मेरा लण्ड और चाची की चूत

(Mera Lund aur Chachi Ki Chut)

सबसे पहले सभी प्यासी चूतों और जानलेवा लंडों को मेरे लंड की ओर से नमस्कार।

मेरी उम्र 21 साल है, शरीर से पतला हूँ पर भगवान ने लण्ड काफ़ी मस्त दिया है। 7 इंच लंबा तथा 2.7 इंच मोटा, जो किसी भी चूत को फाड़ देने के लिए काफ़ी है।

अंतर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है, उम्मीद रखता हूँ सबको पसन्द आएगी। यह कहानी मेरी और मेरी सेक्सी चाची शोभा (बदला हुआ नाम) के बारे में है।

वैसे तो मैं मम्मी-पापा के साथ ही रहता था, पर 11वीं कक्षा से अच्छी पढ़ाई के लिए चाचा के घर आणंद (बदला हुआ नाम) में रहने लगा था तथा यहीं कॉलेज में भी प्रवेश मिल गया है, तो यहीं रहता हूँ।

घर में सिर्फ़ मैं चाचा तथा चाची ही रहते थे। हालाँकि चाचा की एक बड़ी लड़की भी थी, जिसकी 4 साल पहले ही शादी हो गई है।
मेरी चाची शोभा की फिगर करीब 32-28-38 है, रंग गोरा है। बूब्स ढीले हैं पर कूल्हे काफ़ी सेक्सी हैं।
मेरे चाचा स्कूल में शिक्षक हैं, जबकि चाची पूरा दिन घर पर ही रहती थीं।

एक दिन जब मैं दोपहर को सो रहा था, तब की बात है, मेरी आँख खुली तो देखा कि चाची की सहेली नीलम (बदला हुआ नाम) आई है, दोनों कुछ बातें कर रही थीं तो मैंने अपना सोने का नाटक चालू रखा और बातें सुनने की कोशिश करने लगा। पर मेरे रूम में कुछ खास सुनाई रहा था।

पर मैंने देखा कि जाते वक़्त नीलम ने शोभा से पेन ड्राएव ली थी और हँस कर निकल गई तभी मुझे शक हुआ कि वो ब्लू फिल्म होनी चाहिए।
और मैं चाचा के कंप्यूटर की तलाशी लेने का मौका ढूँढने लगा, मौका मिलने पर पता चला कि चाचा की हार्ड-ड्राइव में करीब 70 जीबी की ब्लू फिल्म थी।
मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था। मैंने तभी ठान ली कि शोभा को चोदने का मौका मिलेगा तो साली को जम कर चोदूँगा।

अब चाची के लिए मेरा नज़रिया बदल गया था। पहले मैं सिर्फ़ उनके नाम की मुठ्ठ मारता था तथा पेंटी में भी मुठ्ठ मारता था पर अब मैं शोभा को चोदना चाहता था।

इसी दरमियान चाचा को ट्रेनिंग के सिलसिले में 4 दिन के लिए बाहर जाना पड़ा। अब घर पर सिर्फ़ मैं और चाची ही थे।

चाची को रात में अंधेरे से डर लगता था, तो चाचा ने मुझे चाची के साथ वाले बेड पर सोने का आदेश दिया था।

पहली रात जब मैं रात को 2 बजे पानी पीने जगा, तो मैंने देखा की चाची की मैक्सी (गाउन) कुछ ज़्यादा ही ऊपर हो गई है, जिससे चाची की जाँघें साफ दिखाई रही थीं। उनकी मैक्सी गहरे गले की थी तो उनके पपीतों की झलक भी मिल रही थी।
मैंने लाइट बंद की और चाची के करीब जाकर सोने का नाटक करने लगा।

मेरा हाथ धीरे-धीरे चाची की जाँघ की और बढ़ रहा था। मैं चाची की कोमल जाँघ को सहलाने लगा। मैं अब अपना हाथ चूत की ओर बढ़ा रहा था पर थोड़ा डर लग रहा था कि चाची जाग गईं तो क्या होगा?
पर साथ में मजा भी बहुत आ रहा था। वैसे भी जब लण्ड चोदने को बेताब हो, तब उसे कोई ताक़त नहीं रोक सकती।

मैं अपना हाथ आगे बढ़ाता गया और मैंने बहुत सावधानी से पेंटी में हाथ डाल दिया। पेंटी में सबसे पहले मुझे हल्के बालों का स्पर्श मिला। मैं हाथ बढ़ाता गया और जब मैंने पहली बार चूत को छुआ तो मेरे शरीर में से एक चिंगारी सी निकल गई। चूत काफ़ी गर्म लग रही थी, मानो अंगार हो।

चाची की चूत के होंठ काफ़ी कड़क महसूस हो रहे थे। काफी देर चूत सहलाने के बाद अब मेरा हाथ चूत के मुँह पर था। मैंने चूत के मुँह पर उंगली रखी और उसे चूत में डालने की कोशिश करने लगा, तभी अचानक चाची ने करवट बदल ली।

मेरे शरीर में डर की एक झुरझुरी सी निकल गई, लग रहा था कि चाची जाग गई थीं।
इसी ख्याल में 10-15 मिनट कब निकल गए पता ही नहीं चला। मैंने देखा कि चाची अभी भी सो रही थीं।
तब मेरी जान में जान आई। अब मैं उस रात तो कुछ ज़्यादा नहीं कर सका।

उस रात के बाद मैंने गौर किया कि चाची का मेरी और बर्ताव कुछ बदल सा गया था। मानो वो जान-बूझ कर अपनी चूचियों की झलक तथा चूतड़ मटका कर दिखा रही हों और कह रही हों- आ लण्ड और मेरी चूत को बजा दे।’

मैं सुनिश्चित कर लेना चाहता था कि चाची मुझे सच में भाव दे रही हैं, या यह सिर्फ़ मेरा ख्याल है।
तो मैंने एक तरकीब ढूंढ ली और सही मौके की तलाश करने लगा।

शनिवार को चाचा कि सुबह-सुबह स्कूल जाना होता है। वैसे हर रोज 8 बजे मुझे चाची जगाने मेरे रूम आती थीं। शनिवार को चाचा 7.15 तक स्कूल के लिए निकल जाते हैं। मैं कब से सोने का नाटक कर रहा था, साथ में मैंने अपना लण्ड मेरे बॉक्सर से बाहर निकाल रखा था। मानो जैसे रात को नींद में बाहर निकल गया हो।

जब चाची मुझे जगाने आईं तो मैंने देखा कि वो काफ़ी देर तक मेरे लण्ड को निहारती रहीं। बाद में पास आईं और बहुत सावधानी से लण्ड को पकड़ा, उसकी चमड़ी को धीरे से खींची और लण्ड के सुपाड़े को देखने लगीं और बाद में लण्ड को वापस बॉक्सर में डाल दिया।

अब यह बात तो तय हो चुकी थी कि आग दोनों ओर लगी है, बस पहल की ही ज़रूरत थी। मुझे पहल करने से डर लग रहा था। तो मैंने पहल करना ठीक नहीं समझा।

दूसरे दिन रविवार था। हर रविवार की तरह चाचा मेरे पापा से मिलने हमारे घर जाने को निकल गये। घर पर मैं और चाची ही थे । मैं नहा कर टीवी देख रहा था।

चाची हर रविवार को घर की साफ सफाई कर के करीब 11 बजे नहाने जाती हैं और करीब घंटे तक नहाती हैं।

जब चाची नहाने गई तब भी मैं टीवी देख रहा था। आध-पौन घण्टे के बाद बाथरूम से चाची की आवाज़ आई कि वो तौलिया व ब्रा-पेंटी भूल गई हैं, तो मैं जाकर दे दूँ।

मैंने ब्रा-पेंटी तथा टॉवल लिया और बाथरूम की ओर चल पड़ा, मैं सोच रहा था कि कुछ दिखने मिलेगा। पर चाची ने सिर्फ़ हाथ बाहर निकाल कर सब कपड़े ले लिया, मैं वापस आकर टीवी देखने लगा।

तभी बाथरूम से चाची के गिरने की आवाज़ आई और मैं उस ओर दौड़ गया। वहाँ देखा कि चाची सिर्फ़ पेंटी में ही थीं। वो बता रही थीं कि फ़िसल जाने से कमर में तथा जाँघ पर चोट आई है तो खड़ी होने में परेशानी हो रही थी।

चाची के बताने पर मैं बेडरूम से एक चादर ले आया और उसे चाची ने अपने शरीर पर लपेट लिया। उसके बाद मैं चाची को सहारा देकर बेडरूम तक ले गया। बेडरूम तक जाते-जाते 2-3 बार चाची के चूचे भी दब गये।

चाची ने बोला कि मैं उनकी मालिश कर दूँ तो तेल लेने दूसरे कमरे में चला गया। वापस आया तो देखा कि चाची अपने चूचों के बल उलटी लेटी हैं, बेडशीट से चूचों को ढक रखा है, जबकि बाक़ी का शरीर साफ दिखाई रहा था।
मैंने चाची की मालिश करनी चालू कर दी।
मैं मालिश ठीक से नहीं कर पा रहा था, तो अचानक चाची थोड़े गुस्से से बोलने लगीं- उस दिन तो बड़े ज़ोर से चूत मसल रहा था, आज वो सब ज़ोर कहाँ चला गया??

यह सुन मैं चौंक सा गया, कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ, क्या बोलूँ? मैं बस चाची को देखता रहा।
तभी चाची ने बोला- मुझे चोदेगा क्या?’ यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि यह सब सच में हो रहा है। मैं बस पागल की तरह चाची को घूरता रहा, दिमाग़ में बहुत अजीब-अजीब से विचार आ रहे थे। मानो समय मेरे लिए थम सा गया हो।

अब चाची मेरी नज़दीक आईं और मुझे बेड में खींच लिया, अब ना कहने का कोई सवाल ही नहीं था।

हम दोनों एक-दूजे को चूमने लगे, चूमते-चूमते अब हम दोनों नंगे हो गये।

मैं चुदाई की जल्दी करने लगा, तो चाची ने मुझे समझाया- चुदाई में कभी जल्दी नहीं करते। मैं तुम्हें चोदना सिखाऊँगी।’
मैंने भी ‘हाँ’ बोल दी।

अब चाची नज़दीक आईं और हाथ से लण्ड को पकड़ा। चमड़ी खींच कर लण्ड का सुपारे को खोला और अपने मुँह में सिर्फ़ सुपाड़े को ही लेकर चूसने लगीं। साथ में हल्के से काट भी लेती थीं।

मुझे बहुत ही मजा आ रहा था। मैं भी मेरे दोनों हाथ से चाची के चूचों को दबाकर चाची का साथ दे रहा था।

मैंने अब तक चुदाई नहीं की थी तो चाची ने 10-15 मिनट में ही मेरा माल अपने मुँह में निकाल दिया।

अब चाची ने मुझे बेड पर सीधा लेटाया और मेरी छाती पर आकर बैठी और अपनी चूत को मेरे मुँह पर रख कर दबाने लगीं। मैंने भी हाथ से चूत को चौड़ी की और चूत में जुबान डाल दी, और जुबान को चूत के होंठों में घुमाने लगा साथ में हल्के से होंठों को काट लेता था।
चाची भी मादक आवाजें निकाल कर पूरा साथ दे रही थीं।

अब मेरा लण्ड फ़िर चुदाई के लिए तैयार था, चाची भी देर ना करते हुए बेड पर सीधी लेट गईं, अपने पैरों को थोड़ा ऊपर उठाया और साथ में दोनों पैर चौड़े कर दिए जिससे चूत साफ दिख रही थी। मैं चाची के ऊपर बढ़ने लगा। चाची ने अपने हाथ से लण्ड को पकड़ा और उस पर थोड़ा थूक लगा कर चूत के मुँह पर रख दिया।

चाची के बताने पर मैं लण्ड पर धीरे-धीरे ज़ोर लगाने लगा। मेरा लण्ड चूत में समाता जा रहा था। मेरे लिए पहली चुदाई थी तो मेरे लण्ड की चमड़ी छिल रही थी, थोड़ा-थोड़ा दर्द हो रहा था। पर मजा भी बहुत आ रहा था।
चाची ने भी बताया कि मेरा लण्ड चाचा से कुछ ज़्यादा ही मोटा है।

वो भी दर्द से कसमसा रही थीं। मैं लण्ड को जितना आसानी से डाल सकता था, उतना डाला और फिर धक्के लगाने लगा। साथ में चाची के दोनों चूचों को भी मसल रहा था।

चाची भी चूतड़ों को उछाल-उछाल कर साथ दे रही थीं। साथ में चाची की मादक सिसकारियों से पूरा बेडरूम गूँज सा रहा था।
करीब 15 मिनट में चाची की चूत ने अपना जवाब दे दिया।
अब मैंने भी धक्कों की स्पीड बढ़ा दी। चाची का निकल जाने से अब वो कुछ ज़्यादा ही कसमसा रही थीं। मानो कह रही हों, ‘अब बस, अब और नहीं।’

करीब 10 मिनट बाद अब मेरा माल भी निकलने वाला था। मैंने चाची को बताया तो वो बोलीं- पूरा माल चूत में ही निकाल दो।
मैंने भी मेरा सारा लावा चाची की गर्म चूत में निकाल दिया।
चुदाई के बाद हम ऐसे ही नंगे सो गए।

रात को चाचा घर वापस आए, तब हम दोनों ऐसे हो गये मानो कुछ हुआ ही ना हो।
उस दिन के बाद जब भी मौका मिलता था, मैं और चाची जम कर चुदाई करते थे। और अभी भी यह सिलसिला जारी है।

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