भाभी की ट्यूशन

समीर रंजन 2009-07-09 Comments

प्रेषक : समीर रंजन

मेरा नाम समीर है, मैं लखनऊ में रहता हूँ, 27 साल का हूँ ! मैं इससे पहले कई कहानियाँ अन्तर्वासना.कॉम पर लिख चुका हूं।

मैं आज आपको अपनी जिंदगी की सबसे प्यारी घटना बताता हूँ जो आज से कुछ साल पहले गलती से हुई। यह बिल्कुल सच्ची घटना है, चाहे आप विश्वास करें या न करें !

मैं 5 फ़ीट 9 इंच का गोरा और काफी अच्छे व्यक्तित्व वाला हूँ। मेरे पड़ोस में एक भाभी हैं जो इंग्लिश टीचर हैं। वो इतनी सेक्सी दिखती हैं कि उनके बारे में सोच कर ही लण्ड अपनी ऊँचाई पर पहुँच जाता है। उनके बड़े बड़े मम्मे देख कर ही दिल उन्हें मसलने को तड़प जाता है और सबसे बड़ी उनकी गाण्ड ! मैं तो मर ही जाता था जब उनकी गाण्ड को हिलते हुए देखता था। आप उन्हें सेक्स की देवी कह सकते हैं। अब मैं आपको अपनी कहानी की तरफ ले चलता हूँ।

वो इंग्लिश की टीचर हैं, मैं इंग्लिश में थोड़ा कमजोर था तो उन्होंने मेरे मॉम को कहा कि समीर को उनके पास पढ़ने भेज दिया करें !

वैसे वो सिर्फ लड़कियों की ही ट्यूशन लिया करती थी। जब मेरी मॉम ने मुझे बताया कि भाभी ने मुझे ट्यूशन पढ़ने के लिए अपने आप कहा है तो मैं हैरान हो गया। पर मैं खुश था कि कम से कम मैं उनके साथ हर रोज बैठ तो सकूँगा।

फिर मैं रोज उनके यहाँ ट्यूशन पढ़ने जाने लगा। मैं पढ़ाई करते वक़्त कई वार उनके गहरे गले के कमीज़ में से उनके बड़े बड़े मम्मों को देखता था पर उन्हें पता नहीं चलने देता था। उनकी और मेरी काफी पटने लगी थी, हम काफी हंसी-मजाक भी करते थे।

एक दिन ऐसे ही मजाक मजाक में उन्होंने पूछ लिया- क्या तुम्हारी कोई गर्ल फ्रेंड है?

मैंने कहा- हाँ बहुत सारी हैं।

वो बोली- नहीं, जो फ्रेंड से भी ज्यादा हो?

मैंने कहा- मैं समझा नहीं?

वो बोली- मेरा मतलब, जिसे तुम प्यार करते हो।

मैंने कहा- नहीं, ऐसी कोई नहीं है।

वो बोली- नहीं, ऐसा नहीं हो सकता, तेरे जैसे लड़कों को तो लड़कियाँ ढूंढती रहती हैं।

मैंने कहा- नहीं, ऐसी कोई नहीं है, सच बोल रहा हूँ !

तब वो मेज पर आगे झुक कर बैठ गई और बोली- कभी तुमने किसी को चाहा है?

मैंने कहा- मेरे चाहने से क्या होता है?

वो बोली- अगर तुम किसी को चाहते हो तो उसे बता देना चाहिए।

मैंने कहा- उससे क्या होगा?

वो बोली- अगर वो भी तुम्हें चाहती हो और तुम्हारी तरह तुम्हें भी बता न पा रही हो तो?

फिर वो बोली- अगर उसकी भी हाँ होगी तो दोनों चाहने वाले एक दूसरे से मिल जायेंगे।

मैंने सोचा कि यह अच्छा मौका है, मैंने भाभी का हाथ पकड़ा और कहा- भाभी मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ !

वो डर गई और मुझे अपने घर जाने को बोलने लगी।

मैंने कहा- मैं तो मजाक कर रहा था !

तब उनको राहत महसूस हुई। फिर इधर उधर की बातें हुई और मैं घर आ गया।

मैंने रात भर भाभी के बारे में सोच सोच कर दो बार मुठ मारी।

अगले दिन जब मैं उनके घर ट्यूशन में पहुंचा तो उस दिन वो साड़ी पहने थी, स्लीवलेस ब्लाऊज़ में वो बहुत सेक्सी लग रही थी, दिल कर रहा था कि उसके होंठों को खा जाऊँ !

वो मुझे देख कर मुस्कुराई और बोली- आओ समीर, बैठो !

मैंने कहा- आप कहीं जा रही हैं क्या?

वो बोली- नहीं बस ऐसे ही दिल किया, इसलिए साड़ी बांध ली।

मैंने कहा- आप बहुत सुन्दर लग रही हैं इस साड़ी में !

फिर मैंने अपनी किताब निकाली तो उन्होंने उसे पकड़ कर बंद कर दिया और बोली- आज बातें करते हैं, पढ़ाई कल करेंगे !

मैंने कहा- ठीक है !

इधर मेरा लण्ड खड़ा हो रहा था उसकी ऐसी अदाएँ देख कर !

यह उसने महसूस भी कर लिया था। वो मुझे देख कर मुस्कुराई और बोली- समीर, क्या मैं तुम्हें सच में अच्छी लगती हूँ?

मैंने कहा- हाँ भाभी !

वो बोली- मेरा नाम दीपिका है, तुम मुझे अब इसी नाम से बुलाओगे। अब हम दोस्त हैं।

ऐसा कह कर उन्होंने मेरे हाथ पर हाथ रख दिया। इतने से ही मुझे जोश आ गया, मैंने उसके चेहरे को पकड़ कर उसके मोटे और सुन्दर होंठों को अपने मुँह में लेकर जबरदस्त तरीके से चूसने लगा। उन्होंने मुझसे छुट कर कहा- दरवाजा खुला है, कोई देख लेगा।

मैंने उठ कर दरवाजा बंद किया और मैं फिर उनको चूमने लगा। हम पागलों की तरह एक-दूसरे को चूम रहे थे। मेरे हाथ उसके मस्त कूल्हों को दबा रहे थे। मैं इतने जोश में था कि उसके ब्लाउज के हुक भी तोड़ डाले। उसने काले रंग की पारभासी ब्रा पहनी हुई थी जिसमें से उसके बड़े बड़े मम्में लगभग बाहर ही दिख रहे थे। मैंने जोर लगा कर उसकी ब्रा को भी फाड़ डाला।

वो भी मदहोश थी और मेरी छाती और पैंट के ऊपर से ही मेरे लण्ड को मसल रही थी।

मैंने उसकी साड़ी उतार कर एक तरफ रख दी और पेटिकोट को भी उतार दिया। उसने मेरी पैंट और शर्ट भी उतार दी। अब वो सिर्फ पैंटी में थी जिस में से उसकी चूत भी बाहर झलक रही थी और मैं अंडरवीयर में था जो एक तम्बू सा लग रहा था।

तब वो मुझे लेकर अपने बैडरूम में चली गई। वहाँ पर उसने मेरे अंडरवीयर को उतार दिया। जब उसने मेरे लण्ड को देखा तो उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक आ गई, वो तो उसे पागलों की तरह चाटने लगी, वो उसे लॉलीपोप की तरह मुँह में चूस रही थी।

पहली बार किसी ने इतनी अच्छी तरह मेरे लण्ड को मुँह में लेकर चूसा था, मैं तो जैसे स्वर्ग में था।

मैं उसके सर को पकड़ कर जोर-जोर से हिलाने लगा। लगभग दस मिनट बाद मैंने उसकी चूत में ऊँगली डाली, वो बहुत ही गर्म थी, मेरे ऐसा करते ही उसके मुँह से सिसकी निकली- आह ह्ह्ह्हः तेज करो जानू ! मजा आ रहा है ! मैं अपनी अब दो उंगलियाँ तेज़ी से अन्दर-बाहर करने लगा। वो ऊओह्ह्ह वगैरह आवाजें मुँह से निकालने लगी। उसकी आँखें बंद हो गई थी।

फिर हम लोग 69 की अवस्था में आ गए, मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया तो वो तड़प उठी- नहीं समीर ! नहीं ! प्लीज़ अह आआ औऊम्म्म्म ! मैं मर जाऊँगी !

और वो मेरे लण्ड को मुँह में लेकर चूसने लगी। बहुत अच्छी खुशबू आ रही थी।

मैंने उससे कहा- अपनी चूत को एकदम साफ़ कर लेना, मुझे तुम्हारी चूत एकदम साफ देखनी है।

वो बोली- जब दिल करे, तुम अपने हाथ से इसे साफ़ कर देना, अब तो यह तुम्हारी ही है !

और मुस्कुराने लगी। मैंने उसकी गाण्ड में भी एक उंगली डाल दी। वो दर्द से चिंहुक पड़ी, बोली- ऐसा मत करो प्लीज़ ! दर्द होता है।

मैंने हंस कर कहा- दर्द में ही तो मज़ा है। अब यह भी तो अब मेरा ही हुआ न?

वो बोली- अब तो सब कुछ तुम्हारा है !

और हम लोग लगभग 15 मिनट तक एक दूसरे को इसी तरह मज़े देते रहे।

इतने में उसकी चूत एक बार पानी भी छोड़ गई। फिर मैंने उसे सीधा कर के लिटाया और उसके होंठो और स्तनों को चूमने लगा। उसके चूचे लाल हो गये थे।

वो बोली- समीर, अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है, प्लीज़ कुछ करो, मैं मर जाऊँगी।

फिर मैंने उसकी गाड के नीचे एक तकिया लगाया तो उसकी चूत एकदम ऊपर उठ गई। मैंने प्यार से उस पर हाथ फेरा, वो आ आआ अह हह्ह करने लगी, छोड़ो मुझे जल्दी प्लीज़ छोड़ो आआआह

मैं भी पूरा गर्म हो चुका था, मेरे बदन का रोया-रोया खड़ा हो गया था। फिर मैंने अपने लण्ड को उसकी चूत पर रखा और उसने अपनी टांगों को फैला लिया। उसकी चूत काफी कसी हुई लग रही थी। फिर मैंने एक जोर का झटका लगाया, उसके मुँह से चीख निकल गई- आअह्ह्ह्हाअ ! मर गई ! धीरे करो बेटे ! मुफ़्त का माल समझ कर टूट पड़े?

मैंने उसके चूचों को मसलना शुरु कर दिया और उसके होंठों को अपने मुंह में ले लिया। वो थोड़ी देर में शांत हो गई।

फिर मैंने एक और झटका मारा, मेरा आधे से अधिक लण्ड उसकी चूत में जा चुका था। वो दर्द से मचल उठी- आअ ह्ह्ह्ह ऊऊ ह्ह्ह्ह ! छोड़ ! दो बाहर निकालो इसे ! हहह !

मैं जोश में था और मैंने झटके देने शुरू कर दिए। लण्ड के अन्दर-बाहर होने से उसे थोड़ी राहत मिलनी शुरू हुई और वो भी मज़ा लेने लगी- आह आह्ह ! धीरे करो जानू ! अ आः मार डालो मुझे !

और फिर मैंने एक जोरदार झटका और मारा, और मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में फिट हो गया था।

मैं उसे तेजी से चोद रहा था, वो भी नीचे से गाण्ड उछाल उछाल कर मेरा साथ दे रही थी। तभी उसकी गति तेज़ हो गई और वो झड़ गई।

मैं अभी भी उसे चोदे जा रहा था, वो फिर गर्म हो गई और मेरा साथ देने लगी।

दस मिनट बाद वो फिर झड़ गई। मैं भी मस्ती में आ चुका था, मैंने अपनी गति और तेज़ कर दी और वो भी आआआ स्स स्स्साह ! जानू आई लव यू ! आआअह्ह्ह करने लगी और बोली- करते रहो, मेरे जानू करते रहो !

और उसने अपने दोनों पैरों से मेरी कमर को पूरी तरह से जकड़ लिया और एक जोर के झटके के साथ में वो दोबारा झड़ गई।

और मेरे होंठों पर अपने होंठ को रख कर चुम्बन करने लगी।

मेरा लण्ड भी अब आखिरी चरण पर आ चुका था। मैं और जोर से उसकी चूत में अपना लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा और जोर जोर से झटके मारने लगा और फिर मैं भी झड़ने लगा।

मैं उसके चूत में ही झड़ गया, उसकी चूत मेरे वीर्य से भर गई।

मैं दो मिनट तक तो ऐसे ही उसके ऊपर लेटा रहा फिर उसकी बगल में आकर लेट गया और वो मेरे कंधे पर सर रख कर लेट गई।

उसका नंगा मुलायम शरीर सच में बहुत खूबसूरत लग रहा था।

आपको मेरी यह खूबसूरत आपबीती कैसी लगी, आप अपनी राय जरूर बताएँ।

What did you think of this story??

Click the links to read more stories from the category पड़ोसी or similar stories about

You may also like these sex stories

Download a PDF Copy of this Story

भाभी की ट्यूशन

Comments

Scroll To Top