कम्मो बदनाम हुई-2

(Kammo Badnaam Hui – Part 2)

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प्रेषक : प्रेम गुरु

कितना आनंददायक पल था। आह….. मेरी चूत उनका लंड लेने के लिए बैचैन होने लगी थी। उनका लंड भी तो मझे चोदने के लिए इठलाने लगा होगा।

अब उन्होंने मुझे कुर्सी पर बैठा दिया और मेरी जांघें उठा कर कुर्सी के हत्थों पर रख दी। छोटे छोटे नरम झांटों से ढकी मेरी चूत की दरार अब कुछ खुल सी गई थी और अंदर का गुलाबी रंग झलकने लगा था अब ताऊजी ने मेरी चूत को पहले तो अपने हाथों से सहलाया और फिर अपना मुंह नीचे करके उसे सूंघा और फिर उस पर अपने होंठ टिका दिए। उनकी गर्म साँसें जैसे ही मेरी चूत पर महसूस हुई मुझे लगा मेरी चूत ने एक बार फिर पानी छोड़ दिया है। मेरी सिसकारी निकल गई और मैंने ताऊजी का सर कस कर पकड़ लिया और अपनी जांघें कस लीं। मेरी किलकारी सी निकलने लगी थी। ताऊजी बिना रुके मेरी चूत चूसे चूमे जा रहे थे।

“क्यों मेरी रानी मज़ा आ रहा है ना ?”

“हाँ.. आह… बहुत मज़ा आ रहा है… बस ऐसे ही करते रहो…उईईई…आह्ह्ह्ह्ह….”

थोड़ी देर चूसने के बाद बोले, “हाँ हाँ मेरी रानी बस तुम देखती जाओ जब चोदूंगा तो देखना और भी मज़ा आएगा।”

मैंने अपने मन में सोचा ‘मैं तो कब से चुदवाने को मरी जा रही हूँ मर्ज़ी आये उतना चोद लो ’ पर मेरे मुंह से तो बस सीत्कार ही निकल रही थी, “आह….उईईइ….माँ…..”

“एक बात बताऊँ ?”

“हुम्म”

“तुम्हारी चूत बहुत खूबसूरत है बिल्कुल तुम्हारी मम्मी की तरह !”

“आपको कैसे पता?”

“जब मैंने तुम्हारी मम्मी पहली बार चोदा था तो उसकी चूत भी बिलकुल ऐसी ही थी। बिलकुल मक्खन-मलाई !”

हे भगवान ! ताऊजी ने तो मेरी मम्मी को भी चोद लिया है। मम्मी भी बड़ी चुदक्कड़ है। चलो कोई बात नहीं अब तो रहा सहा डर भी खत्म हो गया। अब तो माँ-बेटी दोनों खूब मज़े ले ले कर चुदवाया करेंगी।

“कम्मो बेटी तेरी माँ चूत तो बड़े मज़े ले ले कर चुदवाती है, पर गांड नहीं मारने देती।”

मैं क्या बोलती- बस हाँ हूँ करती रही। मुझे अपनी चूत चटवाने में बहुत मज़ा आ रहा था। मेरा तो पानी दो बार निकल चुका था जिसे ताऊजी ने गटक लिया था। अब उन्होंने अपनी जीभ से मेरा दाना सहलाना चालू कर दिया था। वो उसे अपने होंठों और जीभ से मसल रहे थे जब उसे दांतों में लेकर होले से दबाते तो मेरे सरे शरीर में रोमांच के मारे झुरझुरी सी दौड़ जाती।

थोड़ी देर चूत चाटने और चूसने के बाद ताऊजी ने भी अपने कपड़े उतार दिए मैं उनका लंबा और मोटा लंड देख कर सकपका ही गई थी। मेरे मुंह से निकला “हाय राम इतना बड़ा?”

“क्या हुआ मेरी रानी ऐसे क्या देख रही हो?”

“आपका तो बहुत बड़ा और मोटा है?”

“ओह…मेरी रानी बड़े और मोटे से ही तो ज्यादा मज़ा आता है।”

“पर इतने मोटे और लंबे लंड से मेरी चूत कहीं फट गई तो?”

“अरे मेरी रानी कुछ नहीं होगा !” तुमसे छोटी छोटी लौंडियाँ बड़े मज़े ले ले कर पूरा लंड घोंट जाती हैं। बस एक बार ज़रा सा दर्द होगा उसके बाद तो समझो सारी जिंदगी भर का आराम और सुख है”

मैं तो आँखें फाड़े बस उस काले भुजंग को देखती ही रह गई।

“अब मोटा-पतला छोड़ो अपना मुंह खोल कर इसे चूसो। मुझे भी कुछ सुख मिल जाए। अब शर्माना छोड़ो मेरी प्यारी बेटी।”

“हुम्म…”

“तुम्हारी मम्मी तो बहुत मज़े लेकर चूसती है इसे.…” कह कर ताऊजी ने अपना काला भुजंग लंड मेरे होंठों से लगा दिया।

मैं भी लंड चूसने का स्वाद लेना चाहती थी। मैंने उनके लंड को हाथ में पकड़ लिया और पहले तो सुपारे को चाटा फिर उसे मुंह में भर कर चुस्की लगाई। ताऊजी की सीत्कार निकलने लगी।

“वाह मेरी रानी तू तो अपनी मम्मी से भी बढ़िया चूसती है…. आह्ह… मेरी रानी जोर जोर से चूसो मेरी जान… रुको मत…बस चूसती रहो..आह…आह…मेरी रानी आह…… शाबाश मेरी बेटी….. बड़ा मज़ा आ…रहा है… आह..”

उन्होंने मेरा सर पकड़ रखा था और अपनी कमर हिलाते हुए अपने लंड को मेरे मुंह में ऐसे अंदर-बाहर करने लगे जैसे मेरा मुंह न होकर कोई चूत ही हो। थोड़ी देर में ताऊजी का लंड झटके से खाने लगा। मुझे लगा मेरे मुंह में ही निकल जाएगा। मैंने उनका लंड अपने मुंह से बाहर निकाल दिया।

अब ताऊजी मेरी चूत मारने के लिए तड़फने लगे थे। उन्होंने मुझे उठा कर बेड पर लेटा कर दोनों टांगें को फैला कर चौड़ा कर दिया। ऐसा करने से मेरी चूत साफ़ नज़र आने लगी। अब वो मेरी जांघों के बीच आकर प्यार से मेरी चूत को सहलाने लगे। फिर उन्होंने अपने लंड को हाथ से पकड़ा और मेरी चूत पर रगड़ने लगे। जैसे ही उनका तन्नाया लंड मेरी फांकों से टकराया मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई। सारा शरीर एक अनोखे आनंद में डूबने लगा।

“ओह….कंडोम चढ़ा लो ना !” मैंने मुस्कुरा कर कहा।

“अरे नहीं मेरी रानी.. कंडोम लगा कर मज़ा नहीं आएगा। चूत में पहली अमृत वर्षा तो बिना कंडोम के ही होनी चाहिए !” उन्होंने हँसते हुए कहा।

अब उन्होंने मेरी चूत की गुलाबी फांकों को चौड़ा किया और अपने लंड पर थूक लगा कर चूत की दरार पर घिसने लगे। फिर उन्होंने छेद पर सुपारा रखा और बोले, “मेरी प्यारी बेटी बस एक बार सुपारा अंदर चला गया तो फिर मज़े ही मज़े हैं। बस एक बार थोड़ा सा दर्द होगा मेरी रानी बेटी जरा सा सह लेना अपने ताऊ के लिए।”

मैंने हाँ में मुंडी हिला दी… मुझे कहाँ होश था। मैं तो खुद चुदाई के लिए मरी जा रही थी। फिर ताऊजी ने एक हाथ मेरे सर के नीचे लगा लिया और दूसरे हाथ से मेरी कमर पकड़ कर एक जोर का धक्का लगा दिया।

मेरी चूत भी अंदर से गीली थी। उनके लंड पर भी थूक लगा था। उनका आधा लंड मेरी कुंवारी चूत को फाड़ता हुआ अंदर चला गया। मुझे लगा मेरी चूत को किसी ने चाकू से चीर दिया है…. जैसे किसी बिच्छू ने डंक मार दिया है। भयंकर दर्द के कारण मेरी चीख निकल गई। मुझे लगा गर्म गर्म सा तरल पदार्थ मेरी चूत से बहने लगा है। शायद यह झिल्ली फटने से निकला खून था। मैं कसमसाने लगी तो ताऊजी ने मुझे कस कर अपनी बाहों में भींच लिया। आधा लंड चूत में भीतर तक धंस चुका था। चूत पूरी तरह फट चुकी थी।

मैंने उनकी बाहों से निकलने की जी-तोड़ कोशिश की पर वो बड़े धुरंधर थे। भला मुझे कसे अपने पंजों से निकलने देते। मेरी आँखों से आंसू निकलने लगे। मैं दर्द के मारे छटपटा रही थी पर ताऊजी ने मुझे भींचे रखा और फिर उन्होंने मेरे होंठों को चूमना चालू कर दिया। मैंने उनके नीचे से निकलने की बहुत कोशिश की पर वो मेरे ऊपर पड़े थे और बुरी तरह मुझे अपनी बाहों में जकड़े हुए थे। उनका आधा लंड मेरी चूत में फस था। मैं तो बस किसी कबूतरी की तरह फड़फड़ा कर ही रह गई।

“बस… बस… बेटी सब हो गया… डरो नहीं… बस मेरी रानी बिटिया… बस थोड़ा सा बर्दाश्त कर लो फिर देखना बहुत मज़ा आएगा।”

“मैं मर जाउंगी… उईईई माँ…. ओह आप हट जाओ ! मुझे नहीं चुदना !”

“अरे बेटी अब अंदर चला ही गया है तो क्यों नखरे कर रही हो। बस दर्द तो दो मिनट का है, फिर देखना तुम खुद कहोगी कि जोर जोर से करो।”

ताऊजी अपनी कोहनियों के बल हो गए थे ताकि उनका पूरा वज़न मेरे ऊपर ना पड़े। पर उन्होंने अपनी पकड़ ढीली नहीं होने दी। हम थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहे।

अब मेरा दर्द थोड़ा कम हो गया था। ताऊजी ने मुझे फिर से चूमना चालू कर दिया। कभी मेरे गालों पर आये आंसुओं को चाटते कभी होंठों को चूमते। कभी मेरे अनारों को चूसते कभी हल्के से दबाते। अब मुझे भी कुछ मज़ा आने लगा था।

फिर ताऊजी ने एक धक्का और लगाया और उनका बाकी का लंड भी अंदर चला गया। पर इस बार मुझे ज्यादा दर्द नहीं हुआ। मैंने डर के मारे अपने दांत भींच लिए और आँखें बंद किये पड़ी रही। अब तो मैं भी चाह रही थी कि वो चुदाई शुरू कर ही दें। मैंने जितना हो सकता था अपनी जांघें चौड़ी कर ली। इससे उनको बड़ी राहत मिली और उनका लंड आराम से अंदर बाहर होने लगा। ताऊजी ने मुझे बाहों में जकड़ रखा था और अब धीरे धीरे धक्के लगाने लगे।

अब मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था। मेरी चूत में जैसे कोई मीठी छुरी उतर रही थी। जैसे ही ताऊजी का लंड अंदर जाता मेरी चूत की फांकें अंदर की ओर धंस जाती। चूत के चारों और उगे छोटे छोटे बाल चूत के रस से भीग गए थे। ताऊजी के लंड से मेरी पूरी चूत जैसे भर सी गई थी। कितना बड़ा और मोटा लंड है ताऊजी का पर पूरा का पूरा चला गया है। थोड़ा फंस-फंस कर अंदर-बाहर हो रहा है।

भगवान ने चुदाई भी क्या खूब चीज बनाई है। काश…. यह वक्त रुक जाए और सारी जिंदगी बस इस चुदाई में ही बीत जाए। मैंने अपनी सहेलियों से सुना था कि जब वीर्य की धार अन्दर निकलती है तो बहुत ठंडक मिलती है। मैंने अपने हाथों से उनकी कमर पकड़ ली। अब तो मेरे नितंब और कमर भी अपने आप उछलने लगे थे। सच कहूँ तो मैं अनूठे आनंद में डूबी थी।

थोड़ी देर चोदने के बाद ताऊजी बोले, “बेटी संभालना… आह्ह….!” और फिर ताऊजी जोर जोर से धक्के लगाने लगे। उनकी साँसें फूलने लगी थी। वो जोर जोर से धक्के लगाने लगे थे जैसे कोई बिगड़ैल सांड हों। मुझे लगा कि अब इस प्यासी धरती को बारिश की पहली फुहार मिलने ही वाली है। मैंने भी अपनी बाहें उनकी कमर से कस लीं।

मुझे लगा मेरा शरीर भी कुछ अकड़ने लगा है और लगा जैसे मेरा सु-सु निकल जाएगा। सारा शरीर और मेरा रोम-रोम जैसे रोमांच में डूबने लगा था। ओह्ह…. इस आनंद को शब्दों में तो बताया ही नहीं जा सकता। मुझे लगा मेरी चूत से पानी जैसा कुछ निकल गया है। अब तो मेरी चूत से फच्च फच्च जैसी आवाजें आनी शुरू हो गई थी। मैंने अपने पैर हवा में ऊपर उठा लिए। मेरी चूत तो जैसे पानी छोड़ छोड़ कर पागल ही हुई जा रही थी। इस अद्भुत आनंद के मारे मैं तो सिसियाने लगी थी। मेरा मन कर रहा था ताऊजी मुझे और जोर जोर से चोदें।

मैं चिल्लाई “मेरे प्यारे ताऊजी… मेरे सनम… मेरे राजा अब रुकना नहीं… आह.. मैं तो मर गई मेरी जान… आह..”

मैं ताऊजी से जोर से चिपक गई। मैं तो दुबारा झड़ गई थी। फिर 2-4 धक्के मारने के बाद ताऊजी की भी पिचकारी अंदर फूट गई। ताऊजी गूं… गूं…. की आवाज़ के साथ शहीद हो कर मेरे ऊपर पड़ गए। मैं उनका सर सहलाने लगी। मेरी तो खुशी के मारे किलकारी ही निकल गई थी। इसी के साथ मेरे पैर धड़ाम से नीचे गिर गए और मैं किसी कटी पतंग की तरह आसमान की बुलंदियों से नीचे जमीन पर गिरने लगी।

हम लोग थक कर जोर-जोर से लम्बी साँसों के साथ मीठी सीत्कारें कर रहे थे पर एक दूसरे की बाहों से अलग नहीं होना चाहते थे। ताऊजी ने मुझे एक बार फिर से चूम लिया।

उस दिन ताऊजी ने मुझे तीन बार चोदा। मैंने उनका पूरा साथ दिया। मैं तो एक बार और भी चुदवा लेती पर उनके लौड़े में अब जान कहाँ बची थी। मैंने उनका लंड भी एक बार चूस कर देखा और उसकी मलाई भी खाई पर मलाई थोड़ी ही निकली। चलो कोई बात नहीं कल फिर खा लूंगी। और कल ही क्यों ? अब तो रोज खाया करूंगी। अब मुझे बिना मलाई खाए और चुदवाये नींद ही नहीं आएगी।

आपकी कुसुम… अ … र र… कम्मो….

बस दोस्तों ! यह थी कम्मो के बदनाम होने की दास्ताँ। सच बताना कैसी लगी कम्मो की चुदाई ? मज़ा आया या नहीं ? आपका खड़ा हुआ या नहीं और मेरी प्यारी पाठिकाओं की पेंटी गीली हुई या नहीं ? उसने मुझे एक किस्सा और भी बताया था जिसे मैं जल्दी ही आपको “कम्मो की गांड गुलाबी चूत शराबी” के नाम से जल्दी ही सुनाऊंगा पर कम्मो के साथ मुझे मेल करना मत भूलना।

आपका प्रेम गुरु

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