कुंवारी चूत चुदाई का आनन्दमयी खेल-2

Bhanji Ki Kunvari Choot Chudai ka Khel-2
मैं तो बस उस कुंवारी चूत को चोदने की सोचने लगा।
मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था।
मैं भूल गया कि श्रेया मेरी भाँजी है और वो भी मुझसे 7-8 साल छोटी है।

श्रेया जैसी मस्त लड़की की कुंवारी चूत को चोदने के ख्याल मात्र से ही मेरा रोम-रोम रोमान्चित होने लगा था।

रात में मम्मी और दीदी एक कमरे में मैं और जीजा जी एक कमरे में सो रहे थे, पर मेरी आँखों में नीद कहाँ थी मैं तो सबके सोने का इन्तजार कर रहा था।

थोड़ी ही देर में जीजा जी की नाक बजने लगी, मतलब वो सो चुके हैं।

मैंने उठ कर मम्मी और दीदी की आहट ली।

उनके कमरे में भी खामोशी थी।

पूरी तरह से यकीन करने के बाद मैं श्रेया के कमरे की ओर बढ़ा।

श्रेया अभी सोई नहीं थी, वो अभी पढ़ रही थी।

मुझे देख चौंक गई और थोड़ा मुस्कुरा कर बोली- क्या हुआ मामा.. सोये नहीं?

मैंने पीछे से उसके कन्धे पर हाथ रखा तो वो अपना सर ऊपर उठा कर मुझे देखने लगी।

मैंने झुक कर उसके होंठों को चूम लिया।

श्रेया एकदम से घबरा कर खड़ी हो गई।

‘मामा यह क्या कर रहे हैं?’

अभी वह सम्भल भी नहीं पाई थी कि मैंने उसे अपनी बाँहों में खींच लिया।

और वो कुछ बोल पाती कि मैंने उसके होंठों को अपने मुँह में कैद कर लिया और उसके गुलाब की पखुरियों जैसे होंठों का रस पीने लगा।

श्रेया ने मुझे हल्के से पीछे धकेल दिया और बोली।

‘यह क्या कर रहे हो… कोई देख लेगा…’ श्रेया मेरी इस हरकत से एकदम घबरा गई थी।

मैंने उसकी आँखों में देखते हुए बोला- श्रेया तुम बड़ी खुबसूरत हो।

यह सुन कर श्रेया थोड़ा शर्मा गई।
मैंने धीरे से बोला- श्रेया, एक पप्पी दो ना..

पहले तो उसने शर्मा कर नजरें नीचे कर लीं और फिर बनावटी गुस्सा दिखाते हुए आँखें तरेर कर बोली- शर्म नहीं आती.. आप मेरे मामा हैं…

साथ ही उसके होंठों पर एक शरारत भरी मुस्कान भी थी।
जो मुझे बहुत अच्छी लगी।

मैंने झट से कहा- जिसने की शरम.. उसके फूटे करम..

मैंने उसका हाथ पकड़ कर दुबारा अपनी बाँहों में खींच लिया।

श्रेया सकुचाती सी बोली- मामा प्लीज छोड़ो ना.. ऐसा मत करो… पागल हो गए हो क्या?

पर मैं उसकी बातों को अनसुना कर उसके चेहरे को चूमने लगा।

वो शर्म से लाल होने लगी थी।
वो बार-बार मुझे यही कहने लगी- मामा प्लीज… अब छोड़ दो बहुत हो गया…

मैंने उसके होंठों को चूमते हुए बोला- अभी तो शुरू हुआ है… अभी कैसे छोड़ दूँ।

मैंने उसकी एक चूची को पकड़ के हौले से दबा दिया।

श्रेया सिहर उठी और झट से मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- मामा यह गलत है, बड़ी बदनामी होगी।

पर उसकी चूची को पकड़ते ही मेरी मस्ती और भड़क उठी थी।

मैं बोला- गलत कुछ नहीं है… मेरी जान, यही तो जवानी का असली मजा है। जो जी भर के लूटा जाता है…

यह कहते हुए मैंने अपना एक हाथ उसकी पीठ को सहलाने और दूसरे हाथ से उसकी चूची को दबाते हुए उसके बालों को हटा कर उसकी गरदन पर चूमने लगा तो श्रेया मुझसे कस कर लिपट गई।

अब श्रेया में भी मस्ती छाने लगी थी।

वो भी कसमाने लगी थी।

उसका विरोध अब केवल मुँह से ही रह गया था।

‘मामा प्लीज, मुझे डर लग रहा है, आप समझते क्यों नहीं… कोई आ जाएगा।’

‘डरो मत, कोई नहीं आएगा.. मैं सब चैक करके आया हूँ, सब सो रहे हैं।’ मैं मुस्कुरा कर बोला तो वो मुक्के से मेरी पीठ पर मारते हुए शर्मा के बोली- तुम बड़े गन्दे हो…

और मेरे सीने से चिपक गई।

उस वक्त श्रेया स्कर्ट और टाईट टी-शर्ट पहने हुई थी, जिसमें उसकी चूचियां काफी सख्ती से मेरे सीने में चुभने लगी थीं जो मेरी मस्ती को ओर बढ़ा रही थीं।

श्रेया अब मेरे धीरे-धीरे मेरे बस में आ रही थी, अब उसकी कुंवारी चूत मेरे लौड़े से कुछ ही दूर थी।

मैंने प्यार से उसका चेहरा ऊपर उठा कर बोला- मैं गन्दा हूँ या अच्छा अभी थोड़ी देर बाद पता चलेगा।

यह कहते हुए मैंने उसकी टी-शर्ट को उसके बदन से खींच के बाहर निकाल दिया।

श्रेया शर्मा कर अपनी दोनों चूचियों को ढकने की कोशिश करने लगी, पर मैंने झट से उसे अपनी बाँहों में खींचा तो वो एकदम मेरे सीने से चिपक गई।

शर्मा के बस इतना बोली- मामा… यह क्या कर रहे हो… मुझे शर्म आती है।

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मैंने उससे कहा- बस दो मिनट रूको, सारी शर्म अपने आप खत्म हो जाएगा।

मैंने उसके चेहरे पर चुम्बनों की झड़ी लगा दी।

श्रेया भी अब मदहोश होने लगी थी।
मदहोशी से उसकी दोनों आँखें बन्द हो गई थीं।
उसके होंठ मस्ती से काँपने लगे थे।
अब उसके चेहरे पर वासना की झलक साफ नजर आने लगी थी।

मेरा हाथ उसकी नंगी पीठ पर सरकने लगा था।
मैंने धीरे से उसकी ब्रा का हुक भी खोल दिया।

ब्रा का हुक खुलते ही उसकी दोनों चूचियाँ आजाद हो गईं।

श्रेया ने पहले ही अपनी आँखें बन्द कर ली थीं।

ब्रा को अलग किया तो उसकी दूध जैसी गोरी और मस्त चूचियाँ मेरी आँखों के सामने फुदकने लगी थीं। जिन्हें देखते ही मेरा लण्ड जो पहले से ही कड़क था और सख्त हो कर झटके मारने लगा।

श्रेया ने शर्मा कर अपने दोनों हाथों से अपना चेहरा ढक लिया।

उसकी चूचियाँ क्या गजब थीं दोस्तों..
मैं तो एकदम मस्त हो उठा।

मैंने फौरन उसकी चूचियों को अपनी मुट्ठी में कैद कर लिया और कस कर दबा दिया।

श्रेया के मुँह से तीखी चीख निकल पड़ी- उई मां… मामा क्या करते हो.. दर्द होता है।

‘हाय श्रेया… तेरी चूचियाँ इतनी मस्त हैं कि मैं तो इन्हें देखते ही पागल हो गया… कसम से इतनी मस्त चूचियाँ तो मैंने आज तक नहीं देखीं।’

मैं उनसे प्यार से खेलने लगा।

मैंने जैसे ही उसकी मस्त चूचियों को प्यार से सहलाते हुए दबाना शुरू किया वो सिहरने लगी।

मैंने पागलों की तरह उसकी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया और वो सिसकारियाँ भर रही थी।

‘ई.. ई.. स स…सी आ… आहहह…’

मैंने उससे पूछा- क्या हुआ श्रेया?

श्रेया शर्मा गई और मुस्कुरा कर बोली- कुछ नहीं…

मैंने एक चूची को फिर जोर से दबा दिया… और मजाक से बोला- कुछ नहीं…

वो एकदम से चिहुंक उठी- उई.. मामा दर्द होता है…

‘तो सच-सच बताओ.. मजा आ रहा है या नहीं?’

‘हाँ बाबा.. आ रहा है… पर तेज में नहीं.. धीरे-धीरे से करो ना..’

श्रेया का जवाब सुन कर मैं तो खुशी से झूम उठा और श्रेया को गोद में उठा कर बिस्तर पर लिटाते हुए बोला- बस श्रेया देखती जाओ… आगे और मजा आएगा।

मन ही मन मैं अपनी सगी भांजी की कुंवारी चूत के उदघाटन के आनन्द को महसूस करते हुए मैं उसकी आँखों के सामने ही अपने सारे कपड़े उतारने लगा।

श्रेया ने शर्म के मारे अपना चेहरा अपने दोनों हाथों से ढक लिया।

मैं मुस्कुराता हुआ उसके बगल में जाकर लेट गया और उसके हाथों को उसके चेहरे से हटाया और पूछा- क्या हुआ?

तो वो बोली- तुम कितने गन्दे हो… मेरे सामने कपड़े उतारते हुए शर्म नहीं आती?

‘मेरी जान, शर्माऊँगा तो तुम्हारी कुंवारी चूत की चुदाई कैसे करूँगा…’

मैंने झटके से उसके बदन से उसकी स्कर्ट और पैन्टी को खींच कर उससे अलग कर दिया।

‘मामा प्लीज मत करो ना.. मुझे शर्म आती है।’

वो अपने दोनों हाथों से अपनी चूत को छुपाने की कोशिश करने लगी।

मैंने कहा- ठीक है.. तुम शर्म करो.. मैं अपना काम करता हूँ।

मैंने उसके ऊपर लेट कर उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया, साथ ही उसकी चूचियों को भी मसलने लगा।

मेरा लण्ड श्रेया के हाथों के ऊपर रगड़ खा रहा था।

श्रेया ज्यादा देर ऐसे नहीं रह सकी।

वो अपने दोनों हाथ ऊपर लाकर मुझे बांधने लगी, उसका एक हाथ मेरे सिर पर बालों को सहला रहे थे, तो दूसरा मेरी पीठ पर सरक रहा था।

जिससे साफ समझ में आ रहा था कि उसे भी भरपूर आनन्द आने लगा था।

उसके होंठ काँपने लगे थे और मुँह से मदमोह सिसकारियाँ निकलने लगी थीं।

उसका हाथ हटते ही मेरा लण्ड उसकी कुंवारी चूत के संपर्क में आ गया, जिसकी रगड़ उसको और मदहोश करती जा रही थी।

मैं धीरे से अपना एक हाथ नीचे सरका कर उसकी चूत का जायजा लेने लगा जो कि पूरी तरह से गीली हो चुकी थी।

मैंने जैसे ही अपना हाथ उसकी कुंवारी चूत पर रखा…

कहानी जारी रहेगी।

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