जागी सी सोई सोई !-1

बात उन दिनों की है जब मेरा दाखिला कॉलेज में हुआ ही था। भैया अधिकतर काम के सिलसिले में बाहर ही रहते थे। उन्होंने अपने पास मुझे शहर में बुला लिया था। उनके आये दिन बाहर रहने से भाभी बहुत परेशान रहने लगी थी। ऐसे में वो मेरा साथ पाकर खुश हो गई थी।

भाभी को रात को सोते में बड़बड़ाने की आदत थी। कभी कभी तो वो रात को उठ कर चलने भी लगती थी। भैया भी इसकी वजह से बहुत परेशान रहते थे। इसी लिये जब वे बाहर रहते थे तो वो अपनी नौकरानी को अधिक वेतन दे कर रात को घर में ही सुलाते थे। पर मेरे आने से अब उन्हें आराम हो गया था।

तो आइए आपको मैं अब भाभी के विचित्र करनामे बताता ही। यह सब कपोल कल्पित नहीं है, वास्तविक है। कैसे अब हमारे बीच खुलापन आ गया था, और कैसे उनकी यह आदत छूट गई।

मैं भाभी के कमरे में एक कोने में अपना पलंग लगा कर सोता था, ताकि मैं उनकी हरकतों पर नजर रख सकूँ। एक रात को मेरी नींद अचानक ही खुल गई। मुझे अपने ऊपर एक बोझ सा महसूस हुआ। भाभी नींद में मेरे बिस्तर पर आ गई थी और जैसे मर्द औरत को चोदता है उस मुद्रा में वो मेरे ऊपर सवार थी। उन्होंने मेरे कूल्हों पर पूरा जोर डाल रखा था। उनकी सांसें मुझे अपनी गर्दन पर महसूस

होने लगी थी। उन्होंने चोदने की स्टाईल में अपने कूल्हे मेरे लण्ड पर मारना आरम्भ कर दिया था। शायद वो नींद में मुझे चोदने का प्रयास कर रही थी। मुझे तो मजा आने लगा था। मैंने उन्हें यह सब करने दिया।

तभी वो लुढ़क कर मेरी बगल में गिर सी गई और खर्राटे भरने लगी। शायद वो झड़ गई थी। मुझसे लिपट कर वो ऐसे सो गई जैसे कोई बच्चा हो।

मैंने धीरे-धीरे लण्ड मसल कर अपना लावा उगल दिया। ढेर सारे वीर्य से मेरा अण्डरवियर पूरा ही गीला हो गया। मैं तो भाभी को लिपटाये हुये उसी गीलेपन में सो गया।

सुबह जब उठा तो भाभी मेरे पास नहीं थी। पर मुझसे वो आंख भी नहीं मिला पा रही थी।
“गुल्लू, वो जाने मैं कैसे रात को आपके बिस्तर पर आ गई? देखो, अपने भैया को बताना नहीं!”
“अरे नहीं भाभी, ऐसी कोई बात नहीं थी, आप बस नींद में मेरे पास सो गई थी बस, और क्या?”
‘ओह, फिर ठीक है, प्लीज बुरा ना मानना, यह मेरी नींद में चलने की आदत जाने कैसे हो गई!”

मैंने भी सोचा कि बेचारी भाभी खुद ही परेशान है उसकी मदद ही करना चाहिए, सो मैंने उन्हें दिलासा दिया, और समझाया कि आप निश्चिन्त रहें, सब ठीक हो जायेगा।

पर अगली रात फिर से वही हरकत हुई। मैं रात को देर तक कोई सेक्सी कहानी पढ़ रहा था। मेरा लण्ड भी तन्नाया हुआ था। तभी वो उठी। मैं सतर्क हो गया। भाभी सीधे सोते हुए मेरी तरफ़ आने लगी।

मैं अपने लण्ड को दबा कर नीचे करने कोशिश करने लगा। पर हाय रे! वो तो और ही भड़क उठा।

वो सीधे मेरे बिस्तर पर आ गई और बिस्तर पर चढ़ गई। मैं हतप्रभ सा सीधा लेटा हुआ था। भाभी ने अपनी एक टांग ऊपर उठाई और मेरी जांघों पर चढ़ गई।

फिर वो ऊपर खिसक कर मेरे खड़े लण्ड पर बैठ गई और उसे अपनी चूत के नीचे दबा लिया। मेरे मुख से एक सुख भरी आह निकल गई। फिर वो मेरे ऊपर लेट गई और अपनी चूत को मेरे लण्ड पर घिसने लगी। तभी शायद वो झड़ गई, मैंने भी आनन्द के मारे लण्ड पर मुठ लगाई और अपना माल निकाल दिया।

भाभी एक बार फिर से मेरे से बच्चों की भान्ति लिपट कर गहरी निद्रा में चली गई।

मेरा मन खुश था कि चलो बिना किसी महनत के मेरे मन की अभिलाषा पूरी हो रही थी। भाभी ऊपर चढ़ कर मुझे आनन्दित करती थी, फिर बस मुझे अपना माल ही तो त्यागना था। भाभी रोज ही मुझसे पूछती थी कि उनके द्वारा मुझे कोई तकलीफ़ तो नहीं हुई। मैं उन्हें प्यार से बताता था कि भाभी के साथ सोना तो गहरे प्यार की निशानी है और बताता था कि वो मुझे कितना प्यार करती हैं।

भाभी मेरी बात सुन कर खुश हो जाया करती थी।

मेरे दिल में अब हलचल होने लगी थी। भाभी तो मेरे लण्ड के ऊपर अपनी चूत घिस-घिस कर झड़ जाती थी और मैं ? बिना कुछ किये बस नीचे पड़ा तड़पता रहता था।

आज मैंने सोच लिया था कि मजा तो मैं पूरा ही लूँगा।

मैं रात को देर तक भाभी का इन्तज़ार करता रहा। पर आज वो नहीं उठी। मैं उनकी आस में बस तड़पता ही रह गया। दिन भर मैं यह सोचता रह गया कि आज क्या हो गया? आज क्यों नहीं उठी वो ?

अगली रात को भी मैं देर तक जागता रहा। आज भाभी रात को नींद में उठी। मैं चौकन्ना हो गया। मैंने तुरन्त अपना पजामा और बनियान उतार दिया, बिल्कुल नंगा हो कर सीधा लेट गया। लण्ड चोदने के लिये उत्सुकता से भर कर कड़क हुआ जा रहा था।

भाभी जैसे ही मेरे बिस्तर पर चढ़ी, मैंने जल्दी से उनका पेटिकोट ऊपर कर दिया। उनकी नंगी चूत की झलक सी मिल गई। मेरी नंगी जांघों पर उनके नंगे नितम्ब मुलायम सी गुदगुदी करने लगे।

फिर उन्होंने अपनी चूत उठाई, मैंने अपने लण्ड को हाथ से सीधा पकड़ लिया और भाभी के बैठने का इन्तज़ार करने लगा। जैसे ही वो नीचे बैठने लगी, मैंने लण्ड को सीधा कर चूत के निशाने पर साध लिया। भाभी ने धीरे से अपनी चूत को मेरे लण्ड पर रख दिया। गीली चूत ने लण्ड पाते ही उसे अपनी गुफ़ा में ले लिया। मैं एक असीम सुख से भर गया।

अब मुझे नहीं, सभी कुछ भाभी को करना था। मुझे आज एक अति-सुखदायक आनन्द की प्राप्ति हो रही थी। भाभी के धक्के मेरे लण्ड को मीठी गुदगुदी से भर रहे थे। मैं भी अब जोश में आ कर नीचे से लण्ड को उछाल कर उनकी योनि में अन्दर-बाहर करने में भाभी को सहयोग दे रहा था।

इस सब कार्य में मैंने नोट किया कि भाभी की आँखें बन्द ही थी।

फिर मुझे लगा कि जैसे वो झड़ गई है। वो मेरी बगल में ढुलक कर लेट गई और खर्राटे भरने लगी। मुझ से अब सहन नहीं हो पा रहा था। मैंने भाभी को सीधा लेटाया और मैं उनके ऊपर भाभी की टांगें चौड़ी करके बैठ गया। फिर अपना कड़क लण्ड चूत में घुसा दिया। पहले तो धीरे धीरे उन्हें चोदता रहा फिर जैसे मुझ पर कोई शैतान सवार हो गया। मैंने भाभी के स्तन भींच लिये। मैं पूरी तरह से उन पर लेट गया और उन्हें चोदने लगा।

मैंने महसूस किया कि भाभी के मुख से भी आनन्द भरी सिसकारियाँ फ़ूट रही हैं, उनके होंठ थरथरा रहे हैं, उनके जिस्म में कसावट भर रही थी। भाभी मेरी कमर को अपनी तरफ़ खींचने लगी थी।

मैंने उन्हें देखा तो उनकी बड़ी बड़ी आँखें…

कहानी जारी रहेगी!
गुल्लू जोशी
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top