भाभी की फुद्दी के प्यार में पड़ गया-2

(Bhabhi Ki fuddi ke pyar me pad Gaya-2)

This story is part of a series:

‘तो ठीक है… फिर इसी टूर पर भाभी का भी मज़ा दिलवाओगी।’
नीलम बोली- शाम को हम सब घूमने के लिये जायेंगे और लौटते समय तुम अचानक मार्केट में मिल जाना। वहाँ पर भाभी से तुमको मिलवा दूँगी, तुम उनको देख लेना। फिर आगे बताउँगी कि क्या करना है।

फिर जैसा प्लान तय किया गया था, मैं शाम को मार्केट में टहलने लगा, करीब एक घंटे के बाद नीलम, उसकी भाभी और उसके भाई आइसक्रीम कार्नर पर टहलते हुए आए। मैं भी उनकी नज़र बचाते हुए उसी आइसक्रीम कार्नर पर पहुँचा। और जानबूझ कर तेज आवाज में बोलते हुए आइसक्रीम मांगी ताकि मेरी आवाज उन तक पहुँच सके, और जैसे ही मैंने बोला, उसका भाई मेरी तरफ घूमा और बोला-
शरद तुम यहाँ कैसे??

‘बस पिकनिक मनाने आया हूँ भईया!’
‘और साथ में कौन-कौन आया है?’
‘कोई नहीं, मैं अकेले आया हूँ।’
‘ठीक है। कहाँ ठहरे हुए हो?’

मैंने होटल का नाम बताया और उसको सुनकर बोले- अरे हम लोग भी वहीं ठहरे हुए हैं।
‘हम लोग कौन? क्या आफिस से भी लोग आये हैं।’
‘नहीं-नहीं… नीलम और तुम्हारी भाभी बबली भी साथ में हैं।’

जब मैंने उसकी भाभी की तरफ देखा तो देखता ही रह गया, क्या फिगर था… मेरे ख्याल से तो 34-32-34 का फिगर था।
जींस व टाप पर तो वो और कयामत ढा रही थी। टाप और जींस के बीच से उनकी नाभि क्या सेक्सी लग रही थी और ऊपर से तो गोले वाले जो उसने चश्मा पहने थे, मन में नीलम की कही हुई बात सोचने लगा।
लेकिन तुरंत ही अपने को काबू करते हुए मैंने औपचारिकता वश उनसे नमस्ते की और कहा- मैं आपसे पहली बार मिल रहा हूँ।

उन्होंने भी मेरे नमस्ते का जवाब हौले से मुस्कुरा कर दिया, मैंने नीलम से भी हाल चाल पूछा, और वहाँ से चलने लगा तो भईया ने रूम नम्बर पूछ लिया।
रूम नम्बर बता कर मैं वहाँ से चल दिया।

शाम को हम लोग एक रेस्तराँ में मिले, वहाँ मैं एक अलग मेज पर बैठा हुआ था कि उतने में ये लोग आते हुए नजर आये।

मैंने जानबूझ कर अनदेखा किया, इतने मैं मेरी नजर नीलम से मिली, उसने एक कागज हिलाते हुम मुझे दिखाया और जमीन पर फेंक दिया, जिसे मैंने उठा कर पढ़ा।

लिखा था- अभी भैया तुम्हारे पास आयेंगे और अपनी बीवी और बहन को चोदने के लिये कहेंगे।

थोड़ी देर बाद जैसे ही भैया ने मुझे देखा तो मेरे पास आये और बोले- शरद एक काम है मुझे तुमसे! ऐसा है कि मैं अपने टूर पर आया हूँ और इन लोगों ने भी जिद की तो ये लोग भी साथ हो लिये। लेकिन जब मैंने तुमको देखा तो मेरी समस्या हल होती नजर आई।

मैंने कहा- कैसी समस्या?

‘अनजान शहर में दोनो औरतों को अकेला छोड़ कर जाने का मन नहीं हो रहा था, पर अब तुम हो तो दो दिन इनको अपने साथ माउंट आबू की सैर करा दो तो मैं अपना काम खत्म करके 13 की सुबह तक आ जाऊँगा।’

‘ठीक है, मैं इन लोगो को घूमा दूँगा, पर आप इनसे तो पूछ लो।’

भैया मुझे अपनी टेबल पर ले गये और भाभी से बोले- बबली, शरद दो दिन तक तुम लोगों का ध्यान रखेगा। तुम लोग इसके साथ माउंट आबू का मजा ले सकते हो!!

अपने भैया की इस बात पर नीलम हौले से मुस्कुराई और सबकी नजर बचाकर अपनी बायीं आँख दबा दी।

खाना खाने के बाद हम लोग होटल के लिये चल दिये। भाभी और भैया एक साथ और उनके कुछ कदम आगे हम और नीलम चल रहे थे।
तभी नीलम मुझसे बोली- क्यों मेरे राजा क्या कहा था मैंने?
‘वो तो ठीक है, लेकिन भाभी चुदेगी कैसी?’
‘वो भी बताती हूँ!! भैया अभी थोड़ी देर में चले जायेंगे। और भाभी अकेले अपने कमरे में रहेंगी मैं उनसे कहूँगी कि मैं भी उनके साथ सो जाती हूँ और वो मना कर देगी?’

‘क्यों?’
‘क्योंकि भाभी कमरे में बिल्कुल नंगी सोती है, अपने साथ भैया के अलावा किसी को नहीं सुलाती है। फिर मैं अपने कमरे में… हम दोनों रासलीला रचायेंगे और कमरे को हल्का सा खुला छोड़कर थोड़ी सी ऊँची आवाज में बोलेंगे, भाभी वो आवाज सुनकर आयेगी और कुछ बुरा भला कहकर भैया को बताने की धमकी देगी।
उसी समय हम लोग थोड़ा सा डर का नाटक करेंगे और कहेंगे जैसा आप कहोगी वैसा ही करेंगे, पर भैया को मत बताना। इस पर अगर बात बनती है तो फिर मजा मिलेगा और नहीं बनती तो सजा मिलेगी। अब बताओ तुम क्या कहते हो?

‘ठीक है, तुम्हारे और भाभी के लिये अगर सजा मिली तो भी मैं तैयार हूँ।’

बात करते-करते होटल आ गया मैं अपने रूम में, नीलम अपने रूम में और भैया-भाभी अपने रूम पर आ गए।
अब केवल इंतजार भैया के जाने का था।

थोड़ी देर बाद मेरे कमरे का दरवाजा खटका, भैया बोले कि मैं जा रहा हूँ, इन लोगों का ध्यान रखना।
मैंने कहा- ठीक है।

तभी नीलम बोली- मैं भाभी के साथ सो जाऊँगी।
भाभी ने जब कोई जवाब नहीं दिया तो मुझे लगा कि आज मामला खराब हुआ।
जब भैया चले गये तो नीलम और भाभी भाभी के कमरे की ओर चल दिये। मैं भी धीरे से भाभी को नंगी देखने के लिये चल दिया, पर जैसे मैं उनके कमरे की खिड़की के पास पहुँचा तो भाभी की आवाज आई- नीलम हम लोगों ने दो रूम तुम्हारे भैया से जिद करके लिया है, अगर तुम मेरे साथ सोने आओगी तो उस रूम का तो किराया वेस्ट चला जायेगा, तुम अपने कमरे में सो जाओ और मैं यहाँ सो जाऊँगी।

‘ठीक है भाभी जैसा आप कहें!’

जैसे ही नीलम के शब्द मैंने सुने, मैं तुरन्त नीलम के कमरे की ओर भागा।
जब नीलम आई तो बोली- बहुत उतावले लगते हो?

मैंने नीलम की बात को अनसुना करते हुए कहा- आओ, भाभी के रूम की ओर चलते हैं।
इतना कहकर मैंने नीलम का हाथ पकड़ा और उसकी भाभी के कमरे की ओर चल दिये।

क्या मस्त नजारा था, भाभी ने अपने टाप उतारा नीले रंग की जालीदार ब्रा पहनी थी। फिर जींस उतारी तो क्या कहूँ दोस्तो, उनकी चूत और गांड नाम मात्र की ढकी थी उस पैंटी से। पैंटी की डोरी भाभी की गांड की दरार के बीच थी।

उनके इस यौवन को देखते ही नीलम बोली- मुझे भी इस तरह की पैंटी और ब्रा चाहिए।
मैंने कहा- अगर तेरी भाभी चुदी मुझसे तो तुम्हें और तुम्हारी भाभी दोनों को सेक्सी-सेक्सी पैंटी और ब्रा दिलवाऊँगा।

पूरे कपड़े उतार कर भाभी पलंग पर लेट कर अपनी उंगली बुर में डालती और निकाल कर चाटती।
अब हम और नीलम आगे का प्लान पर काम करने के लिये नीलम के कमरे में आ गये। कमरे में आते ही हमने अपने कपड़े उतारे और नीलम मेरी गोदी में चढ़ कर मेरे होंठों को चूस रही थी।

फिर हम लोग 69 की अवस्था में आकर एक-दूसरे के अंगो का मजा लेने लगे। नीलम मेरे लौड़े को चूसते-चूसते मेरे गांड में उंगली करने लगी, मैंने भी उसकी पुतिया में दाँत गड़ा दिए जिससे वो सिसकार उठी और मेरे चूतड़ों में जोर से चिकुटी काट ली।
मैं उसकी तरफ मुड़ा तो बोली- कुछ ऐसा करो कि हम दोनों की सेक्सी आवाज भाभी सुने।
‘तो ठीक है, आओ कुश्ती लड़ते हैं।’
इतना कहकर मैंने एक जोर से धक्का दिया वो चिल्ला पड़ी, मैंने तुरन्त उसके मुँह पर हाथ रखा, थोड़ी देर बाद वो मजे लेकर बोली- चोद मेरे राजा, चोद अपनी नीलम को।

वो जानबूझकर अपना नाम ले रही थी ताकि भाभी सुने। करीब पाँच या सात मिनट बाद ही मेरे चूतड़ पर एक जोर से चांटा पड़ा।
‘नीलम यार गांड पर इतनी तेज मत मारो।’
इतना कहना था कि एक और चांटा लगा, मैं उछल कर खड़ा हो गया, देखा तो भाभी झीनी मैक्सी पहने गुस्से में तमतमा रही थी।

मैंने उनको देखकर अपनी नजर को नीची किये हुए कपड़े उठाने लगा, तभी भाभी बोली- रूक!!
उधर नीलम ने अपने ऊपर चादर ओढ़ ली।
तुरन्त ही भाभी के मुँह से गाली निकली- मादरचोद, नीलम के भईया तुझे हम लोगों की देखभाल करने के लिये कहे थे कि उसकी बहन को चोदने के लिये? और तू छिनाल, तेरे बुर में भी खुजली हो रही थी। आने दे तेरे भईया को, मैं उनसे बोलती हूँ कि उसकी बहन की बुर में आग लगी है, मोटा लौड़ा ला कर दे दो।

इतना कहना था कि नीलम तुरन्त उतरी और उनके पैरों पर घुटनों के बल बैठी और मैं भी उसी पोज में बैठ गया।
तब नीलम बोली- भाभी, भईया को मत बताना प्लीज!!

‘क्यों चुदते समय ध्यान नहीं आया था कि भईया को पता भी चल सकता है?’

हम दोनों डरने का नाटक करने लगे और उन्हें मनाने की कोशिश करने लगे।
वो मान नहीं रही थी, लेकिन मनाना जरूरी था तो दोनों खड़े होकर उनका हाथ पकड़ कर मनाने लगे लेकिन उनका गुस्सा कम हो ही नहीं रहा था।
इतने में उनकी नजर मेरे लौड़े पर पड़ी और कस कर पकड़ कर बोली- अगर मुझे पता होता कि ये लौड़ा इस छिनाल के बुर को ड्रिल करेगा तो मैं इसे अपने पास ही सुलाती।
तभी नीलम अपनी भाभी का मानमुनव्वल करते-करते उनके पीछे आकर मुझे आँख मारी, मैं इशारा समझ कर भाभी को पकड़ कर अपने होंठ उनके होंठ पर रख दिया और जोर-जोर से चूसने लगा।
तभी नीलम बोली- छोड़ मेरी भाभी को… छोड़ कमीने मुझे नहीं मालूम था कि तुम ये हरकत करोगे, छोड़!

मैं उनके होंठों को पकड़ा था और वो मेरे लौड़े को मसल रही थी।
मैं समझ गया कि चिड़िया जाल में फंस गई, उधर नीलम उल जलूल बोले जा रही थी।
तभी मैंने नीलम को आँख मारी, इशारा समझते ही उसने हम दोनों को झटके से खींचकर अलग कर दिया।
तभी भाभी ने नीलम की ओर देखते हुए बोली- नीलम अगर तुम्हें अपनी भाभी को शरद से चुदवाना ही था तो दोनों मेरे पास आ जाते, मैं तो जब तक रात में न चुँदु तो नींद नहीं आती। तुझे तो मालूम ही है तेरी भाभी को चुदवाना कितना पसंद है।

‘क्या कह रही हो भाभी, मुझे कैसे मालूम?’

भाभी हँसते हुए बोली- मुझे तो यह भी मालूम है कि अभी तुम दोनों मुझे कपड़े बदलते हुए देख रहे थे।

तब नीलम सरेन्डर होते हुए बोली- भाभी मैं आपको नहीं चुदवाना चाहती थी, यह तो यही पीछे पड़ा था, इसे तुम्हारा ये सेक्सी बदन खास तौर पर तुम्हारी गांड का ये दीवाना है।

‘अच्छा तो इसे मेरी गांड इतनी खास क्यों लगी?’

तभी मैंने भाभी की गांड को अपने हाथ से दबाते हुए कहा- भाभी, जब मैंने आज आप को देखा तो आपका ये, जो आपके उभार है ये बहुत ही सेक्सी है, और जब आप चलती हो और ये उपर नीचे होता है तो और भी सेक्सी लगता है, देखते ही मेरे दिल की धड़कन बढ़ जाती है। मन तो तभी मेरा हो रहा था कि मैं उसी समय आपको पकड़ कर चोद दूँ। भाभी एक बात बताओ ‘क्या भैया से आप गांड मरवाती हो?’

‘क्यों नहीं… मैं हर छेद का मजा लेती हूँ।’
‘मगर नीलम से मैंने कितनी बार कहा उसकी गांड मारने को, यह तैयार ही नहीं होती है।’
‘आज अपनी भाभी के साथ-साथ यह भी गांड मरवायेगी।’

इतना कहकर भाभी ने मुझे और नीलम को साथ-साथ खड़ा किया और मेरे लंड को और नीलम की बुर को मसलने लगी।
उनके इस तरह मेरा लंड मसलने से मेरा तो हाल बुरा था, नीलम भी सिसकी ले रही था और पता नहीं क्या-क्या बोले जा रही थी।

भाभी कभी मेरे लंड को इस तरह मसलती जैसे दूध दू रही हो, कभी मेरे अंडे को पकड़ कर दबाती, तो कभी लिंग के अग्र भाग के कटे हुए हिस्से में अपने नाखून से कुरेदती तो ऐसा लगता कि अब मैं झड़ने वाला हूँ।

थोड़ी देर बाद मेरा शरीर अकड़ने लगा और मैं झड़ गया और साथ-साथ नीलम भी झड़ गई। भाभी के दोनों हाथ हमारे रस से सराबौर थे और वो मजे लेकर उसे चाट रही थी।

हमारे रस को चाटने के बाद भाभी पलंग पर पैर को नीचे किये हुए लेट गई उसके इस तरह लेटने से उसकी बुर उठी हुई लगी।
तभी वो बोली- मेरी फ़ुद्दी को सिर्फ़ देखेगा ही या इसको चाट कर इसके रस का मजा भी लेगा?

मैं एक आज्ञाकारी की तरह उँकुड़ू बैठ कर अपना मुँह उनके फ़ुद्दी के पास ले जाकर सूंघने लगा।
क्या महक थी…
कहानी जारी रहेगी।
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