चूत चुदाई से जीवन साथी तक

(Chut Chudai Se Jivan Sathi Tak)

हैलो फ्रेंड्स, मैं अरुण.. इंदौर का रहने वाला हूँ। आज मैं आपको मेरे साथ घटी एक घटना बताने जा रहा हूँ.. जो मेरे साथ मेरे इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दिनों में घटी थी।

मैं इन्दौर में अपने फ्रेंड्स के साथ कमरा किराए पर लेकर रहता था। एक दिन मैं किसी कारणवश कॉलेज नहीं गया और ऐसे ही मार्केट में घूमने के लिए निकल गया। वहाँ मैं एक चाय की दुकान पर सिगरेट पीने रुका और सिगरेट पीने लगा.. तभी एक लड़की एक्टिवा से आई और मुझसे एक गर्ल्स हॉस्टल का रास्ता पूछने लगी।

मैंने कहा- मैं उसी तरफ रहता हूँ.. तो मैं आपको ले चलता हूँ।
वो राजी हो गई.. मैंने सिगरेट फेंकी और मैं उसकी एक्टिवा पर बैठ कर चल दिया।

उसकी गाड़ी पर बैठते ही ज्यों ही मेरा उसकी पिछाड़ी से स्पर्श हुआ.. मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया।
क्या माल थी वो.. उसकी फिगर यही कोई 36-34-36 की रही होगी.. लेकिन थी एक नंबर.. माल..
मैंने ऐसे ही उससे उसका नाम पूछ लिया.. तो उसने बताया शुभिका..
उसका नाम सुनते ही भैनचोद मेरा तो लंड खड़ा हो गया.. फिर मैंने मेरा नाम बताया- मैं अरुण..

उसके बाद और भी नॉर्मल सी बातचीत हुई.. फिर उसको जहाँ जाना था.. हम वहाँ पहुँच गए थे।
मैं एक्टिवा से उतर कर पास ही अपने कमरे पर जाने लगा, तभी उसने मुझे आवाज़ दी- अरुण..

मैं पलटा और उससे पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- यहाँ पर इनचार्ज कौन है.. तुम मिलवा सकते हो क्या?
मैंने कहा- श्योर…

मैं उसको लेकर इनचार्ज के पास गया और उसने अपनी खानापूरी की.. शायद उसको वहाँ पर हॉस्टल में रहने को कमरा चाहिए था… लेकिन किसी कारणवश उसको हॉस्टल के नियम पसंद नहीं आए… उसने हॉस्टल में रहना कैंसिल किया और मेरे साथ बाहर आ गई।

फिर मुझसे बोली- मुझे रेंट पर कोई कमरा दिलवा सकते हो?
मैंने कहा- ऑफ कोर्स…

मैं उसको लेकर अपने एजेंट के पास गया.. उसको पसंद आया और वहाँ पास में ही एक फ्लैट दिलवा दिया।
फिर उसने मुझसे मेरा सेल नंबर लिया और बोली- मैं अपनी फ्रेंड के घर पर जा रही हूँ और शिफ्ट करते ही तुम्हें कॉल करूँगी…
मैंने कहा- ठीक है…

शाम को करीब 6.30 बजे उसका कॉल आया और उसने मुझे अपने नए वाले फ्लैट पर बुलाया।
मैं गया तो वो अपनी एक फ्रेंड के साथ बैठकर कॉफी पी रही थी। उसने मुझे देखा तो मुझे भी ऑफर की… मैंने कॉफी पी.. फिर उसकी फ्रेंड से इंट्रो हुआ.. उसने ही अपना परिचय दिया और अपना नाम परिधि बताया।

मैं- हैलो.. आई एम अरुण…
फिर परिधि बोली- मुझे अपने पुराने वाले हॉस्टल में जाकर अपना कुछ बाकी का सामान लेकर आना है.. तो मैं आती हूँ।
इतना कह कर वो चली गई। उसके जाने के बाद शुभिका मुझे ‘थैंक्स’ बोलने लगी और हमारी बातें बढ़ती गईं…

शुभिका ने पूछ लिया- आपकी कोई गर्लफ्रेंड है?
तो मैंने कहा- नहीं है…
मैंने उससे पूछा- तुम्हारा कोई ब्वॉयफ्रेण्ड है?
उसने भी कहा- नहीं है…

अचानक मुझे पता नहीं क्या सूझा और मैंने पूछ लिया- क्या तुमने कभी सेक्स किया है?
तो उसने बजाए गुस्सा होने के बड़ा प्यारा सा जबाव दिया- जब ब्वॉयफ्रेण्ड ही नहीं है.. तो सेक्स किसके साथ करूँगी..
तो मैंने पूछा- मन करता है?

वो बोली- हाँ बहुत करता है.. क्योंकि पहले जहाँ रहती थी.. वहाँ पर मेरी सहेली थी निकिता.. वो उसके ब्वॉयफ्रेण्ड के साथ बहुत सेक्स किया करती थी और हर बार अपनी स्टोरी हमें सुनाया करती थी… तो मेरा भी बहुत मन करता था.. लेकिन आज तक किसी के साथ नहीं कर पाई..

उसके साथ इतनी खुल कर बातें होने से मेरा लंड खड़ा हो गया।
मैंने पूछा- सेक्स कैसे करते हैं.. पता है?
वो बोली- हाँ.. कुछ मूवीज देखी हैं…
मैंने कहा- मेरे साथ करना चाहोगी?

पहले तो बहुत शरमाने लगी और चुप हो गई.. फिर मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसे मसलने लगा.. तो वो थोड़ी गर्म हो गई।
फिर मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए।
वो थोड़ा सकुचाई.. लेकिन बाद में मेरा साथ देने लगी।

मैंने उसका टॉप उतार दिया और उसके मम्मों को उसकी ब्रा के ऊपर से ही मसलने लगा। फिर धीरे से मैंने उसकी ब्रा के हुक खोल दिए और किस करते हुए उसके मम्मों तक आया.. उनको बहुत चूसा..
फिर मैंने धीरे से अपनी टी-शर्ट.. जीन्स और बनियान उतार कर फेंक दी।

उसने कहा- अपना लंड तो दिखाओ..
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैंने अपनी अंडरवियर भी उतार कर फेंक दी।
तो वो लंड देख कर शरमाने लगी… वैसे मेरा लंड कुछ ख़ास लंबा और मोटा नहीं है.. लेकिन किसी लड़की को संतुष्ट करने के लिए काफ़ी है..
मेरा लंड 6 इंच लंबा है और खड़ा होने पर 2.5 इंच मोटा हो जाता है.. जो एक अच्छे सम्भोग के लिए काफ़ी होता है।

फिर मैंने उसको चूमना शुरू किया और उसकी जीन्स उतार दी.. उसने अन्दर ब्लू कलर की पैन्टी पहनी हुई थी। मैंने पैन्टी के ऊपर से ही उसकी चूत सहलाते हुए उसके होंठों पर किस करना जारी रखा।
वो सिसकारियाँ लेने लगी..
फिर धीरे से उसकी पैन्टी उतार कर साइड में रख दी और उससे मेरा लंड चूसने को बोला.. लेकिन वो मना करने लगी।
तो मैंने कहा- असली सेक्स का मज़ा इसी में है..

तो उसने जैसे-तैसे मेरा लवड़ा मुँह में लिया और चूसने लगी। कुछ ही पलों बाद उसको भी मज़ा आने लगा। कुछ देर बाद मैंने लंड उसके मुँह से निकाला और उसके उठा कर किस करते हुए बिस्तर पर ले गया.. वहाँ उसको लेटाकर उसकी चूत में उंगली डालकर अन्दर-बाहर करने लगा।

हाय.. क्या गुलाबी चूत थी उसकी.. लेकिन थोड़े बाल थे.. उसकी सिसकारियों से पूरा फ्लैट गूंजने लगा..

फिर मैंने उसकी चूत पर अपना मुँह रखकर चाटना शुरू किया… वो तो पागल ही हो गई.. और मेरे बाल पकड़ कर खींचने और मुझे नोचने लगी…
मैंने चूत के दाने को छेड़ दिया.. तो वो एकदम से सिहर कर उठ कर बैठ गई और अचानक से कड़क हो कर मुझे खींचने लग गई…
मुझे पता लग गया था कि अब ये झड़ने वाली है.. और फाइनली उसने अपना सारा का सारा माल बिस्तर पर ही छोड़ दिया और निढाल हो कर लेट गई..

लेकिन मेरा काम अभी हुआ नहीं था.. मैंने उसको चुम्बन करने शुरू किए और बिस्तर पर सीधा लेटा दिया। अब मैंने लंड को उसकी चूत के मुँह पर रगड़ना शुरू किया.. फिर से उसकी मादक आवाजें आनी शुरू हो गईं।

मैंने धीरे से सुपारा उसकी फांकों में फंसा दिया और एक धक्का मारा.. वो चिल्ला उठी.. मेरा लंड 2 इंच अन्दर चला गया था।
फिर थोड़ा सा रुक कर एक और धक्का मारा.. अब मेरा आधे से ज़्यादा लंड अन्दर चला गया था।
उसको दर्द होने लगा और हल्का सा खून भी आ गया.. क्योंकि आज के पहले उसने कभी चुदाई नहीं की थी..

मैं थोड़ा सा रुका.. लंड को बाहर निकाल कर उसकी पैन्टी उठाई और उससे उसकी चूत को थोड़ा सा साफ़ किया.. उसकी आँखों में थोड़े दर्द भरे और थोड़े मीठे आँसू थे।
फिर मैं उसके ऊपर आया और उसको किस करने लगा। अब कुछ ही पलों के बाद.. वो दोगुने मज़े के साथ मुझे किस कर रही थी।

फिर मैंने लंड उसकी चूत में घुसाया और अबकी बार दो झटकों में पूरा लंड उसकी चूत के अन्दर तक चला गया।

मैंने धक्के लगाने चालू रखे और धीरे-धीरे उसको किस करता रहा.. कभी उसके मम्मों को मुँह में लेकर चूसता… और कभी लौड़े को चूत में सटाक से अन्दर तक पेल देता।

अचानक उसने मुझे कसकर पकड़ा और फिर से झड़ गई, उसे अब मज़ा आने लगा था।
अब मेरा भी निकलने वाला था और 15-20 धक्कों के बाद मैं भी उसकी चूत में ही झड़ गया।

झड़ने के बाद मैं उसके बगल में ही लेट गया। थोड़ी देर बाद मुझे कुछ होश सा आया.. तो देखा कि 10.00 बजने वाले थे।
मैं उठा और अपने आपको साफ़ किया। अपने कपड़े पहने.. उसको किस करके बोला- तुम भी अपने कपड़े पहन लो.. मैं जा रहा हूँ।
उसने अपने कपड़े पहने और मैं उसको ‘बाय’ कहकर जाने लगा..
तो वो बोली- अब तुम्हें रोज़ यहाँ आना पड़ेगा और मेरा ख़याल रखना पड़ेगा..
मैंने मुस्कुरा कर ‘हाँ’ कहा और चला आया..

अब मैं रोज़ उसके यहाँ जाने लगा था… और इंजीनियरिंग ख़तम होते ही आज मैं पुणे में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूँ और वो MBA कर रही है।

फोन पर रोज़ उससे बात होती है और हम दोनों शादी भी करना चाहते हैं।
बस उसका MBA कंप्लीट होने का वेट कर रहा हूँ। मेरे घरवाले राजी हैं.. और उसके घरवाले भी सहमत हो गए हैं।

दोस्तो, मेरी कहानी आप लोगों को कैसी लगी… प्लीज़ ईमेल करके बताएं..
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top