जीजू ने बहुत रुलाया-2

(Jiju Ne Bahut Rulaya- Chapter 2)

मेघना 2009-04-26 Comments

प्रेषिका : मेघना सिंह

दिनभर मैं घर पर अकेली रहती थी। मैं स्कर्ट पहनती थी। जब अकेली हो जाती थी तो चड्डी उतार देती थी। अपनी चूत को उँगली से छेड़ती रहती थी।

एक दिन मैं पता नहीं कैसे दरवाजा बंद करना भूल गई। मेरी आँख लग गई।

शायद जीजू अन्दर आये होंगे। पता नहीं मेरी स्कर्ट अपने आप ऊपर हो गई थी या जीजू ने ऊपर की थी। उन्होंने मोबाइल से मेरी कई नंगी तस्वीरें खीच लीं।

एक दिन वो जल्दी ही घर लौट आये, दोपहर में मुझसे बोले- आओ, तुम्हें बढ़िया फोटो दिखाऊँ।

मैंने कहा- दिखाओ।

उन्होंने अपने मोबाइल में मेरी नंगी फोटो दिखाईं।

मैं वहाँ से भागी तो उन्होंने मुझे पकड़कर अपनी टाँगों पर बिठा लिया।

मैं बोली- छोड़ो जीजू आप तो बहुत बेशर्म हो।

जीजू बोले- अच्छा जी…? नंगी तुम सोती हो, और बेशर्म मैं हो गया? मैंने तो नहीं कहा था नंगी सोने के लिये।

मैंने अपना चेहरा हाथों से छिपा लिया।

वो बोले- वैसे तुम्हारी चूत है बहुत सुन्दर। तुम्हारी चूत देखकर तो किसी बु्ढ्ढे का लण्ड भी खड़ा हो जायेगा।

उन्होंने शब्दों में मेरी चूत का नक्शा खींच दिया।

मैंने कहा- जीजू चुप रहो !

मैं फिर भागने को उठी।

जीजू ने फिर पकड़कर अपनी टाँगों पर बिठा लिया, वो मेरी जाँघों पर हाथ फिराने लगे और कहने लगे- मेघना, सच बताना….. अभी तक किसी से चुदी हो या नहीं?

मैं सीधे प्रश्न का कोई सीधा उत्तर न दे सकी।

जीजू ने फिर पूछा- बताओ न मेघना, अभी तक किसी से चुदी हो या नहीं?

मैने ना में सिर हिला दिया।

जीजू बड़ी बेशर्मी के साथ बोले- फिर तो तुम्हें चोदने में बहुत मजा आएगा ! बोलो चुदोगी? अभी तो तुम्हारी चूत की सील भी नहीं टूटी होगी।

मैं चौंक गई- क्या मतलब? कैसी सील?

जीजू बोले- हर कुँआरी लड़की की चूत एक झिल्ली से बन्द होती है, जिसे हाइमन कहते हैं। जब लण्ड पहली बार चूत में घुसता है तो वह फट जाती है। उसी को चूत फाड़ना कहते हैं। चूत फटने के ख्याल से मेरे शरीर में सिहरन सी दौड़ गई, दीदी को रोते देख चुकी थी।

मेरी बेखुदी में जीजू का हाथ कब स्कर्ट के अन्दर पहुँच गया? मुझे पता ही नहीं चला। जब होश आया तो मैंने उनका हाथ हटना चाहा तो जीजू ने मुझे गोद में लिटाकर मेरी स्कर्ट ऊपर उठा दी और मेरी चड्डी उतारने लगे।

मैं गिड़गिड़ाने लगी- जीजू नहीं… जीजू नहीं….।

जीजू नहीं माने। उन्होंने मेरी चड्डी उतार दी।

अब मेरी चूत उनके सामने थी। मेरी झाँटें छोटी-छोटी थीं। जीजू मेरी चूत को सहला रहे थे।

फिर जाने क्यूँ उन्होंने मुझे छोड़ दिया।

मैं खड़ी हो गई।

फिर जीजू बोले- अब बाकी कपड़े तुम खुद उतारोगी या मैं उतारूँ?

मैं कुछ न बोली।

फिर जीजू उठे और मुझे पीछे से बाँहों में भर लिया और मेरी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए। बटन खोलते हुए उन्होंने पूछा- जानती हो लण्ड कितना लम्बा होता है?

मैंने पापा का लण्ड भी मम्मी को चोदते समय देखा था और खुद जीजू का लण्ड भी दीदी को चोदते समय देखा था। फिर भी मैंने ना में सिर हिला दिया।

वो उँगली से इशारा करते हुए बोले इत्ता सा होता है, लेकिन चूत सामने हो तो या लड़की बाँहों में हो तो छ: से आठ इंच तक लम्बा हो जाता है।

जीजू का लण्ड खड़ा हो चुका था जो मुझे अपने पीछे गाण्ड पर महसूस हो रहा था।

मुझे जाने क्या हो गया था। मैं जीजू को रोक नहीं पा रही थी। जीजू मेरी शर्ट के सारे बटन खोल चुके थे। उन्होंने मेरी शर्ट को पीछे को उतार दिया।

अब जीजू बोले- तुम्हें अपनी चूत के बारे में पता है?

मैंने कुछ नहीं कहा।

अब तक वो मेरी ब्रा के हुक भी खोल चुके थे। ब्रा के स्ट्रेप्स को कंधों से नीचे सरका दिया।

ब्रा भी उतर गई।

मेरे स्तन कड़े थे। जीजू मेरे स्तनों से खेलने लगे।

मुझे उत्तेजना की वजह से पेशाब जाने की इच्छा होने लगी, मैं बोली- जीजू, पेशाब लगा है।

जीजू बोले- अब तुम्हारी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी है। तुम चाहे न मानो, लेकिन तुम्हारी चूत चुदने को तैयार है।

मैं गिड़गिड़ाई- नहीं जीजू ! तकलीफ़ हो जायेगी मुझे !

मैं उनसे छूटने की कोशिश करने लगी।

जीजू बोले- देख मेघना, अब तुम्हें बिना चोदे तो मैं छोड़ूँगा नहीं।

मैं रुआँसी हो गई। अनजाने डर से मेरी आँखों में आँसू आ गये।

मैं बोली- जीजू, पेशाब तो कर आने दो?

जीजू बोले- चल, मैं करवा कर लाता हूँ।

उन्होंने मुझे गोद में उठा लिया और…

कहानी जारी रहेगी !

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