चूत शृंगार-4

(Choot Ka Shringaar-4)

This story is part of a series:

हम भूल ही गए थे कि मैंने साड़ी कॉफी बनाने के लिए उतारी थी ना कि मम्मे दबवाने के लिए और मैं कॉफी बनाने चली गई।

कॉफी बनाते-बनाते मैं सोच रही थी, लड़का तो पट गया है, मम्मे तो खूब दबा गया, अब चूत मरवाना मुश्किल नहीं होगा। सोच कमला सोच, जैसे मम्मे दबवाए हैं वैसे ही चूत मरवाने का कोई तरीका सोच।

इतना आसान नहीं है, मम्मे तो उसने खुद खुलवा दिए नए ब्लाउज सिलवा कर अब चूत कैसे खोलेगी। कुछ तो करना पड़ेगा।

काफी बना कर मैं भाई के पास गई और काफी मेज पर रख दी और उसके सामने खड़ी हो गई। वो सोफे पर बैठा था और मैं उस के सामने खड़ी थी जिससे मेरी चूत का उभार ठीक उसके मुँह के सामने था। नंगी कमर भी खुल के उसके सामने थी। वहाँ खड़े रहने के लिए मैंने बात करनी शुरू की।

मैंने उसके कंधों पर हाथ रख कर कहा- भैया काफी बहुत गर्म है, जरा संभल कर पीना।

‘अरे यह क्या ! कल की कॉफी का कप तो यहीं पड़ा है।’ भैया पीछे मुड़ कर कप उठाने लगे तो मैंने कहा- रुको मैं उठा लेती हूँ।

और मैं भैया के पीछे पड़े कप को उठाने के लिए जैसे ही झुकी मेरी चूत भैया के मुँह पर दब गई।

अरे यह तो मैंने सोचा ही नहीं था, बिना सोचे ही रास्ता निकल आया। मैंने चूत को उसके मुँह पर अच्छी तरह दबाया और कप उठाया।

भैया ने अजीब सा मुँह बनाया तो मैंने कहा- इतनी भी भारी और खुरदरी नहीं हूँ, देखो नर्म सी हूँ और मैंने दोनों हाथों से पकड़ कर भैया का मुँह अच्छी तरह से अपनी चूत पर रगड़ लिया।

भैया मुस्कराए और बोले- वैसे तो तू पतली है पर जहाँ जहाँ मांस होना चाहिए वहाँ वहाँ है।

शायद भैया कहना चाहते थे कि मेरी चूत बहुत गद्देदार है, पर शरमा रहे थे। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मैंने पूछा- सच कह रहे हो?

तो उसने मेरे चूतड़ों पर हाथ रख कर जोर से अपने मुँह को मेरी चूत पर रगड़ा। मेरा पेटीकोट चूत से चिपक गया और पेटीकोट में से चूत का आकार साफ दिखाई देने लगा। ऐसे ही खड़े-खड़े मैं बहुत देर तक बातें करती रही।

बीच-बीच में भैया कुछ कसम खाना चाहते तो इशारा समझ कर मैं झुक जाती और वो मम्मा दबा कर कहते ‘तेरे दिल की कसम।’

धीरे-धीरे भैया की हिम्मत बढ़ी और अब वो ब्लाउज के अंदर हाथ डाल कर पूरा मम्मा दबाते और कहते ‘तेरे दिल की कसम !’

ऐसे बात करते-करते कॉफी खत्म हो गई और हम अपने-अपने कमरे में सोने को चले गए।

अपने कमरे में जाकर मैं खुद को कोसने लगी। सारा दिन मेहनत से उसको गर्म किया और अब उसे सोने को जाने दिया- कोई बहाना करके रोकती’ यह सोचते-सोचते मैंने अपना ब्लाउज उतारना शुरू किया। ब्लाउज दो डोरियों से बंधा था।

मैंने ऊपर की रस्सी तो खोल ली, पर नीचे की रस्सी खोलने की बजाय उसमें दो गांठें और बांध दीं और सोचा भैया को कहूँगी खुल नहीं रही हैं। भैया के कमरे में जाने लगी तो देखा भैया तो खुद ही मेरे कमरे की ओर आ रहे हैं।

भैया बोले- अरे, मैं पूछने आया था कि वो तुम कह रही थी ना तुम्हारे मम्मों में दूध भर जाता है और दर्द होता है।
मैं बोली- हाँ भैया, बहुत दर्द हो रहा है, आज तो वो बाई भी नहीं आई।
भैया बोले- तो क्या अब उसे बुला कर लाऊँ?
‘क्या बात कर रहे हो भैया?’ मैं बोली- रात के 12 बजे हैं।
भैया बोले- तो क्या रात भर दर्द में रहोगी?
मैं मुस्करा कर बोली- भाई, एक और बच्चा है, जो इस वक्त मेरी चूची चूस सकता है, पर पता नहीं वो मानेगा नहीं !
भैया बोले- अरे तू उसकी चिन्ता न कर मुझे बता, मैं उस को मना लूंगा। तू मुझे बता वो है कौन?
मैंने पूछा- सच में उसे मना लोगे?

भैया बोले- हाँ तेरे दिल की कसम !
और उसने मेरा मम्मा दबा दिया।

ब्लाउज की ऊपर की रस्सी तो खुली ही थी पूरा मम्मा उछल के भाई के हाथ में आ गया। भाई कन्ट्रोल नहीं कर पाया और उसने मम्मे दबाते-दबाते मेरा मुँह चूम लिया। यही तो मैं चाहती थी कि भाई अपने आप पर काबू ना रख सके और कभी इसी तरह बेकाबू हो कर मेरी चूत ही मार ले।

भैया ने चुम्मा लेते ही कहा- सॉरी गलती हो गई, बुरा तो नहीं माना?
मैंने कहा- हाँ गलती की, तुमने जो सॉरी बोला। पागल तू प्यार करेगा तो मैं बुरा मानूंगी क्या? और अगर यह गलती है तो यह गलती रोज करना। करेगा ना? खा कसम !
और भैया ने मेरे दोनों मम्मे, जो इस समय पूरे नंगे थे, जोर-जोर से दबा कर कहा- तेरे दिल की कसम।

और मुझे बहुत चूमा। चूमते-चूमते भैया ने मेरे होंठ चूस लिए। फिर अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल कर मेरा पूरा मुँह अन्दर से चाट लिया और साथ साथ मेरे मम्मे दबाता रहा। बहुत मजा आ रहा था जैसे मुँह की चुदाई हो गई हो।

फिर भैया ने कहा- बता ना वो लड़का कौन है जो इस समय तेरे मम्मे चूस सकता है।

मैंने कहा- पहले मेरे ब्लाउज की डोरी तो खोलो। पता नहीं कैसे इतनी कस गई है।

भाई ने रस्सी देखी तो बोला- अरे तुम्हारे शरीर पर तो रस्सी के निशान पड़ गए हैं। दर्द नहीं हो रहा?

मैंने बताया- मुझे अक्सर ये निशान पड़ जाते हैं फिर खुद ही ठीक हो जाते हैं। परवाह मत करो।’
‘अरे परवाह क्यों नहीं होगी? भाई ने कहा- दवा लगा दूं?
मैंने कहा- नहीं जरूरत नहीं।

भाई ने वहाँ चाट लिया। शरीर में एक सनसनी सी हुई।
भाई ने पूछा- कुछ ठीक लगा?
मैंने कहा- बहुत अच्छा लगा।
उसने पूछा- और करूँ?

मैंने ‘हाँ’ कही और उसने चाटना शुरू कर दिया।
मैंने कहा- भैया मैं लेट जाऊँ, रस्सी खोलना आसान हो जाएगा।

और मैं बिस्तर पर उल्टी लेट गई। भैया भी बिस्तर पर बैठ कर मेरी कमर निहारने लगे। कमर पर हाथ फेरते और कहते- अरे यहाँ भी कुछ है।’ और वहाँ चाट लेते। इस तरह उसने मेरी सारी कमर पर हाथ फेरा और जगह-जगह चाटा बहुत मजा आ रहा था।

वो बस करने लगे तो मैंने कहा- यहाँ भी बहुत रस्सी चुभी थी और मैंने पेटीकोट के नाड़े की तरफ इशारा किया।

‘अरे बाप रे ! ये तो बहुत ज्यादा है इतना कस कर क्यों बांधा?’ भैया बोले- नाड़ा थोड़ा ढीला करो तो कुछ करूँ।’

मैंने नाड़ा ढीला किया और पेटीकोट को थोड़ा नीचे किया। थोड़े से चूतड़ भी बाहर को आ गए। भैया ने कमर पर चूमा-चाटी की और बीच-बीच में चूतड़ों को भी सहला लेते।

फिर उसने कहा- ये घाव तो चारों तरफ होगा, आगे की तरफ भी होगा। जरा घूमो तो।

और मैं झट से घूमी, मैंने ये परवाह नहीं की कि पेटीकोट का नाड़ा खुला है। मेरे पलटते ही पेटीकोट सरका और दोनों टांगों के बीच चूत का उभार खुल के बाहर आ गया।

भाई ने मेरी कमर दोनों हाथों से पकड़ी और और कमर को हर तरफ से चाटने लगा। रस्सी का घाव तो एक बहाना था, असली मकसद तो चूत के आस पास चटवाना था।

भाई ने जैसे ही चूत के उभार को चाटा मैं उछल सी गई।
भैया ने पूछा- क्या हुआ?
मैंने कहा- कुछ नहीं।

कैसे बताती के तेरे दांत छूने से चूत में करंट दौड़ गया था। भाई ने कस कर चूतड़ों को पकड़ा और दबा-दबा कर चूत के उभार को चूस डाला। मुझे चूमने चटवाने में इतना मजा कभी नहीं आया।

मेरे बदन को चूमने चाटने के बाद भाई ने पूछा- अरे तूने बताया नहीं, इस समय वो कौन सा बच्चा है जो तेरी चूची चूस लेगा?

मैं घबरा सी गई। मैं तो इसी से चुसवाने की बात सोच रही थी। अब तक सारी चुम्मा-चाटी किसी बहाने से हो रही थी। अब साफ कहने में डर सा लग रहा था। कहीं सारा बना बनाया खेल ही न बिगड़ जाए।

मैंने कहा- छोड़ो अगर उसने मना कर दिया तो मन खराब हो जाएगा।
भैया बोले- अरे मैंने कहा था ना मैं उसे मना लूंगा। बोल न कौन है वो।
मैंने फिर कहा- छोड़ो।
तो भैया ने कहा- ऐसे कैसे छोड़ दें यार, तेरे मम्मों पर हाथ रख कर कसम खाई है, हम उसे मना लेंगे।
मैंने कहा- सिर्फ हाथ रख कर कसम खाई है ना ! कोई जुबान रख कर तो कसम नहीं खाई।
भैया ने कहा- क्या मतलब?
तो मैं भैया के गले से चिपक गई और बोली- तू चूस ले।
भैया बोले- सच में मुझ से चुसवाएगी।

कहानी जारी रहेगी।
मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें।
[email protected]
3844

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top