संगीता आंटी ने मेरा लण्ड चूसा

(Sangita Aunty Ne Mera Lund Chusa)

अमन कूल 2015-05-06 Comments

दोस्तो, आज मैं आपको अपने जीवन में घटी वह घटना बताने जा रहा हूँ.. जो आज से पहले मैंने किसी के भी साथ कभी भी शेयर नहीं की और शायद कभी दोबारा शेयर भी नहीं करूँगा।
मैं अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूँ। मैं सोचता था कि साइट पर पोस्ट की गई अधिकतर कहानियाँ काल्पनिक होती हैं.. ऐसा तो कभी वास्तविक जीवन में हो ही नहीं सकता.. पर एक साल पहले घटी एक घटना ने तो मेरी सारी सोच ही बदल कर रख दी।

मैं अन्तर्वासना का बहुत-बहुत आभारी हूँ.. जो उन्होंने मुझे अपने जीवन में घटी.. यह सुखद घटना को आप सबके साथ शेयर करने का मौका प्रदान किया।

कहानी बताने से पहले मैं आपको अपने बारे में कुछ बताना चाहूँगा। मैं भोपाल मध्यप्रदेश का निवासी हूँ.. मैं 25 साल का एक आकर्षक युवक हूँ.. बीस साल की उम्र से ही मैंने जिम जाना आरम्भ कर दिया था.. जिससे मेरा जिस्म नवयुवतियों और महिलाओं को पहली बार में ही लुभा लेता है।

यह बात सिर्फ़ एक साल पुरानी है.. जब मैं रात के लगभग 8 बजे जिम से वापस लौटा.. तो मेरे घर पर ताला लगा हुआ था। मैंने बाजू वाली संगीता आंटी के घर जाकर पूछा कि शायद मेरी माँ चाभी उनको दे गई हों.. पर उन्होंने मुझे यह कहते हुए इनकार कर दिया कि चाभी उनके घर पर नहीं है।

मैंने आंटी से कहा- ठीक है आंटी.. मैं पास में ही अपने दोस्त के घर पर होकर आता हूँ।
उन्होंने मुझसे कहा- बहुत दिनों बाद तो घर आए हो.. कम से कम चाय तो पीकर जाओ.. वैसे भी ठंड बहुत हो रही है।
तो मैंने भी उन्हें चाय के लिए ‘हाँ’ कर दी।

तभी मैंने आंटी से पूछा- घर पर कोई दिख नहीं रहा है?
तो उन्होंने बताया- हाँ.. मेरी बेटी आज अपनी मौसी के घर गई है.. वो सुबह तक वापस आ जाएगी और तुम्हारे अंकल ऑफिस के काम से भोपाल गए हुए हैं।

आंटी रसोई की खिड़की से बात करते हुए चाय बनाती जा रही थीं.. तभी अचानक उनके घर की गैस खत्म हो गई.. तो उन्होंने मुझसे पूछा- क्या तुम दूसरे कमरे से भरा हुआ गैस सिलिंडर उठाकर रसोई में रख दोगे?
मेरे लिए तो यह बाएँ हाथ का खेल था.. मैंने फ़ौरन उन्हें ‘हाँ’ कह दिया।

जब मैं सिलिंडर उठाकर रसोई में लाया तो चूँकि जिम से तुरंत लौटने की वजह से मेरे डोले बहुत ही फूल गए थे तो उन्होंने मेरी बांहों पर हाथ लगाकर देखा और कहा- वाह तुम्हारे डोले तो वाकयी बहुत शानदार हो गए हैं.. कोई भी लड़की इन पर फिदा हो जाएगी।

मैंने आंटी से इस तरह के बर्ताव की कभी भी उम्मीद नहीं की थी.. चूँकि वो हमेशा बहुत कम बात किया करती थीं व शांत रहती थीं।

मैंने थोड़ा सा झेंपते हुए जवाब दिया- क्यों मज़ाक कर रही हैं आप.. मेरी तो आज तक एक भी गर्ल-फ्रेंड नहीं है।
तो उन्होंने मुस्कुराकर कहा- ऐसा हो ही नहीं सकता कि इतने स्मार्ट लड़के की कोई गर्ल-फ्रेंड ना हो।
पर मैंने दोबारा उन्हें ज़ोर देकर कहा- वाकयी मेरी अभी तक कोई गर्ल-फ्रेंड नहीं है।

उसी बीच हम दोनों मिलकर नया सिलिंडर लगा रहे थे कि अचानक.. अंजाने में मेरा हाथ उनके वक्ष पर लग गया.. तो एक पल के लिए वो एकदम ठिठक सी गईं।
मैंने उन्हें इस ग़लती के लिए कई बार ‘सॉरी’ बोला.. तो वो हँसने लगीं और बोलीं- इसमें ‘सॉरी’ की क्या बात है.. तुमने कोई जान बूझकर थोड़े ही ऐसा किया है.. यह तो मेरी वजह से हुआ है।

मुझे उनकी बात कुछ समझ में नहीं आई तो मैंने उनसे पूछा- आपकी वजह से कैसे?
उन्होंने इठलाते हुए कहा- मैं ही तुम्हारे कुछ ज़्यादा करीब आ गई थी।
फिर अचानक उन्होंने हंसते हुए मुझसे कहा- इतने हैण्डसम होते हुए भी.. इसीलिए तो तुम्हारी आज तक कोई गर्ल-फ्रेंड नहीं बनी..

मैं चुप था।
थोड़ी देर रुककर वो अचानक मुझसे बोलीं- आज तक तुमको मेरी आँखों की भाषा नहीं समझ में आई?

मैं तो अचानक मिले इस उत्तर से एकदम सकपका सा गया। अब मैंने अपने आपको संभालते हुए कहा- मुझे आपकी बातें आज बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रही हैं।

तो उन्होंने बताया- मैं तुम्हें पिछ्ले दो सालों से बहुत पसंद करती आई हूँ और हमेशा तुम्हारे साथ कुछ वक्त बिताने के बारे में सोचती रहती हूँ.. पर तुमने कभी मेरी आखों की भाषा को समझा ही नहीं.. और शायद अभी भी अगर में नहीं बताती.. तो तुम कुछ भी नहीं समझते..

मैं तो बस हैरानी से उनका चेहरा ही देखे जा रहा था..
फिर अचानक उन्होंने मुझसे पूछा- कुछ समझे कि नहीं बुद्धू?

अब मामला मेरी समझ में आ रहा था.. पर फिर भी मैंने अंजान बनते हुए कहा- मुझे आपकी बातें बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रही हैं।
तो उन्होंने गुस्से में मुझसे कहा- शायद इसीलिए तुम्हारी अभी तक कोई गर्ल-फ्रेंड नहीं है.. तुमको लड़कियों की भावनाएँ भी समझ में नहीं आती हैं।

अब मैंने थोड़ा शरमाते हुए जवाब दिया- मैंने कभी भी आपके बारे में ऐसी बात सोची ही नहीं और वैसे भी आपकी शादी हो चुकी है.. आपके बच्चे हैं.. मैं भला आपके बारे में ऐसा कैसे सोच सकता हूँ?
यह सब तो मैं ऐसे ही बोल रहा था जबकि नीचे लोवर के अन्दर मेरा लण्ड तंबू बना जा रहा था।

शायद उन्होंने भी ये नोटिस कर लिया था.. फिर भी उन्होंने उसे अनदेखा करते हुए कहा- क्या जिनकी शादी हो जाती है.. उनका दिल नहीं होता? क्या कोई शादी-शुदा औरत किसी से प्यार नहीं कर सकती..? और रही बात तुम्हारी.. तो मुझे भी पता है कि तुम मुझे अक्सर तिरछी निगाहों से देखते रहते हो.. तुमने मुझे छुप-छुप कर कई बार छत से नहाते हुए देखा है और अब बड़े सीधे बन रहे हो.. और तुमको शायद ये नहीं पता कि मोहल्ले की अधिकतर शादी-शुदा औरतें तुम पर फिदा हैं.. हम लोग जब भी गपशप करते हैं.. तो तुम्हारी बात ज़रूर करते हैं।

अब तो मुझे भी अपने आप पर कुछ-कुछ गर्व होने लगा था.. पर आंटी की बातें सुनकर डर भी लग रहा था कि कहीं वो छत से छुप-छुप कर नहाते हुए देखने वाली बात.. मेरी माँ से ना बोल दें।

अब मैं अब एकदम चुपचाप हो गया।

पर आंटी अभी भी मुझे देखकर मुस्करा रही थीं। फिर वो चाय और बिस्किट लेकर आईं और मेरे बगल में बैठ गईं और मुझे चाय देते हुए बोलीं- चिंता मत करो.. मुझे अपना दोस्त समझो.. मैं तुम्हारी मम्मी से कुछ भी नहीं बोलने वाली हूँ। अगर मुझे बोलना ही होता.. तो मैं कब का तुम्हारी शिकायत कर चुकी होती।

आंटी और मैं एक ही सोफे पर बैठे थे और उनके गहरे गले वाले ब्लाउज में से उनके 38 साइज़ के दूध देखकर तो मुझे अब बिल्कुल भी अपने आप पर कंट्रोल नहीं हो रहा था।
फिर भी मैं किसी तरह अपने तंबू बने लण्ड को छुपाने की कोशिश कर रहा था। शायद वो ये सब जानबूझ कर कर रही थीं और अचानक बात करते-करते उन्होंने अपना एक हाथ मेरी जाँघों पर रख दिया।

उनके इस व्यवहार से मैं एकदम सकपका गया और इसी घबराहट में मेरे हाथ से चाय का कप गिर गया।
थोड़ी सी चाय मेरे ऊपर ही गिर गई और चाय गरम होने की वजह से मुझे जलन होने लगी थी।
आंटी भी अब थोड़ा सा घबरा गई थीं.. मैंने उनसे पूछा- क्या मैं आपका बाथरूम यूज़ कर सकता हूँ?

तो वो तुरंत मुझे अन्दर लेकर गईं और बोलीं- लाओ.. मैं पानी से जल्दी से धो देती हूँ.. वरना ज़्यादा जलन होगी।
तो मैंने कहा- नहीं मैं साफ कर लूँगा।

पर उन्होंने ज़िद करते हुए मेरा हाथ पकड़ लिया और बोलीं- यह सब मेरी वजह से ही हुआ है.. लाओ मुझे साफ करने दो।
अब की बार मैं कुछ भी नहीं बोला.. वो मेरे लोवर के ऊपर से पानी डाल-डाल कर चाय का दाग मिटाने लगीं।

उनके हाथ लगते ही मेरा लण्ड एक बार फिर लोवर फाड़ कर बाहर आने को बेताब होने लगा। अब उन्होंने अचानक से मेरा लोवर नीचे कर दिया और मेरी जाँघों पर ठंडा पानी डाल कर धोने लगीं।

अब तो मेरा हाल बहुत ही बुरा हो रहा था.. तभी उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा- लाओ तुम्हारे अंडरवियर के अन्दर भी जलन हो रही होगी.. उसे भी धो देती हूँ।

मेरे कुछ कर पाने के पहले ही उन्होंने मेरा लण्ड पकड़ लिया और उसे बाहर निकाल कर ठंडे पानी से धोने लगीं।
अब तो मुझे अपने आप पर ही होश नहीं था क्योंकि ज़ीवन में पहली बार किसी ने मेरा लण्ड पकड़ा था और वो भी उसी ने.. जिसे नहाता हुआ देख-देख कर मैं मुठ मारा करता था।

मेरे लण्ड को हाथ में लेकर वो बड़े प्यार से मुझसे बोलीं- तुम्हारा लण्ड तो बहुत बड़ा हो गया है.. मैंने इतने बड़े की कल्पना नहीं की थी।
मैंने शरमाते हुए कहा- आंटी पानी बहुत ठंडा है और मुझे बहुत ठंड लग रही है.. आपने तो मुझे पूरा ही गीला कर दिया है।
तो वो नशीली आवाज में बोलीं- अगर ठंड लग रही है.. तो कोई बात नहीं.. मैं गरम कर दूँगी।
अब उन्होंने मुझे उसी अवस्था में मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे रसोई में ले गईं।

उधर उन्होंने मेरा अंडरवियर पूरा उतार दिया और मुझे प्लेटफार्म के ऊपर बैठने को कहा। मैं तो जैसे मन्त्रमुग्ध था.. मैं रसोई के प्लेटफार्म पर अभी बैठा ही था कि अचानक वे मेरा लण्ड मुँह में लेकर चूसने लगीं।
मैंने कहा- आप ये क्या कर रही हैं.. ये सही नहीं है।
तो उन्होंने अपना एक हाथ मेरे मुँह पर रखते हुए कहा- चुप रहो.. कुछ भी मत बोलो.. तुमको ठंड लग रही है ना… तो पहले मुझे तुम्हारी ठंड दूर करने दो.. वरना सर्दी लग जाएगी।

अब तो मैं एकदम मस्त हो गया था। ऐसा आनन्द मुझे अपने ज़ीवन में कभी नहीं आया था.. जैसा सिर्फ़ उनके चूसने में आ रहा था।
लगभग दो-तीन मिनट तक वो ऐसे ही मेरा लण्ड चूसती रहीं.. फिर बोलीं- लाओ अब इस पर दवाई भी लगा देती हूँ।
अब वे फ्रिज में रखी हुई शहद की बोतल निकाल लाईं और ढेर सारा शहद अपने हाथों में लेकर.. उसे मेरे लण्ड पर लगा दिया।
फिर उन्होंने मेरी टी-शर्ट को भी उतार दिया और मेरे निप्पलों पर भी ढेर सारा शहद लगा दिया।
अब वे सीधे खड़े होकर मेरे निप्पलों को चूसने लगीं।

मेरे मुँह से अजीब-अजीब सी आवाजें निकलने लगीं.. जैसा मैंने अभी तक सिर्फ़ ब्लू-फिल्मों में ही देखा था।
मेरा अपने आप पर बिल्कुल भी कंट्रोल नहीं रह गया था.. वो इतने प्यार से कभी मेरा बांया निप्पल चूसतीं.. तो कभी दांया..
मैंने भी अब बेधड़क होकर उनके ब्लाउज में हाथ डाल दिया और उनके बड़े-बड़े और मुलायम दूध को मसलने लगा उनके मम्मों का स्पर्श पाकर तो मेरी उत्तेजना दोगुनी हो गई।

अब वो धीरे-धीरे मेरे गले और पेट को चूमते हुए नीचे की तरफ आने लगीं और साथ ही साथ मुझ पर शहद भी उड़ेले जा रही थीं।
उन्होंने अपना ब्लाउज उतार कर फेंक दिया और मेरे लण्ड को अपने निप्पलों पर रगड़ने लगीं और अपने दोनों मम्मों के बीच में मेरे लण्ड को फंसाकर रगड़ने लगीं।
मैं तो अपने आपको जन्नत में महसूस कर रहा था।

कुछ ही पलों में वो घुटने के बल बैठ गईं और बड़े ही प्यार से मेरा लण्ड चूसे जा रही थीं.. जैसे कि कोई बच्चा लॉलीपॉप चूसता हो।
मैंने उनसे कहा- आंटी मैं झड़ने वाला हूँ.. प्लीज़ मुझे छोड़ दीजिए।
तो उन्होंने और ताक़त से मुझे जकड़ लिया और बोलीं- मैं बहुत दिनों से प्यासी हूँ.. आज मेरी प्यास बुझा दो.. मेरा मुँह अपने वीर्य से भर डालो..

उनकी ऐसी बातों ने मेरी उत्तेजना को और भड़का दिया और मैंने अपने दोनों हाथों से उनका सिर पकड़कर ज़ोर-ज़ोर से झटके देने लगा और दस-पन्द्रह झटकों के बाद अपने वीर्य से उनका मुँह भर दिया।
उन्होंने बड़े प्यार से सारा का सारा वीर्य पी लिया और फिर मेरे लण्ड पर से सारा वीर्य भी चाट पोंछ्कर साफ़ कर दिया।

फिर किसी मलाई चाट कर हटी बिल्ली की तरह अपने होंठों पर अपनी लपलपाती जुबान फेरते हुए मादक अंदाज में बोलीं- वाकयी तुम्हारा वीर्य भी तुम्हारी तरह ही मीठा है।

मैं मन्त्र-मुग्ध सा.. लस्त-पस्त सा उन्हें चुदासी नजरों से देख रहा था।
फिर वो बोलीं- अब मुझे भी खुश कर दो।

वो मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बेडरूम में ले जाने लगीं.. तभी दरवाजा की घंटी बज गई।
मैं तो एकदम ही घबरा गया कि कौन आ गया.. तो उन्होंने मुझे संभालते हुए कहा- तुम फिक्र मत करो.. और जाकर बाथरूम में छुप जाओ.. मैं देखती हूँ.. कौन है बाहर जाकर?
उन्होंने देखा.. तो दरवाजे पर मेरी माँ खड़ी थीं.. जोकि घर की चाभी लेने के लिए आई थीं।
आंटी ने उनको अन्दर से चाभी लाकर दे दी।
मेरी माँ ने उनसे मेरे बारे में पूछा कि क्या मैं आया था तो उन्होंने झूठ बोल दिया- नहीं.. वो तो अभी नहीं आया।

मेरी माँ घर की चाभी लेकर चली गईं। माँ के जाते ही मैंने बाहर निकल कर आंटी से कहा- अब मुझे जाना होगा.. वरना मेरी माँ को शक हो जाएगा कि मैं इतनी देर से कहाँ घूम रहा हूँ।
तो उन्होंने मुझसे कहा- अभी मुझको तो संतुष्टि मिली ही नहीं..
मैंने उन्हें फिर किसी दिन जी भर कर संतुष्ट कर देने का वादा किया और चुपचाप वहाँ से अपने घर चला आया।

तो दोस्तो, यह थी मेरी जीवन की असली घटना जिसने मुझे असीम सुख दिया.. पर आगे भी अभी बहुत कुछ बाकी था.. जो मैं आपको अपनी अगली कहानी में बताउँगा।

मेरे प्रिय मित्रों आपको मेरे जीवन में घटी यह घटना कैसी लगी। मुझे मेल करके ज़रूर बताएँ।
[email protected]

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