दोस्त हैं। अक्सर हमारा एक-दूसरे के घर आना-जाना रहता था। हमारे रिश्ते पारिवारिक हो गए थे।

उसके घर में वो, उसके मम्मी-पापा उसके भाई-भाभी और उनकी दो छोटी लड़कियाँ रहती थीं। निलेश के पापा एक सरकारी नौकरी में थे और उसकी मम्मी हाउस-वाइफ। उसका भाई किसी प्राइवेट कंपनी में काम करता था और मेरा दोस्त सरकारी जॉब के लिए कोशिश कर रहा था और मैं भी उसके साथ ही तैयारी करता था और साथ में जॉब भी करता था। हम अक्सर एक-दूसरे के घर आते-जाते रहते थे।

उसका भाई भी मेरा अच्छा दोस्त बन गया था। उसका नाम रमेश था, उसकी उम्र करीबन 34 थी और भाभी का नाम श्वेता था और उनकी उम्र 32 साल थी, पर एक बार देख के कोई नहीं बोल सकेगा कि यह दो बच्चे की माँ होगी।

उनका फिगर 36-26-38 था। भाभी दिखने में एकदम मस्त थीं, वो हमेशा गुजराती साड़ी ही पहना करती थीं और साड़ी के नीचे उनके वो टाइट फिटिंग वाला ब्लाउज और उसमें कसे हुए मम्मे एकदम मस्त दिखते थे। उनकी खुली कमर एकदम गोरी चिकनी दिखती थी।

मैं जब भी उनके घर जाता वो कुछ न कुछ काम कर रही होती थीं। कभी-कभी मैं देखता, तो पोंछा लगाते समय साड़ी में से उनके बड़े, भरे हुए चूतड़ दिखते थे।

मैंने कभी उनके बारे में गलत नहीं सोचा था। मैं हमेशा उनको भाभी की तरह ही देखता था क्योंकि निलेश की मम्मी मुझे बेटे की तरह मानती थीं। भाभी की दोनों बेटियाँ स्कूल में पढ़ती थीं। एक 7 साल की है, वो दूसरी कक्षा में और दूसरी 5 साल की वो पहली कक्षा में थी और घर से स्कूल थोड़ा दूर था, इसलिए मेरा दोस्त रोज उनको स्कूल छोड़ने और लेने जाता था।

थोड़े दिन बाद मेरा दोस्त नई स्कूटी लेकर मेरे घर आया। मैंने पूछा- अरे ये किसकी उठा आया।

तो बोला- नया लिया है और उसका नंबर 1001 लिया था।

एक दिन में जब उनके घर गया तो रमेश भाभी को स्कूटी सिखा रहा था।

मैंने बोला- वाह भाभी, आप तो सीख गईं!

तो बोलीं- हाँ, सीखना तो पड़ेगा ही न! फिर बच्चों को स्कूल छोड़ने और लेने जाने में कभी जरूरत पड़ जाये!

मैंने बोला- सही बात है।

थोड़े दिन बाद मेरे दोस्त ने कॉल सेण्टर में जॉब ढूँढ ली और जब मैं उनके घर जाता तो कभी-कभी वो मिलता नहीं, उस समय वो जॉब पर ही होता था क्योंकि उसकी शिफ्ट बदलती रहती थी। इसलिए मैंने देखा कि भाभी ही बच्चों को छोड़ने जाया करती थीं।

यह एक महीने पहले की ही बात है जब मैं बिग-बाज़ार में कुछ शॉपिंग करने गया था। मैं मोटर साइकिल पार्क करने पार्किंग में गया, तो मैंने देखा के 1001 नंबर वाला स्कूटी खड़ी थी।

मैंने सोचा कि शायद निलेश भी आया होगा, मैंने उसे कॉल किया पर उठाया नहीं। मैंने सोचा अन्दर ही होगा मिल जायेगा। मैं मॉल के अन्दर गया, बहुत ढूँढा, पर वो नहीं मिला। मैंने शॉपिंग के बाद जब बिल के लिए लाइन में गया तो लम्बी लाइन थी, मैं लाइन में खड़ा रहा।

थोड़ी देर बाद मेरी नज़र पास वाले बिल काऊँटर पर गई। उस लाइन में श्वेता भाभी खड़ी थीं, पर वो दूर थीं, तो मैंने उन्हें बुलाने की कोशिश नहीं की।

वो बिल बनवा कर बाहर निकलीं तो मैंने देखा कि वो किसी लड़के के साथ में खड़ी थीं, बातें कर रही थीं। फिर वो लड़का पार्किंग से अपनी कार लेकर आया और भाभी उसमें बैठ गईं और वे लोग चले गए। मैं जब पार्किंग में गया तो स्कूटी वहीं खड़ी थी। मैंने सोचा कोई रिश्तेदार होगा, उनके साथ कहीं गई होंगी, मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया।

थोड़े दिनों बाद में शाम को करीबन 7 बजे उनके घर गया तो सब लोग घर पर थे, सिर्फ निलेश जॉब पर गया हुआ था। उनके पापा ने मुझे बैठने को बोला। मैं सोफा पर बैठ गया। पास में रमेश बैठा था और भाभी सब्जी काट रही थीं और उनकी मम्मी रसोई में थीं।

भाभी उठ कर मेरे लिए पानी लेकर आईं। मैंने धन्यवाद बोला और वो रसोई में चली गईं।

जब वो वापिस आईं तो मैंने उनसे कहा- भाभी, थोड़े दिन पहले मैंने आपको बिग-बाज़ार में देखा था।

तो वो चौंक गईं और मेरे सामने देखती रहीं।

मैंने कहा- आप बिल की लाइन में थीं।

तो वो मेरे सामने परेशान होकर देखने लगीं, उतने में रमेश ने पूछा- कब?

मैंने कहा- थोड़े दिन पहले!

उतना कहते-कहते मैंने भाभी के सामने देखा तो वो मुझे इशारे से कह रही थी, होंठ पर उंगली रख कर कि ‘कुछ मत बोलो’, चुप रहो!

मुझे लगा शायद कुछ गड़बड़ है तो मैंने तुरंत ही बात पलट दी और बोला- भाभी, उस दिन आपने लाल रंग का सूट पहना था।

तो रमेश बोला- यह तो कभी सूट पहनती ही नहीं, सिर्फ साड़ी पहनती हैं।

फिर मैंने बोला- तो शायद कोई और होगा पर वो आपके जैसा ही दिखता था।

तो रमेश बोला- क्या यार तू भी!

फिर थोड़ी देर बातें की हमने और फिर मैंने कहा- मैं चलता हूँ और मैं घर आ गया।

दूसरे दिन दोपहर को मेरे फ़ोन पर एक अनजाने मोबाइल नंबर से कॉल आई, मैंने रिसीव किया।

मैंने बोला- हेलो!

और सामने कोई लड़की थी, वो बोली- मैं श्वेता!

मैं- ओह्ह, हाँ भाभी बोलिए, सॉरी मैं आपकी आवाज़ पहचान नहीं पाया, बोलिए बोलिए…

श्वेता- सुनो, तुमने बिग-बाज़ार में मुझे देखा था वो प्लीज़ किसी को मत बताना।

मैं- हाँ, वो उस दिन आप मुझे इशारे से कहने को मना कर रही थीं।
श्वेता- हाँ वो प्लीज़ किसी को मत बताना।
मैं- ओके, ठीक है किसी को भी नहीं बताऊँगा, पर तुम्हें मुझे बताना होगा कि तुम क्या छुपा रही हो और मैं कसम लेता हूँ, मैं किसी को नहीं बताऊँगा।
श्वेता- बहुत लम्बी गाथा है, बाद में बताऊँगी।
मैं- भाभी, मैं कसम नहीं तोड़ूंगा, बताओ न!

श्वेता- सही है! तो सुनो, वो मेरा कॉलेज का दोस्त था पिछले 3 साल से हम मिल रहे हैं, पर आज तक किसी को पता नहीं है।
मैं- ओह, भाभी, मतलब वो तुम्हारा बॉय-फ्रेंड है!
श्वेता- तुम जो भी समझो लेकिन प्लीज़, निलेश को इस बारे में कुछ मत बताना।
मैं- ओके।
श्वेता- ओके धन्यवाद.. बाय।
मैं- बाय।

मैंने रात को सोते वक़्त सोचा कि भाभी 3 साल से इसे मिल रहे हैं और किसी को पता नहीं है और घर पर इतनी भोली बनती है और बाहर बॉय-फ्रेंड के साथ घूमती है।

फिर मैंने सोचा, चलो कोई बात नहीं उसकी ज़िन्दगी है, वो जो करे मुझे क्या! फिर मैं सो गया। सुबह उठा तो मैंने देखा मेरे मोबाइल पर मैसेज आया था। मैंने ओपन किया तो वो मैसेज भाभी के नंबर से था और अन्दर ‘धन्यवाद बिपिन’ लिखा था।

दो दिन बाद वापिस भाभी का कॉल आया उन्होंने मुझे कहा- अगर तुम्हें मेरे बॉय-फ्रेंड से मिलना हो तो बिग-बाज़ार के पार्किंग में आ जाओ।

मैं वहाँ गया वहाँ कोई नहीं था, सिर्फ भाभी की स्कूटी खड़ी थी और भाभी कहीं दिख नहीं रही थीं। थोड़ी देर बाद एक कार आई और भाभी उसमें से उतरीं। मैं तो देखता ही रह गया। भाभी ने शॉर्ट-स्कर्ट और टॉप पहना था। मैंने आज तक भाभी को इस तरह के कपड़ों में नहीं देखा था।

भाभी ने मुझे ‘हेल्लो’ कहा और मैंने भाभी को। फिर उसने अपने बॉय-फ्रेंड को बुलाया और मुझसे मिलवाया। फिर दोनों ने मुझे ‘बाय’ बोला मैंने भी ‘बाय’ कहा और वे लोग कार में बैठ कर चले गए।

मैं तो भाभी को ऐसे कपड़ों में देखता ही रह गया और सोचने लगा। फिर मैं अगले दिन भाभी घर गया वहाँ पर भाभी अकेली थी और उनका मोबाइल वही सोफे पर पड़ा था। मैंने मोबाइल के अन्दर देखा तो हितेश के मैसेज थे।

मैंने काफी सारे मैसेज पढ़े पर कुछ नहीं मिला। नॉर्मल शायरियाँ और जोक्स थे, पर एक फोल्डर श्वेता के नाम का था, मैंने वो ओपन किया तो अन्दर-अलग अलग फोल्डर थे और अलग-अलग लड़कों के नाम लिखे थे। मैंने थोड़े चेक किये और देखे तो मुझे पता चला के सारे मैसेज अश्लीलता से भरे पड़े थे और वे सभी मैसेज रात के वक़्त के भेजे हुए थे।

फिर मुझे समझ आया कि भाभी रात को लड़कों से मैसेज पर सेक्स चैट करती हैं और कुछ देर बाद मैं वहाँ से आ गया।

मैंने घर जाकर रात को सोते वक़्त सोचा कि भाभी तो बड़ी चालू लगती हैं पर घर पर किसी को नहीं पता। मैंने सोचा कि अगर घर पर पता चला तो क्या होगा। फिर मैंने सोचा जो भी हो मुझे क्या!

फिर मेरे दिमाग में एक आईडिया आया कि मैं भी भाभी को रात को मैसेज भेजता हूँ, मैंने उनको ‘हाय’ का मैसेज किया तो उनका भी मैसेज आया ‘हेल्लो’।

मैंने पूछा- क्या कर रही हो?
तो बोली- कुछ नहीं, बस अब नींद आ रही है।
मैंने बोला- ठीक है।

और उन्होंने शुभ रात्रि का मैसेज भेज दिया और उसके बाद से धीरे-धीरे हमारे बीच सेक्स-चैट होने लगी। इतना एरोटिक सेक्स-चैट किया उन्होंने, कि मेरा ऐसे ही निकल जाता था। फिर रोज रात को हम मैसेज से बातें करते रहे।

एक दिन उन्होंने मुझे मिलने बुलाया, फिर मैंने मानते हुए लिख दिया- ठीक है।

और हम मॉल में मिले लेकिन उन्होंने शर्त रखी कि तुम किसी को कुछ नहीं बताओगे, हितेश को भी नहीं।

मैंने पूछा- क्यों? हितेश को भी नहीं?
तो बोली हाँ उसे भी नहीं।
मैंने बोला- ठीक है।

फिर रात को हम ने सेक्स-चैट किया और उसमें मैंने भाभी को पूछा- क्या तुम मेरे साथ सेक्स करोगी?
तो उन्होंने मुझे साफ़ मना कर दिया और बोली- नहीं, मैं रमेश के अलावा किसी से नहीं करती।

कहानी जारी रहेगी।
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दोस्त की चुदक्कड़ भाभी श्वेता-2

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