रमशा की दूसरी चुदाई-2

(Ramsha Ki Dusari Chudai-2)

This story is part of a series:

रमशा की अनचुदी कुंवारी बुर को चोदने के बाद मैं बहुत खुश था। मैं अपने आपको बहुत खुशनसीब मानता हूँ कि रमशा जैसी खूबसूरत लड़की को पहली बार चोदने का मौका मुझे मिला था।

चुदाई के बाद मुझे मालूम हुआ कि मेरे नौकर ने हमारी चुदाई को देख लिया था।

हैलो दोस्तो, मेरा नाम राजीव कुमार है मैंने इससे पहले मेरी पहली कहानी रमशा की पहली चुदाई-1 लिखा था..
मुझे बड़ी ख़ुशी है कि आप लोगों को मेरी कहानी पसंद आई।

अब मैं उसे आगे बढ़ाते हुए आपको आगे की बात बताता हूँ।
रमशा को चोदने के बाद मैं बहुत खुश था। मैं अपने आपको बहुत खुशनसीब मानता हूँ कि मुझे रमशा जैसी खूबसूरत लड़की को चोदने का मौका मिला था।

चुदाई के बाद मुझे मालूम हुआ कि मेरे नौकर ने हमारी चुदाई को देख लिया था।
मेरे उस नौकर का नाम राहुल था.. वह देखने में ठीक-ठाक था.. पर वो महा-मादरचोद आदमी था, उसने बहुत औरतों को चोदा था.. उसे चोदने का बहुत तजुर्बा था।

मैंने उसे किसी को हमारी चुदाई के बारे में किसी को नहीं बताने के लिये कहा था.. परंतु बदले में वो भी रमशा को चोदने का डिमांड करने लगा।

मुझे उस पर बहुत गुस्सा आया… साले की कोई औकात तो है नहीं.. मादरचोद रमशा जैसी परी को चोदने की सोच रहा था.. पर मैंने मना कर दिया तो वो धमकी देने लगा।

फिर मैंने कहा- ठीक है.. मैं सोच कर कल बताता हूँ.. तब तक ये 100 रुपए रख और अपनी मुँह बंद रखना।

फिर शाम को मैं जल्दी से दुकान बंद करके रमशा के घर पहुँचा.. उसके मम्मी-पापा जॉब से वापस आ चुके थे।

मैंने उन्हें सलाम किया.. उन्होंने मुझे बैठाया और रमशा के अब्बा ने मुझसे पूछा- बेटा कैसे हो? आजकल काम में बहुत बिजी रहते हो!

मैं बोला- क्या करूँ अंकल.. आजकल गेहूँ का सीजन चल रहा है.. इसलिए थोड़ा बिजी रहता हूँ।

तब तक रमशा चाय बना कर ले आई.. मैंने चाय का कप उठा लिया।

वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी।

जब वह चाय देकर वापस जाने लगी.. तो उसकी चाल लड़खड़ा रही थी.. मैं समझ गया कि इसे अभी भी चूत में दर्द हो रहा होगा।

फिर मैं अंकल से बात करने लगा.. थोड़ी देर बात करने के बाद मैंने कहा- अब मैं चलता हूँ।

फिर मैंने आँखों से उसे नीचे आने को बोला तो वो इशारे से बोली- नहीं.. नीचे नहीं आ सकती.. अब्बू को शक हो जाएगा.. कल मिलते हैं।

मैं मन मारकर वापिस आ गया।
मैं पूरी रात उसके ही बारे में सोचता रहा।
सुबह फिर मजदूरों के साथ गोदाम में गेहूँ पैक करवाने पहुँच गया।

करीब 9 बजे उसके मम्मी-पापा जॉब पर जाने लगे.. मैंने उन्हें देख मुस्कुरा कर सलाम किया।

वो चले गए.. फिर थोड़ी देर में रमशा नहा कर बाहर आई।
मैंने उसे देखा तो देखता ही रह गया.. वह गुलाबी रंग का सूट पहने हुए थी, उसके बाल खुले हुए थे.. वो एकदम परी जैसी लग रही थी।

मैं उसके पास गया और ‘हाय’ किया और बोला- आज तुम बहुत बहुत ज्यादा खूबसूरत लग रही हो।

उसने बोला- थैंक यू…

फिर मैंने उसे राहुल के बारे में बताया उसने साफ़ मना कर दिया। फिर काफी समझाने पर वो मान गई.. बोली- आज भी थोड़ा दर्द कर रहा है.. उसे कल बुलाना।

मैं उसके साथ उसके घर में उसके साथ घुस गया और उसे चुम्बन करने लगा। वो भी साथ दे रही थी.. फिर हमने चुदाई की।

फिर मैं उसे चोद कर वापस गोदाम में आ गया और अपना काम पूरा करके वापस घर आ गया।

दूसरे दिन कोई काम नहीं था.. पर मैंने पापा से बोला- आज गोदाम में 2-3 घंटे का काम है.. मैं राहुल को लेकर गोदाम में जा रहा हूँ।

उन्होंने कहा- ठीक है.. जल्दी आना।

मैंने बोला- ओके।

मैं राहुल के साथ गोदाम में आ गया।

फिर हम लोग रमशा के घर पहुँचे.. वो नहा रही थी।

जब मैंने आवाज लगाई तो वो झट से तौलिया लपेट कर बाहर आ गई।

वो तौलिए में क्या गजब की सेक्सी लग रही थी.. उसके शरीर से मस्त भीनी-भीनी खुशबू आ रही थी.. मैं तो मदहोश होकर उसे चुम्बन करने लगा।

वो बोली- थोड़ा सब्र कर लो.. मैं भागी थोड़े ही जा रही हूँ.. आराम से जी भर कर चोदना।

यह बोल कर वो अन्दर चली गई। मैंने देखा राहुल ने अपनी जेब से एक गोली निकाल कर खा ली।

मैंने उससे पूछा- किस चीज की दवा खा रहे हो?

तो उसने बताया- यह ज्यादा देर तक लंड को खड़ा रखती है।

अभी हम लोग बात ही कर रहे थे कि रमशा चाय ले कर आ गई, उसने आसमानी रंग की पारदर्शी नाइटी पहन रखी थी.. जिसके अन्दर काले रंग का उसकी पैंटी-ब्रा साफ़ दिख रही थी।

मेरा मन तो नहीं कर रहा था कि राहुल को चोदने दूँ.. पर अगर मना करता, तो वो सब पापा को बता देता.. इसलिए मैं मजबूर था और रमशा भी मजबूरी में ही उससे चुदवाने को तैयार हुई थी।

राहुल ने चाय की प्लेट नीचे रख कर रमशा का हाथ पकड़ा और अपनी गोदी में खींच कर बैठा लिया। उसका लंड अब खड़ा होने लगा.. वो रमशा को चुम्बन करने लगा और साथ में हाथ से उसके दूध दबाने लगा।

मैं ये देख कर गुस्सा हो गया.. पर मैंने खुद पर कंट्रोल किया और बोला- मादरचोद पहले चाय तो पीले.. फिर आराम से करना।

उसने झट से चाय उठाई और पूरी चाय एक साँस में झट से पी गया और फिर रमशा को चुम्बन करने लगा।

मैं बेबसी से चुपचाप चाय पीते सब देख रहा था.. वो मस्त तरीके से रमशा को चुम्बन कर रहा था।
रमशा भी अब गर्म होने लगी और मस्त होकर वे एक-दूसरे को चुम्बन करने लगे।

राहुल ने नाईटी के गले से अन्दर हाथ डाल कर ऊपर से ही उसका एक मम्मा बाहर निकाल लिया और दबाने लगा, फिर वो उसके मम्मे को दबा-दबा कर चूसने लगा।

रमशा के मुँह से मादक आवाजें निकलने लगीं।

‘आहह.. आह आह्ह.. इसस.. कहह..’

वो उत्तेजना में कामुक आवाजें निकालने लगी।

यह देख कर मेरा लंड भी खड़ा हो गया।
राहुल ने झट से उसकी नाइटी को उतार दिया और बिना ब्रा उतारे ऊपर से ही उसके दूध निकाल कर चूसने लगा।

वो ‘आहें’ भरने लगी.. उसके मुँह से सीत्कारें निकलने लगीं।

‘आह्ह.. अअह्ह.. इह्ह.. स्स्स्स..’

उसकी पैंटी पूरी तरीके से गीली हो चुकी थी।

फिर राहुल ने उसे कंधे पर उठाया और उसके बिस्तर पर पटक दिया।
राहुल ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और फिर उसके पास बैठ कर उसके पैरों को चूमना शुरू किया.. राहुल उसके तलवों को अपनी जीभ से सहलाने लगा, वो जोर-जोर से मादक आवाजें निकालने लगी।

थोड़ी देर तक तलवे सहलाने के बाद राहुल धीरे-धीरे पैर चूमता हुआ रमशा की चूत की ओर बढ़ने लगा और चूत से हो कर नाभि में जीभ से सहलाने लगा।

रमशा अब पूरे जोश में आकर उससे चिपक गई और राहुल के सर को ऊपर करके चुम्बन करने लगी।

फिर रमशा ने राहुल को पलट दिया और उसके ऊपर चढ़ गई, राहुल ने उसे फिर नीचे पटका और ऊपर आ गया।

इस ऊपर-नीचे के चक्कर में दोनों बिस्तर से नीचे गिर गए, फिर भी दोनों फर्श पर भी वैसे ही करते रहे।

थोड़ी देर बाद राहुल ने उसे गोद में उठा कर फिर से बिस्तर पर डाला और फिर उसकी पैंटी उतार कर मेरे ऊपर फेंक दिया। उसकी पैंटी पूरी गीली थी.. शायद वो एक बार झड़ चुकी थी।

फिर राहुल अपनी करिश्माई जीभ से उसकी चूत की फांकों को सहलाने लगा। रमशा जोश से भर कर पगलाई हुई थी।
दोनों आपस में इतने मदहोश थे कि उन्हें मेरा याद ही नहीं रहा।

मेरा लंड पूरी तरह से टाइट हो चुका था उसमें से लार जैसा माल टपकने लगा था।

मैं उठा और अपना लंड रमशा के मुँह में डाल दिया.. वो उसे चूसने लगी। इधर राहुल ने उसकी चूत में ऊँगली और जीभ डाल-डाल कर उसकी चूत से गर्म पानी निकाल दिया और सारा नमकीन पानी पी गया और चूत को भी चाट-चाट कर साफ कर दिया।

फिर रमशा ने मुझे हटा कर.. उसकी चड्डी उतार दी और उसका लंड मुँह में लेकर चूसने लगी।
उसका लंड मेरे से छोटा था.. पर मोटा था।
वो मस्त होकर लंड चूसे जा रही थी।
राहुल भी 69 की अवस्था में आ कर.. फिर से उसकी चूत चाटने लगा।

काफी देर बाद जब राहुल को लगा कि वो झड़ जाएगा.. तो उसने अपना लंड मुँह से निकलवा लिया और फिर से चुम्बन करने लगा।

तब रमशा बोली- राहुल अब देर मत करो जल्दी से अपना लंड मेरे चूत में डाल दो।

उसने भी बिना देर किए रमशा की चूत में अपना लंड पेल दिया.. चूत बहुत रसीली थी.. इसलिए थोड़ा सा जोर लगाने पर ही लंड अन्दर घुस गया और फिर वह रमशा की चूचियों को दबाते हुए.. चुम्बन करते हुए.. लौड़े को आगे-पीछे करने लगा।

रमशा भी मादक सीत्कार निकालते हुए अपनी कमर को ऊपर-नीचे करते हुए चुदवाने लगी।

काफी देर चोदने के बाद राहुल ने उसे कुतिया की तरह बना दिया और पीछे से उसकी चूत में लंड डालकर चोदने लगा।

फिर उसके बाद रमशा उसके लंड के ऊपर बैठ कर चुदवाने लगी, कुछ ही धक्कों में वो झड़ गई।
वो बोली- मैं 4 बार झड़ गई मादरचोद.. तेरा कितने देर बाद गिरेगा?

तो वो बोला- माँ की लौड़ी.. थोड़ी देर और चुद जा.. मैं भी अब बस झड़ने ही वाला हूँ।

वो बोली- मैं तो थक गई हूँ.. अब तू ऊपर आजा और जल्दी से अपना पानी झाड़ ले।

राहुल ने उसको कुतिया बनने को बोला और उसकी गाण्ड में लौड़ा डालने लगा.. तो वो मना करने लगी.. पर वो नहीं माना और जबरदस्ती डालने लगा।

रमशा थक चुकी थी.. इसलिए वो ज्यादा विरोध नहीं कर पाई, राहुल उसकी गाण्ड में जोर-जोर से धक्का मारने लगा और झड़ गया।

फिर राहुल रमशा से चिपक गया।

मेरी तो झांटें सुलग ही रही थीं.. तो मैंने उसे जल्दी से अलग किया और रमशा को ग्लूकोज पीने को दिया और राहुल से बोला- अब तू दुकान पर जा और पापा मेरे बारे में पूछे तो बोलना कि छोटे मालिक थोड़ी देर से आयेंगे।

वो कपड़े पहन कर चला गया.. तब रमशा मेरी गोद में सर रख कर बोली- जान.. तुम मुझे छोड़ तो नहीं दोगे ना।

मैंने बोला- कभी नहीं।

मैं उसके साथ लेट गया.. फिर मैंने कॉफ़ी बनाई.. फिर हम-दोनों ने कॉफ़ी पी।

कुछ देर बाद उसकी थकावट थोड़ी कम हुई.. फिर उसके साथ मैंने चुदाई की और फिर मैं घर चला आया।

शाम को मैंने दुकान बंद की.. और राहुल से बोला- अब तो किसी से नहीं बोलोगे ना?

उसने बोला- नहीं.. पर आज मुझे बहुत मजा आया। मैं आपको भी इसके बदले में एक बार जरुर एक सीलपैक वाली लड़की की सील तोड़ने का मौका दूँगा। यह मेरा वादा है..

मैं यह सुनकर खुश हुआ.. मैंने उसे गले लगाया और उससे विदाई ली।

फिर जब भी मौका मिलता.. मैं और रमशा मिलते और चुदाई करते।
कुछ दिनों बाद रमशा की अम्मी का ट्रांसफर दूसरी जगह हो गया और वो अम्मी के साथ वहाँ से चली गई।

साला राहुल भी वादे का पक्का निकला उसने मुझे अपनी साली की सील तोड़ने का मौका दिया।

उसकी कहानी मैं अपनी अगली कहानी में सुनाऊँगा.. तब तक के लिए अलविदा।

आप सब मेरी इस कहानी पर अपने कमेन्ट करने के लिए आमंत्रित हैं।

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