चूत लिखी थी किस्मत में-1

(Choot Likhi Thi Kismat mein-1)

This story is part of a series:

हैलो दोस्तो, कैसे है आप सब!
भूले तो नहीं ना आप? मैं राज शर्मा आपका अपना… बहुत दिन के बाद आप सबसे रूबरू होने का मौका मिला है।

दरअसल मैं कुछ समय के लिए बाहर चला गया था और आप सब तो समझते ही हैं आजकल के दौर में सब के पास सिर्फ एक चीज़ की कमी है और वो है समय। मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही था। मैंने आप सब को बहुत मिस किया। पर इस दूरी के दौरान आप सब को बताने लायक एक नई कहानी भी बन गई।
हुआ कुछ यूँ कि….

वो शाम मुझे आज भी याद है जब मैं अपने बिज़नस के सिलसिले में भोपाल के लिए निकला।

मैं पहली बार भोपाल जा रहा था, मुझे उस शहर के बारे में कुछ भी पता नहीं था। सोचा कि जाकर कोई होटल देख कर रुक जाऊँगा।
ट्रेन में बैठे बैठे ही मुझे याद आया कि अन्तर्वासना पर मेरी कहानियाँ पढ़कर मेरा एक दोस्त बना था जो भोपाल से ही था, समीर नाम था उसका।
वो मुझे बहुत बार भोपाल आने का न्योता दे चुका था पर मैं इसे मात्र फोर्मलिटी समझ कर नजरंदाज कर रहा था।
याद आते ही सोचा कि क्यों ना उससे किसी होटल या रहने की अच्छी जगह के बारे में बात की जाए।

यह मेरी किस्मत ही थी कि वो मुझे ऑनलाइन मिल गया। जब मैंने उसे अपने भोपाल आने के बारे में बताया तो उसने ट्रेन के बारे में पूछा और बोला कि वो मुझे स्टेशन लेने आ जाएगा। आने के बाद देखा जाएगा कि कहाँ ठहरना है।

मैं उससे कभी मिला नहीं था पर उसने अपनी फोटो एक दो बार मुझे मेल की थी।

लगभग रात के ग्यारह बजे ट्रेन भोपाल जंक्शन पहुँच गई, स्टेशन पर अपने कोच से उतरते समीर सामने ही खड़ा था, मैं उसे देखते ही पहचान गया।
पर क्यूंकि उसने मुझे कभी नहीं देखा था तो वो भीड़ में मुझे खोज रहा था।
मैंने उसके पास जाकर पूछा कि क्या वो समीर है, तो वो एकदम से चौंक गया।
मुझे सामने देख कर वो कुछ ज्यादा ही उत्साहित सा हो गया था, वो अठारह बीस की उम्र का एक जवान लड़का था।

हम बातें करते करते स्टेशन से बाहर आ गए। समीर मुझे लेकर एक दो होटल में गया पर मनपसंद कमरा नहीं मिला। ऐसे ही घूमते घूमते हम एक ढाबे पर गए और खाना खाया।
पर खाना खाने के चक्कर में बहुत देर हो गई, रात का एक बज चुका था।
खाना खाकर एक दो होटल और देखे पर समीर कुछ ना कुछ कमी निकाल कर कोई दूसरा होटल देखने की बात कह कर मुझे बाहर ले आता।

मैं थक चुका था, मैंने समीर से कहा- मैं थक गया हूँ, जल्दी से कोई होटल ले लो यार।

समीर ने मुझे अपनी बाइक पर बैठाया और बोला- छोड़ो होटल, मेरे घर ही चलते हैं।

मैंने बहुत मना किया पर वो माना ही नहीं और मुझे लेकर अपने घर की तरफ चल दिया।
दस मिनट के बाद हम दोनों उसके घर के सामने थे। एक अनजान के घर रुकने का मेरा बिल्कुल भी मन नहीं था पर रात का डेढ़ बज चुका था तो और कोई चारा भी नहीं था।

घर पहुँच कर उनसे बेल बजाई तो उसकी मम्मी जो करीब चालीस-बयालीस की होगी, ने दरवाजा खोला।
बेशक वो चालीस बयालीस की होगी पर उसकी शारीरिक बनावट देख कर कोई कह ही नहीं सकता था कि वो एक अठारह बीस साल के लड़के की माँ होगी।
उस समय वो नाईट सूट पहने थी, शायद उसने नीचे ब्रा नहीं पहनी थी तो नाईट सूट में से उसकी चूचियों के निप्पल स्पष्ट नजर आ रहे थे।
मैं चुदाई का शौक़ीन और औरतों का दीवाना कब तक अपनी दिल को समझाता, मेरी नजर बार बार समीर की मम्मी के बदन को अन्दर तक खंगाल रही थी।

यहाँ मैं थोड़ा आपको समीर के बार में बता दूँ। समीर अन्तर्वासना की कहानियाँ पढ़ने का शौक़ीन है, उसको सबसे ज्यादा रिश्तों में चुदाई की कहानियाँ ही पसंद आती थी। वो जब भी मुझ से चैटिंग करता था, अक्सर रिश्तों में चुदाई के बारे में ही बातें किया करता था।
मुझे अब समझ में आ रहा था कि जिसकी इतनी सेक्सी माँ हो, वो रिश्तों में चुदाई की बात करेगा ना!

वो अक्सर अपने चाचा की लड़की, मामा की लड़की, बुआ की चुदाई के सपने देखा करता था। एक दो बार तो उसने अपनी सगी बहन की चुदाई की भी इच्छा जताई थी और मुझसे मदद करने के लिए कहा था।
पर तब मैं इसे जवानी की नादानी समझ कर नजरंदाज़ कर देता था, सोचता था की वो सिर्फ मजे के लिए ऐसी बातें करता है।

खैर समीर ने अपनी मम्मी से मेरा परिचय करवाया। उसने मुझे कॉलेज के अपने एक दोस्त के अंकल के तौर पर मिलवाया, बोला कि होस्टल में नहीं रुक सकते थे तो इसलिए वो मुझे घर ले आया।

उसकी मम्मी ने भी ज्यादा पूछताछ नहीं की और चाय बनाने रसोई में चली गई। इतनी रात को किसी अनजान के घर आना और उन्हें तंग करना मुझे अच्छा नहीं लग रहा था पर क्या कर सकता था… मजबूरी थी।

समीर उठ कर बाथरूम में चला गया, मैं अकेला बैठा समीर के घर को देख ही रहा था कि समीर की मम्मी मेरे बिल्कुल सामने आकर खड़ी हो गई और झुक कर मुझे चाय देने लगी।
आपका दोस्त राज तो है ही चूत का रसिया… तो मेरी निगाह सीधे नाईट सूट के खुले गले में से अन्दर झाँकने लगी।
नाईट सूट के अन्दर दो गोल गोल बड़े बड़े नारियल के आकर की गोरी गोरी चूचियाँ लटक रही थी, देखते ही मेरे लंड ने खड़े होकर उनको सलाम किया।
चूचियों को देखने के चक्कर में मैं चाय पकड़ना ही भूल गया।

जब समीर की मम्मी ने दो बार मुझे चाय लेने के लिए कहा तो मैं जैसे नींद से जागा और मैंने चाय पकड़ ली। चाय पकड़ते हुए मेरी उँगलियाँ समीर की मम्मी जिसका नाम रोशनी था कि उँगलियों से टकरा गई। उँगलियाँ टकराते ही रोशनी के शरीर में कंपकपी सी हुई। मैंने उसकी आँखों में देखते हुए उसको चाय के लिए धन्यवाद कहा तो उसके होंठों पर एक नशीली सी मुस्कान मैंने महसूस की।
तभी समीर कमरे में आ गया और रोशनी रसोई में चली गई।

मैंने समीर से उसके परिवार के बारे में पूछा तो उसने बताया कि उसके पापा पिछले चार साल से दुबई में हैं, अब घर में वो उसकी मम्मी और उसकी एक बड़ी बहन है जिसकी उम्र बाईस साल है।
बाईस साल की जवान बहन का सुनकर लंड ने फिर से करवट ली।
पर तभी दिल के अन्दर से आवाज आई कि जिसे दोस्त कहते हो उसके घर की औरतों के बारे में ऐसा सोचते हो?

फिर मुझे समीर से चैटिंग में हुई बातें भी याद आई कि वो तो खुद अपनी जवान बहन को चोदने के लिए मुझसे सलाह मांग रहा था तो जब वो अपनी बहन के बारे में ऐसा सोच सकता है तो मेरी तो वो कुछ लगती भी नहीं है।

मैंने समीर से उसकी बहन के बारे में पूछा तो वो बोला कि वो सो गई है, सुबह वो मेरी उससे मुलाक़ात करवाएगा।

मैंने उससे सोने की जगह के बारे में पूछा तो समीर बोला- सारा घर तुम्हारा ही है, जहाँ दिल करे सो जाओ।

मेरे मन से आवाज आई की अगर कहीं भी सोने की बात है तो मेरा बिस्तर तो रोशनी के कमरे में लगवा दो… पर कह नहीं सकता था ना।
तभी रोशनी कमरे में आई और बोली- आइये, मैं आपको आपके सोने की जगह बता दूँ।

मेरे मन में लड्डू फूटा कि कहीं मेरे मन की बात उसने सुन तो नहीं ली। मैं खड़ा हुआ और रोशनी के पीछे पीछे हो लिया। समीर भी मेरे साथ ही था।
यह बाहर की तरफ का एक कमरा था जिसमें एक डबल बेड बिछा हुआ था।
समीर बोला- अगर आपको परेशानी ना हो तो मैं भी आपके साथ सो जाता हूँ, आपसे बाते भी हो जायेंगी।
अब मैं उसे कैसे मना करता आखिर घर उसका था।

समीर और मैं दोनों बेड पर लेट कर बाते करने लगे। मैंने जानबूझ कर उससे रिश्तों में चुदाई के बारे में बात करनी शुरू कर दी तो वो उतेजित होने लगा और बातों बातों में ही बोल पड़ा कि उसकी बहुत तमन्ना है कि वो अपनी बहन को चोदे।

मैंने अभी उसकी बहन को नहीं देखा था, हाँ उसकी माँ को देखा था तो मेरा मन उससे उसकी माँ के बारे में बात करने का था।
मैंने उसे जानबूझ कर कुरेदते हुए पूछा- तुम्हारे पापा भी तो चार साल से बाहर गए हुए हैं तो चुदाई की जरूरत तो तुम्हारी मम्मी को भी होगी। आखिर दिल तो उसका भी करता होगा ना?

समीर ने चौंक कर मेरी तरफ देखा और फिर सर हिला कर मेरी बात का समर्थन कर दिया।
मैंने समीर से पूछा कि उसको नहीं लगता कि उसकी मम्मी भी लंड लेने के लिए तरस रही होगी?
तो समीर थोड़ा झिझकते हुए बोला- राज भैया, वो मेरी माँ है, मैं चाह कर भी उसके बारे में ऐसा सोच नहीं पाता हूँ। एक दो बार मम्मी को नंगी देखा है कपड़े बदलते हुए पर कभी उनको सेक्स की नजर से नहीं देखा है। पर बहन श्रुति को चोदने के लिए लंड हर समय खड़ा रहता है। कुछ तरीका बताओ श्रुति को चोदने का।

मैंने समीर को बताया कि मैं भोपाल तीन दिन के लिए आया हूँ और पूरी कोशिश करूँगा कि श्रुति समीर से चुदवा ले, पर बदले में समीर को भी मेरी मदद करनी होगी रोशनी की चूत दिलवाने में।

मुझे पहले तो लगा था की समीर अपनी माँ की चुदाई की बात सुनकर कहीं भड़क ना जाए पर श्रुति की चूत की आस में वो समझ ही नहीं पाया कि मैं क्या चाहता हूँ।

लगभग चार बजे तक वो मुझ से बातें करता रहा और फिर सो गया पर मेरी नींद तो मेरी नीयत की तरह ख़राब हो गई थी, मेरे दिमाग में तो रोशनी और श्रुति की चूत के सपने घूमने लगे थे।
कहानी जारी रहेगी।

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