बारिश में बह गए मैडम के जज्बात-1

(Barish Me Bah Gaye Madam Ke jajbat-1)

This story is part of a series:

प्रेषक : आदित्य पटेल

दोस्तो, जवानी के फेर में न चाहते हुए भी कई बार ऐसा हो जाता है जो कभी होना नहीं चाहिए या फिर यूँ कहें कि यह सभ्य समाज के लिए अच्छा नहीं है…

बात उन दिनों की है जब मैंने जवानी की दहलीज पर पहला कदम ही रखा था और मुझे खुद पता नहीं था कि मैं इतना किस्मत वाला हूँ कि मुझे चोदने का अवसर इतनी जल्दी मिल जायेगा… पर उसके साथ कुछ फलसफा भी !

बरसात के दिन थे, मैं ग्यारहवीं कक्षा में था, रतलाम से 35 किलोमीटर दूर मेरा गाँव था और मेरे गाँव से 8 किलोमीटर दूर मेरा स्कूल, जहाँ पर ग्यारहवीं कक्षा में कुल जमा 11 साथियों में 3 लड़कियाँ और बाकी 8 हम मुसटण्डे।

रश्मि नाम की 27 साल की एकदम तुनक मिजाज मैडम, रुतबा इतना था कि अगर स्कूल परिसर में एक प्लास्टिक की थैली या कागज का टुकड़ा भी दिख जाये तो चपरासी की खैर नहीं ! पढ़ाती वो इंग्लिश थी। हमारे स्कूल में आये हुए एक साल ही हुआ था उन्हें !

मुझे आज भी वो दिन याद है सितम्बर 11, 2003 को दोपहर में काफी तेज बारिश हो रही थी, मेरी कक्षा में केवल मैं अकेला और पूरे स्कूल में कुल 20-25 छात्रों के साथ तीन अध्यापक और दो अध्यापिकाएँ आई थी।

जब रश्मि मैडम का पीरियड आया तो वो हमारी कक्षा में आई और मैं अकेला कक्षा में बैठा इतिहास पढ़ रहा था। वो आकर बैठ गई और कहने लगी- आज तुम अकेले क्या पढ़ाई करोगे…?

मैंने कहा- जैसी आपकी इच्छा मैडम…
मैडम ने कहा- ठीक है, मैं जाती हूँ !

इतना कहकर वो जैसे ही खड़ी हुई बरसात और जोर से चालू हो गई और मैडम झल्लाने लगी और मन ही मन बरसात को कोसने लगी। बाहर से कक्षा में पानी ज्यादा आ रहा था इसलिए उन्होंने खुद आगे आकर दरवाजा बंद कर दिया और मुझसे बातें करने लगी। करीब 10 मिनट इधर-उधर की बातें करने के बाद उन्होंने अपने बाल खोल लिए और अपना दुपट्टा सामने मेज़ पर रख दिया क्योंकि वो दोनों गीले हो गए थे।

यकीन कर पाना मुश्किल था कि वो बाल खोलने के बाद इतनी सेक्सी लगेंगी। कुछ समय तो मुझे खुद अपनी आँखों पर भरोसा नहीं हुआ। मैं गुपचुप तरीके से उन्हें देख रहा था और इस वजह से मेरा लण्ड तन कर खड़ा हो गया था। मैं लाख कोशिश कर रहा था कि किसी तरह लण्ड को छुपा लूं और मैडम से बात करूँ ताकि मैं उन्हें देखता रहूँ। पर मैं उनके तुनक-मिजाज से वाकिफ था। हालाँकि इसी दौरान मैं देख रहा था कि मैडम की तिरछी नजर मेज़ के नीचे से मेरे लण्ड पर जा रही थी।

चाहते हुए भी मैं इसे छिपा नहीं सकता था क्योंकि आज से सात साल पहले कपड़े किस ढंग के पहने जाते थे, यह आप सभी को पता है।

अचानक मैडम खड़ी हुई और कक्षा में इधर उधर घूमने लगी और मुझसे पूछा- क्या तुम्हें सर्दी नहीं लग रही?

तो मैंने जवाब दिया- हाँ मैडम ! लग तो रही है।

फिर मैडम ने कहा- पता नहीं था कि बरसात इतनी तेज आ जायगी। नहीं तो मैं अपने साधन अपने साथ लाती।

हालाँकि मेरे मन में तब तक मैडम के प्रति कोई गलत भावना पैदा नहीं हुई थी पर एकाएक उन्होंने सवाल दागा- सोचो कि यदि आज पानी ऐसा ही आता रहे और हमें इसी कमरे में रात गुजारनी पड़े तो क्या होगा?

मैं सकपका रह गया और इधर उधर देखने लगा कि अब क्या कहूँ?

यदि मैंने ऐसा-वैसा कुछ कहा तो पिटाई पक्की !

उन्होंने 2-3 बार पूछा…

मैंने कहा- मैडम, यदि ऐसा हुआ तो मैं गाँव में जाकर आपके लिए बिस्तर ले आऊँगा।

तो इस बात पर वो हंसने लगी और कहने लगी- आदित्य, तुम पूरे बेवकूफ हो !

मैंने उन्हें पहली बार हँसते हुए देखा था। एक-आध बार कहीं स्टाफ-रूम में जरूर देखा होगा पर कक्षा में कभी नहीं।

वो मेरे पास आकर बैठ गई और मेरी किताबें और कापियाँ देखने लगी और कहने लगी- लड़के अपनी कापी-किताबें कैसे रखते हैं? कितने बेकार तरीके से लिखते हो !

और वही तुनक-मिजाजी चालू…

मैंने बीच में टोकते हुए पूछ लिया- मैडम, आपको कैसे मालूम कि लड़के इतने बेकार कापी-किताब रखते हैं?

तो एक पल तो वो गुमसुम सी गई लेकिन उनके चेहरे से लग रहा था कि वो कहीं किसी को याद कर रही हैं क्योंकि उनकी जवानी भी हिल्लोरें ले रही थी और यौवन भी नहीं टूटा था।

धीरे-धीरे बात करते-करते जैसा हमेशा होता है, उन्होंने मुझे छूना चालू कर दिया। मैंने पहले अनाकानी की, फिर मेरे मन ने कहा- दोस्त शिकार खुद तेरे पास आया है, मौका मत छोड़ना…

अचानक उन्होंने कहा- तुम्हारे गले में यह माला किसकी है?
मैंने कहा- मेरे मम्मी ने दी है, गाँव में किसी तांत्रिक से बनवाई है।

फिर मैंने भी शरारत भरी निगाहों से पूछ लिया- आपके गले में जो माला है, यह क्या सर ने दी है?
वो एकदम सकपका गई !
मैं डर गया…

फिर उन्होंने राहत भरी मुस्कान के साथ कहा- नहीं, यह मैंने बनवाई है। और इस लोकेट मेरे मम्मी-पापा के फोटो हैं।

उन्होंने आगे होकर लोकेट में से मुझे फोटो दिखलाई। जब मैं लोकेट में फोटो देख रहा था तो मेरा ध्यान फोटो में कम और 38-26-36 के बदन पर ज्यादा था।

उन्होंने इसे भांप लिया, आखिर वो गुरु जो थी।

उन्होंने अचानक अपना हाथ मेरी पैंट की जेब पर रखा और पूछा- क्या है इसमें?

मैंने कहा- कुछ नहीं मैडम ! बस ऐसे ही !

मेरी पैंट की जेब में तम्बाकू का गुटखा था जो मेरे सीनियर ने मुझे दिया था।

मैडम ने पैंट में हाथ डाला तो उनके हाथ में गुटखा नहीं, मेरा लण्ड आ गया जो वो खुद चाहती थी।

जब उन्होंने लण्ड को पकड़ा तो तत्काल अपना हाथ बाहर निकाला और कहा- यह क्या है?

मैं घबरा गया, मेरी घिग्गी बंध गई, डर के मारे मेरे हाथ-पांव कांपने लगे।

मैं मैडम से नजर नहीं मिला पा रहा था और ना ही मैडम मुझसे !

दो मिनट ऐसे ही गुजर जाने के बाद मैंने अपने हाथों पर कुछ महसूस किया तो देखा कि मैडम का हाथ मेरे हाथ के ऊपर था और वो उसे बड़े प्यार से सहला रही थी।

मैं हाथ हटाने की कोशिश कर रहा था पर न चाहते हुए भी हाथ वहीं पर अटका हुआ था। फिर उन्होंने बड़े प्यार से कहा- आदित्य, दरवाजे और खिड़की बन्द कर दो। पानी बहुत तेज आ रहा है। पूरे कमरे में पानी भर जाएगा।

मैंने आगे कुछ पूछने की जरुरत नहीं समझी, मैं उनके इशारों को भांप गया था और उठ कर खिड़की और दरवाजे बन्द कर दिए और मैडम के पास आकर खड़ा हो गया…

उन्होंने मुझे बैठने को कहा तो मै। बैठ गया।

उन्होंने पूछा- क्या कभी किसी लड़की को अपना दोस्त बनाया है?

मैंने मना कर दिया और पूछा- आपने कभी किसी लड़के को अपना दोस्त बनाया है?

उन्होंने कहा- नहीं, आज पहली बार ऐसा मौका मिलेगा !

मैंने शरारत भरी निगाहों से पूछा- कैसे??

तो वो हंसने लगी और कहने लगी- बहुत शैतान हो…

धीरे धीरे ठण्ड के सरूर के साथ दोनों के शरीर में कंपकंपी चालू हो गई, बातों के दौर में कब उन्होंने मेरे हाथ को पकड़ कर मुझे अपनी बाहों में ले लिया मुझे पता ही नहीं चला…

फिर उन्होंने दो डेस्क साथ लगा ली और उसके ऊपर बैठ कर मुझे अपनी बाहों में ले लिया। मैं भी भूखे शेर की तरह उनके ऊपर चढ़ गया। हालाँकि मैंने इससे पहले केवल ब्लू फिल्मो में ऐसा देखा था।

फिर एकाएक उन्होंने मुझे अलग किया और खड़ी हो गई।

मैंने कहा- क्या हुआ मैडम?
उन्होंने कहा- आदित्य, यह ठीक नहीं है, यह गुरु-शिष्य की परम्परा के खिलाफ है !
और रोने लगी।

मैंने कहा- जैसी आपकी इच्छा मैडम !

शेष कहानी दूसरे भाग में !
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