पिंकी और सोनिया के बाद-2

वरिंदर 2008-12-30 Comments

प्रेषक : वरिंदर

बेहद छोटा सा हल्का गुलाबी टॉप, केप्री टाइप छोटा सा लोअर वो भी बारीक सा। उसकी काली पैंटी साफ़ साफ़ दिख रही थी और ब्रा भी।

उसकी चूचियाँ किसी भी मर्द को दीवाना कर देती।

क्या हुआ जीजू? मुझमें खो गए क्या?

पकड़ो, पैग पियो ! थोड़ी देर में बात करेंगे !

उसने मेरे साथ चीयर्स किया और अपना पैग गटकने लगी।

मैंने भी उसके साथ बौटम-अप किया। मैं चाहता था कि उसके साथ मेरा काम आज ही फिट बैठ जाए ताकि जब तक रहे, मैं उसको मसलता रहूँ।

उसको नशा होने लगा, मैंने दूसरा पैग भी बना लिया- लो जान साथ दो जीजू का !

नहीं जीजू, पहले सब घूम रहा है !

मेरी खातिर एक और !

मैंने उसको मस्त कर दिया, गोली ने असर दिखाया, बोली- मेरे बदन से सेक क्यूँ निकल रहा है?

मैंने कहा- लगता है साडू की याद आ गई?

बोली- उसका नाम मत लेना ! वो एक गे लगता है ! कई-कई दिन मेरे तो पास आने से कतराता रहता है !

वो उठी, लड़खड़ाती हुई खड़ी हुई खिड़की से बाहर देखने लगी। मैं उठा, उसके पीछे जा खड़ा हुआ, उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा- क्या हुआ?

मेरा हाथ लगते ही उसका बदन कांप गया, वो नशे की गिरफ्त में थी।

“क्यूँ ? वो क्यूँ इतनी हसीन बीवी के पास नहीं आता? साला कितना बेवकूफ है?”

“कितनी हसीन हूँ मैं जीजा?”

“क्या बताऊँ? मुझे तो तुम बहुत हसीन दिखती हो, तुमने यह दारु कब से पीनी शुरु कर दी?”

“क्या करूँ जीजा, अकेलेपन में क्या करूँ? मुझे रातों को नींद नहीं आती इसके बिना ! इसको पीकर रात निकल जाती है !”

मैंने उसकी कमर में हाथ डाल लिया, उसके पेट को सहलाने लगा- मैं तो कुछ ही घंटों में तुझे देख पागल हो गया हूँ। वो साला क्या मर्द है?

उसके मुंह से मीठी मीठी सिसकारी फूटी- अह जीजू ! क्या कर रहे हो आप?

देख रहा हूँ छू कर कि भगवान ने तुझे कितनी मेहनत से बनाया होगा ! मैंने उसकी नाभि को सहलाया।

वो तड़प उठी, सी-सी करने लगी।

मैंने दूसरी बाजू भी डाल उसको पीछे से बाँहों में भर डाला। गोली की वजह से उसके अंग तनने लगे थे, गोली का काम ही यही है अगर किसी औरत को यह पूरी गोली खिला दो, उसके बाद किसी तरीके से औरत पर हल्का फुल्का हाथ फेरना पड़ता है, उससे औरत के जो अंग तन जाते हैं उनमें से उसके मम्मे मानो दूध से भर गए हो, उनमें ऐसी जलन होती है, उसका दिल करता है कि कोई मर्द मसल दे, उसके चुचूक वो भी तन जाते हैं, औरत चाहती है कोई चूसे, चुटकी से मसले, उसके चूतड भी कसाव खा जाते हैं, औरत चाहती है बस मर्द उसको रगड़ दे, उसकी चूत में अजीबोगरीब सी हलचल होती है, ये सब बातें मुझे मेरी काम वाली ने बताई, मैंने उसे एक गोली अपने सामने खिलाई तो उसने मुझे गोली खाने के बाद आते हर बदलाव से अवगत करवाया था।

मैंने साली की गर्दन पर होंठ रख दिए वो तो मिर्ची की तरह सी सी सी करने लगी। मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से रगड़ा तो वो और बहकने लगी- नहीं जीजू ! यह क्या सही होगा?

“सब सही है मेरी जान ! मैं तेरा दर्द जानता हूँ ! मैंने उसके लोअर को खोल दिया। काली पैंटी में उसकी गोरी गाण्ड देख मेरा बुरा हाल था, मैंने अपना लोअर भी उतार दिया, मेरा अंडरवीयर फटने को था।

मैंने पीछे खड़े खड़े ही उसका नाममात्र सा टॉप भी उतार दिया, उसकी गोरी पीठ पर काली स्ट्रिप ! हाय ! मैं मरे जा रहा था !

मैंने उसकी पीठ पर जगह जगह चूमा, मेरी उँगलियाँ उसकी पीठ, उसके चूतड़ों पर रेंग रही थी। वो एकदम से मेरी पकड़ से निकली, बोतल उठाई, उसमें से एक पैग डाला, एक मेरे में डाला, झट से पूरा उतार लिया हलक में और मैंने भी !

वो जाकर बिस्तर पर गिर गई, मैंने भी वक़्त गंवाए बिना उसको दबोच लिया वहीं बिस्तर पर !

मैंने उसकी ब्रा भी उतारी, उसके मम्मे अकड़े पड़े थे। जैसे-जैसे मैंने दबाये, वैसे-वैसे वो कोमल होने लगे, मतलब एक मर्द का हाथ ही उन्हें नर्म कर रहा था। मैंने उसके चुचूक दिल भर कर चूसे।

बोली- जीजू, बहुत प्यासी रह जाती हूँ मैं !

मैंने खींच कर उसकी पैंटी उतारी- हाय रब्बा ! क्या मस्त चूत थी साली की !

मैंने उसको जुबां से चाटा तो वो तड़पने लगी, मचलने लगी।

लेकिन मैंने उसको नहीं छोड़ा, बोली- जीजू या तो मुझे भी अपना चूसने को दो ?

मैं उसको इतना पागल करना चाहता था कि बाद में यह कबूतरी हाथ से न निकले !

बाकी अगले भाग में !

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