मामा की लड़की से जिस्मानी रिश्ते-2

(Mama ki Ladki se Jismani Rishte-2)

This story is part of a series:

स्वीटी को सुबह 6.30 की बस से जाना था। रात में चैट में मैंने उसे फिर से प्रपोज किया और उसने भी मुझे ‘हाँ’ कर दी।

वो रो पड़ी थी कि काश हम दोनों एक-दूसरे को मिल सकते।

मैंने कहा- रिश्ते से नहीं तो क्या हुआ, शरीर से तो मिल ही सकते हैं न!

तो उसने मना कर दिया।

मैंने कहा- कल मुझे जाने से पहले तुमसे तुम्हारे होंठों का एक चुम्बन अपने होंठ पर चाहिए।

वो मना कर रही थी।

मैंने सोचा क्यों न बस में छोड़ने मैं ही जाऊँ, मैंने घर में कह दिया- सुबह स्वीटी को छोड़ने मैं जाऊँगा।

मैं सुबह 5.30 उसके कमरे में चला गया।

मेरी बीवी भी वहीं सो रही थी, तो मैं कुछ कर ही नहीं पाया, मैंने उससे बोला- उठ और फ्रेश हो जा और ब्रश कर ले, फिर चुम्मी करना है।

वो ग़ुस्सा करने लगी- कोई उठ जाएगा… और कोई कमरा भी खाली नहीं है।

मैंने समझ गया कि इसका कहना है कि कमरा खाली नहीं है मतलब यह भी चाहती है।

मैंने कहा- यह मेरी टेंशन है।

मैंने उससे रसोई में पानी की बोतल देने के लिए बुलाया। बोतल का ढक्कन हल्का सा बंद करके उससे देते हुए जान-बूझ कर गिरा
दिया, जिसके कारण पूरा पानी गिर गया।

पानी पोंछने के लिए मैं पोंछा लेने गया और उससे इशारों में बोल दिया कि यहीं रुक, मैंने कपड़ा ला कर रसोई के दरवाजे को बंद कर दिया और बोला- अब मुझे चुम्मा चाहिए.. अब यदि कोई आ भी गया तो बोल देंगे कि हम पानी पौंछ रहे थे.. इसलिए दरवाजा बंद किया था क्योंकि दरवाजे के पीछे तक पानी गया था।

उसने कुछ नहीं कहा.. बस खड़ी रही।

मैंने उसकी कमर पकड़ कर उसे अपनी ओर खींच लिया और पागलों की तरह चूमने लगा।

पहले तो वो एकदम शांत थी, बाद में वो भी चुम्बन करने लगी।

करीब 5 मिनट हम चुम्बन करते रहे।

फिर हम बस स्टैंड की तरफ निकल गए, हम लोग क्योंकि बस के समय से ही वहाँ पहुँच गए और हम लोगों ने पार्किंग में कार लगा दी।

उसने कहा- मैंने पहली बार किसी को चुम्बन किया है।

पार्किंग में सुबह 6.15 को एकदम अँधेरा था।

मैंने पूछा- तो फिर कैसा लगा?

वो कुछ नहीं बोली, मैंने बोला- दुबारा करना चाहेगी?

वो ‘ना’ बोली।

मैंने फिर भी उससे पकड़ लिया और ज़बरदस्ती चूमने लगा।
मैं ड्राइविंग सीट पर था और वो बाजू वाली सीट पर बैठी थी।

मैंने मौके का फायदा उठाते हुए उसकी सीट नीचे कर दी और अब मैं उसके ऊपर चुम्बन करते-करते चढ़ने लगा।
हालांकि मेरे और उसके होंठ मिले हुए ही थे, पर मेरा सारा बदन उसके बदन को महसूस कर रहा था।
मेरा लंड एकदम सख्त हो गया था, उसकी चूत पर मैं उसे मसलने लगा और उसके मम्मे मेरी छाती से दब रहे थे।

मेरा तो मानो सपना पूरा हो रहा था।

वो एकदम से और जोश में आ गई और बार-बार ‘आई लव यू’ बोल रही थी।
मैं भी ‘आई लव यू टू’ बोल रहा था।

‘तू कितनी सेक्सी है… तू मुझे पहले क्यों नहीं मिली स्वीटी…!’

फिर पता नहीं उसे क्या हुआ वो खुद को मुझसे छुड़ा कर कार से बाहर निकल गई।

अब वो बोली- मुझे जाना है.. मेरी बस जाने वाली है।

मैं कुछ कह ही नहीं पाया.. बस सामान उठा कर उसके साथ चल पड़ा।

उसे बस में बिठाने गया.. बैठा कर मैंने उसके कान में बोला- स्वीटी मैं तुम से बहुत प्यार करता हूँ तुम मेरी बेस्ट-फ्रेंड हो।

वो चली गई, पर अब मुझे लगा जैसे मेरे सारे रास्ते खुल गए हैं।

अब हम लोग रोज चैट और बातें करने लगे।

इन बातों में मैंने सब-सच बता कर उससे ये साबित कर दिया कि मेरी बीवी वाकयी एक मेरी सुखी ज़िन्दगी की एक दुश्मन है।

मैं उससे हमेशा कहता कि मैं अगर बाहर गया तो शायद वापस नहीं आ पाऊँगा।
सिर्फ वो ही है जो मुझे इस चीज़ से बाहर निकाल सकती है।
वाकयी मैं ऐसी स्थिति में ही था।

अब मैं तो बस स्वीटी से दुबारा मुलाकात का इंतज़ार कर रहा था।

कहते हैं ना कि जहाँ चाह है वहाँ राह है।
इसी बीच स्वीटी सहेलियों के साथ हैदराबाद कुछ कोर्स करने अपनी गई।

वह वो अपनी कुछ सहेलियों के साथ किराए के एक कमरे में रहती थी।
मैं हैदराबाद जाना चाहता था, पर मेरे सयुंक्त परिवार के व्यापार होने के कारण मैं कोई झूठ बोल कर भी नहीं निकल पाया।

इस बात 5 महीने बीत गए।

फिर एक दिन वाकयी बिज़नेस के काम से हैदराबाद जाने का मौका निकला, पर मेरे साथ एक इंजीनियर भी जाने वाला था।

मैंने जब स्वीटी को बताया तो वो भी फूली नहीं समाई।

मैं मन ही मन स्वीटी को चोदने के सपने देखने लगा, पर इंजीनियर और उसकी फ्रेंड दोनों कवाब में हड्डी थे।

मैं हैदराबाद सुबह-सुबह पहुँच गया और एक होटल ले कर पहले अपना काम खत्म किया।

एक बजे तक मैं फ्री हो गया था, तो मैंने इंजीनियर को बोला- मैं दूसरे काम से एक साहब को मिल कर आता हूँ, तुम होटल में आराम करो।

वो मान गया।

मैंने स्वीटी को फ़ोन करके कह दिया- तुम तैयार रहना.. घूमने चलेंगे।

मैं उसके कमरे पर गया और जैसे ही मैंने घंटी बजाई उसने दरवाजा खोल दिया।

वो पीले और सफ़ेद रंग की ड्रेस में बहुत ही मादक लग रही थी।

मेरी इच्छा तो हुई कि उसे बाँहों में भर लूँ, पर उसकी सहेलियाँ अन्दर बैठी थीं।

मैंने देर न करते हुए साथ चलने की जल्दी करने लगा।

हालांकि मुझे भी नहीं पता था जाना कहाँ है।

हम वहाँ से निकल कर टैक्सी में बैठ गए।

अब हम मस्त से नेकलेस रोड पर घूम रहे थे।

हम दोनों ने तय किया कि मूवी चलते हैं, पर एक हॉरर फिल्म लगी थी और ऐसी फिल्मों को देखने के मामले में हम दोनों ही बहुत डरपोक थे, पर फिर भी किसी तरह से हिम्मत जुटा कर चले गए।

फिर पूरी मूवी में मैं उससे चिपक कर बैठा रहा फिल्म के दौरान ही डर के बहाने एक-दूसरे के अंगों से चिपकते और चूमते रहे।

जब भूत आता, तो वो मुझसे चिपक जाती।

मैं अपनी कोहनी से उसके मम्मे दबाने लगा, उसने भी कुछ नहीं कहा।

मैं उसके मम्मों को जोर से दबाने लगा।

एक-दो बार उसे प्यार से मैंने माथे और गाल पर चुम्बन किया।

उसने मेरी ओर देख कर एक मुस्की मारी।

मेरे मोबाइल पर इंजीनियर का बार-बार फ़ोन आ रहा था।

वो बोल रहा था- रात की बस है.. अपने को चलना है।

मेरी जाने की इच्छा नहीं थी तो मैंने उससे झूठ बोल दिया- मुझे एक दिन का काम है.. आप चले जाइए.. आप रिसेप्शन पर चाबी छोड़ देना।

वो निकल गया।

अब होटल में सिर्फ मैं ही रह गया था, मैं खुश हो गया।

फिर मैंने स्वीटी को होटल चलने के लिए कहा, पर उसने मना कर दिया।

उसने बोला- वो बहुत दूर है। मैं घर कैसे आऊँगी।

मैंने कई बार कई तरह से कह कर देख लिया, पर वो टस से मस नहीं हुई।

मैं सोचने लगा क्या करूँ..? मुझे कुछ समझ में नहीं आया.. आखिर उसे छोड़ कर निकल गया।

होटल पहुँचने पर एक आईडिया आया।
मैं होटल तुरंत चेक-आउट करके उसके कमरे की तरफ निकल गया।

मैंने उससे फोन पर कहा- मैं वहीं होटल ले लेता हूँ।

वो खुश हो गई, पर बोली- मैं पूरा दिन तेरे साथ रह लूँगी.. पर रात में नहीं।

मैं बोला- ओके.. अभी डिनर साथ ले लेते हैं।

वो बोली- ओके।

मैंने एक अच्छा सा होटल बुक किया।
मैंने उसमें बात कर ली- मेरी कजिन आएगी कोई प्रॉब्लम तो नहीं है ना।

मैनेजर बोला- कोई दिक्कत नहीं है।

फिर मैंने स्वीटी को फ़ोन किया और ऑटो लेकर आने को कहा।

आपको मेरी दास्तान कैसी लगी मुझे अवश्य ईमेल कीजिएगा।
कहानी जारी रहेगी।

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