ट्रेन में चुदाई, ज़न्नत का सफ़र

(Train Me Chudai, Zannat Ka safar)

हैलो दोस्तो, मैं रोहित 24 वर्ष का भिलाई से हूँ। मैं आपको एक इत्तफाक से हुई घटना की कहानी बताने जा रहा हूँ..

उन दिनों की बात है.. जब मैं एमबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद पहली नौकरी के इंटरव्यू के लिए दिल्ली जा रहा था। मुझे और मेरे दोस्त को इंटरव्यू के लिए दिल्ली जाना था इसलिए मैंने अपने दोस्त को दो टिकट बुक करने के लिए फ़ोन किया।
उसने दो टिकट बुक करा लीं।

फिर उसने मुझे फ़ोन करके यह बताया कि हमारी बर्थ अलग-अलग मिली हैं.. मुझे लोवर बर्थ मिली और उसे थोड़ा आगे एक अपर बर्थ मिली थी।

खैर.. नियत समय पर हम अपने लक्ष्य की ओर चल दिए। ट्रेन बिलासपुर पहुँची.. बिलासपुर से एक लड़की चढ़ी.. जिसकी बर्थ.. मेरी बर्थ के बगल में थी।
वो आकर मेरे पास बैठ गई.. मुझसे उसने सामन रखवाने के लिए मदद माँगी.. मैंने उसका सामान रखवाने में मदद की।

दो मिनट बाद ट्रेन चल पड़ी.. फिर हम दोनों में बातें शुरू हो गईं.. हम दोनों ने लगभग एक से दो घंटों तक बातें की.. फिर उसने एसी की कूलिंग के लिए शिकायत की.. तो मैंने अटेंडेंट को बुलाया और कूलिंग बढ़वा दी।
ऐसा करने पर वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा दी..
हम फिर बातें करने लगे.. उसने बताया कि उसका नाम नेहा है.. वो मेडिकल की स्टूडेंट है और दिल्ली ही जा रही है।

बातों-बातों में पता चला कि उसकी सगाई हो चुकी है और अगले महीने ही उसकी शादी है।

पता नहीं वो मुझसे किसी बात से इंप्रेस सी होने लगी.. मुझे ऐसा लगा मानो मेरे दिल में कुछ मीठा सा अहसास सा हुआ हो और अन्दर गुलाब खिल उठे हों।

मैं सिगरेट पीने के लिए गेट के पास आया तो वो भी मेरे साथ उठ कर आ गई।
उसने मुझसे पूछा- आपकी कोई गर्लफ्रेंड है?
तो मैंने कहा- अगर होती.. तो मैं सिगरेट पी रहा होता?
वो ज़रा सी मुस्कुरा दी।

हम दोनों गेट पर ही थे.. मैंने सिगरेट के हल्के नशे में खड़े-खड़े जब आँखों से हवस भरी नजरों से उसे देखा.. तो मैं हिल सा गया।
उसने ब्लू-जीन्स और सफ़ेद झीना सा टॉप पहना हुआ था.. गोरा रंग.. लम्बे बाल.. बड़ी-बड़ी आँखें.. संतरे की फांकों जैसे रसीले होंठ.. उफ़्फ़.. बस और क्या कहूँ.. बस कमाल की आइटम थी।

जब मेरी नज़र उसके दोनों घमण्ड से उठे हुए मम्मों पर पड़ी.. तो वो किसी खरबूजे से कम नहीं लग रहे थे।
उसके मम्मों का साइज़ 36 इंच का रहा होगा उसके जिस्म का उतार-चढ़ाव 36-30-38 का रहा होगा।

जब वो जरा घूमी.. मैंने उसकी गाण्ड को निहारा तो मानो ऐसा लगा कि दो बड़े-बड़े तरबूज मुझे निमंत्रण दे रहे हों.. वो तिरछी निगाहों से मुझे देख रही थी।
अब उसने बैठने की इच्छा जाहिर की.. तो मैंने अटेंडेंट वाली सीट खोल कर उसे बिठा दिया और उसके पास ही गेट के सामने खड़ा हो गया.. मैं मजे में सिगरेट के कश लेने लगा।
तभी उसने मुझे अपने पास बैठने को कहा.. जब मैं उसके पास बैठा तो ट्रेन के चलने के कारण उसके मम्मे और जांघें मुझसे ऐसे टकरा रहे थे.. मानो कोई मेरे ऊपर कोई फूलों की बारिश कर रहा हो।

अचानक उसका हाथ मेरे हाथों के ऊपर आ गया.. मुझे बहुत ही ज़्यादा मज़ा सा आने लगा.. मैं उसके मादक स्पर्श का मजा लेने लगा और कब अनूपपुर आ गया.. वक्त का मानो जैसे कोई पता ही ना चला।

अब रात हो चुकी थी.. हम दोनों वापस अपनी जगह पर आ गए और अपना डिनर लिया। इस दरम्यान मुझे अपने दोस्त की कुछ भी खबर नहीं थी।
हम दोनों ने अपना डिनर साथ में किया उस वक्त रात के साढ़े ग्यारह बज चुके थे।
रात होते ही उसने अपने कपड़े बदलने चाहे.. रात के वक्त ट्रेन खाली होने के कारण वो कुछ डर सी रही थी.. तो उसने मुझे बाथरूम तक साथ चलने को कहा।

मैं उसके साथ बाथरूम तक गया.. उसने मुझसे कहा- अटेंडेंट की बर्थ के सामने खड़े रहना..
वो अन्दर घुस गई और उसने बाथरूम का दरवाजा थोड़ा खुला ही रखा।

जब वो कपड़े बदल रही थी.. तो मैंने उसे झाँक कर देखना चाहा। जैसे ही मैंने उसे देखा.. मेरी तो जैसे खुशी का ठिकाना ही ना रहा।
उसने अपने टॉप को उतारा और अपनी ब्रा भी उतार दिया। उसके गोरे-गोरे चूचे बहुत ही मस्त और आकर्षक थे.. एकदम पके हुए आम की तरह बहुत ही कामुक थे.. उसके निप्पल मुझे अपनी ओर बुला रहे थे।

जब उसने अपनी जीन्स उतारी. तो मानो एक पल के लिए मुझे ये लगा कि पकड़ कर साली की गाण्ड में अपना पूरा का पूरा लण्ड पेल दूँ।
उसने अपनी ब्रा और पैन्टी उतार दी.. फिर वो एक ढीली सी टी-शर्ट और हाफ-पैंट पहन कर बाहर निकली। उसने कामुक तरीके से मुस्कुराते हुए मुझे ‘थैंक्स’ बोला और अपने मम्मों को मुझसे टकराते हुए आगे आ गई।
वो जाकर अपनी बर्थ पर बैठ गई.. मैं भी जाकर अपनी बर्थ पर बैठ गया। मैं कामुक नज़रों से उसकी गाण्ड और मम्मों को निहारने लग गया।
उसे भी ये अहसास हो चुका था कि आज तो उसकी बुर को जी भरकर लण्ड मिलेगा।

अब रात के लगभग डेढ़ बज चुके थे.. मैंने भी कपड़े बदले और अपनी बर्थ पर लेट गया।
मैंने उसकी तरफ देखा.. तो पाया.. वो मुझे निहार रही थी.. मैं उसे घूरने सा लगा और फिर हिम्मत करके उसे बाथरूम की तरफ आने को कहा.. उसने मना कर दिया।

मैं समझ चुका था कि लौन्डिया चुदने को राजी हो गई है। सब सो चुके थे.. बोगी में सन्नाटा सा छाया हुआ था।

मैं उसकी सीट पर गया और उसके मम्मों को दबाने लगा।
वो सिहरने सी लगी.. मैंने अपना एक हाथ ऊपर से ही उसकी कमर पर चलाना चालू कर दिया.. वो सिहर उठी.. उसने पहले तो थोड़ी ना-नुकुर सी की.. पर मैं तो अब तक पूरे जोश में आ चुका था।
मैंने उसके हाफ-पैंट की तरफ अपना एक हाथ बढ़ाया.. और मेरा दूसरा हाथ उसके नंगे बदन पर उसके मम्मों के चूचुकों को कठोर बनाने में लगा हुआ था।

अब वो कुछ मदहोश सी हो चली थी.. और जोश में आ चुकी थी, उसके मुँह से बहुत सेक्सी आवाज़ निकल रही थी, उसकी साँसें मेरी सांसों से टकरा रही थीं.. वो मेरी आँखों में आँखें डाले बड़े ही प्यार से मुझे देख रही थी।

आख़िरकार मुझे ऐसा लगने लगा कि मेरी चुदाई की मुराद पूरी होने को आ चुकी है और मैंने उसे बाथरूम की ओर चलने का इशारा किया।
वो बिना किसी सवाल के बाथरूम में आ गई।

यहाँ से शुरू हुए हमारा ज़न्नत का सफ़र..

अब मैंने उसे प्यार करना शुरू किया.. उसके होंठों को चुम्बन किया.. उसके माथे पर चुम्बन किया.. इसी के साथ मैं उसके बदन पर लगातार अपना हाथ फेर रहा था।
फिर मैंने उसके बाल खोले और उसके बालों के साथ खेलने लगा और उसके बालों को एक तरफ करके उसके कान के नीचे चुम्बन करने लगा, उसके कानों के अन्दर अपनी जीभ डालने लगा.. वो एकदम चिहुंक उठी और चुदासी सी होने लगी।

फिर मैंने उसके गालों पर चुम्बन किया.. मैंने उसके होंठों को 5 मिनट तक चूसा.. उसकी जीभ को चूसने लगा.. वो मस्त हो उठी।

अब मैं उसके मम्मों को सहलाने और भंभोड़ने लगा.. फिर एक ही झटके में उसकी टी-शर्ट उतार दी और उसके नंगे मम्मों को सहलाने लगा और मुँह लगा कर उसके चूचुक को चूसने लगा दूसरे चूचुक को अपनी चुटकी में भर कर मींजने लगा.. वो गनगना गई।

‘आह्ह.. चूस लो..आह्ह.. मजा आ गया..’

अब मैंने उसे पलटने के लिए कहा और वो पलट गई.. फिर मैं उसकी पीठ को चूमने लगा.. उसके गर्दन के पीछे के भाग को चूमने लगा और उसके पीठ पर अपनी जीभ फेरने लगा।
फिर मैंने आगे हाथ ले जाकर उसके मम्मों को मसका और पेट पर हाथ घुमाते हुए उसकी पैंट का बटन खोल दिया, पैन्ट को नीचे सरकाई तो उसकी नंगी गाण्ड बाहर आ गई.. जो की अदभुत ही कामुक थी। मैं उसे बेरहमी से मसलने लगा और फिर उसे चाटने लगा।

उसके दोनों गोल-मटोल चूतड़ों को हाथों से पकड़ कर मसलना और उनके ऊपर जीभ फेरना.. आह्ह.. मानो मैं तो जन्नत में विचर रहा था।
फिर मैंने उसे पलटा तो उसकी पैन्ट उतार दी.. अब नंगी कोमल चूत मेरे सामने थी। मैं उसे अपनी उंगली से मलने लगा।

ऊपर की तरफ मेरा मुँह.. उसके होंठों को चूसने में लगा था.. एक हाथ उसके मम्मों को दबाने में लगा था और दूसरे हाथ की ऊँगली से उसकी चूत को और तेज़ी से मलने लगा। फिर मैं नीचे आया और उसके पेट पर चुम्बन करने लगा। मैं अपनी जीभ से उसकी जाँघ को चाटने लगा और फिर चूत को चूमने-चाटने लगा।

उसने चूत को चटवाने से मजा पाते ही अपनी टाँगें और खोल दीं। अब मैं उसे अपनी जीभ से प्यार से सहलाने लगा.. और ये लगभग दस मिनट तक चला।
अब वो पूरी तरह से गरम हो गई थी। मैंने अपनी जीभ उसके चूत के अन्दर डाल दी और उसने मुझे खड़ा कर दिया और खुद बैठ कर मेरा लण्ड अपनी हाथों में पकड़ कर चूसने लगी।

मुझे भी मज़ा आने लगा.. पर अब मुझे सहन नहीं हुआ जा रहा था.. सो मैंने खड़ा किया और कुतिया जैसा झुकाया.. उसने वाशवेसिन को थाम लिया और चूतड़ों को उठा कर चूत खोल दी।

मैंने अपना 8 इंच का लण्ड चूत के मुहाने पर टिकाया और एक बार में ही पूरा उसके अन्दर पेल दिया। वो कराहने लगी.. मैंने पूरा लण्ड उसकी चूत में डाल दिया और चोदने की रफ़्तार को ट्रेन की छुक-पुक से मिलाते हुए बढ़ा दी।

वो मज़ा लेने लगी.. मेरी चुदाई की छुक-पुक और उसकी मादक सीटी ‘सीईई’ माहौल को बहुत ही अधिक मादक बना रहा था।
मैंने भी धक्के पर धक्के मारना शुरू कर दिया, अब हम दोनों ही जन्नत की सैर कर रहे थे। मैं उसकी चूचियों को अपनी हाथों से पकड़ कर कुतिया की स्टाइल में बहुत तेज़ी से चोद रहा था।
वो भी हर धक्के पर मजे से चिल्ला रही थी- और जोर से राजा.. आह्ह.. लगे रहो.. बहुत प्यासी थी मेरी चूत.. आह्ह.. चोदो..
वो सीत्कार कर रही थी।

दस मिनट तक चोदने के बाद मैंने उसके बालों को अपने हाथों में ले लिया और पूरे तरीके से डॉगी स्टाइल में उसकी चुदाई करने लगा।
उसकी कामुक आवाजें.. मानो मुझे और कामुक बना रही थीं- ओह.. यस.. ओह याह.. ओह यस फक मी.. फक मी..

वो अचानक अकड़ गई और झड़ गई, उसके गर्म रस से मैं भी चरमोत्कर्ष को प्राप्त हो गया, वो भी जन्नत का मजा ले रही थी।

फिर मैंने अलग होकर.. उसके माथे पर एक किस किया। फिर हम अपने कपड़े ठीक करके आ गए और अपनी-अपनी बर्थ पर सो गए।
उस रात मुझे बहुत प्यारी नींद आई।

जब सुबह उठा.. तो मैंने उसे ढूँढा.. पर वो जा चुकी थी.. काश.. वो लड़की मुझे दुबारा मिल जाए और मेरी जिंदगी फिर से जन्नत बन जाए।

उम्मीद है आपको मजा आया होगा.. बहुत जल्द ही अपनी अगली कहानी ले कर हाजिर होऊँगा।
आप सभी मुझे इस ईमेल आईडी पर ईमेल कर सकते हैं। आप सभी पाठकों का धन्यवाद!

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