मेरी चालू बीवी-4

इमरान 2014-05-03 Comments

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लेखक : इमरान
कुछ ही देर में पारस की ट्रेन चली गई, मैं जल्दी से गाड़ी में आकर बैठ गया और फ़ोन निकाल कर रिकॉर्डिंग ऑन की…
इस टेप को सुनने में पूरे 3 घंटे लगे, टेप सुनने में ही मेरी हालत खराब हो गई और मैंने दो बार मुठ मारी।
मैं सपने में भी नहीं सोच सकता था कि सलोनी इस कदर सेक्सी हो सकती है, उसने एक भारतीय नारी की सारी हदें पार कर दी थीं।
मुझे लगा कि शायद मैं अपने बिज़नेस में कुछ ज्यादा ही व्यस्त हो गया था जो उसकी इच्छाएँ नहीं समझ पाया।
तो आप भी सुन लीजिए मेरे सगे भाई पारस और मेरी ब्याहता बीवी सलोनी की बातचीत, एक एक शब्द आगे वर्णित है…

मैं- अच्छा जान मैं चलता हूँ, पारस तैयार रहना शाम को मिलते हैं।
सलोनी- बाय जान अपना ध्यान रखना।
सलोनी- ओह पारस, क्या करते हो रुको तो… अरे, दरवाजा तो बंद करने दो… लगता है… आज तो पगला गए हो।
पारस- हाँ भाभी, आज मेरा आखरी दिन है, तुमको तो पता है फिर 6 महीने के बाद आ पाऊँगा।
सलोनी- ओह मुझे पता है बेबी, मैं खुद उदास हूँ पर ओह… रुको ना… उतार रही हूँ ना… क्या पजामी फ़ाड़ोगे? ये लो… आज तुम्हारा जो दिल चाहे कर लो… आज मेरी ओर से तुमको हर तरह की आजादी..
पारस- यू आर ग्रेट भाभी… आई लव यू… पुच… पुच…
सलोनी- अब तुमने मुझे पूरी नंगी तो कर दिया है… देखो सुबह तुमने कितना गन्दा कर दिया था… पहले मैं नहा लूँ… फिर जो तुम्हारी मर्जी कर लेना।
पारस- आज तो मैं आपको एक पल भी नहीं छोड़ूँगा… चलो… मैं आपको नहलाता हूँ।
सलोनी- क्या करते हो पारस… अभी तो नहाये हो तुम… फिर से गीले हो जाओगे… आआअ… ऊऊऊ…उईईईईई… क्या कर रहे हो…
ह्ह्ह्ह्हाआआआ… खिलखिलाने की आवाजें आओहूऊऊओ…
पारस- भाभी सच बताओ, तुम्हारी चूत इतनी प्यारी कैसे है… कितनी छोटी… वाउउउउ… कितनी चिकनी… ये तो बिल्कुल छोटी सी बच्ची जैसी है… पुच पुच… च… च… च… पुच च च…
सलोनी- अहाआआ… ह्हह्हाआ… अब नहाने भी दे… या चाटता ही रहेगा… ओहूऊऊ… ओह… हा… हा… हे… हेह… ही… ही…
पारस- पुच… चाप… चप… चपर… पुच…
सलोनी- अच्छा ये बता… तूने कितनी बच्ची की चूत देखी हैं जो तुझे पता है कि वो ऐसी होती है।
पारस- क्या भाभी… ये तो पता ही है न… और मैंने तो कई की देखी है और…
सलोनी- अच्छा बच्चू… इसका भी दीवाना है लेकिन गलत बात अब ऐसा नहीं करना…
पारस- ओह भाभी… ठीक है… नहीं करूँगा मगर कान तो छोड़ो।
सलोनी- नहीं छोड़ूंगी… तुम छोड़ते हो जब मेरे दूध पकड़ लेते हो… तो हा हा… अब मैं भी नहीं छोड़ती…
पारस- ठीक है… मत छोड़ो… लो मैं भी पकड़ लेता हूँ…
सलोनी- हीईई… हूऊऊऊऊ… अहाआआ… उईईईईइ…
पारस- अहाआ… आआअ…
सलोनी- ओहूऊऊ… यहाँ नहीं राजा… ओहू… हो… अहाआआ… निकाल न… अहाआआ… नहा तो लेने दे… नअहाआआ…
पारस- नहला ही तो रहा हूँ… यह तो आपकी चूत की अंदर की सफाई कर रहा है… आहा… आहा…
सलोनी- हाँ हाँ… मुझे सब पता है यह कौन सी सफाई कर रहा है… आहा… आअ… अआ… अआ… ओह… ओह…
अहाआआ… आहा… आअ… आअ… आहाहा… हाआह…
पारस- ओह भाभी… कितनी गर्म है चूत आपकी… आहा हा… ओह आहा… हा ओह… अह्ह्हा… ओह… हह…
सलोनी- बस्स्स्स्स्स्स्स… राजाआआआ… ओहोहह्ह्ह्ह्ह्ह्ह…
पारस- आआआह्हह्हह्हह्ह… बस्स… भाभी हो गया… आआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह… आआआआअह्ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह्ह…
पारस- आहा भाभी… मजा आ गया, तुम बहुत हॉट हो जानम, तुम्हारी इस चूत को चोदकर मेरे लण्ड को पूरा करार मिल जाता है।
सलोनी- हाँ लाला… तुमने भी मेरी जिंदगी में पूरे रंग भर दिए हैं। तुम्हारे भैया तो बेडरूम और बिस्तर के अलावा मुझे कहीं हाथ भी नहीं लगाते, अहा और तुमने इस घर में हर जगह मुझे चोदा है। मैं निहाल हो गई तुम्हारी चुदाई पर।
पारस- हाँ भाभी… चुदाई का मजा तो जगह और तरीके बदल बदल कर करने में ही आता है।
सलोनी- सही कहा तुमने… आज यहाँ बाथरूम में मजा आ गया।
पारस- अच्छा और कल जब बालकोनी में किया था?
सलोनी- धत्त पागल… वो तो मैं बहुत डर गई थी। लेकिन सच बोलूँ तो बहुत मजा आया था। सूरज की रोशनी में खुले में, ना जाने किस किसने देखा होगा।
पारस- अरे भाभी… वही तो मजा है… और आपने देखा नहीं कल आपकी चूत सबसे ज्यादा गरम थी और कितना पानी छोड़ रही थी।
सलोनी- हाँ हाँ… चल अब तेरी सारी इच्छा पूरी हो गई ना, बेडरूम से लेकर बाथरूम, बालकोनी, रसोई सब जगह तूने अपने मन की कर ली ना, और मुझे यह गन्दी भाषा भी सिखा दी, अब तो तू खुश है ना?
पारस- अभी कहाँ मेरी जान… अभी तो दिल में सैकड़ों अरमान हैं… आप तो बस देखती जाओ… हा… हा… हा…
सलोनी- तू पूरा पागल है… चल अब हट…
ट्रनन्न्नन ट्रन्नन्नन्नन्नन्नन्न
सलोनी- अरे कौन आया इस वक्त…?
पारस- लगता है कूरियर वाला है।
सलोनी- जा तू ले ले… तौलिया बांध लेना कमर में… या होने इसी पेन से साइन करेगा… हा… हा… हा… हाहा…
पारस- हे हे… हंसो मत भाभी… आज आपको एक और मजा कराता हूँ… जाओ कूरियर आप लो… बहुत मजा आएगा।
सलोनी- पागल है क्या… मुझे कपड़े पहनने में आधा घंटा लग जायेगा, जल्दी जा ना… तू ले ले।
ट्रनन्न्नन ट्रन्नन्नन्नन्नन्नन्न
पारस- नहीं भाभी… देखो न… बहुत मजा आएगा… तुमको कपड़े नहीं पहनने… ऐसे ही लेना है कूरियर।
सलोनी- हट पागल… मारूंगी तुझे… नंगी जाऊँगी मैं उस आदमी के सामने? कभी नहीं करुँगी मैं ऐसा… तू तो पूरा पगला गया है। हाए राम क्या हो गया है तुझको, मुझे क्या समझा है तूने?
पारस- पुच पुच… तुम तो मेरी जान हो… अगर मुझ पर विश्वास है और मुझसे जरा भी प्यार है तो आज सारी बात आप मानोगी… चलो जल्दी करो।
सलोनी- अरे बुद्धू… कैसे वो पागल हो जायेगा।
ट्रनन्न्नन ट्रन्नन्नन्नन्नन्नन्न
सलोनी- कौन? कौन है भाई?
…कूरियर है…
सलोनी- रुको भैया, अभी आती हूँ, मैं नहा रहीं हूँ।
हाँ… अब बोल कैसे जाऊं…?
पारस- लो यह तौलिया ऐसे बाँध लो जैसे बांधती हो अपनी चूची से और गीली तो हो ही, वो यही समझेगा कि नहाते हुए आई हो। और घबराती क्यों हो… वो कौन का किसी से कहेगा… उसकी तो आज किस्मत खुल जायेगी।
सलोनी- तू वाकई पूरा पागल है… मरवाएगा तू आज, मैं पूरा दिन अकेली ही रहती हूँ अगर किसी दिन चढ़ आया न वो तो मैं क्या करुँगी।
पारस- अरे कुछ नहीं होगा… तुम देखना कितना मजा आएगा… और आपको एक बार उसके सामने यह तौलिया सरका देना… फिर देखना मजा।
सलोनी- पागल है… धत्त… मैं ऐसा कुछ नहीं करुँगी। चल हट अब तू।
ट्रनन्न्नन ट्रन्नन्नन्नन्नन्नन्न
सलोनी- आई भैया…
दरवाजा खुलने की आवाज…
पारस की मर्जी पूरी करने के लिए सलोनी आज वो करने वाली थी जो उसने कभी नहीं किया था।
वो नहाकर पूरी नंगी, उसके संगमरमरी जिस्म पर एक भी वस्त्र नहीं था, केवल एक तौलिया लपेट जो उसके बड़े और ऊपर को तने मम्मों पर बंधी थी और उसके मोटे गद्देदार चूतड़ों पर आकर ख़त्म हो गई थी, उसी को बाँध, एक अजनबी के सामने आने वाली थी। पता नहीं इस रोमांच के खेल में क्या होने वाला था…
अब आगे…
दरवाजा खुलने की आवाज…
सलोनी- ओह आप… क्या था भैया? सॉरी देर हो गई वो क्या था कि मैं नहा रही थी न…
अजनबी- कोई बात नहीं मैडम जी, आपका कूरियर है। लीजिये यहाँ साइन कर दीजिये…
सलोनी- ओह.. कहाँ… अच्छा… क्या है इसमें..
अजनबी- पता नहीं मैडम… मुम्बई से आया है।
सलोनी- ओह बहुत भारी है… आहआआआ… आईईईईईईई… उफ्फ्फ्फ्फ… पकड़िये प्ल्श्श्श्श्श्श्श्श्श्श्श्श्श… प्लीज ये क्या हुआअ…
अजनबी- वाह… मेमश्ाााााबबब…
हाँह्हह्ह्ह… लाईईईई… ये अहाआआआअ…
सलोनी- सॉरी भाईसाब… न जाने कैसे खुल गया। कृपया आप अंदर रख दीजिये…
…खट खट बस कुछ आवाजें…
अजनबी- अच्छा मेमसाब, चलता हूँ। आपका शुक्रिया… एक बात कहूँ मेमसाब… आप बहुत सुन्दर हैं… अब किसी और के सामने ऐसे दरवाजा मत खोलना।
सलोनी- सॉरी भैया, किसी और से मत कहना।
अजनबी- ठीक है मेमसाब…
दरवाजा बंद होने आवाज…
सलोनी- हा हा हा हा माय गॉड, ये क्या हो गया…
पारस- हाहा…हाहाहाहा…हाहा होहोहोहो… मजा आ गया भाभी… क्या सीन था, गजब, आज तो उसका दिन सफल हो गया…
सलोनी- हो हो हो हो हे हे… रुक अभी… कितना मजा आयायया… वाह रुक… अभी हा हा हा हा… पेट दर्द करने लगा…
पारस- हाँ भाभी, देखा आपने उसकी पैंट कितनी फूल गई थी… बेचारा कुछ कर भी नहीं पाया.. कैसे भूखे की तरह घूर रहा था…
पारस- वाह भाभी… आपने तो कमाल कर दिया, मैंने तो केवल ये चूची दिखाने को कहा था। और आपने तो उसको पूरा जलवा दिखा दिया?
माय गॉड… देखो… यहाँ मेरे लण्ड का क्या हाल हो गया… उस बेचारे का तो क्या हुआ होगा।
सलोनी- हहहहः
पारस- जैसे ही आपका तौलिया गिरा मैं तो चोंक ही गया था… मैं तो डर गया कि कहीं आप पैकेट ना गिरा दो। पर आपने किस अदा से उसको पैकेट पकड़ाया।
वाह भाभी मान गया आपको…
सलोनी- हे… हे हे… हे… चल पागल… वो तो अपने आप हो गया। मैंने नहीं किया… तौलिया खुद खुल गया…
पारस- जो भी हुआ पर बहुत गरम हुआ, जो मैं सोचता था वैसे ही हुआ…
पारस- कैसे फटी आँखों से वो आपकी चूत घूर रहा था.. और आपने भी उसको सब खुलकर दिखाई…
सलोनी- धत्त मैंने कुछ नहीं दिखाया… चल हट मुझे शर्म आ रही है…
पारस- हाए हाए… मेरी जान… अब शर्म आ रही है.. मुझे तो मजा आ गया।
सलोनी- अच्छा बता न… वो क्या क्या देख रहा था?
पारस- हाँ भाभी, आपसे पैकेट लेते हुए उसकी नजर आपकी हिमालय की तरह उठी इन चूचियों पर थी। आप जब बैठकर तौलिया उठा रही थीं, तब वो बिना पलक झपकाए आपकी इस चिकनी मुनिया को घूर रहा था जो शायद अपने होंट खोले उसको चिढ़ा रही थी। और तो और फिर आप उसकी तरफ पीठ कर जब तौलिया बांधने लगीं तो जनाब ने आपके इन सेक्सी चूतड़ों को भी ताड़ लिया।
मैं तो सोच सोच कर मरा जा रहा हूँ कि क्या हुआ होगा बेचारे का…
सलोनी- हा हा… एक बात बताऊँ, पैकेट लेते हुए उसके दोनों हाथों की रगड़ मेरे इन पर थी… मैं तो सही में घबरा गई थी।
पारस- वाओ भाभी… चूचियों को भी रगड़वा लिया, फिर तो गया वो…
सलोनी- तुम सही कह रहे थे… वाकयी बहुत मजा आया।
पारस- मैं तो आपसे कहता ही हूँ भाभी… जरा सा जीवन है खूब मजा किया करो।
सलोनी- अच्छा चल अब तैयार हो जा, ओह… अब मत छेड़ न इसको। चल बाजार चलते हैं… बाहर ही कुछ खा लेंगे… मुझे शॉपिंग भी करनी है।
पारस- ठीक है भाभी… पर एक शर्त है !
सलोनी- अब क्या है, बाजार भी नंगी चलूँ क्या…
पारस- नहीं भाभी, ये इंडिया है, काश ऐसा हो सकता… पर आप स्कर्ट पहन कर चलो।
सलोनी- अरे वो तो मैंने वही निकाली है देख… ये स्कर्ट पहन कर ही चलूंगी।
पारस- वाओ भाभी… बहुत सेक्सी लगोगी। पर प्लीज इसके नीचे कुछ मत पहनना, मतलब कच्छी ब्रा वगैरा कुछ नहीं !
सलोनी- अब फिर तू पगला गया है। ब्रा तो पहले भी कई बार नहीं पहनी है मगर कच्छी भी नहीं? बहुत अजीब लगेगा।
पारस- प्लीज भाभी…
सलोनी- ओके बेबी… पर ये स्कर्ट कुछ छोटा है… ऐसा करती हूँ, लॉन्ग स्कर्ट पहन लेती हूँ।
पारस- नहीं भाभी… यही… … प्लीज…
सलोनी- ओके बेबी… अब पीछे से तो हट… जब देखो… कहीं न कहीं घुसाता रहेगा… अब इसको बाज़ार में जरा संभाल कर रखना… ओके?
पारस- भाभी यही तो कंट्रोल में नहीं रहता, अब तो खुला रास्ता है… बस स्कर्ट उठाई और अंदर… हाहा…हाहा…
सलोनी- अच्छा जी… तो यह तेरा प्लान है… मारूंगी… हाँ… देख ऐसा कुछ बाज़ार में मत करना… कभी मुझे सबके सामने रुसवा कर दे?
पारस- अरे नहीं भाभी… आप तो मेरी सबसे प्यारी भाभी हो…
सलोनी- अच्छा चल अब जल्दी कर…
ओके…
मेरे पाठक दोस्तो, मैं खुश था… रिकॉर्डर सलोनी के साथ था मगर अगले 3 घंटे सही रिकॉर्ड नहीं हुए। यहीं आकर यह आधुनिक मशीनें भी फ़ेल हो जाती हैं।
कहानी जारी रहेगी।

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