ऐसी मौसी सब को मिले-3

(Aisi Mausi Sabko Mile- Part 3)

This story is part of a series:

‘वो मेरा काम है, कल रात को तेरा उदघाटन करना है, यह समझ कल तेरी सुहागरात है।’
‘कल क्यों?’
‘कल तेरे मौसा समान लाने बाहर जा रहे हैं, 2 दिन बाद लौटेंगे।’ वो बोली।
‘तो दो दिन अपनी मौज है फिर तो?’
‘बिल्कुल, खुल्ला खाओ नंगे नहाओ।’ मौसी ने मुझे आँख मार के कहा।

मैं मन ही मन बड़ा खुश हुआ कि ‘चलो ये काम तो सेट हुआ।’

‘तो अब क्या करें?’ मैंने पूछा।
‘अब चुस्का चुस्की करें?’ वो बोली।
‘वो क्या होता है?’ मैंने बेधड़क पूछा।
‘तू मेरी चूत चाटेगा और मैं तेरा लण्ड चूसूंगी, ठीक है?’
मुझे भला क्या ऐतराज हो सकता था।

मौसी ने मुझे बेड के बिल्कुल बीच में लेटाया, मेरे सर के नीचे सिरहाना दिया, और खुद मेरी छाती पे बैठ गई, उसकी पीठ मेरी तरफ थी उसकी भरी भरकम विशाल गाँड मेरे मुँह के बिल्कुल ऊपर थी।
वो झुकी और और मेरा लण्ड जो पहले ही तन चुका था, अपने मुँह में ले लिया और खुद थोड़ा पीछे सरक कर अपनी चूत मेरे मुँह से सटा दी, बेशक उसकी चूत बिल्कुल साफ थी मगर पानी से भीगी पड़ी थी, मैंने उसकी चूत के होंठों से अपने होंठ लगाए और अपनी जीभ उसकी चूत में फेरी, एक अजब से स्वाद मेरी जीभ पे आया, पर बुरा नहीं था।

यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

धीरे धीरे मैं अपनी पूरी जीभ उसकी चूत फिराने लगा, मुझे उसकी चूत का पानी स्वाद लगने लगा। वो तो खैर कितने सालों से शादी शुदा थी, सो लण्ड चूसने की माहिर थी, उसके चूसने से मेरा उन्माद बढ़ता गया, मैं उसकी पीठ पे, चूतड़ों पे हाथ फिरा रहा था, कभी उसके स्तन दबाता, कभी उसके चूचकों को मसलता। मैं अनाड़ी खिलाड़ी था सो बस 5 मिनट में ही उसके मुँह में झड़ गया, मेरा वीर्य उसके मुँह, मेरी जांघों और आस पास बिस्तर पर बिखर गया।

मैं तो ठंडा हो गया पर उसका अभी बाकी था, फिर वो उठी- ले तेरा तो हो गया, अब मेरा भी कर दे!

‘जी मौसी!’ मैंने बड़े आज्ञाकारी ढंग से कहा।
वो बेड के किनारे पे लेट गई और मुझे नीचे ज़मीन पर घुटनों के बल बैठाया, अपनी दोनों टाँगें चौड़ी करके मेरा मुँह अपनी चूत से लगाया और अपनी दोनों जांघें मेरे कंधों पर रख दी।
मैंने चूत चाटनी शुरू की, वो बोली- विजय अंदर तक जीभ डाल कर चाट!
फिर उंगली लगा कर बताया- यह जो चूत का चना है न इसको भी चाट और अपने होंठो में लेकर चूस!

मैं उसके बताए अनुसार चाटने लगा। वो अपने हाथों से मेरा सर सहला रही थी और अपनी दोनों जांघों में मेरे सर को कस के पकड़े थी। मैं अपना सर हिला नहीं पा रहा था, सिर्फ मेरी जीभ उसकी चूत के ऊपर नीचे और अंदर बाहर चल रही थी, उसकी साँसें तेज़ हो चली थी, अपनी कमर उचका रही थी और मुँह से न जाने क्या ‘ऊह, आह, उफ़्फ़ ‘ जैसे शब्द निकाल रही थी।

और जब मौसी स्खलित हुई तो उसने इतने ज़ोर से अपनी जांघें भींची के मेरा तो जैसे दम ही घुट गया।
उसने एक हाथ से अपना स्तन पकड़ रखा था और दूसरे हाथ से मेरा सर अपनी चूत में धकेल रही थी, बदन कमान की तरह अकड़ा हुआ था मगर मैंने चाटना बंद नहीं किया, मौसी की चूत का पानी और मेरा थूक चू कर मेरे गले से नीचे तक बह रहे थे।

जब मौसी थोड़ी ठंडी हुई तो उसने अपनी टाँगें ढीली की तो मुझे खुल कर सांस आई।

‘वाह, मज़ा आ गया, तेरे मौसा तो दो मिनट भी नहीं चाटते!’

उसके बाद तो मौसी जैसी मेरी बीवी ही बन गई हो, मौसा के आने तक सारा समय चुहलबाजी चलती रही। मैंने जी भर के मौसी के मोटे मोटे स्तन दबाये, चूतड़ सहलाए।
अब तो बस कल का इंतज़ार था।
अगले दिन सुबह मौसा अपना सामान लेने चले गए मैं कॉलेज चला गया, जब दोपहर को आया तो मौसी, नाइटी पहने घूम रही थी, मैंने अंदर दाखिल होते ही उसे बाहों में भर लिया और एक जोरदार चुंबन उसके होंठों पे किया।

‘अरे सब्र करो सैयां, मैं कहीं भागी तो नहीं जा रही!’
‘अरे पूछो मत मौसी जान निकली जा रही है, रात का इंतज़ार नहीं होता, अभी सील तोड़ दो मेरी, जानेमन!’ मैं कुछ ज़्यादा ही बेतकल्लुफ़ हो रहा था।
‘तोड़ दूँगी, पर रात को, सब्र का फल मीठा होता है, बस हिम्मत रखना, कहीं रो मत पड़ना, लल्ला जी!’
‘नहीं जानेमन, तुम तो मेरा काट के खा भी जाओ तो भी गम नहीं!’ मैं पूरे जोश से बोला।

‘चलो अभी खाना खा लो!’
‘मौसी, एक बात कहूँ?’
‘हूँ…’
‘बिल्कुल नंगे होकर खाना खाएं?’
‘क्या, पागल हो क्या?’
‘प्लीज़ मौसी!’
‘चल ठीक है।’ वो मान गई।

जितनी देर में वो खाना डाल के लाई, मैं बिल्कुल नंगा हो चुका था और लण्ड तन कर लोहा। मौसी पास आ के जब कपड़े उतारने लगी तो मैं बोला- मौसी, रुको, मैं तुम्हें नंगी करूंगा।

मौसी हंस पड़ी।
सबसे पहले मैंने मौसी की नाइटी उतारी, फिर ब्रा खोली और उसके बाद नीचे पहनी हुई, पेंटी। दोनों ने नंगे होकर खाना खाया, फिर साथ लेट कर टीवी देखते रहे।
मैं मौसी के बदन को सहलाता रहा, जब रहा नहीं गया तो मौसी के ऊपर उल्टा लेट गया- मौसी अब सब्र नहीं होता, और नहीं तो चुसका चुस्की ही कर लेते हैं।’ मैंने कहा तो मौसी मान गई।

दोनों कितनी देर एक दूसरे को चूसते रहे, इस बार मुझे भी काफी टाइम लगा। इसके बाद तो मैं रात का इंतज़ार कर रहा था और रात थी के आ ही नहीं रही थी।
कहानी जारी रहेगी।
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top