सन्ता और प्रीतो के चुटकुले-1

(Santa aur Preeto Ke Chutkule- Part 1)

Antarvasna 2013-02-14 Comments

सन्ता की शादी हो रही थी, फेरों पर बैठने के लिए जब प्रीतो आई तो उसने पंडित से पूछा- पंडित जी, मैं इनकी दाईं तरफ बैठूं या बायीं तरफ?

इससे पहले कि पंडित कुछ बोले, सन्ता का एक दोस्त बोला- अरे कहीं भी बैठ जाओ अभी तो… शादी के बाद तो तुम सन्ता के सर पर ही बैठोगी..

***

प्रीतो ने एक उत्सव में जाना था तो उसने अपने शौहर सन्ता से पूछा- अजी सुनिये तो, जरा बताइए कि मैं कौन सा सूट पहन कर जाऊँ? यह कढ़ाई वाला या यह लाल फूलों वाला?

सन्ता- लाल फूलों वाला पहन लो मेरे ख्याल से तो!

प्रीतो- लेकिन लाल फूलों वाला तो मैंने परसों पड़ोसियों के कीर्तन में पहना था..

सन्ता- अच्छा तो फिर कढ़ाई वाला ही पहन लो।

प्रीतो- तो अब ये तो बता दो कि इस सूट के साथ सैंडल पहनूँ या बेली?

सन्ता- बेली पहन लो…

प्रीतो- अरे तुम्हें नहीं पता मुझे पार्टी में जाना है, कथा-कीर्तन में नहीं। ये तड़क-भड़क वाले सैंडल होने चाहियें !

सन्ता- जैसे तुम्हें ठीक लगे ! सैंडल पहन लो।

प्रीतो- अच्छा बिन्दी कौन से रंग की अच्छी लगेगी? लाल या ये मैरून?

सन्ता- मेरे ख्याल से तो लाल ठीक रहेगी।

प्रीतो- तुम तो फैशन का ए बी सी भी नहीं जानते हो… मैंने जो सूट पहना है, उसके साथ यह मैरून अच्छी लगेगी।

सन्ता- तो मैरून बिन्दी लगा लो।

प्रीतो- अच्छा तो हाथ वाला छोटा बटुआ लेकर जाऊं या यह बड़ा हैण्डबैग?

सन्ता- बटुआ ले जाओ।

प्रीतो- अरे अब तो बड़े-बड़े हैण्डबैग का रिवाज है।

सन्ता- अरे तो हैण्डबैग ले जाओ, मुझे क्या फ़र्क पड़ता है।

प्रीतो जब पार्टी से वापिस आई तो काफी क्रोध में दिख रही थी।

सन्ता- अरे क्या हो गया? गुस्सा क्यों आ रहा है?

प्रीतो- अरे आप तो कोई भी काम सलीके से नहीं कर सकते…

सन्ता- क्यों भई, मैंने क्या कसूर कर दिया?

प्रीतो- पार्टी में सब औरतें मेरा मज़ाक बना रही थी कि कैसा सूट पहन कर आई, कैसी बिन्दी लगा रखी है, चप्पल और पर्स पर भी सब हंस कर मेरा मज़ाक बना रहे थे।

सन्ता- तो मेरा इसमें क्या कसूर है?

प्रीतो- सब चीजें मैंने आप से ही पूछ के ही तो पहनी थी, सलीके से बता देते तो क्या हो जाता? इससे बेहतर तो मैं अपने आप ही अपनी मर्जी से करती।

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एक दिन सन्ता अपने दोस्त बन्ता से बोला- पता नहीं ये औरतें पुरुषों से क्या क्या दुश्मनी निकालती हैं,

जब भी पति कमरे में बैठा हो तो गर्मियों में पंखा बंद करके झाडू लगाती हैं,
सर्दियों में पंखा चला कर ही पौंछा लगाती हैं!

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पति सन्ता अखबार पढ़ते हुए बोला- अख़बार में लिखा है कि ताजा सर्वे से पता चला है कि 25% औरतें मानसिक बीमारी के लिए दवाईयाँ लेती हैं!

उसकी बीवी प्रीतो- तो इसमें ख़ास क्या है?

सन्ता- यह तो बड़ा ही डरावनी टाइप की खबर है!

प्रीतो- क्यूँ?
सन्ता- इसका मतलब यह हुआ कि 75% औरतें बिना दवाई लिए आजाद घूम रही हैं…!!!

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प्रीतो अपने पति सन्ता से- आपका जन्मदिन आ रहा है.. आपको तोहफ़े में क्या दूँ मैं?
सन्ता- छुटकारा…!!

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सन्ता और प्रीतो – कौन है बॉस ?

बॉस सन्ता ने अपने नए दफ्तर में एक नया कैलेंडर लगाया जिस पर लिखा था:

‘I AM THE BOSS, NEVER FORGET IT AND ALWAYS REMAIN IN YOUR LIMITS !’

( मैं बॉस हूँ… कभी भूलना मत और हमेशा अपनी मर्यादा में रहना !)

जब सन्ता दोपहर को खाना खाने के बाद वापिस आया तो उसे उसकी मेज पर एक पर्ची मिली जिस पर लिखा था :

‘ सर… आपके घर से आपकी श्रीमती प्रीतो जी का फोन आया था, वे काफी गुस्से में बोल रही थीं कि :

‘अपने साहब को कह देना कि घर से जो कैलेंडर ले कर गए हैं उसे चुपचाप शाम को यहाँ पर वापिस लाकर टांग दे…!’

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प्रीतो ने सन्ता से तलाक ले लिया लेकिन दस दिन बाद ही वो अपने वकील के पास गई और बोली- मुझे अपने पहले पति सन्ता से दोबारा शादी करनी है..

वकील बोला- क्यूँ? अभी कुछ दिन पहले ही तो मैंने तुम दोनों का तलक करवाया है ! फिर दोबारा उसी सन्ता से शादी क्यों?
प्रीतो बोली- असल में कल मैंने देखा कि वो सन्ता तलाक के बाद से बहुत खुश दिख रहा है… और मैं यह बर्दाश्त नहीं कर सकती..

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पूजा किया करो

प्रीतो अपने पति सन्ता से- भगवान की पूजा किया करो, इससे बड़ी बलाएं टल जाती हैं..

सन्ता जवाब में- तुम्हारे पिताजी तो खूब पूजा करते होंगे तभी तो उनकी बला टल कर मेरे ऊपर आ गई !

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प्रीतो का पति सन्ता अपनी पत्नी पर शक करता था कि उसका किसी से अवैध सम्बन्ध है,प्रीतो के बार बार समझाने पर कि वो एक पतिव्रता नारी है, सन्ता के मन से शक नहीं गया।

तो परेशान होकर प्रीतो ने अपने पति सन्ता को सबक सिखाने की ठान ली।

उसने पड़ोस के एक युवक बब्बू को पटा कर उससे सम्बन्ध बना लिए।

एक रविवार को सन्ता घर में था और प्रीतो ने चुपचाप बब्बू को अपने घर बुला कर उसे बाथ रूम में घुसा दिया।

इसके बाद प्रीतो रसोई में काम करने लगी और जब प्रीतो आटा गूँथ रही थी तो आटे में सने हाथों के साथ सन्ता के पास गई जो वहीं साथ वाले कमरे में था।

प्रीतो- सुनो जी, जरा मेरी सलवार का नाड़ा खोल दो, मैंने मूतने जाना है।

सन्ता- तो हाथ धो कर चली जा ना!

प्रीतो- ना जी! जल्दी करो! बड़ी जोर से आ रहा है, यहीं निकल जाएगा।

सन्ता ने जल्दी से प्रीतो की सलवार का नाड़ा खोल दिया।

प्रीतो- थोड़ी नीचे भी सरकाओ ना जी मेरी सलवार!

सन्ता ने प्रीतो की सलवार थोड़ी नीचे सरका दी। प्रीतो कुहनियों से सलवार सम्भालती हुई बाथरूम में गई, वहाँ बब्बू से चुदाई करवाई और वैसे ही कुहनियों से सलवार सम्भालती हुई वापिस सन्ता के पास आ गई।

प्रीतो- सुनो जी, मेरी सलवार ऊपर सरका कर नाड़ा बांध दो जी!

सन्ता ने वैसे ही किया।

थोड़ी देर बाद प्रीतो ने सन्ता को उलाहना देते हुए कहा- हाँ तो अब बताओ जी? मेरे ऊपर बिना बात शक करते थे!

अब आज तुम्हारे घर में होते हुए, मैंने अपने यार से चुदाई करवाई, तुम्हें पता लगा? जबकि चुदाई के लिए तुमने ही मेरी सलवार खोली, नीचे की और चुदाई के बाद तुमने ही मेरी सलवार का नाड़ा बांधा!

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