दीदी के साथ मजे

जैक जॉन्स 2011-12-26 Comments

दोस्तो, मेरा नाम सिद्धार्थ है, अभी मैं 21 साल का हूँ। यह बात दो-तीन साल पहले की है। मेरी दीदी मुझसे 6 वर्ष बड़ी हैं। मैं उनके फिगर के बारे में नहीं बात करूँगा क्योंकि किसी को क्या फर्क पड़ता है, कहानी में देखने को तो मिलने से रही !

तो चूँकि वो मेरी मामा की लड़की थी तो वो मेरे नानी के घर ही रहती थी। मैं गर्मी की छुट्टियों में वहाँ जाया करता था। मेरे और भी ममेरे भाई बहन हैं।

एक दिन मैं और दीदी टीवी देख रहे थे, तभी एक डांस वाला गाना आया, मेरी दीदी ने कहा- चलो सिद्धार्थ, डांस करें !

और फिर हम डांस करने लग गए। उन्होंने स्कर्ट और टॉप पहना हुआ था तो चूँकि मैं उनसे छोटा था तो उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में ले लिया और उस स्थिति में मेरा हाथ उनकी चूत पर चला गया। बहुत नरम और गद्देदार थी। हम कुछ देर वैसे ही रुक गए, उनकी सांसें तेज हो गई। फिर मैंने अपना हाथ उनकी चूत से हटा लिया और उन्होंने मुझे छोड़ दिया।

हमने एक दूसरे से कुछ नहीं कहा और मैं दूसरे कमरे से चला गया।

अगले दिन सब कुछ ठीक हो गया।

जैसा कि मैंने बताया, मेरे कई भाई बहन हैं, हमारा परिवार बहुत बड़ा है तो हम सब ने छुप्पा-छुपी खेलने का सोचा। मेरा एक भाई मेरा बना और उसे ढूँढने का काम मिला। मेरी दीदी और मैं एक साथ छुपे स्टोर रूम में।

उन्होंने मुझसे कहा- चलो देखते हैं कहाँ है वो।

वो मुझसे लंबी थी उस समय तो वो मेरे पीछे खड़े होकर मेरे ऊपर से देखने लगी। इस समय उनकी चूत ठीक मेरे चूतड़ों के पीछे थी। मैंने जान बूझ कर एक हाथ उनकी चूत पर रख दिया और रगड़ने लगा धीरे धीरे !

वो भी मुस्कुरा दी। मुझसे हरी झंडी मिल गई थी। मुझे कपड़े के ऊपर से ही उनकी मुलायम चूत छूने में मज़ा आ रहा था।

फिर मैंने पूछा- क्या मई इसे अन्दर से छू सकता हूँ?

तो उन्होंने हाँ में अपना सर हिलाया और मैंने दीदी की स्कर्ट नीचे से पकड़ कर ऊपर दी कमर तक। मुझे उनकी गुलाबी पैंटी पर एक गीला धब्बा दिखा। दीदी की नंगी गोरी चिकनी जांघें मेरी नजरों के सामने थी, पहली बार एक लड़की को नंगा देख कर मेरा छोटा सा लंड कड़क हो गया।

मैंने पूछा- दीदी, क्या आपका मूत है निकल गया है?
तो उन्होंने कहा- नहीं, यह मूत नहीं है।

फिर उन्होंने मुझसे दरवाज़ा की कुंडी लगाने को कहा। मैंने जल्दी से कुंडी लगा दी और वापस आया और चूत को पैंटी के ऊपर से ही रगड़ने लगा।

मैंने पूछा- क्या इसे उतार दूँ?
तो उन्होंने खुद ही पैंटी को घुटनों तक कर लिया।

उनके चूत पर बाल थे, मुझे देख कर अच्छा नहीं लगा क्योंकि मेरे लंड पर बाल नहीं थे।
मैंने पूछा- बाल क्यों?
उन्होंने कहा- सबके आते हैं, तेरे भी आएंगे।

मुझे छूने का मन हुआ, मैंने छुआ, तो वो जगह गीली और गिलगिली सी थी, मैंने अपना हाथ हटा लिया।

दीदी ने पूछा- क्या हुआ? अच्छा नहीं लगा?
मैंने कहा- गीला है !

तो उन्होंने फिर से मेरा हाथ पकड़ के अपनी चूत पर रख लिया और कहा- तेरा भी निकलेगा।

मैंने फिर उनकी चूत रगड़ना शुरू किया। हजारों कहानियाँ हैं अन्तर्वासना पर !

पानी काफी निकल रहा था जिससे मुझसे रगड़ने में आसानी हो रही थी। तभी अचानक चूत में से कुछ जयादा ही गरम सा पानी निकलने लगा, दीदी झड़ने लगी थी। फिर मैंने अपना हाथ हटाया और सूंघा। मुझे वो गंध इतनी पसंद नहीं आई।

दीदी ने बोला- एक उंगली अंदर डाल।

मेरा हाथ चिपचिपा था। मैंने दो उंगलियाँ उनकी चूत में डाल दी और उन्होंने अपनी टाँगे बंद कर ली। फिर उनके चूत में से वही पानी

निकलने लगा। अब मुझे वो गरम पानी का स्पर्श अच्छा लग रहा था।

दीदी ने अपनी स्कर्ट ठीक की और हम बाहर आ गए।
फिर एक हफ्ते दीदी मुझसे रोज यही करवाती रही।

तब तक मुझे काफी कुछ आ गया था और मुझे मुट्ठ मारने का चस्का भी लग गया था।

गर्मियों मैं फिर अपनी नानी के घर गया। मेरी दीदी ने मुझे एक शैतानी भरी नज़रों से देखा और मुस्कुराई।

रात में खाने के हम तुरंत छत पर गए और दरवाज़ा बंद कर दिया। उन्होंने अपना सलवार नीचे किया और पैंटी सरका दी। अँधेरे में मैंने अपना हाथ उनकी चूत पर रखा तो वो एकदम चिकनी थी।

उन्होंने कहा- तेरे लिए बाल साफ़ कर दिए हैं।

मैंने चूत रगड़ना शुरू किया और मेरा लंड खड़ा होना शुरू हो गया। उन्होंने अपना हाथ मेरे लंड पर रखा और रगड़ने लगी।

फिर उन्होंने मेरा लंड मेरे पजामे से बाहर निकाला और बोली- यह तो काफी मोटा मालूम होता है।
और ऊपर नीचे करने लगी, मैंने अपनी उँगलियों से उनकी चूत चोदनी शुरू की, फिर दस मिनट बाद हम दोनों वहीं झड़ गए। फिर हमने कपड़े पहने और नीचे आ गए।

अगले दो दिन कुछ नहीं हो पाया। बस एक दूसरी की चूत और लंड रगड़ा वो भी कपड़ों के ऊपर से।

रात में मुझे बहुत ठरक चढ़ी तो रात में मैं अपने कमरे में अपना लंड निकाल कर रगड़ने लगा। मेरे कमरे की खिड़की कुछ ऐसी है कि वो कोरिडोर में खुलती है।

शायद मेरी दीदी ने मुझे यह करते हुए देख लिया था खिड़की से क्योंकि तभी मेरे दरवाज़े पर दस्तक हुई।
अंदर आते ही उन्होंने सबसे पहले खिडकी बंद की और मेरा पजामा नीचे खींच दिया।
मेरा लंड स्प्रिंग की तरह उछल कर बाहर आ अया।

उन्होंने मेरी चमड़ी को ऊपर नीचे करना शुरू किया और मैं आँख बंद करके बिस्तर पर लेट गया। तभी मुझसे एक झटका लगा क्योंकि दीदी ने अपनी जीभ मेरे लंड पे फिराई।

फिर दो बार और चाटने के बाद पूरा का पूरा लुल्ला अंदर मुँह में ले लिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।

मैं जन्नत में था, मैंने आँख बंद किये किये अपने हाथ से दीदी की स्कर्ट खींच दी और पैंटी नीचे कर दी।

फिर हम 69 की दशा में आ गए, उन्होंने मेरा लंड चूसना जारी रखा और अपनी चूत मेरे होंटों पर रख दी, वो पहले से ही गीली थी। मैंने उनकी चूत के होंट चाटे।
चाटते ही उन्होंने मेरे लंड को और जोर से मुँह में दबा लिया और ऊपर नीचे करने लगी।
मैंने 2-3 बार और चाट कर अपनी जीभ उनकी चूत की दरार में घुसा दी।

बहुत गर्म थी उनकी चूत! रस कुछ नमकीन सा था।

मैं अपनी जीभ अंदर बाहर करने लगा और वो भी मेरे लंड को पूरी ताकत के साथ चूसने लगी। मुझे लगा कि मैं झड़ जाऊँगा।

पांच मिनट बाद उन्होंने अपना नमकीन पानी मेरे मुँह में छोड़ दिया और मैं भी झड़ गया पर जैसे ही मेरा पानी निकला उन्होंने अपने मुँह से मेरा लण्ड निकाल लिया और मेरा पूरा माल उनके चेहरे पर गिर गया।

फिर दस मिनट बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया, मैंने कहा- घुसाने दो।
तो उन्होंने मना कर दिया।
मैंने कहा- अच्छा ठीक है, लंड को चूत पे रगड़ने तो दो !
वो मान गई।

फिर मैंने अपने लंड उनकी चूत पर रखा और धीरे धीरे रगड़ने लगा। उन्हें भी मज़ा आने लगा और उनकी चूत गीली होने लगी फिर से। मैंने तेजी से रगड़ना शुरू किया।

इसी बीच चिकनाई की वजह से मेरे लंड का सुपारा उनकी चूत में घुस गया पर उन्होंने तुरंत निकाल दिया।

मैंने कहा- बस इतना डालने दो।
यह सुन कर वो मान गई।

मैंने फ़िर रगड़ना चालू किया, कभी कभी सुपारा अंदर चला जाता।
15 मिनट बाद हम दोनों झड़ गए।
वो बोली- मज़ा आ गया! अब से रोज करेंगे।
फिर हमने रोज ऐसे ही किया।

पिछले साल उनकी शादी हो गई पर मुझे यकीन है कि हम फिर से कुछ न कुछ करेंगे।
कैसी लगी आपको मेरी कहानी?

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