मेरी माँ सेक्सी माँ-2

(Meri Sexy Maa- Part 2)

गुमनाम जी 2008-03-10 Comments

कहानी का पहला भाग : मेरी माँ सेक्सी माँ-1

मैंने कहा- हाँ माँ! मैं समझ सकता हूँ कि आप पर क्या बीत रही है! पर मैं एक बात बता दूँ कि मैं बच्चा नहीं रहा अब! पूरे 19 साल का हो गया हूँ! और मेरा पप्पू भी।
वो बोली- क्या कहा तूने?
मैं सकपका गया और कहा- सॉरी माँ, गलती से मुँह से निकल गया।
और वो मेरे लंड को देखने लगी।

मैं उस समय माँ से सॉरी बोलकर कॉलेज़ चला गया और काफी सोचता रहा कि यह मैंने क्या कह दिया! माँ क्या सोचेगी मेरे बारे में!

पर माँ ने तो शाम के लिए कुछ और ही योजना बना रखी थी।

कॉलेज़ खत्म करके जैसे ही मैंने घर के अन्दर कदम रखा, वैसे ही बारिश चालू हो गई। माँ ने मुझे देख कर कहा- आ गया मेरा राजा बेटा!

और यह कह कर वो छत पर कपड़े उठाने चली गई।
उन्होंने उस समय वही गुलाबी सिल्की गाउन पहन रखा था।

मैं भी उनके पीछे पीछे ऊपर चला गया तो वो मुझे देख कर बोली- तू ऊपर क्यों आ गया? भीग जायेगा! चल नीचे जा!
मैं बोला- अरे माँ, मैं तो आपकी मदद करने के लिए ऊपर आया हूँ!

और आधे कपड़े उन्होंने उठाये, आधे मैंने, और नीचे आ गए।
सीढ़ी उतरते वक़्त माँ मेरे आगे चल रही थी, मैं उनके पीछे!

उनके भीगे हुए मादक चूतड़ क्या लग रहे थे! भीगने की वजह से उनका गाउन बिल्कुल उनके शरीर से चिपक गया था। मन तो कर रहा था कि उनको गोदी में उठा कर उनकी इतनी गांड मारूँ कि सारा वीर्य ही निकाल दूँ!

नीचे आकर माँ कहने लगी- इस बारिश को भी आज ही आना था! एक तो यह ठण्ड, ऊपर से बारिश! चल कपड़े बदल ले, नहीं तो ठण्ड लग जाएगी।

उस समय मैं माँ के दोनों स्तन देख रहा था जो गाउन में से झांक रहे थे।
क्या संतरे थे- मानो कि अभी दबाओ तो कई ग्लास भर कर जूस निकलेगा उसमें से!

उन्होंने मुझे देख कर कहा- क्या देख रहा है तू इधर मेरे उभारों को घूर कर?
मैं डर गया और कहा- कुछ भी तो नहीं!

तो वो बोली- मैं सब समझती हूँ बेटा! माँ हूँ तेरी!
और यह कह कर वो बाथरूम की तरफ जाने लगी और कहने लगी- तू भी अपने कपड़े बदल ले, मैं भी अब नहा लेती हूँ!

क्या गाण्ड लग रही थी चलते हुए उनकी! मैं मन ही मन तो उन्हें चोद ही चुका था और आज अच्छा मौका था उन्हें सचमुच में चोदने का!

मैं उनसे जाकर पीछे से लिपट गया।
माँ एकदम से घबरा गई।

मैंने कहा- माँ सॉरी! मैं ऐसा कुछ नहीं देख रहा था जो आप सोच रही हो!

माँ से चिपकते ही मेरा लंड फुन्कारे मारने लगा था और इसका एहसास मेरी माँ को भी हो गया था क्योंकि उस समय मेरा लंड उनकी दरार में रगड़ मारने लगा था।

शायद माँ समझ गई थी कि मैं उन्हें चोदना चाहता हूँ।
उन्होंने कहा- चल छोड़ मुझको! मैं तो बस मजाक कर रही थी!

शायद वो भी काफी दिनों से चुदासी थी इसलिए चुदवाना भी चाहती थी और उन्होंने मुझे पीछे से हटाकर अपनी छाती में समा लिया।
मैं तो उनके वक्ष में खो ही गया था।

क्या स्तन थे उनके! मन तो कर रहा था कि दबा कर सारा दूध निकाल लूँ!

फिर वो बोली- चल, अब जा! कपड़े बदल ले! मैं भी नहा लूँ!
तब वो बाथरूम में चली गई।

मैं कहाँ मानने वाला था, उनके बाथरूम में जाने के बाद मैं उन्हें बाथरूम में देखने लगा दरवाज़े के छेद में से!

उन्होंने अपने धीरे-धीरे कपड़े उतारे।
शायद उन्हें पता लग गया था कि मैं उन्हें छेद में से देख रहा हूँ.

वो धीरे धीरे अपनी चूचियाँ दबाने लगी और सिसकारी भरने लगी- उह हम्म ओह माय गोशह आह्ह अहा ओह्ह और अपनी चूत में भी उंगली डालने लगी।

माँ यह सब कुछ मुझे दिखा रही थी जानबूझ कर!
और मैं भी बाहर खड़ा होकर अपना लंड दबा रहा था।

क्या आवाजें थी- हम्म ओह्ह्ह होऊस्स्स ओह माय गुड फक मी …

मैं बाहर सब सुन रहा था पर कुछ नहीं बोला!
मन तो कर रहा था कि दरवाज़ा खोल कर अन्दर घुस जाऊँ!

पर मुझे लगा कि यह मेरा भ्रम भी तो हो सकता है, शायद उन्होंने मुझे न देखा हो!

इतने में उन्होंने मुझे आवाज़ लगाई- अरे मेरे कपड़े तो बाहर ही रह गए! जरा देना बेटा!

मैं घबरा गया और वहाँ से बाहर के कमरे में आ गया और डरते हुए पूछा- कहाँ हैं कपड़े?

वो बोली- वहीं पर मेज पर रखे हैं!
मैं बोला- ठीक है। लाता हूँ!

वहाँ पर उनकी लाल रंग की ब्रा और चड्डी के साथ लाल रंग का गाउन रखा हुआ था।
मैंने उन्हें उठाया और उनकी ब्रा और चड्डी को सूंघने लगा।

क्या खुशबू थी उनमें! भीनी-भीनी सी चूत की! मानो जन्नत!
और फिर माँ को देने के लिए बाथरूम की ओर जाने लगा कि तभी माँ जोर से चिल्लाई- क्या कर रहा है? इतनी देर हो गई तुझे? कहाँ मर गया?
मैं बोला- ला तो रहा हूँ!

जब मैं बाथरूम के पास पहुँचा तो दरवाज़ा खुला हुआ था।

मैं उन्हें कपड़े देने लगा, उन्होंने अपना हाथ बाहर निकाला और कपड़े ले लिए।
मेरा मन किया कि मैं भी घुस जाऊँ! क्या पता बात बन ही जाये!

और दरवाजा खुला होने के कारण मैं भी बाथरूम में घुस गया।

माँ को पता नहीं लगा क्योंकि उनका मुँह पीछे की तरफ था, वो ब्रा पहन रही थी।

मैंने उन्हें पीछे से जाकर पकड़ लिए और उनके मम्मे दबाने लगा।
वो एकदम से घबरा गई और बोली- कौन है?

उन्होंने जैसे ही पीछे मुड़ कर देखा तो मुझे देख कर सबसे पहले उन्होने मुझे कस कर चांटा जड़ दिया और कहने लगी- क्या कर रहा था यह? तुझसे शर्म नहीं आती अपनी माँ के साथ ऐसा करते हुए?

पर मैं तो मानो सब कुछ भूल ही गया था उस समय। मैं उनके उरोजों से चिपट गया और उन्हें चूसने लगा।

अगले भाग में समाप्य!
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कहानी का अगला भाग : मेरी माँ सेक्सी माँ-3

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