विज्ञान से चूत चुदाई ज्ञान तक-2

(Vigyan se Choot Chudai Gyan Tak-2)

पिंकी सेन 2014-12-21 Comments

This story is part of a series:

अनुजा- ये असली विज्ञान है.. रात को अपने कमरे में कुण्डी लगा कर सारे कपड़े निकाल कर इस किताब को पढ़ना.. और कल शाम को आ जाना.. बाकी सब कल समझा दूँगी।

दीपाली- सारे कपड़े निकाल कर.. नहीं दीदी, मुझे शर्म आ रही है।

अनुजा- अरे पगली मैं किसी के सामने नंगी होने को नहीं बोल रही हूँ.. अकेले में ये करना है और नहाते वक्त क्या कपड़े पहन कर नहाती हो जो इतना शर्मा रही हो? पास नहीं होना है क्या?

दीपाली- सॉरी दीदी.. जैसा आपने कहा, वैसा कर लूँगी।

दीपाली वहाँ से अपने घर चली जाती है।

रात को 10 बजे खाना खाकर दीपाली अपने कमरे में चली जाती है।

उसने हल्के हरे रंग की नाईटी पहनी हुई थी..
वो शीशे के सामने खड़ी होकर अपने आपको देखने लगती है।
उसके दिमाग़ में अनुजा की कही बातें घूम रही थीं।

दीपाली ने अपनी नाईटी निकाल कर रख दी अब वो ब्रा-पैन्टी में थी..
उसके चूचे ब्रा से बाहर निकलने को मचल रहे थे।

गोरा बदन शीशे के सामने था.. जिसे देखकर शीशा भी शर्मा रहा था।

पैन्टी पर चूत की जगह गीली हो रही थी.. शायद दीपाली कुछ ज़्यादा ही अनुजा की बातें सोच रही थी।

दोस्तो, इस बेदाग जिस्म पर काली ब्रा-पैन्टी भी क्या सितम ढा रही थी।

इस वक़्त कोई ये नजारा देख ले तो उसका लौड़ा पानी छोड़ दे।

दीपाली- ओह्ह.. दीदी अपने सच ही कहा था कि अपने नंगे बदन को शीशे में देखो.. मज़ा आएगा।

कसम से वाकयी में.. मेरे पूरे जिस्म में आग लग रही है.. बड़ा मज़ा आ रहा है।

दीपाली ने कमर पर हाथ ले जाकर ब्रा का हुक खोल दिया और अपने मचलते चूचे आज़ाद कर दिए।

सुई की नोक जैसे नुकीले चूचे आज़ाद हो गए दोस्तों दीपाली के निप्पल हल्के भूरे रंग के.. एकदम खड़े हो रहे थे।

अगर कोई गुब्बारा इस समय उसकी निप्पल को छू जाए तो उसकी नोक से फूट जाए।

अब दीपाली का हाथ अपनी पैन्टी पर गया वो धीरे-धीरे उसको जाँघों से नीचे खिसकने लगी और उसकी चूत ने अपना दीदार करवा दिया।

उफ़फ्फ़ क्या.. बताऊँ आपको.. सुनहरी झाँटों से घिरी उसकी गुलाबी चूत.. जो किसी बरफी की तरह नॉकदार और फूली हुई थी।

आज़ाद हो गई दोस्तो, उसकी चूत से रस निकल रहा था.. जिसके कारण उसकी फाँकें चमक रही थीं और हल्की-हल्की एक मादक
खुशबू आने लगी।

दीपाली ने अपने चूचों पर हाथ घुमाया और धीरे-धीरे अपनी चूत तक ले गई।

उसकी आँखें बंद थीं और चेहरे के भाव बदलने लगे थे।

इससे साफ पता चल रहा था कि उसको कितना मज़ा आ रहा होगा। थोड़ी देर दीपाली वैसे ही अपने आपको निहारती रही और उसके बाद गंदी कहानी की किताब लेकर बिस्तर पर पेट के बल लेट गई और कहानी पढ़ने लगी।

वो कहानी दो बहनों की थी कि कैसे बड़ी बहन अपने बॉय-फ्रेंड से चुदवाती है और अपनी छोटी बहन के साथ समलैंगिक सम्बन्ध बनाती है..
आख़िर में उसका बॉय-फ्रेंड उसकी मदद से उसकी छोटी बहन की सील तोड़ता है।

कहानी पढ़ते-पढ़ते ना चाहते हुए भी दीपाली का हाथ चूत पे जा रहा था और वो कभी सीधी.. कभी उल्टी हो कर किताब पढ़ रही थी और चूत को रगड़ रही थी।
करीब आधा घंटा तक वो किताब पढ़ती रही और चूत को रगड़ती रही।

दोस्तो, दीपाली तो चुदाई से अंजान थी.. मगर ये निगोड़ी जवानी और बहकती चूत तो सब कुछ जानती थी..
हाथ के स्पर्श से चूत एकदम गर्म हो गई और दीपाली कामवासना की दुनिया में पहुँच गई।

अब उसकी चूत किसी भी पल लावा उगल सकती थी। उसको ये सब नहीं पता था.. बस उसे तो असीम आनन्द की प्राप्ति हो रही थी।
वो ज़ोर-ज़ोर से चूत को मसलने लगी और बड़बड़ाने लगी।

दीपाली- आह.. आह.. दीदी उफ़फ्फ़ आपने ये कैसी कहानी की किताब दे दी आहह.. मेरी फुननी तो.. नहीं.. नहीं… अब इसे चूत ही कहूँगी.. आआ.. आह मेरी चूत तो जलने लगी है आहह.. हाथ हटाने को दिल ही नहीं कर रहा.. उफफफ्फ़ उउउ आआहह..

दीपाली अपने चरम पर आ गई.. तब उसने पूरी रफ्तार से चूत को मसला और नतीजा आप सब जानते ही हो.. पहली बार दीपाली की चूत ने वासना को महसूस करके पानी छोड़ा।

दोस्तो, कुछ ना जानने वाली दीपाली ने रात भर में पूरी किताब पढ़ डाली और 3 बार बिना लौड़े के अपनी चूत से पानी निकाला और थक-हार कर नंगी ही सो गई।

सुबह दीपाली काफ़ी देर तक सोती रही उसकी मम्मी ने उसे जगाया.. तब वो जागी आज वो बड़ा हल्का महसूस कर रही थी और उसके चेहरे की ख़ुशी साफ बता रही थी कि रात के कार्यक्रम से उसको बड़ा सुकून मिला है।

नहा-धो कर वो स्कूल चली गई.. रोज की तरह आज भी कुछ लड़के गेट पर उसके आने का इंतजार कर रहे थे ताकि उसकी मटकती गाण्ड और उभरे हुए चूचों के दीदार हो सकें।

रोज तो दीपाली नज़रें झुका कर चुपचाप चली जाती थी.. मगर आज उसने सबसे नज़रें मिला कर एक हल्की मुस्कान सबको दी और गाण्ड को हिलाती हुई अपनी क्लास की तरफ़ चली गई।

दीपक- उफ़फ्फ़ जालिम.. आज ये क्या सितम ढा गई मुझपे.. साला आज सूरज कहाँ से निकला था.. मेरी जान ने आज नज़रें मिलाईं भी और हँसी भी।

सोनू- हाँ यार क्या क़ातिल अदा के साथ मुस्कुराई थी.. मेरा तो दिल करता है.. अभी उसके पास जाकर कहूँ.. आ सेक्स की देवी.. अपने इन मखमली होंठों से छूकर मेरे लौड़े को धन्य कर दो।

दीपक- अबे साले चुप.. मैं तो ये कहूँगा कि आ स्वर्ग की अप्सरा.. एक बार मेरे लौड़े को अपनी चूत और गाण्ड में लेकर मेरा जीवन सफल कर दो।

मॅडी- चुप भी करो सालों.. हवस के पुजारियों.. वो आज हँसी.. इसका मतलब हम में कोई तो है.. जिससे वो फंसी.. अब पता लगाना होगा कि वो सेक्स बॉम्ब किसके लौड़े पर फटेगा।

तीनों खिलखिला कर हँसने लगते हैं।

दोस्तों इन के बारे में आपको बताने की जरूरत नहीं..
आप खुद जान गए होंगे कि ये दीपाली के साथ ही स्कूल में पढ़ते हैं। बाकी की जानकारी जब इनका खास रोल आएगा तब दे दूँगी।
फिलहाल स्टोरी पर ध्यान दो।

दीपाली का दिन एकदम सामान्य गया.. विकास सर ने भी उससे कुछ बात नहीं की।

वो आज बहुत खुश थी।
हाँ इसी बीच वो तीनों मनचले जरूर उससे बात करने को मचलते रहे।
मगर दीपाली ने उनको भाव नहीं दिया, शाम को उसी वक़्त दीपाली पढ़ने के बहाने अनुजा के घर की ओर निकल गई।

दीपाली ने आज गुलाबी से रंग की एक चुस्त जींस और नीली टी-शर्ट पहनी हुई थी।
उसको देख कर रास्ते में ना जाने कितनों की ‘आह’ निकली होगी और क्या पता कौन-कौन आज उसके नाम से अपना लौड़ा शान्त करेगा।

अनुजा- अरे आओ आओ.. दीपाली बैठो आज तो बहुत खिली-खिली लग रही हो।

दीपाली- क्या दीदी आप भी ना…

अनुजा- मैंने कल क्या समझाया था.. तुझे शर्म को बाजू में रख कर मुझसे बात किया करो.. ओके.. चल, अब बता कल क्या-क्या किया और स्टोरी कैसी लगी?

दीपाली इधर-उधर नज़रें घुमाने लगी।

अनुजा- अरे इधर-उधर क्या देख रही है..? बता ना…

दीपाली- वो सर कहीं दिखाई नहीं दे रहे?

अनुजा- क्यों कल का सारा किस्सा विकास को बताएगी क्या.. वो बाहर गए हैं.. चल अब बता…

दीपाली का चेहरा शर्म से लाल हो गया मगर फिर भी उसने हिम्मत करके रात की सारी बात अनुजा को बता दी।

अनुजा- अरे वाहह.. क्या बात है पहली बार में ही तूने हैट्रिक मार दी.. चल अच्छा किया.. अब बता तुझे क्या समझ नहीं आया?

दीपाली- दीदी स्टोरी तो मस्त थी.. मगर उसमें बहुत सी बातें मेरे ऊपर से निकल गईं.. जैसे आज तो तेरी सील तोड़ दूँगा.. अब ये सील क्या होती है और हाँ.. एक जगह लिखा था आज तेरे रसीले चूचों का सारा रस पी जाऊँगा.. दीदी ये चूचे तो समझ आ गए.. मगर इनमें रस कहाँ होता है?

अनुजा के चेहरे पर एक कामुक मुस्कान आ गई।

अनुजा- अरे मेरी मासूम बहना.. सील का नहीं पता.. अब सुन तेरी चूत में अन्दर एक पतली झिल्ली है.. उसे सील कहते हैं… जब पहली बार लौड़ा चूत में जाता है ना.. तब लौड़े के वार से वो झिल्ली टूट जाती है। उसी को सील तोड़ना कहते हैं।

दीपाली- ओह्ह.. अच्छा और रस?

अनुजा- तू सुन तो सही यार.. देख जब लड़का मम्मों को चूसता है.. यानी निप्पल को चूसता है तब उसमें से आता कुछ नहीं मगर उसको और लड़की को मज़ा बहुत आता है.. बस लड़का उसी को रस कहता है।

दीपाली- अच्छा ये बात है.. मगर सच कहूँ अब भी ये बात मेरी समझ के बाहर है।

अनुजा- मेरी जान ऐसे तो तू कभी कुछ नहीं सीख पाएगी.. देख इसका आसान तरीका यही है कि मैं तुम्हें प्रेक्टिकल करके समझाऊँ तभी तू कुछ समझ पाएगी।

दीपाली- हाँ दीदी ये सही रहेगा।

अनुजा- तो चल कमरे में चल कर अपने सारे कपड़े निकाल.. मैं भी नंगी हो जाती हूँ, तभी मज़ा आएगा।

दीपाली- छी.. नहीं दीदी.. मुझे बहुत शर्म आ रही है… मैं आपके सामने बिना कपड़ों के कैसे आऊँगी?

अनुजा- अरे यार तू तो ऐसे शर्मा रही है जैसे मैं कोई लड़का होऊँ? यार.. मैं भी तो नंगी हो रही हूँ ना.. और तेरे पास ऐसा क्या है जो मेरे पास नहीं है.. अब चल।

बेचारी दीपाली क्या बोलती.. चल दी उसके पीछे-पीछे।

कमरे में जाकर अनुजा ने कहा- तू दो मिनट यहीं बैठ मैं अभी आई।

इसके आगे क्या हुआ जानने के लिए पढ़ते रहिए और आनन्द लेते रहिए..
मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें।
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