पहले बुर चुदाई फिर नौकरी

राज मालिक 2015-04-01 Comments

Pahle Bur Chudai Fir Naukri

दोस्तो, मैं छोटी काशी नगरी यानि भिवानी, हरियाणा का निवासी हूँ। मेरा नाम राज मलिक है, मेरे जीवन की पहली कहानी आप सभी के समक्ष रख रहा हूँ।

मैंने पहले कभी चूत का स्वाद नहीं लिया था। मैं हमेशा अपने ब्लॉक की लड़कियों और भाभियों के जिस्मों को आँखों से नाप कर रात को सपनों में अपने बिस्तर में पाता था और सुबह लंड महाराज कच्छे में ही विसर्जित हो जाते थे।

बीए करने के बाद मैं बेराजगार था। जिसके बाद काम की तलाश में मैं इधर-उधर भटक रहा था। रोजगार की तलाश में मेरा हिसार जाना हुआ। मैं जैसे ही हिसार स्टेशन पर उतरा.. तो स्टेशन पर भीड़ में मेरे आगे चल रही नवयुवती के सीने पर जा लगा.. तभी पीछे से अधिक भीड़ का दबाव होने के कारण मेरा हाथ उसके सीने पर दब गया।

जिदंगी में पहली बार किसी युवती के जिस्म को छूने से मेरे शरीर में सिरहन सी दौड़ गई और मेरा आठ इंच लम्बा लवड़ा भी पैंट में अपना फन उठाने लगा। इसी दौरान जिस नवयुवती के सीने पर मेरा हाथ का दबाव था। उसने पीछे मुड़ कर देखा तो मेरे होश उड़ गए कि कहीं अभी एक चमाट ना मुँह पर आकर लगे।

लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ बल्कि इसके उलट उसने एक प्यारी सी मुस्कान मेरी तरफ उछाली। युवती की तरफ से हरी झंडी देख कर मेरा जोश बढ़ गया। मैं उसे अब अनजान महिला ना मान कर.. अपनी ही प्रोपर्टी मान चुका था और अब दोनों हाथों से उसके शरीर को जकड़े हुए था।

इधर दूसरी ओर मेरे लौड़े महाराज भी अपना फन उठा चुके थे और उस अनजान नवयुवती की गुदा के सुराख पर अपना आसन जमाए हुए थे.. जो कि पीछे से लगने वाले धक्कों से उस गुफा में प्रवेश करने का भरसक प्रयास कर रहे थे। इस वक्त मैं पूरे जोश में था.. साथ ही मेरा जोश उस समय दुगना हो जाता था.. जब वह युवती बीच-बीच में मेरे लौड़े को हिला कर अपने सही स्थान पर सैट करवा रही थी।

मैं बार-बार उसे नवयुवती इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि मैं उसका नाम नहीं जानता था।

फिर मैंने एक हाथ उसके शरीर से हटाया और अपने लौड़े को पैंट की बैल्ट की तरफ मोड़ लिया.. क्योंकि हम गेट के नजदीक पहुँच चुके थे।

इसी दौरान उसने पीछे मुड़ कर देखा उसका चेहरा लाल और आँखें मस्त हो चुकी थीं। उससे दूर होकर मैं भी कुछ विचलित सा हो गया और यही हाल उसका था।

चलो सीने पर पत्थर रख कर उसे छोड़कर पीछे होना पड़ा..

इससे पहले कि मैं और वो जुदा होते.. एक ऑटो वाला आया और मेरे से उसने पूछा- कहाँ जाना है भाई साहब.. भाभीजी..

हम दोनों के मुँह से एक साथ निकला- कैम्प..

वह मुझे और मैं उसके मुँह की तरफ देखने लगे और खो गए।

ऑटो वाले ने हम झिंझोड़ा और कहा- बाकी घर जाकर देख लेना एक-दूसरे को.. यहाँ से तो चलो..

इतने में वो शर्मा गई और हम ऑटो में बैठ गए।

हमारे बैठते ही ऑटो वाले ने गाना लगा दिया- थोड़ा सा प्यार हुआ है.. थोड़ा है.. बाकी गाने के बोल सुनते ही हम एक-दूसरे को देखने लगे।

तभी उस नवयुवती ने कहा- आपको कहाँ जाना है?

मैं हड़बड़ाहट में बोला- जी..

उसने पुन: कहा- कहाँ जाना है आपको?

मैंने अपनी जेब से एक कार्ड निकाल कर उसे दिखाया.. उसने पता पढ़ा और कहा- अरे.. यह तो बिल्कुल मेरे घर के पास है।

उसके इतना कहते ही हम खामोश हो गए। उसने फिर पूछा- क्या नाम है आपका?

मैंने कहा- राज.. और आपका?

उसने कहा- स्वीटी..

जैसा उसका नाम.. वैसा ही उसका फिगर 36-26-38 मस्त चूचे.. पतली कमर और थोड़ी सी भारी गाण्ड.. जिसे देखते ही मेरा लण्ड एक फिर फन उठाने लगा। जिस पर मैंने अपना हाथ रख कर दबाना शुरू कर दिया।

शायद स्वीटी को इस चीज का एहसास हो गया था। वह भी मेरे लण्ड की तरफ भूखी शेरनी की तरह देख रही थी।

तभी उसने अपना मोबाइल निकाल कर नम्बर मिलाया और बोला- मम्मी मैं हिसार आ गई।

उस तरफ से जाने क्या जवाब मिला वो एकदम से खिल उठी और मुझे देखकर बोली- आपकी और मंजिल आने वाले है। अचानक ऑटो का पहिया खड्डे में गिरा और उसका संतुलन बिगड़ गया और वह मेरे ऊपर आ गिरी।

उसके सख्त चूचों की चुभन को मैं अपने सीने पर महसूस कर रहा था। इतने में उसके गालों पर होंठ टकरा गए और मैंने एक चुंबन उन पर जड़ दिया.. जिसकी सिरहन मैं उसके जिस्म में महसूस कर रहा था।

इतने में ऑटो रूका और चालक ने कहा- लो जी.. आपकी मंजिल आ गई।

वो मुझसे अलग हो गई। मैंने जैसे ही ऑटो चालक को पैसे देने के लिए पर्स निकाला.. उसने मेरा हाथ पकड़ कर दबाया और आँखों से इशारा किया। मैं रूक गया और उसने ऑटो चालक को रूखसत कर दिया।

मैंने उससे कहा- वो पता?

तो उसने कहा- बताती हूँ.. जल्दी क्या है?

इतना कहकर वह आगे चल दी और मैं उसके मद के जादू में बंधा.. उसके पीछे चल दिया।

उसने गली के कोने पर आकर मुझे रूकने को कहा और एक दुकान में जाकर कुछ खाने का सामान लेकर लौटी और चल पड़ी।

मैं फिर उसके पीछे चल पड़ा.. गली के अंत में जाकर वह एक शानदार मकान के सामने रूकी और गेट का ताला खोलने लगी और हाथ में लिया सामान मुझे पकड़ा दिया।
मैं सब जादू के गुडडे की तरह उसका हुक्म बजाते हुए सामान को हाथ में ले लिया।
इतने में उसने गेट खोल लिया और मुझे अन्दर बुलाया.. मैंने कहा- वो एड्रेस?

तो उसने कहा- जो अब तक काम अधूरा छोड़ा है.. पहले वो तो पूरा कर लो.. फिर नए काम पर जाना।

मैं समझ गया कि रास्ता एकदम साफ़ है। मैं अन्दर चला गया.. उसने मकान के भीतर का दरवाजा खोला और मुझे ड्राईंग रूम में ले आई और सोफे पर बैठने को कहा।

मैंने सामान रखा और स्वीटी को बाँहों में भर लिया और उसे चूमने लगा, उसके पतले होंठों को अपने होंठों से बन्द कर लिया और एक हाथ उसके मस्त टाईट चूचों पर रख कर उन्हें दबाने लगा।
वह भी इस तरह मस्त हो गर्ई और मुझे चूमने लगी और अपने ऊपर दबाने लगी।
इस वक्त हम दोनों ज्वार-भाटे की तरह वासना से तप चुके थे। मैंने उसकी कमीज में नीचे से हाथ डाल कर उसके चूचों को पकड़ लिया और दबाने लगा।

उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अलग करते हुए मेरे लण्ड को ऊपर हाथ रख दिया और उसे पकड़ कर अन्दर की ओर चल पड़ी और कमरे में जाकर रूकी।

कमरे में जाते ही मैंने पुन: उसे दबोच लिया और उसके कपड़े उसके जिस्म से अलग करने लगा। उसकी कमीज उतारते ही सफेद ब्रा में उसके बेदाग दूधिया जिस्म.. सोने की तरह चमक रहा था। उसके जिस्म पर मेरे हाथों के निशान साफ दिख रहे थे।

मैंने उसकी ब्रा उसके जिस्म से अलग की.. तो उसके मस्त मोटे और गुंदाज अनछुए चूचे.. मेरे सामने उछल कर आ गए। मैंने उन्हें हाथों में लेकर दबाना शुरू कर दिया.. फिर लाल कत्थई निप्पलों को चुटकी में लेकर मींजा.. तो वह चिहुंक उठी और उसने मेरे लौड़े को पैंट के ऊपर से मसल दिया।

अब चिहुंकने की मेरी बारी थी.. मैंने उसके चूचों को दबाया और निप्पलों को मुँह में ले लिया और चूसने लगा।

वह अपने हाथों को मेरे बालों में फिराने लगी। मैंने मम्मों को छोड़कर उसकी चूत पर सलवार के ऊपर से ही हाथ फेरा.. तो वह गीली हो चुकी थी।

मैंने बिना देरी किए उसकी सलवार का नाड़ा तोड़ दिया.. उसकी सलवार बिना रूकावट के फर्श पर आ गिरी थी और उसकी नंगी चूत मेरे सामने थी। मैंने उसे पलंग पर धक्का देकर गिरा दिया और उसकी चूत को देखने लगा।

उसने शर्माते हुए अपनी चूत को छुपा लिया। मैंने उसकी टांगों को अलग किया और कहा- जानेमन इस खजाने का तो आज लूटने का दिन है और इसे छुपा रही हो..

तो उसने कहा- मेरे खजाने को क्या आँखों से हाथों से लूटोगे.. इसका असली लुटेरा.. उस खिलाड़ी को बाहर निकालो।

मैंने उसकी बात पर सहमति जताते हुए अपने सारे कपड़े उतार दिए और हम दोनों आदमजात नंगे हो गए।

उसने मेरे तने हुए लण्ड को देखा तो वह एकदम पलंग से उठी और मेरे लौड़े को हाथों में ले लिया और उसकी मोटाई व लम्बाई नापने लगी।

फिर अपने सीने पर हाथ रख कर बोली- हाय माँ.. मर गई खामखाँ पगां ले लिया.. आज तो मैं मर ही जाऊँगी..

मैंने सोचा- कहीं खड़े लण्ड पर धोखा ना हो जाए.. मैंने तपाक से उसके ऊपर गिरते हुए उसके होंठों पर होंठ रख दिए और चूसना शुरू कर दिया.. साथ ही हाथ से लण्ड को उसकी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया, फिर मौका देखते ही उसकी चूत में दबाव बना कर लण्ड का टोपा अन्दर कर दिया।

लण्ड चूत में अन्दर जाते ही वह चीख पड़ी और मुझे कसके पकड़ कर बोली- मार दिया.. मादरचोद.. फाड़ दी.. मेरी कुंवारी चूत.. लूट लिया मेरा खजाना.. हरामी.. निकाल इसे बाहर..

इससे पहले वह कुछ हिलती.. मैंने अपने जिस्म का सारा वजन उसके कोमल बदन पर डाल दिया.. ताकि वह हिल ना सके और उसे अपने हाथों से सहलाने लगा।

जैसे ही वह कुछ शांत हुई.. मैंने उसकी चूत से लण्ड निकाल कर एक झटका मारा इस बार आधा लण्ड उसकी चूत में था।

इस बार उसकी आँखों में आंसू थे। लेकिन उसने मुझे पकड़ कर अपने आपको सभांला.. जिसका मैंने फायदा उठाते हुए दूसरे झटके में उसकी कुँवारी चूत में अपना आठ इंच लम्बा व तीन इंच मोटा लण्ड पूरा अन्दर कर दिया।

इस बार वह फिर मचली.. लेकिन मैंने उसे सहलाते हुए व लण्ड को अन्दर-बाहर करते हुए उसे तैयार कर लिया और धीरे-धीरे अपनी गति तेज कर दी। अब वह भी मेरा सहयोग कर रही थी। खून के लाल रंग व वासना के रंग में रंगा मेरा लण्ड आग का गोला लग रहा था।

लगभग 20 मिनट में उसकी चूत ने दो बार पानी छोड़ा.. जिसके बाद ‘आह..’ व चूत के पानी की “छप.. छप” की आवाज व अलग से भीनी-भीनी खुश्बू ने कमरे को महका दिया।

कुछ देर बाद वह झड़ गई.. मैंने भी अपने लण्ड का पहला अनमोल खजाना उसकी चूत में झाड़ दिया और उसके ऊपर गिर कर सांसें लेने लगा।

उसके बाद स्वीटी ने मेरे लण्ड को साफ किया और मुँह में लेकर चूसा। उसके चूसने से मैं पुन: तैयार हो गया और फिर मैंने स्वीटी को बाँहों में लेकर चुदाई की एक नई और लम्बी दौड़ में शुरू हो गया।

दूसरी बार झड़ने के बाद मुझे ध्यान आया मुझे इंटरव्यू पर जाना है.. तो मैं कपड़े पहनने लगा।

तो स्वीटी रोक दिया और कहा- बाथरूम जाकर नहा लो.. इतने में तुम्हारे लिए कुछ लाती हूँ।

यह कह कर वह रसोई में चली गई और मैं कमरे में लगे हुए बाथरूम में घुस गया।

मैं नहाकर बाहर आया तो वह मेरे लिए जूस लेकर आई थी। मैंने जूस पिया और उससे वह एड्रेस पूछा.. तो उसने मुझे पीछे वाले घर का पता बताया।

मैंने जाने से पूर्व स्वीटी को बाँहों में भरा और एक लम्बा चुम्बन उसके होंठों पर किया। स्वीटी ने मुझसे अलग होकर मेरा नम्बर लिया और फिर दुबारा आने को कहा।

इस प्रकार स्वीटी की कुंवारी चूत चोद कर मेरा लण्ड की सील टूटी। उसके बाद मैंने स्वीटी की दो सहेलियों व उसकी तीन कुँवारी बहनों को भी चोदा.. जो कि किसी अगली कहानी में आपसे साझा करूँगा।

आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी.. मुझे जरूर बताएँ..

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