आठ साल बाद मिला चाची से-6

This story is part of a series:

  • Make sure to visit the story series page to read more stories in this series.

प्रेषक : संदीप शर्मा

चाची की चुसाई ऐसी थी कि मैं पूरी तरह से पस्त हो चुका था, मैंने कई लड़कियों और औरतो को चोदा है, उनसे चुसवाया है लेकिन मैं कभी भी इसके पहले इस तरह से पस्त नहीं हुआ था।

जब चाची ने मुझे पूरा निचोड़ लिया तो मेरे बगल में आकर मुझे चूमा और बोली- बोलो रज्जा? और क्या करूँ?

मैंने कहा- चाची, थोड़ी देर बस मेरे पास ऐसे ही मेरी बाँहों में आ कर लेटी रहो ! फिर बताता हूँ क्या करना है।

चाची ने पास में से एक कम्बल उठाया और उसे ओढ़ कर मेरे पास चिपक कर लेट गई। हम दोनों को कब नींद आ गई, पता ही नहीं चला। और जब नींद खुली तो सुबह की रोशनी पूरे आंगन में बिखरी हुई थी, चाची मुझसे चिपक कर मेरी बाहों में लेटी हुई थी पर जागी हुई।

मैंने चाची को देखा तो चाची ने बड़े प्यार से मुझे होंठों पर चूम लिया।

मैंने कहा- आपने मुझे जगाया क्यों नहीं?

तो बोली- तुम सोते हुए बड़े प्यारे लग रहे थे, इसलिए नहीं जगाया।

मैंने पूछा- कब से देख रही हो?

तो जवाब मिला- नहीं मालूम !

चाची का इस तरह से देखना और उनका लगभग नंगा बदन मेरे लण्ड को खड़ा करने के लिए काफी था, मैंने चाची से कहा- चाची, अभी कल वाला वादा बाकी है !

तो वो बोली- हाँ राजा, बोलो ना अब क्या करूँ? वैसे भी प्रिंस अभी अभी दो घंटे और नहीं उठेगा तो अगले दो घंटे पूरी तरह से हमारे हैं।

मैंने कहा- पीछे तो नहीं हटोगी?

तो जवाब मिला- जब कल पीछे नहीं हटी तो अभी कैसे पीछे हट जाऊँगी?

मैंने कहा- ठीक है चाची ! आपकी मर्जी !

मैंने उनसे कहा- जाओ, जाकर दूध से मलाई निकाल कर ले आओ एक कटोरी में !

और चाची ने बिना सोचे समझे आदेश का पालन किया।

जब चाची मलाई ले आई तो मैंने पूछा- आपको पता है मैं क्या करने वाला हूँ?

वो बोली- नहीं राजा ! तुम क्या करोगे, अब मैं समझ भी नहीं सकती।

चाची के हाथ से कटोरी ले कर मैंने तख्त पर रखी और चाची को अपने पास खींच लिया और उनके रसीले होंठों को चूसने लगा।

यह बड़ा ही अजीब पर मजेदार स्वाद होता है दोस्तो ! सुबह-सुबह बिना ब्रश किए चूमना…

हालांकि हर किसी को इस तरह से चूमना पसंद नहीं आता पर उस वक्त तो मैं जन्नत की सैर कर रहा था। मैंने चाची को चूमते हुए ही उनकी ब्रा के दो टुकड़े कर दिये और पेंटी को भी लगभग फाड़ दिया और फाड़ने के बाद उनकी पैंटी को खिसका कर नीचे कर दिया क्योंकि उनकी पैंटी फटने के बाद भी पूरी तरह से नहीं उतर पाई थी।

चाची बोली- अब क्या करना है? बोलो?

मैंने कहा- पहले अपने मुंह में ढेर सारी मलाई रखो और उसके बाद मेरे लंड पर अपने मुंह से वो सारी मलाई लगाओ और बची हुई मलाई निगल जाओ।

चाची उठी, हाथ में मलाई की कटोरी ली और थोड़ी सी मलाई उठा कर मेरे लंड पर रख दी, उसके बाद उस पूरी मलाई को चूस गई और फिर मेरे लंड को अपने मुह में ले लिया और उस पर मलाई लगाने लगीं और बची हुई मलाई निगल गई।

चाची बोली- बताओ, अब क्या करना है?

तो मैंने चाची से कहा- अब आपकी गाण्ड मारूँगा !

यह सुनना था कि चाची का डर के मारे बुरा हाल हो गया, बोली- एक बार तुम्हारे चाचा ने कोशिश की थी, तब दर्द के मारे पूरे घर में आवाज फ़ैल गई थी ! अभी तुम करोगे और मैं चीखी तो क्या होगा?

मैंने कहा- अगर आपको डर लगता है तो नहीं करूँगा !

इसका जवाब यह मिला कि चाची पलट कर कुतिया की तरह बैठ गई और अपनी गाण्ड मेरे सामने रख दी।

यूँ तो मेरा लण्ड मलाई की चिकनाई से पहले से चिकना था लेकिन चाची की गाण्ड तब तक किसी ने नहीं मारी थी तो मैंने सोचा कि चाची को दर्द होगा ही, इसलिए अपना अंडरवियर उठा कर चाची के मुँह में घुसेड़ दिया ताकि चाची के मुँह से चीख ना निकल सके।

इसके बाद मैंने अपने दोनों हाथों से चाची की गाण्ड को फैलाया और उनकी गांड के छेद पर लण्ड रख कर हलका सा धक्का मारा। इसका नतीजा यह हुआ कि चाची भी आगे खसक गई और मेरी मेहनत बेकार ही गई।

फिर मैंने चाची को बिस्तर पर पेट के बल लेटा कर करवट किया और एक पैर पूरी तरह से ऊपर करके गाण्ड पर लण्ड रखा और एक आराम से अन्दर को धकेला तो मेरे लण्ड का सुपारा चाची की गाण्ड को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया।

चाची के मुँह से एक दबी हुई चीख निकलने लगी तो मैंने चाची से कहा- चाची, दर्द हो रहा है क्या ?

उन्होंने इशारे में हाँ कहा।

उनका हाँ कहना था मैंने और ताकत से अपना पूरा लण्ड चाची की गांड में पेल दिया और चाची बुरी तरह से तड़प उठी जैसे उनकी गाण्ड में किसी ने गर्म सरिया घुसेड़ दिया हो। पर मैं इतने पर ही नहीं रुका, चाची के दर्द की चिंता किए बिना मैंने धक्कम-पेल गाण्ड मराई शुरू कर दी।

धीरे धीरे चाची को भी मजा आने लगा और वो और जोर से मेरे राजा कर के पूरी ताकत से अपनी गाण्ड मेरे साथ मरवाने लगी।

हमारा यह कार्यक्रम 8-9 मिनट चला होगा और इस बीच चाची झर चुकी थी और मैं भी झरने ही वाला था, मैंने अपनी गति तेज की और चाची की गाण्ड में पूरा गर्म-गर्म माल निकाल दिया।

अब चूंकि चाचा जी के आने का वक्त होने वाला था इसलिए मैंने चाची से कहा- मैं नहा कर तैयार हो जाता हूँ नहीं तो चाचा आ जायेंगे !

इतना सुनना था कि चाची मुझसे चिपक गई और मेरे लण्ड से फिर से खेलने लगी।

चाची की इस हरकत के कारण मेरा लण्ड फिर से जाग गया और चाची जी ने मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेकर एक बार फिर मुझे मजा दिया।

इसके बाद मैं नहाने चला गया और तब तक चाचा जी भी आ गए। फिर मै वहाँ से चाची को एक उस दिन का आखिरी चुम्बन करके निकल गया और गांव में मेरी उनसे दोबारा मुलाकात नहीं हुई।

इसके बाद चाची से मैं अभी दो महीने पहले मिला था जब वो मेरे एक्सिडेंट के कारण मुझे देखने आई थी…

वो कहानी फिर कभी !

मुझे बताइए कि आपको मेरी कहानी कैसी लगी?

संदीप शर्मा

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top