चाचा की साली से पहले चाची-1

(Chacha Ki Sali Se Pahle Chachi-1)

रेहान 2015-05-21 Comments

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम रेहान है, मैं बड़ौदा का रहने वाला हूँ।
मैं दिखने में सामान्य हूँ और मेरी हाइट 5’6″ है मैंने कभी मेरे लिंग का नाप नहीं लिया लेकिन इतना कह सकता हूँ कि जिससे भी
मैंने सेक्स किया है वो कभी मुझे नहीं भूल पाई।

मेरा परिचय हो गया, अब अपनी कहानी पे आता हूँ।
जब मैं पढ़ाई करता था, उस समय 18 वर्ष का था, मैं छुट्टियो में मेरे पापा के दोस्त के वहाँ मोबाइल की दुकान पे जॉब करने के लिए चला गया। वहाँ में रोज सुबह जाता था और शाम को घर वापस आ जाता।
रोज मेरा टिफिन उनके घर से ही आता था, उनका घर पास में ही था।

एक दिन जब में टिफिन लेने गया तो देखा चाचा, उनको मैं चाचा कहता हूँ, के घर मेहमान आये थे।
मैंने जाकर टिफिन के लिये चाची को कहा तो उन्होंने कहा- आओ रेहान बैठो!
मैं- जी चाची!
चाची- देख इन्हें पहचान, ये कौन हैं।

मुझे पता ना चला कि चाची क्या कह रही हैं और सोच में पड़ गया था मैं, क्योंकि पहली बार देख रहा था कि चाची ऐसे मुझसे बात
कर रही हैं।

फिर चाची मेरे आगे हाथ घुमा कर बोली- ओय मिस्टर रेहान, कहाँ खो गए?

मैं- जी, कहीं नहीं चाची!
चाची- तो बोल ना, ये कौन हैं?
मैं झट से बोल पड़ा- ये तो आप की बहन लगती हैं।
चाची- ओह पहचान लिया।

फिर चाची ने मुझे टिफिन दिया और मैं शॉप पे चला गया।
और थोड़े दिन ऐसे ही गुजर गए।

फिर एक दिन चाचा मुझसे बोले- रेहान कल थोड़ा जल्दी आ जाना।
मैं- क्यों चाचा?
चाचा- अरे घर पे थोड़े मेहमान आये हैं, थोड़ा घर का काम करना है, तेरी चाची ने बोला है कि रेहान को घर भेज देना काम के लिए।
मैं- तो चाचा शॉप बंद रहेगी?
चाचा- नहीं, शॉप पर मैं रहूँगा, तुझे रहना हो तो तू रहना, मैं घर पर तेरी चाची के साथ घर का काम निपटा लूँगा।

मन में तो मैं यही सोच रहा था कि भला मैं ऐसा मौका क्यों छोड़ू, तो मैंने झट से बोल दिया- नहीं चाचा, आप यहीं रहना, मैं घर पर चाची की हेल्प कर दूँगा।

फिर मैं घर पर आ गया और पूरी रात सोचता रहा कि क्या कल मुझे चाची की बहन वहाँ मिलेगी, मैं तो पूरी रात चाची की बहन के बारे में सोचता रहा और दो बार मुठ मारी तब जाकर मुझे नींद आई।

सुबह जब मैं उठा तो फिर उसके ख्याल आने लगे… क्या दिखती थी यार… उसका फिगर 34-28-36 होगा, और दूध जैसी गोरी उसकी स्किन सोच कर फिर से मेरा लिंग खड़ा हो गया, फिर सोचने लगा नहीं अभी मुठ नहीं मारनी।

ये सब सोच सोच कर में तो सीधे चाचा के घर चला गया और देख कर ही मैं चौंक गया क्योंकि वहाँ चाचा चाची की मदद कर रहे थे, तो मुझे लगा कि अब मेरे हाथ में से मौका निकल गया।

मैं घर में गया तो चाचा ने कहा- चलो अच्छा हुआ तुम आ गए।
मैं- चाचा शॉप नहीं खोली?
चाचा- नहीं, मैंने सोचा चल मैं ही तेरी चाची की मदद कर दूँ… ले चाबी, तू शॉप पर जा और मैं यहाँ ही काम करूँगा।

मैं तो बहुत उदास हो गया और चाबी लेकर शॉप पर ही जा रहा था कि चाची ने मुझे देख लिया और कहा- रेहान, कहाँ जा रहे हो?
मैं- शॉप पर जा रहा हूँ चाची!
चाची- तू रुक यहाँ, तेरे चाचा को ही भेजती हूँ मैं!
तो मैं यह सुन कर खुश हो गया और चाचा बोले- ठीक है, मैं जाऊँगा शॉप पर, पर थोड़ी देर बाद!

फिर चाची काम में लग गई और मैं और चाचा भी काम करने लगे। चाचा, मैं और उनकी साली एक ही रूम में काम कर रहे थे, टेबल पर चढ़ कर छज्जे पर सब सामान रखना था, मैं टेबल पर चढ़ा तो चाचा ने मुझे नीचे उतार दिया और उनकी साली को ऊपर चढ़ा दिया और मैं नीचे से उनको सब सामान दे रहा था।

थोड़ी देर में मैंने देखा कि चाचा उनकी साली के चूतड़ों पर हाथ घुमा रहे थे, यह देख कर मेरा लिंग कड़क हो गया और चाचा की साली की कमर दिख रही थी, क्या चिकनी थी यार… बस देखता ही रहा और चाचा ने मुझे देख कर कहा- तू क्या देख रहा है? तू काम कर, फिर मैं जाऊँ बाद में सब देखते रहना।

इतना सुन कर मैं खुश हो गया और काम करने लगा और थोड़ी देर में चाची आई और चाचा पे बहुत गुस्सा हुई ये सब देख कर और चाचा को वैसे ही शॉप पर भेज दिया।

अब मैं चाची और उनकी बहन ही घर पर थे, हम काम कर रहे थे, बाद में खाने का टाइम हुआ तो हम खाना खाने बैठे।
मैं बहुत डरा हुआ था, पहली बार चाची को गुस्से में देखा था।
और फिर खाते खाते चाची ने कहा- क्या हुआ रेहान? क्यों इतना डरे हुए हो?

मैं- बस चाची, आपको गुस्सा करते देखा, इसलिए!
चाची- अरे तू क्यों डरता है, ये तो तेरे चाचा को इसलिए तो मैं बोल रही थी काम ना करने को और यह मेरी बहन भी गांड दिखा रही थी अपने जीजा को !

ये शब्द सुन कर मैं सोच में पड़ गया और चाची की बहन बोली, उसका नाम शब्बो है- क्या दीदी, आप भी ऐसे बोलती हो?
चाची- क्यों, अब शर्म आ रही है, जब इसके सामने गांड दिखा रही थी तब शर्म नहीं आई?
में ये सब बातें सुन कर थोड़ा थोड़ा खुश हो रहा था।
फिर चाची ने मुझे कहा- कैसी लगी रेहान इसकी गांड?
मैं- क्या चाची, आप भी?
चाची- अब कमीने तू भी शर्मा रहा है?

मैं कुछ नहीं बोला और चाची ने खाना लगाया, तीनों एक साथ खाने लगे, खाना खाकर मैं खड़ा हुआ और दूसरी जगह बैठ गया, तब वो दोनों भी खाना खाकर खड़ी हुई और मेरे साथ में बैठ गई।

चाची- देख मैंने नए कपड़े लिए हैं, देखेगा तू?
मैं- हाँ क्यों नहीं?

चाची ने सब कपड़े मुझे दिखाए, चाची उन्हें अपनी ड्रेस के ऊपर ही पहन कर देख रही थी, मुझे पूछ रही थी- देख कैसा लग रहा है?

मैं- मस्त लग रहा है।

चाची- मैं मस्त माल लग रही हूँ?

मैं- ह्म्म… वो तो आप बिना कपड़ों के भी लगती हो… मेरा मतलब कि इन कपड़ों के बिबा दूसरे कपड़ों में भी…

चाची थोड़ा मुस्कुराई और एक एक कर के सब कपड़े मुझे पहन के दिखाए और शब्बो दूसरे रूम में चली गई आराम करने।

फिर चाची के हाथ में ब्रा आई और उन्होंने उसे बैग में रख दी तो मैंने शरारत करते हुए कहा- क्यूँ चाची? वो कपड़ा क्यों रख दिया? वो भी पहन के दिखाओ!

तो चाची हँसी और मुझे वो ब्रा ड्रेस के ऊपर से ही पहन कर दिखाने लगी तो मैं उन्हें देख कर बोला- नहीं बराबर आ रही!

चाची- ये तो ड्रेस पे ऐसे ही लगेगी, अंदर बराबर आएगी।

मैं- तो फिर बराबर ही पहन कर दिखाओ!

चाची- शैतान बहुत बड़ा हो गया है तू… और तेरा हथियार भी?

मैं- अब क्या करूँ चाची… आप जैसी हसीना सामने हो तो बड़ा ही होगा ना?
फिर चाची एकदम से गुस्सा हुई और नजर घुमा ली।
कहानी जारी रहेगी।

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