चूत शृंगार-6

(Choot Ka Shringaar-6)

This story is part of a series:

“क्या मालूम मेमसाब सोती है कि देखती है। वैसे देखती जरूर होगी। जब कोई कमरे में चिल्ला-चिल्ला कर चुदे तो नींद किसको आता होगा। जरूर देखी होंयेगी। मैं तो रोज नाइट शो देखता हूँ।”
“तेरा दिल नहीं करता चोदने को, जब तू माँ को चुदते देखता है?”
“अरे मेमसाब अपना अपना 4-4 गर्ल फ्रैंड है। अपन उनकी चूत ठोकता है।”

“तेरी बहन भी चुदती है?”
“चुदती होंयेगी क्या मालूम? चुदे बिना कौन लड़की रहती है, जरूर चुदती होगी। बड़ी वाली का तो मुझे पक्का पता है, वो तो पक्का चुदती है।”
“तुझे कैसे पता?”
“अरे मेमसाब अपन ही तो उसके लिए कस्टमर ले कर आया था एक बार।”
“क्या धन्धा करती है?”

“नहीं मेमसाब, बस एक बार किया था अपन को पैसे की जरूरत थी।”
“ओह ! तो क्या तुम भी चोदने के पैसे लेते हो?”
“क्या बात करता है मेमसाब, मर्द को कौन पैसे देता है।”
“मैं पैसे दूँ, तो मुझे चोदेगा?”

“क्या मेमसाब आप तो मस्त चीज हो आपको चुदना है, तो बोलो कस्टमर की लाइन लगा दूँगा। अपना कमीशन 10 टका।”
“चल चल बकवास बंद कर और काम कर।”

उसको काम पर लगा कर मैंने ब्रा उतारी और छोटे बच्चे को अपने मम्मे चुसवा कर दूध पिलाने लगी। मम्मे चूसते-चूसते छोटा तो सो गया। मुझे आज उससे चुसवाने में उतना मजा नहीं आया। शायद भाई से चुसवाने के बाद अब मुझे उसकी जरूरत नहीं थी। मैं तो बाई के बड़े बेटे की बातें सुन के हैरान हो रही थी। मैं भी 18 साल की थी, जब पहली बार चुदी थी, पर ये तो भाई तौबा-तौबा।

काम खत्म कर के वो बोला- मैं जा रहा हूँ।
मैंने कहा- रूक, क्या नाम है तेरा?
उसने कहा- किस्सना।
मैंने कहा- तेरा नाम किस्स–ना क्यों है? क्या तू किस्स नहीं कर सकता?
वो मेरे मजाक को समझ नहीं पाया।
मैंने कहा- तेरी माँ ने तो कहा था, वो तुझे लेने आएगी।

उसने कहा- मुझे नहीं, इस छोटे को।
मैंने कहा- रुक जा माँ के आने तक।
“क्या करूँ रुक के? कोई काम तो है नहीं।”
“है ना, आ मेरी मालिश कर दे।”
“ठीक है। तेल कहाँ पड़ा है?”
“तेल नहीं क्रीम से कर। वो पड़ी है, वहाँ अलमारी में।”

वो क्रीम उठा कर लाया और मैंने क्रीम अपने मम्मों पर लगा कर कहा- ले मालिश कर, यहाँ मम्मों की।
“इसके लिए तो तुम्हारे पीछे से आना पड़ेगा और मेरे सारे कपड़े सन जाएंगे।”
“तो आ ना पीछे से और अपने कपड़े उतार ले।”

उसने कमीज पजामा दोनों उतार लिए नीचे कुछ भी नहीं था। लंड लटकाए बो बिल्कुल नंगा बिस्तर पर चढ़ गया और मेरी कमर से अपनी छाती सटा कर मेरे मम्मों की मालिश करने लगा। वो एक मम्मे को दोनों हाथों से पकड़ता और क्रीम से उसका हाथ फिसल जाता वो और जोर से मम्मा दबा के मसलता हाथ फिर फिसल जाता।

थोड़ी देर में मम्मों ने सारा क्रीम चूस लिया। मम्मे चमकने लगे और हाथ भी मम्मों पर अच्छी तरह से दबाने लगा। मुझे मजा आने लगा और वो भी मजे लेकर दबा रहा था। उसका लंड खड़ा होने लगा और खड़ा लंड मेरी कमर से टकराने लगा।
जैसे ही वो मम्मा दबा कर मम्मा आगे की ओर खींचता, उसका लंड मेरी कमर में धक्का मारता।

मम्मे खूब दबाने के बाद जब उसका लंड बहुत तन कर खड़ा हो गया तो वो बिस्तर से उतर कर बोला- अब मैं चलूँ?
उसका लंड देख कर मैं हैरान थी। इस उमर में इतना मोटा और इतना तनाव। मैंने लंड की और इशारा कर के कहा- इसका क्या करेगा?
वो बोला- मुट्ठ मारूँगा। यहीं मार लूँ?
मैंने कहा- कर ले, मुझे क्या?

और वो मुट्ठ मारने लगा। मैंने थोड़ी देर उसे देखा फिर मैं उठ कर जाने लगी तो बोला- बैठी रहो, मुझे लड़की देख कर मुट्ठ मारने की आदत है।
मैं बैठ गई। मैंने पूछा- घर में किसको देख कर मुट्ठ मारता है?
वो बोला- बहन को।

मैंने उसे गले से लगा लिया। कोई तो मेरे जैसा है। वो मुट्ठ मारता रहा और मैं सैक्स की बातें करती रही जिससे उसे और मजा आ रहा था। कई बातें जो वो पहले छुपा रहा था अब खुल कर बोला।
मैंने पूछा- घर में कब मुट्ठ मारता है?
“जब माँ चुदती है।”

“उस वक्त बहन के मम्मे कैसे देखता है?”
“बहन भी माँ की चुदाई देख कर कमीज उठा कर मम्मे दबा रही होती है।”
“वो तुझे अपने मम्मे दिखा देती है?”
“हाँ।”

“उसे पता है तू उसके मम्मे देख रहा है?”
“हाँ।”
“तूने उसे अपना लंड दिखाया?”
“मुट्ठ मारता हूँ, तो वो देख रही होती है।”
“तूने कभी उस के मम्मे दबाए?”
“हाँ, अभी तेरे मम्मे दबा लूँ? मुट्ठ मारने में बड़ा मजा आएगा।”
“दबा ले, चूस ले।”

मैं भी बड़ी उत्तेजित हो गई। मैंने उसका लंड पकड़ लिया और उसने दोनों हाथों से मेरे मम्मे पकड़ लिए। वो मेरे मम्मे दबा रहा था और मैं उसकी मुट्ठ मार रही थी। क्रीम बाले हाथों से लंड रगड़-रगड़ कर चमकने लगा।

उसके चमकते हुए लंड को देख कर मैं बिल्कुल भूल गई कि वो नौकरानी का बेटा है और मैंने उसका लड़ मुँह में ले लिया और मजे से चूसने लगी।

मुझे लंड चूसता देख उसने मेरा मुँह अपने दोनों हाथों में थाम लिया और लंड के ऊपर ऐसे घुमाने लगा, जैसे ये मुँह नहीं चूत हो और वो चूत मार रहा हो।

फिर मुँह में से लंड निकाल कर जोर-जोर से मेरा मुँह चूमने लगा और लम्बी साँसें खींच कर बोलने लगा, “हाय मेरी डार्लिंग! मेरे लंड की रानी ! मेरा लंड चूस ले !”
वो मेरे मम्मे दबाता जा रहा था, मुझे चूमता जा रहा था और मैं उसके लंड से अपना मुँह चुदवा रही थी।

फिर मैंने जोर-जोर से उसके लंड की मुट्ठ मारनी शुरू की। बहुत देर तक यह सिलसिला चलता रहा। कभी मैं मुँह में लेती और कभी मुट्ठ मारती।

थोड़ी देर बाद वो ‘सी-सी’ करने लगा। मैं समझ गई कि वो झड़ने वाला है। वो मेरे मम्मे और जोर से दबाने लगा और मैं भी जोर-जोर से मुट्ठ मारने लगी। फिर उसने मेरा मुँह पकड़ कर अपने होंठ मेरे होंठों पर जोर से दबाए और वो झड़ गया।
उसके लंड से जो मक्खन निकला, वो मेरे मम्मों पर और मेरे पेट पर। उसने वो सारा मेरे मम्मों पर मल दिया।

मैंने कहा- यह क्या किया?
वो बोला- मम्मों की मालिश की। माँ तो रोज इसी से मालिश करती है और इतना मक्खन कहाँ से आएगा।
“हट मैं नहाने जा रही हूँ।” ये कहते हुए मैंने अपनी कच्छी उतारी। मेरी टांगों के बीच ठीक चूत के ऊपर जोर से थप्पड़ मार कर वो बोला- क्या गद्देदार चूत है !

न जाने क्यों मैं उसे ऐसा करने से रोक नहीं रही थी। वो मेरी चूत को थप्पड़ मारता जा रहा था और मैं टांगें फैला कर उसको अपनी चूत पर थप्पड़ पे थप्पड़ मारने दे रही थी।

फिर उसने मुझे धक्का देकर बिस्तर पर लिटा दिया और मेरी चूत में जीभ डाल कर चाटने लगा। पहली बार चूत चटवा रही थी। कुछ अजीब सा लग रहा था। कैसे कोई पहली मुलाकात में किसी की चूत में मुँह डाल सकता है। पर वो तो मजे से कुत्ते की तरह मेरी चूत चाट रहा था।

थोड़ी देर में मेरी साँसें फूलने लगीं, साँसों के साथ मेरे मम्मे भी फूलने लगे। मैं अपने मम्मे दबाने लगी और वो मेरी मेरी टांगों के बीच बैठा मेरी चूत में जीभ लपलपा रहा था। चाटते-चाटते जब चूत ज्यादा गीली हो जाती तो वो चूत में उंगली डाल के अच्छी तरह घुमाता और चूत का पानी इकट्ठा कर के पी लेता। इसी तरह वो चाटता रहा और ऊँगली डाल डाल कर चूत को गर्म करता रहा। जैसे जैसे वो चाटता गया मजा और बढ़ता गया।

मैं सिसकने लगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
“आ…ए… आआँए… आआ…आँ… ऊऊऊँ… हाय…”

चूत में उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी। मेरी साँसें भी और मेरे मम्मों के फुलाव भी। अब दिल कर रहा था चूत झड़े तो शान्ति हो, पर चूत थी कि झड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी। लंड से चुद रही होती तो कब की झड़ गई होती, पर इसमें तो उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी, मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था।
मैंने कहा- किस्सना… आआह…आ… जोर जोर से मार उंगली से मार।

उसने एक उंगली डाली, मैंने कहा- उंगली डाल जोर से मार और जोर से 2 उंगली डाल जोर से मार और जोर से और तेजी से हाय जोर से मार ना मर जाऊँगी ! मैं जोर से और जोर से आह… अह… आआह…आअ… अई… आईई… उईईई… हाय… ऊऊऊ…”
बस झड़ गई। चुदी सी का एहसास हो रहा था। मैं किस्सना को अपने मम्मों में दबा कर लेटी रही तो चैन मिला।

मैंने पूछा- चोदने के लिए बुलाऊँ तो आकर चोदेगा?
कहानी जारी रहेगी।
मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें।
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