चूची से जीजाजी की गाण्ड मारी-4

सुधा
जीजाजी चाय पीते हुए बोले- ठीक है, चमेली इस बार केतली में चाय इसीलिए बना कर लाई थी कि दुबारा चाय गर्म करने के लिए नीचे ना जाना पड़े और दीदी अकेले-अकेले…! जीजाजी चमेली की तरफ गहरी नज़र से देख कर मुस्काराए।
“जीजाजी आप बड़े वो हैं..!” चमेली बोली।
“वो क्या..!”
“बड़े चोदू हैं..!” सब हँस पड़े।
तभी नीचे कॉल-बेल बजी।
“मम्मी होंगी..!”
मैं और चमेली भाग कर नीचे गई दरवाजा खोला तो देखा तो कामिनी थी- अरे कामिनी तू? आ अन्दर आ जा..!
चमेली बोली- बस आप की ही कमी थी..!
“क्या मतलब?”
“अरे छोड़ो भी कामिनी.. उसकी बात को, वह हर समय कुछ ना कुछ बिना समझे बोलती रहती है.. चल ऊपर अपने जीजाजी से मिलवाऊँ..!”
कामिनी बोली- मेरी बन्नो बड़ी खुश है, लगता है जीजाजी से भरपूर मज़ा मिला है..!”
फिर चमेली से बोली- तू भी हिस्सा बंटा रही थी क्या..!
चमेली शरमा गई, “वो कहाँ, वो तो जीजाजी…!”
मैंने उसे रोका- अब चुप हो जा… हाँ..! बोल कामिनी, क्या बात है?”
कामिनी बोली- चाची नहीं है क्या? मम्मी ने जीजाजी को कल रात को खाने पर बुलाया है।”
चमेली से फिर रहा ना गया बोली- कामिनी दीदी, सिर्फ जीजाजी को… कल की …दावत देने आई हैं।”
कामिनी बोली- चल तू भी साथ आ जाना हाँ..! जीजाजी कहाँ है…चलो उनसे तो कह दूँ..!”
मैं बोली- मुझे तो नहीं लगता कि मम्मी इसके लिए राज़ी होंगी, हाँ..! तू कहेगी तो जीजाजी ज़रूर मान जाएँगे..!”
कामिनी ने कहा- पहले यह बता, तुम दोनों को तो कोई एतराज नहीं, बाकी मैं देख लूँगी..!
“मुझे क्या एतराज हो सकता है और चमेली की माँ से भी बात कर लेंगे, पर…!”
कामिनी बोली- बस तू देखती जा, कल की कॉकटेल पार्टी में मज़ा ही मज़ा होगा..!”
इसी बीच मम्मी भी आ गईं।
कामिनी चाचीजी-चाचीजी कह कर उनके पीछे लग गई।
उनकी तबीयत के बारे में पूछा, दीदी की बातें की, फिर अवसर पाकर कहा- चाचीजी, एक बहुत ज़रूरी बात है.. आप मम्मी से फोन पर बात कर लें।
उसने झट अपने घर फोन मिला कर मम्मी को पकड़ा दिया।
मेरी मम्मी कुछ देर उसकी मम्मी की आवाज़ सुनती रहीं फिर बोलीं- ऐसी बात है, तो चमेली को कल रात रुकने के लिए भेज दूँगी.. उसकी मम्मी मेरी बात नहीं टालेगी… बबुआ जी (मदन) को बाद में सुधा के साथ भेज दूँगी… अभी कैसे जाएगी… अरे भाभी..! ये बात नहीं है… जैसा मेरा घर वैसा आप का घर…, ठीक है कामिनी बात कर लेगी…! हमें क्या एतराज हो सकता है… इन लोगों की जैसी मर्जी… आप जो ठीक समझें.. ठीक है ठीक… सुधा प्रोग्राम बना कर आपको बता देगी… चमेली तो जाएगी ही … नमस्ते भाभी।” कह कर मम्मी ने फोन रख दिया।
मम्मी मुझसे बोलीं- कामिनी की मम्मी तुम सब को कल अपने घर पर बुला रही हैं। तुम सब को वहीं खाना खाना है, उन्हें कल रात अपने मायके जागरण में जाना है, भाई साहब कहीं बाहर गए हैं, कामिनी घर पर अकेली होगी, सो वे चाहती हैं कि तुम सब वहीं रात में रुक जाओ..। तुम्हारे जीजाजी रुकना चाहें तो ठीक, नहीं तो तुम उनको लिवा कर आ जाना, चमेली रुक जाएगी।”
मैं कामिनी की बुद्धि का लोहा मान गई और मम्मी से कहा- ठीक है मम्मी..! जीजाजी जैसा चाहेंगे, वैसा प्रोग्राम बना कर तुम्हें बता दूँगी।
हम तीनों को तो जैसे मन की मुराद मिल गई। जीजाजी हम लोगों को छोड़ कर यहाँ क्या करेंगे !
“चलो..! जीजाजी से बात कर लेते हैं..!” कह कर हम दोनों ऊपर जीजाजी से मिलने चल दिए।
सीढ़ी पर मैंने कामिनी से पूछा- यह सब क्या है? तूने तो कमाल कर दिया अब बता प्रोग्राम क्या है?”
मेरे कान में धीरे से बोली- सामूहिक चुदाई…! अब बता जीजाजी ने तेरी चूत कितनी बार मारी?
“चल हट.. यह भी कोई बताने की बात है..!”
“चलो तुम नहीं बताती तो जीजू से पूछ लूँगी..!”
हम दोनों ऊपर कमरे में आ गए। जीजाजी दराज से सीडी निकाल कर ब्लू-फिल्म देख रहे थे। स्क्रीन पर चुदाई का सीन चल रहा था। उनके चेहरे पर उत्तेजना साफ झलक रही थी।
कामिनी धीरे से कमरे में अन्दर जा कर बोली- नमस्ते जीजाजी..! क्या देख रहे हैं?
कामिनी को देख कर वे हड़बड़ा गए। कामिनी रिमोट उठा कर सीडी प्लेयर बंद करती हुई बोली- ये सब रात के लिए रहने दीजिए, कल शाम को मेरे घर आपको आना है, मम्मी ने डिनर पर बुलाया है, सुधा और चमेली भी वहाँ चल रही हैं..
जीजाजी सम्भलते हुए बोले- आप कामिनी जी है ना..! मेरी शादी में गाली (शादी के समय गाए जाने वाले लोकगीत) आप ही गा रही थीं..!”
“अरे वाह जीजाजी आप की याददाश्त तो बहुत तेज है।”
जीजाजी बोले- ऐसी साली को कैसे भुलाया जा सकता है, कल जश्न मनाने का इरादा है क्या..!
“हाँ.. जीजाजी..! रात वहीं रुकना है, रात रंगीन करने के लिए अपनी पसंद की चीज़ आपको लाना है…कुछ… हॉट …हॉट बाकी सब वहाँ होगा…!”
“रात रंगीन करने के लिए आप से ज़्यादा हॉट क्या हो सकता है?” जीजाजी उसे छेड़ते हुए बोले और उसका हाथ खींच कर अपने पास कर लिया। जीजा जी कुछ और हरकत करते मैं बीच में आकर बोली- जीजा जी, आज नहीं.. दावत कल है..!”
जीजाजी ललचाई नज़र से कामिनी को देख रहे थे, सचमुच कामिनी इस समय अपने रूप का जलवा बिखेर रही थी, उसमें सेक्स अपील बहुत है।
कामिनी ने हाथ बढ़ाते हुए कहा- जीजाजी ! कल आपको पक्के में आना है।”
जीजाजी ने हाथ मिलाते हुए उसे खींच लिया और उसके गाल पर एक चुम्बन जड़ दिया।
मैं जीजाजी को रोकते हुए बोली- जीजाजी, इतनी जल्दी ठीक नहीं है..!
तभी नीचे से चमेली नाश्ता लेकर आ गई और बोली- चलिए सब लोग नाश्ता कर लीजिए, मम्मी ने भेजा है।”
सब ने मिल कर नाश्ता किया।
कामिनी उठती हुई मुझसे बोली- सुधा..! अब चलने दे, चलें..! घर में बहुत काम है, फिर कल की तैयारी भी करनी है, कल जीजाजी को लेकर ज़रा जल्दी आ जाना।
और जीजा जी के सामने ही मुझे अपने बाँहों में भरकर मेरे होंठ चूम लिए, फिर जीजाजी को देख कर एक अदा से मुस्करा दी, जैसे कह रही हो यह चुम्बन आपके लिए ही है..!
कामिनी के साथ हम सब नीचे आ गए। कामिनी मम्मी से मिल कर चली गई।
चमेली भी यह बोलते हुए चली गई कि माँ को बता कर कल सुबह एक दिन रहने के लिए आ जाएगी।
जीजाजी मम्मी से बातें करने लगे और मैं किचन में चली गई। जल्दी-जल्दी खाना बना कर खाने की मेज पर लगा दिया और हम लोगों ने खाना खाया।
रात का ख़ाना खाने के बाद मम्मी मन-पसंद सीरियल देखने लगीं। जीजाजी थोड़ी देर तो टीवी देखते रहे, फिर यह कह कर ऊपर चले गए कि ऑफिस के काम से ज़्यादा बाहर रहने के कारण वे रेग्युलर सीरियल नहीं देख पाते, इसलिए उनका मन सीरियल देखने में नहीं लगता।
फिर मुझसे बोले- सुधा.. कोई नई पिक्चर की सीडी है क्या..!”
बीच में ही मम्मी बोल पड़ीं- अरे.. कल रेणुका (मेरी पड़ोसन) देवदास की सीडी दे गई थी, जा कर लगा दे, और हाँ..! अपने जीजाजी को सोने के पहले दूध ज़रूर पिला देना..!”
मैंने कहा- जीजाजी आप ऊपर चल कर कपड़े बदलिए, मैं आती हूँ।
और मैं अपना मनपसंद सीरियल देखने लगी।
सीरियल खत्म होने पर मम्मी अपने कमरे में जाते हुए बोलीं- तू ऊपर अपने कमरे में सो जाना और जवाँई जी का ख्याल रखना।
मैं सीडी और दूध लेकर पहले अपने कमरे में गई और सारे कपड़े उतार कर नाईटी पहन ली और देवदास को एक कोने में रख कर दूसरी सीडी अपने भाभी के कमरे से निकाल लाई, मैं जानती थी कि जीजाजी साली के साथ क्या देखना पसंद करेंगे।
जब ऊपर उनके कमरे में गई तो देखा जीजाजी सो गए हैं। दूध को साइड की मेज पर रख कर एक बार हिला कर जगाया।
जब वे नहीं जागे तो उनकी बगल में जाकर लेट गई और नाईटी का बटन खोल दिया।
मैं नीचे कुछ भी नहीं पहने थी अब मेरी चूचियाँ आज़ाद थीं, फिर थोड़ा उठ कर मैंने अपनी एक चूची की चूचुक से जीजाजी के होंठ सहलाने लगी और एक हाथ को चादर के अन्दर डाल कर उनके लण्ड को सहलाने लगी।
उनका लौड़ा सजग होने लगा शायद उसे उसकी प्यारी मुनिया की महक लग चुकी थी।
अब मेरी चूची की चौंच जीजाजी के मुँह में थी और वे उसे चूसने लगे थे।
जीजाजी जाग चुके थे, मैंने कहा- जीजाजी दूध पी लीजिए।
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वे चूसते ही बोले- पी तो रहा हूँ..!
“अरे..! ये नहीं काली भैंस का दूध, वो रखा है गिलास में।”
“जब गोरी साली का दूध पीने को मिल रहा है, तो काली भैंस का दूध क्यों पियूं..!” जीजाजी चूची से मुँह अलग कर बोले और फिर उसे मुँह में ले लिया।
मैंने कहा- पर इसमें दूध कहाँ है..!
यह कहते हुए उनके मुँह मे से अपनी चूची छुड़ा कर उठी और दूध का गिलास उठा लाई और उनके मुँह में लगा दिया। जीजाजी ने आधा गिलास पिया और गिलास लेकर बाकी पीने के लिए मेरे मुँह में लगा दिया।
मैंने मुँह से गिलास हटाते हुए कहा- जीजाजी मैं दूध पी कर आई हूँ।
इस बीच दूध छलक कर मेरी चूचियों पर गिर गया। जीजाजी उसे अपनी जीभ से चाटने लगे, मैं उनसे गिलास लेकर अपनी चूचियों पर धीरे-धीरे दूध गिराती रही और जीजाजी मज़ा ले-ले कर उसे चाटते गए। चूची चाटने से मेरी बुर में सुरसुरी होने लगी।
प्रिय पाठकों आपकी मदमस्त सुधा की रसभरी कहानी जारी है। आपके ईमेल की प्रतीक्षा में आपकी सुधा बैठी है।
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