मेरी लेस्बीयन लीला-2

(Meri Lesbian Lila-2)

मेघा जोशी 2015-05-28 Comments

This story is part of a series:

अब मैंने घुटने से थोड़ा हल्के से जोर दे रही थी। इससे दीदी को कुछ महसूस हुआ.. तो वो जगी.. आँखें खोलीं.. मेरी ओर देखा और फिर मुझे चिपक कर सो गईं।
वो ऐसा अक्सर करती थीं और वो उनका प्यार था।

उन्होंने तीन-चार बार मेरी पीठ पर हाथ घुमाया.. पर मेरे में कुछ और भाव था। अब हम दोनों एक-दूसरे की बाँहों में आ चुके थे.. पर कुछ हो नहीं रहा था। मेरा मुँह दीदी की गरदन के पास था और होंठ कान के नीचे।

तो मैंने अपना मुँह खुला रखा। अब मेरी साँसों की गरमी से दीदी को गुदगुदी महसूस हुई होगी तो उन्होंने गरदन को मेरे होंठों से सटा दिया।

मैंने होंठ जुबान से गीले किए और दीदी की गरदन पर रख दिए और साँसें मुँह से निकलने लगीं.. अब शायद दीदी थोड़ी चेतन हुई थीं।

उनका एक पैर जो मेरी दोनों टाँगों के बीच था.. उसको थोड़ा ऊपर किया। अब उनका पैर मेरी पिंकी को दबा रहा था.. फिर थोड़ा वो भी उलटी हुईं.. तो हम दोनों एक-दूसरे से जोर से चिपके हुए थे.. एक-दूसरे पर हाथ रखे हुए थे।

अब शायद दीदी भी नींद में थीं.. पर मूड में थीं, उनका बदन तप रहा था।

मैं दीदी के पैर और उनके बदन की गर्मी के मजे ले रही थी.. तभी दीदी अचानक से जगीं और गरदन उठा कर मुझे देखने लगीं।
उनको ये लगा कि मैं नींद में हूँ.. तो मेरे सर पर उन्होंने हाथ घुमाया और मुझे पुकारा।
‘छोटी..’

मैं डर गई.. कुछ जवाब न दे पाई.. पर मैंने नींद में हूँ.. ऐसा दिखाते हुए नींद और दर्द वाला धीरे से ‘ऊँह…’ कर दिया।
वो कुछ न बोलीं.. पर वो भी शायद अब वो सोच रही थीं.. जो मैं सोच रही थी।

उन्होंने अपने पैरों के बीच वाले हिस्से में खुजली की.. पायजामा ठीक किया और थोड़ा दूर हो कर सोने लगी।
अभी भी उनका हाथ मेरे ऊपर ही था, वो आँखें बंद करके पड़ी थीं।
वैसे ही पाँच मिनट चले गए।

अब वो भी सिसकारियाँ भर रही थी.. पर मैं यह तय नहीं कर पा रही थी कि वो नींद की है या उत्तेजनावश आवाज कर रही हैं।

अब मुझसे रहा नहीं जाता था.. मेरी हालत चुदास के कारण बहुत ही ख़राब थी।
तभी मैंने अधखुली आँखों से देखा कि दीदी अपने पायजामे में हाथ डाले कुछ कर रही थीं।

अब जो कुछ करना था.. मुझे ही करना था, दीदी तो मजे ले ही रही थी.. मैं घूम कर वापस दीदी से जोर से चिपक गई और ऐसे दिखाया कि मैं नींद में ही हूँ।

मैंने उसको अपना हाथ बाहर निकालने का मौका नहीं दिया और उसके हाथ पर अपने हाथ की कोहनी टिका दी और एक हथेली उसके बड़े से उरोज पर रख दी।

मुझे जैसे लग रहा था कि मैंने हाथ में गरम पानी से भरा मोटा गुब्बारा थाम लिया हो। उनकी चूची का निप्पल मेरे अंगूठे और पहली उंगली के बीच में था। बड़ी वाली उंगली उनके बड़े से कड़क मम्मे से ढलान लेती हुई उनकी बगल तक जा रही थी और मैंने अपनी कोहनी से उसका हाथ… जो उसके लोअर में था.. उसको दबा रखा था।

यह मेरी चाल थी.. अगर वो हाथ निकालती.. तो मैं उठ जाती और अपना हाथ भी हटा देती.. और अगर उसे ये पसंद आ रहा होगा.. तो मुझे वैसे ही सोने देती और अपना हाथ भी वहीं रखे रहती।

अगले दो मिनट उन्होंने कुछ नहीं किया.. अब मेरी गर्मजोशी बढ़ती जा रही थी.. साथ में मेरी हिम्मत को भी बढ़ा रही थी।
अब दो ही रास्ते बचे थे.. या तो मैं पलट कर सो जाऊँ.. या फिर हिम्मत जुटा कर अपनी दीदी के साथ अपनी आग बुझाऊँ।

इसमें एक डर तो था.. अगर दीदी मुकर जाती.. तो मैं उसकी नजरों से गिर जाती.. पर अगर मान जातीं.. तो मुझे एक सुरक्षित तरीका मिल जाता अपनी वासना को शांत करने का.. जिसमें न बदनामी का डर होता.. न कहीं बाहर जाने की जरूरत होती।

दीदी का हाथ वैसे ही था.. अब पीछे नहीं हटना था..
फिर मैंने अपनी बड़ी उंगली.. जो दीदी के बगल के पास थी.. उसको थोड़ा सा दबाया और मुँह उसके गाल के पास ले गई, अपनी हथेली को भी थोड़ा दबाया.. मैं यह जताना चाहती थी कि मैं नींद में हूँ.. पर उत्तेजित सी हूँ.. ताकि दीदी कुछ पहल करे।

मेरी कोहनी.. जो उनके हाथ को दबाए हुए थी.. उन्हें महसूस हुआ कि अन्दर वाला उनका हाथ कुछ हल्की-हल्की हरकतें कर रहा है।

मुझमें हिम्मत बढ़ी.. तो मैंने जैसे नींद में ही हुआ हो.. ऐसे हिली और उसके मम्मे के ऊपर जो मेरा एक हाथ था.. उसे थोड़ा खींचा.. पर हाथ उठाया नहीं.. उससे मैंने उसके मम्मे को थोड़ा सहला भी लिया।

अब मेरी पहली उंगली उनकी चूची के निप्पल पर थी और पास वाली बड़ी उंगली निप्पल के वर्तुल पर टिकी थी..
उंगली इस तरह थी कि निप्पल दबाव से ढल गई थी और बड़ी उंगली से मैं बाहरी भाग पर हल्का-हल्का दबाव डाल कर छोड़ रही थी।

तभी दीदी ने अपना मुँह पीछे की तरफ ऊपर को कर लिया और उनका मुँह खुल गया.. वो लम्बी लम्बी साँसें लेने लगीं।

मेरा मुँह उनकी ठोड़ी और छाती के बीच में थोड़ा ऊपर को था.. तो मैंने कराहते हुए थोड़ा जग कर उनकी गरदन पर मेरे भीगे होंठ रख दिए।
मैंने होंठों को खुला छोड़ दिया.. पर अब भी मैं ये चाहती थी कि खुली तरह से पहल वो ही करे.. मैं तो सिर्फ उनको इसके लिए उकसाना चाहती थी।

अब तो दीदी की हालत ख़राब हो रही थी उनकी सिसकियाँ दबा-दबा कर.. फिर भी जोर से आ रही थीं.. वो चुदास से कराह रही थीं।

मैंने अपने हाथ से थोड़ी और हरकत की.. अब शायद वो चरम पर जाने वाली थी.. तो इन बातों पर उन्होंने ध्यान नहीं दिया पर मुझे वो नहीं होने देना था.. क्योंकि अगर वो संतुष्ट हो जाती.. तो शायद मुझे अलग करके सो जाती… इसलिए मुझे जल्द ही कुछ करना था।

मैं थोड़ी आवाज़ करके उनके पास में उल्टा सो गई.. ऐसा करते हुए थोड़ी उनके ऊपर जा गिरी। अपना कन्धा उनकी मांसल छाती पर दबा दिया और अपना पैर भी उनके पैरों पर डाल दिया। मैंने अपनी जांघ से उनके हाथ को दबा दिया.. जो अभी भी उनके पजामे के अन्दर ही था.. वो सपक गईं।

मैं अपनी साँसें नाक के ज़रिए उनके कान में पहुँचा रही थी.. और जो हाथ उनके ऊपर था.. उसको मोड़ कर उनके चेहरे को हल्के से थाम रखा था।

मेरी उत्तेजना भी चरम पर थी.. अब भी दीदी कुछ न करतीं.. तो मैं उनके ऊपर चढ़ जाती.. पर तभी.. दीदी अचानक ताव में आईं और मुझे जोरों से पकड़ लिया।

अपना अन्दर वाला हाथ बाहर निकाल कर मुझसे लिपटा कर मेरी पीठ पर सहलाया.. और दूसरा हाथ जो हम दोनों के बीच में आ रहा था.. उसको मेरे नीचे से निकाल कर मुझे ढंग से अपनी बाँहों में ले लिया।

मैं आधी तो उनके ऊपर ही थी.. तो मैंने कुछ नहीं किया.. ऐसे ही पड़ी रही।

अब हम दोनों का मुँह एक-दूसरे के कान के पास था, दीदी ने प्यार से मुझे हल्के से चूमा और कान में आवाज दी- छोटी..!!
मैंने भी उसके कान को चूमते हुए जैसे नींद में ही बोला हो.. धीरे से कहा- लव यू दी..

वे मुस्कुरा दी और अपने गाल से मेरे गाल को सहलाने लगीं.. मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
दी ने धीरे से मेरे गालों को चूमा और वो फिर बार-बार चूमने लगीं। मैं भी उस दौरान उनकी पीठ सहलाने लगी।

तभी.. मुझे अँधेरे में दीदी की गर्म साँसें मेरे नाक के पास महसूस हुईं.. उनकी साँसें मुझे बेचैन कर रही थीं। मेरा जी तो कर रहा था.. कि आगे बढ़ कर उनके लबों को चूम लूँ.. पर मैं बड़ी मुश्किल से अपने आपको संभाल पा रही थी।

मेरे प्रिय साथियों.. मेरी इस कहानीनुमा आत्मकथा पर आप सभी अपने विचारों को अवश्य लिखिएगा.. पर पुरुष साथियों से हाथ जोड़ कर निवेदन है कि वे अपने कमेंट्स सभ्य भाषा में ही दें।
मेरी लेस्बीयन लीला की कहानी जारी है।
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top