घर के लौड़े-8

(Ghar Ke Laude -8)

पिंकी सेन 2014-11-20 Comments

This story is part of a series:

मैंने बड़े प्यार से अजय के लंड को चूसना शुरू कर दिया। अजय को मज़ा आने लगा, तब मैंने होंठ कस कर बंद कर लिए और उसको इशारा किया कि अब झटके मार..

वो कहाँ पीछे रहने वाला था.. लग गया मेरे मुँह को दे दनादन चोदने और दस मिनट में मेरे मुँह में झड़ गया।

अजय- आहह उईईइ उफ़फ्फ़.. साली तेरी इसी अदा पर तो मैं फिदा हूँ.. क्या मज़ा दिया है.. लगा ही नहीं कि मुँह को चोदा है… साली चूत से ज़्यादा मज़ा दे दिया तूने.. तो वाहह.. मेरी राण्ड बहना.. क्या मज़ा आया मुझे.. चल आज तेरे को आइस्क्रीम लाकर देता हूँ.. बस अभी गया और मेरी प्यारी रानी के लिए आइस्क्रीम लाया।

अजय के जाने के बाद मैं रात के खाने की तैयारी में लग गई।
लगभग 15 मिनट बाद अजय चॉकलेट की आइस्क्रीम ले आया, हमने मज़े से वो खाई।

रात के खाने तक सब वैसा ही रहा.. जैसा रोज होता है।
मैं 9 बजे पापा के कमरे में चली गई।
वैसे तो आज मेरी चूत के दरवाजे लौड़े के लिए बन्द थे, मगर पापा को बताना तो था ही क्योंकि वो बड़े ठरकी इंसान थे.. मुझे रोज चोदे बिना उनको सुकून कहाँ था और क्या पता आज वो भी मेरे मुँह से ही खुश हो जाएँ।

पापा- अरे क्या बात है.. मेरी जान आज बिना आवाज़ के ही आ गई.. चल आजा बैठ।

रानी- नहीं पापा आज चूत हड़ताल पर है.. आप कहो तो मुँह से पानी निकाल दूँगी। हाँ.. आज तो गाण्ड को भी भूल जाओ.. आज पहला दिन है.. कपड़े नहीं निकाल सकती।

पापा- कोई बात नहीं रानी.. आज वैसे भी मेरा मन नहीं था… पूरा बदन दुख रहा है लगता है बुखार हो गया लेकिन तेरा इस महीने का कुछ करना पड़ेगा। सोच रहा हूँ तुझसे एक बच्चा पैदा कर लूँ ताकि 9 महीने तक इस खून से पीछा छूटे।

रानी- कर लो.. किसने रोका है आप ही तो गोली लाकर देते हो ताकि बच्चा ना हो.. वरना अब तक तो पता नहीं कब का बच्चा ठहर जाता और किसका होता वो भी नहीं पता चलता।

पापा- हाँ मेरी जान.. गोली इसीलिए देता हूँ कि अगर बच्चा हो गया तो ज़्यादा मुसीबत हो जाएगी। आस-पड़ोस को क्या जबाव दूँगा। उसके बाद तू बच्चे में लग जाएगी.. हम बाप-बेटों का क्या होगा?

रानी- हाँ ये बात तो है.. अच्छा अब मैं जाती हूँ आज तो जल्दी सोने को मिल जाएगा.. काफ़ी दिनों से ठीक से सोई नहीं हूँ.. विजय को भी बता आती हूँ।

पापा से इजाज़त लेकर मैं विजय के कमरे में गई।
वो मुझे देख कर हैरान हो गया।

विजय- अरे वाहह.. क्या बात है आज इतनी जल्दी कैसे आ गई.. पापा के पास जाने का इरादा नहीं है क्या? या मेरा लौड़ा तुझे ज़्यादा मज़ा देता है हा हा हा हा…

रानी- बस बस… अपने मुँह मियां-मिठ्ठू ना बनो.. बाप.. बाप होता है और बेटा.. बेटा.. जो मज़ा पापा देते हैं.. तुम नहीं दे सकते.. उनका चोदने का समय भी तुमसे बहुत ज़्यादा होता है.. वो तो आज चूत टपक रही है… इसलिए चूत आज आराम पर है। अभी पापा को भी यही बता कर ही आई हूँ। खैर.. तुमसे एक बात करनी है।

विजय- साली कितनी अजीब बात है ना.. तुम हम तीनों से चुदवाती हो और हम तीनों को सब पता होकर भी हम अंजान बने हुए हैं.. अच्छा बता तुझे क्या बात करनी है और मेरे लौड़े का आज क्या होगा?

रानी- हाँ… अजीब बात तो है.. तेरे लौड़े को आज तू आराम दे.. और मेरी बात सुन जो ब्लू-फिल्म हमने देखी थी ना.. वो सीन हमें करना है.. साथ में अजय होगा.. बड़ा मज़ा आएगा…

विजय- नहीं यार.. ये परदा ठीक है.. इसे मत उतार और अजय इस बात के लिए कभी नहीं मानेगा।

रानी- अरे क्या बात करते हो? मैंने जब अजय को इस तरह की चुदाई के लिए बताया तो खुद उसने मुझे यह बात कही। वो तैयार है.. बस तुम ‘हाँ’ कर दो ना.. प्लीज़ बड़ा मज़ा आएगा..

विजय- चल मान ली तेरी बात… वैसे मज़ा तो बहुत आएगा। अच्छा आज तू ऐसा कर… जा सो जा। अब तो 3 दिन बाद ही हम दोनों भाई तेरी चूत और गाण्ड का मज़ा लेंगे, तब तक तरसने दे मेरे लौड़े को… उस दिन ज़्यादा जोश में आएगा हा हा हा…

विजय के साथ मैं भी हँसने लगी और उसको चुम्मी करके अपने कमरे में जाकर सो गई।

आज काफ़ी दिनों बाद सुकून की नींद मिली, वरना तो रात बस चुदाई में ही निकल जाती थी।

सुबह उठकर घर का काम किया और जैसे-तैसे करके दिन निकल गया।

शाम को अजय आया और बस कपड़े बदल कर चला गया। उसने जाते वक्त कहा कि अपने दोस्त के साथ कहीं घूमने जा रहा है तो दो दिन बाद ही लौटेगा।

रात को पापा और विजय को मैंने खाने की टेबल पर ये बता दिया। मैं सब काम निबटा कर सोने चली गई क्योंकि विजय ने पक्का कर लिया था कि अब वो अजय के साथ ही मेरे साथ चुदाई करेगा और पापा को आज भी बुखार था, सो आज भी कुछ नहीं हुआ।

दोस्तो, ये तीन दिन बड़े सुकून में गुज़रे.. हाँ.. बस एक बार मैंने पापा का लौड़ा मुँह से ठंडा जरूर किया।
आज मैं नहा कर एकदम फ्रेश हुई। वीट की पूरी ट्यूब का इस्तेमाल किया.. आज मुझे दो लौड़े एक साथ मिलने वाले थे।

शाम को मैंने अजय को सब कुछ समझा दिया था कि उसको क्या करना है।
खाने के बाद मैंने विजय को भी बता दिया कि आज हम सब कैसे मज़े लेंगे और मैं पापा के कमरे में चली गई।

पापा- आ जाओ मेरी प्यारी बेटी.. आज तो बड़ी मस्त नाइटी पहन कर आई है.. क्या बात है?

मैंने काले रंग की एक जालीदार नाइटी पहनी थी, जिसमें मेरा बदन साफ दिख रहा था। मैंने अन्दर कुछ भी नहीं पहना था।

रानी- वो पापा विजय ने लाकर दी है.. आज के खास मौके के लिए।

पापा- आज ऐसा क्या खास है.. जो तू इतनी सेक्सी बन कर घूम रही है?

रानी- है बस.. कुछ खास.. आप अपना काम करो।

पापा- अरे साली छिनाल.. मैंने तुझे इस लायक बनाया कि तू चुदाई के मज़े ले सके और मुझसे ही परदा.. ये क्या बात हुई…?

रानी- ओह्ह..पापा आप भी ना.. आज आपके दोनों बेटों को एक साथ खुश करूँगी। एक लंड गाण्ड में और दूसरे का चूत में लूँगी.. बड़ा मज़ा आएगा…

पापा- ओये..होये.. क्या बात है मेरी रानी तो अब पक्की रंडी बन गई.. मेरे दोनों बेटों को एक साथ खुश करेगी.. साली तू भी कमाल की चुदक्कड़ है, पहले मुझसे चुदवाएगी उसके बाद उन दोनों से.. लेकिन मेरी जान गाण्ड और चूत में तो वो दोनों लौड़े डाल देंगे.. मुँह का क्या करोगी? इसके लिए भी इंतजाम किया होता.. तब असली मज़ा आता…

रानी- ओह… पापा आप कितने अच्छे हो.. ये तो मैंने सोचा ही नहीं था.. प्लीज़ आप भी हमारे साथ आ जाओ ना.. मज़ा आएगा…

पापा- नहीं रानी.. ये ग़लत होगा.. वो दोनों मेरे सगे बेटे हैं, मैं उनके सामने ऐसा नहीं कर सकता… मगर हाँ.. वादा करता हूँ कि कल तुझे एक साथ तीन लंड जरूर दिलवा दूँगा.. मेरे कुछ खास दोस्तों के साथ तुझे चोदूँगा।

रानी- सच्ची पापा.. कल तीन लौड़े दिलवाओगे… वाऊ.. मज़ा आएगा.. तो ऐसा करो आज मुझे जाने दो… उन दोनों के साथ मस्ती करने दो.. कल आप अपने दोस्तों के साथ मस्ती कर लेना।

पापा- अच्छा जा.. अगर वो दोनों थक जाएँ तो मेरे पास आ जाना, मेरा लंड तेरे लिए तैयार है.. अब जा मुझे आराम से पीने दे…

पापा के कमरे से निकल कर मैं विजय के पास गई।

विजय- सुंदर अति सुंदर.. रानी आज तू किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही.. साली मुझे अपना यौवन दिखाने आई है और अब पापा के पास जाएगी.. तब तक मेरा क्या होगा और पापा तो आज तुझे कच्चा खा जाएँगे।

रानी- मेरे भोले भाई.. ऐसा कुछ नहीं होगा.. मैं पापा के कमरे से ही आ रही हूँ। आज मैंने उनसे छुट्टी ले ली है.. ताकि अपने दोनों भाइयों से आराम से चुद सकूँ। अब देर मत करो मैं अजय के कमरे में जा रही हूँ। जैसा मैंने बताया 5 मिनट बाद तुम आ जाना… ठीक है ना..!

विजय- अरे वाहह.. क्या बात है.. पापा ने तुझे आज कैसे जाने दिया साली.. तूने उन पर क्या जादू कर दिया, जो तेरी हर बात मान जाते हैं वो… अच्छा तू जा.. मैं आ रहा हूँ।

वहाँ से मैं सीधी अजय के पास गई, जो मुझे देख कर हैरान हो गया और उसका मुँह खुला का खुला ही रह गया।

रानी- अजय ऐसे क्या देख रहे हो? पहले मुझे नहीं देखा क्या.. जो आज मुँह खोल दिया.. क्या मैं अच्छी नहीं दिख रही हूँ?

अजय- अच्छी..! साली तू सेक्स की देवी लग रही है.. क्या मस्त चूचे हैं तेरे.. इस नाइटी में से झाँक रहे हैं आ मेरी जान.. मेरे पास आ जा.. उफ्फ आज तो तू मार ही डालेगी।

मैंने नाइटी निकाल कर फेंक दी और अजय को चुंबन देने लगी।
अजय भी मेरा साथ देने लगा।

हम दोनों बिस्तर पर लेट गए.. चुंबन करते-करते मैंने अजय का पजामा निकाल दिया टी-शर्ट उसने पहले ही निकाल दी थी।
अब हम दोनों नंगे एक-दूसरे से लिपटे हुए थे जैसे कोई साँप चंदन के पेड़ से लिपटता है।

हम दोनों का चुसाई का प्रोग्राम चालू था, तभी विजय कमरे में आ गया।

कहानी जारी रहेगी।
मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें।

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